Third Party Inspection: जब तैराक तैरना भूल जाए, तो उसे क्या कहेंगे?
सिलिकॉन वैली बैंक और उसके कुछ दिन बाद सिग्नेचर बैंक के दिवालिया होने और अमेरिकी सरकार द्वारा दोनों दिवालिया बैंकों को टेकओवर करने की खबर इस समय यूक्रेन-रुस युद्ध से अधिक बहस का विषय है!
अब जहां तक भारतीय रेल की बात है-
#Railwhispers को अमेरिकन बैंकों के डूबने या दिवालिया होने अथवा टेकओवर से क्या करना है! लेकिन हम इस प्रकार के निष्कर्ष निकालने से पहले अपने सुधी पाठकों से बात करते हैं। रेल भारत की अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न भाग है। अनुमानतः 10-12 करोड़ भारतीय इस पर सीधे आश्रित हैं, उनकी रोजी-रोटी रेल से जुड़ी है- इनमें सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारी, उनके परिवार, रेल व्यवस्था से जुड़े स्थानीय व्यापारी, रेल के कलपुर्जों के निर्माता/आपूर्तिकर्ता (वेंडर/सप्लायर) और उनके परिवार! यहां रेल सेवाओं के उपभोक्ताओं (रेलयात्रियों) को नहीं गिना गया है, जो कि प्रतिदिन ढ़ाई करोड़ से अधिक हैं। लगभग 40 से 45 दिन में भारत की पूरी जनसंख्या को इधर से उधर घुमा देती है भारतीय रेल! गुड्स ट्रांसपोर्टेशन में भारतीय रेल की हिस्सेदारी आज भी 50% तक बनी हुई है। यह है भारतीय रेल की महिमा!
रेल का सालाना बजट लाखों करोड़ का होता है। यह पैसा और रेल द्वारा किए कार्य रेल को देश के बाजारों से जोड़ता है। रेल के पास अपने बड़े लाभ कमाने वाले सार्वजनिक उपक्रम (#PSU) भी हैं। लेकिन रेल सेक्टर का विश्लेषण उस स्तर का नहीं होता जिस स्तर पर अन्य सेक्टर जैसे पेट्रोलियम, पॉवर, एयरवेज और रोडवेज इत्यादि का होता है। इसीलिए रेल के अमूमन वही समाचार छपते हैं जो रेल भवन को छपवाने होते हैं।
रेल की सेक्टोरल पत्रिकाएं भी कोई गहरे विश्लेषण को लेकर नहीं आतीं, ये आपको बस सूचनाएं देती हैं। ऐसे में रेल का दिशा-निर्देशन रेल के अधिकारी ही करते हैं। अब अगर इस पूल में गड़बड़ हो जाए तो रेल का दिशा-निर्देशन पूरा बिगड़ जाता है, जैसा अभी हो रहा है – #KMG द्वारा!
अब लौटते हैं अमेरिकी बैंकों के मेल्ट-डाउन पर!
