जहां चाशनी होगी, वहां ‘खान मार्केटिए’ निश्चित ही सक्रिय होंगे!

मंत्री जी – टूटे मन से कोई खड़ा नहीं हो पाता, आपकी #KGM टीम ने तो सबको और पूरे सिस्टम को ही तोड़कर रख दिया है!

‘सुधीरदृष्टि’ से और उनकी #KMG मंडली से जब तक सीआरबी साहब और मंत्री जी अपने निर्णयों को प्रभावित होने देंगे, स्मरण रहे कि भविष्य में जवाब आपसे भी पूछे जाएंगे!

सुरेश त्रिपाठी

सुधी पाठकों ने हमें यह बताया कि #KMG सीरीज के 25 लेख हो चुके हैं! हम अपने पाठकों का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हमें सही समय पर यह सूचना दी, हमें चेताया और जब धमकी सरीखे फोन आए, ट्विटर पर झूठ बोलकर हमारा नाम खराब करने की कोशिश की गई, नेता, ठेकेदार कई तरह के ऑफर और धमकी लेकर आए – हमें संभालने और बचाने वाले आप ही रहे, यह मैं निःसंकोच कह सकता हूँ! पुनः धन्यवाद!!

हमें आप सुधी पाठकों से यह साझा करने में खुशी महसूस हो रही है कि इस सीरीज के कारण साल भर से अधिक लंबित डीआरएम पोस्टिंग आनन फानन में की गईं। हमारा लेख, SOS! The uncertainty in Railway is on account of ill thought of transformation! 05 अक्टूबर को प्रकाशित हुआ, और 6 अक्टूबर को साल भर से ज्यादा समय से लंबित फाइल क्लियर हो गई। तथापि जल्दबाजी ऐसी कि साल भर के अंदर हुए डेवलपमेंट कनेक्ट भी नहीं हो पाए! अगर यही करना था, तो एतना विलंब काहे किया महाप्रभु! में हमने 7 अक्टूबर को इस विषय पर चर्चा की।

इन लेखों में सबसे महत्त्वपूर्ण ये खुलासा हुआ कि रेल में पसरा #KMG यह सुनिश्चित करता है कि कीमत मंत्री ही चुकाएंगे! यह भी पता चला कि कैसे मात्र 4 अधिकारी 50 वर्षों से रेल भवन में ही बैठे हैं। इसी सरकार के अश्विनी वैष्णव, चौथे रेलमंत्री हैं और विनय कुमार त्रिपाठी साहेब पाँचवें सीआरबी हैं, जबकि कोर खान मार्केट गैंग (#KMG) वही है।

15 अक्टूबर को हमने प्रकाशित किया, क्या खराब रिजल्ट की कीमत केवल रेलमंत्री ही चुकाएंगे? जब से हमने #KMG के बारे में लिखना चालू किया, हमारे पास जानकारियों का सैलाब आ गया, रेल के कई सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों ने हमें बहुत जानकारियां दीं, मैं उन सबका आभारी हूं। इस मकड़जाल को सुलझाने के लिए हमें एक कंप्यूटर ग्राफिक्स के जानकार से चार्ट बनवाना पड़ा, अश्विनी वैष्णव जी आप पहले रेलमंत्री नहीं हैं, जो ‘खान मार्केट गैंग’ से घिरे हैं!

यहां यह कहना आवश्यक है कि जैसे पूर्व रेलमंत्री पीयूष गोयल और और वर्तमान रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने खतौली के खलनायकों को पदोन्नति देकर महाप्रबंधक बनाया, उससे इस बात की पुष्टि होती है कि कीमत रेलमंत्री ही चुकाएंगे – स्मरण रहे कि खतौली ने पूर्व रेलमंत्री सुरेश प्रभु के राजनैतिक कैरियर पर पूर्ण-विराम लगा दिया था, जबकि श्री प्रभु, मोदी कैबिनेट के वरिष्ठतम और निष्ठावान मंत्रियों में से एक थे।

