“सुधीर कुमार” बनाम “सुधीर कुमार”

‘लालू के सुधीर’ और ‘वैष्णव के सुधीर’ का अंतर!

एक सुधीर कुमार, आईएएस अधिकारी थे, जो पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के ओएसडी हुआ करते थे। उनके समय के रेलवे बोर्ड मेंबरों में थोड़ी-बहुत रीड़ की हड्डी पाई जाती थी। रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव चोरी बचाने के लिए सीसी+2 की लोडिंग वैध करना चाहते थे और पूरा बोर्ड इसके खिलाफ था।

Sudhir Kumar, IAS & ex OSD to Lalu Prasad Yadav, former Railway Minister

लेकिन सुधीर कुमार ने बिना किसी बोर्ड मेंबर से बदतमीजी किए, बिना एक भी अपशब्द बोले उन सबको प्रेरित किया कि वे फाइल पर अपनी बात लिखें कि क्यों ये निर्णय ठीक नहीं है और कैसे इसे ठीक कर सकते हैं! इन सब बातों को लेकर उन्होंने बोर्ड मेंबर्स से सारे डाउट फाइल पर ही क्लीयर करवाए और रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव का यह निर्णय इम्प्लीमेंट हो गया।

यहां तक कि तत्कालीन मेंबर ट्रैफिक (श्रीमान घोष दस्तीदार) को सरकार से ‘पद्मभूषण’ भी इसी बात के लिए मिल गया।

दूसरे सुधीर कुमार, जो सेवानिवृत्त रेल अधिकारी और वर्तमान रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के ‘नेट जीरो’ प्रोजेक्ट के सलाहकार हैं, ने यह हौवा बनाया कि रेलमंत्री और सरकार की बात नहीं मानी जा रही, पूरे सिस्टम को ध्वस्त कर दिया, यानि वह जो करने आए थे, वह कर दिया – ‘नेट जीरो’!

Sudhir Kumar, Retd. IRSEE & Advisor to Ashwini Vaishnaw, present Railway Minister

यही नहीं, उन्होंने रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड के उच्च पदस्थ अधिकारियों को भी आमने सामने कर दिया, जिसके फलस्वरूप, एक मेंबर को छुट्टी पर जाना पड़ा और एक डीजी, जिसे मेंबर बनना था, वीआरएस लेकर चला गया।

इसके अलावा एक से अधिक वरिष्ठ अधिकारी वीआरएस ले चुके हैं। कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय – कि सभी जोनल महाप्रबंधकों को सेक्रेटेरी लेवल का ग्रेड दिया जाएगा – निरस्त करवा दिया।

इनके चलते न केवल पूरा बोर्ड ‘लुक ऑफ्टर’ बन गया, बल्कि तेरह जोन/पीयू लगभग साल भर से ‘लुक ऑफ्टर’ हैं। बीस डीआरएम की पोस्टिंग भी एक साल बाद जुगाड़ से अवसर का लाभ उठाते हुए ही होने दी गई, वह भी अपने जैसे लोगों की!

वहीं ‘लालू के सुधीर’ ने आज से ज्यादा बड़े बोर्ड के साथ दक्ष-समन्वय स्थापित करते हुए तत्कालीन रेलमंत्री लालू के सारे निर्णय इम्प्लमेंट करा दिए थे, और स्वयं कभी किसी विवाद में नहीं आए। यह होती है योग्यता!

लालू के सुधीर सभी अधिकारियों से सम्मानपूर्वक बात-व्यवहार तो करते ही थे, बल्कि मंत्री एवं रेल अधिकारियों के बीच एक सेतु का काम भी करते थे। वहीं आज के सुधीर को अपने चेलों के साथ सोचने-समझने की यत्किंचित क्षमता रखने वाले सभी वरिष्ठ रेल अधिकारियों के प्रति मंत्री के मन में दुर्भाव डालते हुए ही अब तक देखा गया है। क्रमशः जारी..

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