रेलमंत्री जी! रेलकर्मियों/अधिकारियों को लगता है कि ‘खान मार्केट गैंग’ आपको भ्रमित करता है!

माननीय रेलमंत्री जी,
सादर नमस्कार !

आपने दो सलाहकार लिए, एक वह जो अब जग जाहिर हो चुके हैं, और वहीं आपने पूर्व महाप्रबंधक अरुण कुमार सक्सेना को लिया, जिनका सिस्टम में आज भी बहुत सम्मान है। आत्मनिर्भर भारत के ये पक्षधर आप ही लेकर आए। ये महाप्रबंधक भी रहे, नाम भी बहुत अच्छा कमाया और ‘मेरा आदमी-तेरा आदमी’ के चक्कर में कभी नहीं पड़े।

आज अगर सक्सेना जी किसी से बात करेंगे, तो लोग आंख बंद कर विश्वस्त होकर काम करेंगे, इनकी इतनी विश्वसनीयता रही है सिस्टम में। ऐसा अलग-अलग विभागों के अधिकारियों का कहना है। अपने संकेत एवं दूरसंचार (एसएंडटी) विभाग के बहुत आदरणीय अधिकारी भी रहे हैं। हालांकि इनका कद विभागीय अधिकारी से ऊँचा है।

इन्होंने रेल की व्यवस्था चलाई है। इन्हें निर्णयों के परिणाम पता हैं। इनके अचीवमेंट्स किसी मैनेजमेंट की पुस्तक में नहीं मिलेंगे, लेकिन उन सबसे आप इनके बारे में जानिए, जहां इन्होंने काम किया। न गलत किया न गलत करने दिया, और न ही कभी किसी को गलत सलाह दी।

ऐसे सलाहकार चेयरमैन सीईओ रेलवे बोर्ड विनय त्रिपाठी जी जैसे हैं। आपको मीठे तो शायद नहीं लगेंगे, लेकिन आपको दूसरों की तरह मधुमेह नहीं देंगे और आपकी छवि को निखारेंगे ही, नाम भी ऊंचा करेंगे, लेकिन क्या दूसरे सेवानिवृत्त अधिकारी के बारे में ठोककर ऐसा कहा जा सकता है?

दोनों सलाहकार आपके ही चुने हुए हैं। इसीलिए रेलकर्मियों/अधिकारियों को लगता है कि आपको भ्रमित किया जा रहा है! इस ‘खान मार्केट गैंग’ ने आपको सब तरफ से घेर रखा है। सक्सेना जी की रेप्युटेशन कभी इस तरह की नहीं रही है। आपके पास सारा पावर है इन सब तथ्यों को जांचने का। कृपया आप अपनी टीम की स्वतंत्र जांच तो करवाएं – क्या इन लोगों को सिस्टम आदर से देखता है? क्या इनकी विश्वसनीयता रही है कभी?

यहां आपके सोचने की एक बात और है। वह यह कि दोनों ही आपके एडवाइजर हैं, फिर एक को ‘कंसल्टेंट’ का नाम क्यों दिलवाया गया? इसका कारण यह है कि ‘खान मार्केट गैंग’ को लगा कि अगर दूसरे को भी ‘एडवाइजर’ नाम दे दिया गया तो इस तरह उनके ‘संरक्षक’ का ओहदा कम हो जाएगा! अब यह आपके विचार करने की बात है कि ऐसा क्यों करवाया गया!

मेरा आपको यह आश्वासन है कि अगर आप उक्त तथ्यों की जांच करवाकर #Railwhispers को बता दें, तो हम भी अपने पाठकों को आश्वस्त कर देंगे कि मंत्री जी ने स्वतंत्र जांच करवाकर यह देख लिया है कि “ये अधिकारी लम्बे समय से रेलवे बोर्ड में नहीं रहे, इनकी फाइलें तथ्यों को बिना छिपाए आपके पास आती रही हैं, आपकी इस टीम को रेल तंत्र विश्वसनीय मानता है, इनके पास अपने कैरियर में विशिष्ट योगदान रहे हैं!”

धन्यवाद
सादर – जय श्रीकृष्ण
सुरेश त्रिपाठी, संपादक

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