हमने यह भी साझा किया कि कैसे 360 डिग्री की प्रक्रिया पूरी तरह से #KMG के हाथों की कठपुतली है और कैसे कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट से पूरी प्रक्रिया अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है। यहां यह तथ्य भी उभरकर आया कि कैसे 360 डिग्री करने वाले पैनल के 50 प्रतिशत सदस्य खुद बड़े भ्रष्टाचार में संलिप्त रहे।

27 नवंबर को हमने आव्हान किया कि, Unless top shows spine to rotate officers, nothing would change! मॉडस ऑपरेंडी भी समझ आई – कैसे दबंगई से सीवीसी और सीबीआई को दरकिनार कर आईआरएफसी जैसे महत्वपूर्ण संगठन का एमडी बनाया गया। सतीश अग्निहोत्री को कैसे मोदी जी के ड्रीम प्रोजेक्ट एनएचआरसीएल का सीएमडी प्लांट किया गया और कैसे आरडीएसओ का सीवीओ बनाते हुए महत्वपूर्ण जानकारी मंत्रीजी से छिपाई गई, इस तरह #KMG ने पिछले एक साल में मोदी सरकार की भरपूर किरकिरी करवाई है।

हमने यह भी पाया कि कैसे ‘खान मार्केट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट’ एक विचारधारा है – school of  thoughts है। इसमें #AIDS (ऑल इंडिया दिल्ली सर्विस) का अति-महत्वपूर्ण योगदान है। अभी के मंत्री सेल और सीआरबी सेल में कार्यरत इस विचारधारा के कुलीन सदस्यों के बारे भी आपको बताया कि वे क्या हैं, कैसे दिखते हैं, ताकि रेल भवन में यदि टकरा जाएं, तो आपके प्रणाम करने में देर न हो और आप अपने भावी नुकसान से बच सकें। हमने बहुत से अधिकारियों से बात की यह जानने के लिए कि इन अधिकारियों का रेल में क्या योगदान रहा है।

#TenderMan ने तो स्वयं का महिमामंडन करते हुए एक पुस्तक छाप दी है – इस पुस्तक से हालांकि कुछ समझ नहीं आया कि इन्होंने रेल में क्या किया है – वैसे उनके गूढ़ विचारों को समझने का प्रयास चल रहा है कि कैसे आपने नई सरकार के रिफार्म के एजेंडा को गेम कर रेल को ही दसियों हजार करोड़ का चूना लगवा दिया। बाकी उनके होनहार पूत, सर्वश्री जितेंद्र कुमार, नवीन कुमार और उमेश बलौंदा के बारे में अब तक वह सूक्ष्मदर्शी नहीं मिल पाई है, जिससे इनके द्वारा रेल में किया गया काम देखा जा सके।

लेकिन यह तो रेल और आईआरएमएस (#IRMS) के भाग्य विधाता हैं। कौन क्या बनेगा? और किसे क्या नहीं बनाना है? यही तो इनका मुख्य काम है। बोर्ड को खाली रखना, बोर्ड में ही अधिकारियों को प्रमोट करवा देना, इनकी कार्यशैली का हिस्सा है, बस आवश्यकता है कि ये उनके वर्चस्व को स्वीकारें। और नहीं तो आपके सामने हमारे चार्ट में वे सब मिल जाएंगे जिन्हें निकाल बाहर कर दिया गया। अश्विनी वैष्णव जी आप पहले रेलमंत्री नहीं हैं, जो ‘खान मार्केट गैंग’ से घिरे हैं!

इस दौरान रेलवे बोर्ड पूरा का पूरा एड-हॉक हो गया है। सारे मेंबर बिना इमोशनल टेस्टिंग के बैठे हैं और उनके सीनियर अधिकारी जीएम पद से ही रिटायर हो जाएंगे! ये है इस विचारधारा का परिणाम। रेल में आई अनिश्चितता का आलम यह है कि अब एफओबी पर चलना सेफ नहीं रह गया है है, वेटिंग रूम में बैठना या प्लेटफार्म पर खड़ा होना अब काफी साहस और वीरता का काम लगने लगा है। ट्रेनों के ब्रेक नहीं लग रहे – क्या करेगा #कवच और क्या करेगा ईओटीटी (#EOTT)!

मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी पोस्ट गैर सिविल इंजीनियर के पास है! ये भी शर्मनाक है कि राजधानी जैसी ट्रेन में एक महिला पैसेंजर के फ्लश का बटन दबाते ही गंदगी उसके ऊपर फ्लश हो गई – ये कौन-सी डिजाइन है? यह बताने के बजाय पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

माननीय मोदीजी के स्वच्छ भारत मिशन का हवाला देकर कैसे आधे-अधूरे बायो-टॉयलेट लगवाए गए कि ट्रैक पर गिरने वाली गंदगी रेल के डिब्बों को ही गंधवाने लगी। इस मॉडस ऑपरेंडी को कठपाल साहेब ही बेहतर बताएंगे कि कैसे इस राष्ट्रीय मिशन की आड़ में अधिकारी ‘ग्लोबल इंवेस्टर’ बन गए!
 
इस पूरे प्रकरण में जहां लाखों करोड़ का निवेश हो रहा है, रेल के और देश के हितों को देखने वाले न तो रेलवे बोर्ड में बचे हैं, न ही आरडीएसओ में! सरकार की अच्छी इंटेंशन से खिलवाड़ दबंगई से #KMG कर गया!

#TenderMan के टेंडरों के रास्ते में कोई नहीं बचा, न कोई चेक, न कोई बैलेंस! पूरे के पूरे सीनियर बैच जीएम के लिए एम्पेनल नहीं हुए, पूरी सिविल सर्विसेस के बैच पैनल से गायब कर दिए गए। धन्य है इस दबंगई का!

मंत्री जी और सीआरबी साहब की सारी इंद्रियों पर #KMG का ही कब्जा है – क्या दिखाया जा रहा है, क्या पढ़ाया जा रहा है, क्या सुनाया जा रहा है, कैसे #KMG सब कुछ कंट्रोल किए हुए है, ये हमारे चार्ट से सुस्पष्ट हो गया। रेल के सीनियर मैनेजमेंट का मनोबल बल्लारशाह के एफओबी की तरह हो गया है। आदरणीय अटल जी, जिनके साथ आपने काम किया था मंत्री जी, ने लिखा था – ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता!’ आपकी #KGM टीम ने तो सबको और पूरे सिस्टम को ही छोटा कर दिया और तोड़कर रख दिया।

‘सुधीरदृष्टि’ से और उनकी #KMG मंडली से जब तक सीआरबी साहब और मंत्री जी अपने निर्णयों को प्रभावित होने देंगे, स्मरण रहे कि भविष्य में जवाब आपसे भी पूछे जाएंगे। याद रहे माननीय मंत्रीजी, लुटियंस दिल्ली में आज भी लगी कृष्ण मेनन की मूर्ति ये याद दिलाती है कि कैसे पंडित नेहरू के इस सलाहकार पर निर्भरता ने उसी सेना का मनोबल तोड़ दिया था जिसने कुछ वर्ष पूर्व द्वितीय विश्व युद्ध में विजय हासिल की थी। 1962 की चीन से शर्मनाक हार #KMG जैसे आपके और सीआरबी साहेब के सलाहकार समूह पर पूर्ण निर्भरता के कारण ही हुई थी।

#Railwhispers को कई सुझाव आ रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि रेल के विशाल नेटवर्क को चलाना आसान नहीं – हमारा काम सनसनी फैलाना नहीं है, बल्कि व्यवस्थाओं को ठीक करने में योगदान देना है।

हमारे आर्टिकल मंत्री जी से डिस्कस हो रहे हैं, हालांकी #KMG ही इस जानकारी का स्पष्टीकरण भी दे रहा है – सीआरबी साहब कई बड़े खर्चों पर लगाम लगाने के प्रयास कर रहे हैं। डीआरएम और जीएम पोस्ट हुए, एमडी/आईआरएफसी, सीएमडी/ एनएचआरसीएल, सीवीओ/आरडीएसओ, एफए एंड सीएओ/सी/एनएफआर निकाले गए, ये दर्शाता है कि हम अभी ना-उम्मीद नहीं हो सकते, लेकिन यह भी नहीं समझ आ रहा कि हमारे द्वारा दी गई जानकारियों की स्वतंत्र जांच क्यों नहीं हो रही है!

#KMG के 50 सालों में दिए गए योगदान की समीक्षा से ही प्रारंभ करें या मधेपुरा-मढ़ौरा मॉडल ने कैसे देश को चूना लगाया, देखा जाए तो भी यह स्पष्ट हो जाएगा कि आपका सलाहकार समूह रेलकर्मियों में कोई विश्वसनीयता क्यों नहीं रखता!

माननीय मोदीजी रेल में जितना निवेश कर रहे हैं, वह अभूतपूर्व है, उनको साधुवाद। ऐसे में जहां चाशनी है, वहां खान मार्केटिए निश्चित ही सक्रिय होंगे, हम मंत्रीजी और सीआरबी साहेब को बस इतना ही बता सकते हैं। बहुत जानकारियां आ चुकी हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि सूचना का ओवरलोड न हो और माननीय मंत्री जी और सीआरबी साहब उस पर यथोचित कार्य कर सकें!

पहले के 25 आर्टिकल आप यहां एक नजर में देख सकते हैं:

28 Nov, Failure of FOB in Balharshah-Indian Railway’s Morbi

27 Nov, Unless top shows spine to rotate officers, nothing would change!

24 Nov, Mantri ji, Today people may be afraid or just withdrawn – but they will not forget!

23 Nov, Kalyug – Now Train Climbs Platform and Kills!

19 Nov, अश्विनी वैष्णव जी आप पहले रेलमंत्री नहीं हैं, जो ‘खान मार्केट गैंग’ से घिरे हैं!

11 Nov, जीएम पैनल और पोस्टिंग: सिस्टम में इतना अविश्वास, इतनी तिकड़म, इतनी अपारदर्शिता क्यों है?

7 Nov, Railway Minister Gives Important Clarification on IRMS

6 Nov, फंस गया इस बार खान मार्केट गैंग का प्लान !

01 Nov, The protagonist’s displeasure points to the troubled KMG!

30 Oct, “खान मार्केट गैंग” की अनियमितताओं को आखिर कब तक नजरअंदाज करेंगे रेलमंत्री महोदय!

26 Oct, मंत्री जी! रेल में अगर थोड़ी सी नैतिकता और शुचिता बचाए रखनी है, तो कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें!

21 Oct, To bypass the CBI advice, CVO/RlyBd decided to bypass the CVC itself

20 Oct, रेलमंत्री जी! जनसामान्य के फीडबैक से अपने निर्णयों को परिष्कृत करने से न घबराएं!

16 Oct, रेलमंत्री जी! रेलकर्मियों/अधिकारियों को लगता है कि ‘खान मार्केट गैंग’ आपको भ्रमित करता है!

15 Oct, क्या खराब रिजल्ट की कीमत केवल रेलमंत्री ही चुकाएंगे?

11 Oct, रेलमंत्री से न्यूनतम अपेक्षा: नियम से चलाएं सिस्टम!

10 Oct, सुधीर कुमार” बनाम “सुधीर कुमार

09 Oct, नीतिगत गलतियों का दोहन अपने हित में करने वाले अधिकारियों का सीएजी ऑडिट करवाया जाए!

08 Oct, रेलवे के कायाकल्प में नहीं है किसी की भी कोई रुचि! अधिकतम लाभ लेकर निकल लेना है, रेल और देश जाए भाड़ में!

07 Oct, अगर यही करना था, तो एतना विलंब काहे किया महाप्रभु !

06 Oct, How is Sudhir Kumar different from Satish Agnihotri?

05 Oct, SOS! The uncertainty in Railway is on account of ill thought of transformation!

01 Oct, Role of Sudhir Kumar: If he has been asked by Railway Minister, why he is not signing papers?

29 Sep, There was another conflict of interest

28 Sep, The team of Minister is manipulating 360 degree and resulted in a round loss of morale

To be continued…