थर्ड पार्टी इंस्पेक्टर्स और ऑडिटर्स
अब यह पता चल रहा है कि उपरोक्त दोनों बैंकों के डूबने से कुछ ही हफ्ते पहले विश्व की अग्रणी ऑडिट कंपनी #KPMG ने इनका ऑडिट करके इनके स्टेबल होने की क्लीन चिट दी थी, पढ़ें यह खबर: “KPMG gave SVB, Signature Bank clean bill of health weeks before collapse“
यही कुछ 2008 में हुआ था जब लेहमन ब्रदर्स डूबी थी और पूरे विश्व की अर्थव्यस्था में मंदी आ गई थी। मुख्यत: रेटिंग और ऑडिट कंपनियों पर ही पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था चलती है, बड़े-बड़े लोग इन निजी कंपनियों के असेसमेंट पर अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग तक करते हैं।
और ये तब भी हुआ था जब एनरॉन और वर्डकॉम डूब गई थीं। और इनमें यह पाया गया कि इनके ऑडिटर, आर्थर एंडर्सन की #incompetence और #connivance भी शामिल थी। अर्थात आप अंततः इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि ये तथाकथित इंडिपेंडेंट ऑडिटिंग कंपनियां कितने पानी में हैं! यह बात इस शताब्दी के आरंभिक वर्ष की है।
थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन:
एक बहुत सुधारवादी निर्णय लिया गया रेल में पिछले सीआरबी द्वारा, जिसमें, आरडीएसओ, उत्पादन इकाईयों और राइट्स के द्वारा इंस्पेक्शन की बाध्यता खत्म कर “थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन” की सुविधा दी जा रही है। यानि निजी (प्राइवेट) कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है, जिसे रेलकर्मी पिछले दरवाजे से किया जा रहा रेल का निजीकरण कहते हैं।
जैसा सब जानते हैं, आरडीएसओ की क्वालिटी ऑथेंटिकेशन (#QA) डायरेक्टोरेट, राइट्स और प्रोडक्शन यूनिट्स के इंस्पेक्शन सेल सर्वाधिक भ्रष्ट गतिविधियों के गढ़ रहे हैं और अभी भी हैं। इनको नियंत्रित करने में स्वयं को असमर्थ या अक्षम पाकर इनके समानांतर निजी कंपनियों द्वारा इंस्पेक्शन का प्रावधान रेल भवन द्वारा किया गया है। अर्थात एक भ्रष्ट व्यवस्था (विभागीय) को समाप्त अथवा कम करने के प्रयास के बजाय उसके समकक्ष एक और भ्रष्ट व्यवस्था (निजी) को खड़ा करने में रेल की #AIDS ग्रस्त नौकरशाही अपनी पूरी अक्षमता, अयोग्यता का प्रयोग/प्रदर्शन करने में लगी है।
लेकिन जो उदाहरण ऊपर दिए गए हैं वह बताते हैं कि आप ‘प्राइवेट ऑडिटिंग प्रैक्टिस’ पर एक सीमा से अधिक भरोसा नहीं कर सकते। यह आवश्यक है कि सरकार के तंत्र में विषय विशेषज्ञ हमेशा रहें। अमेरिकी एफडीए, एफएए ऐसी ही इंस्पेक्शंस और रेगुलेशंस की संस्थाएं हैं। ऐसा नहीं, इनसे गलतियां नहीं हुईं। लेकिन इनके ऊपर संसदीय समितियों का बहुत व्यापक ओवरसाइट होता है। बोइंग 777 की बैटरी बॉक्स में आग और 737 मैक्स के दो क्रैश में 346 लोगों की मौत, इनमें सरकारी एजेंसियों की गलती की ओर इशारा हुआ – कैसे जब आपके रेगुलेटर के पास निजी कंपनी के डिक्लेरेशन को जांचने की कॉम्पिटेंस न हो, तो क्या होता है!
जब सुधार #KMG के अकर्मण्य और निम्नतम विषय ज्ञान के अधिकारी के हाथों होता है तो पूरी व्यवस्था चरमरा जाती है। हर नया असेट चाहे वह चालस्टॉक हो या स्टेशन हमेशा चमकेगा। सरकारी अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि इस चमक के पीछे की व्यवस्था को सम्भालें। लेकिन अफसोस यह कि #KMG भी ‘playing to the gallery’ में व्यस्त है। पिछले हफ्ते बने नए DRM को अपने #LinkedIn प्रोफाइल अपडेट करने में व्यस्त देख एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए DRM को इतना समय कैसे है कि वह सोशल मीडिया पर इतने ऐक्टिव हो सकते हैं? जबकि जॉइन करने के बाद पहले कुछ हफ्ते अपने पूरे डिवीजन और असेट्स को देखने और समझने में लग जाता है।
लेकिन ये तो #AIDS और #KMG के रणबाँकुरे हैं!
आप जॉइन करेंगे कि नहीं, पहले तो यही संशय था – लेकिन भाग्य पश्चिम रेल का, आपने जॉइन कर लिया! अब ये देखना यह है कि कितने दिन रहेंगे! अपनी ओर से तो हम एक अपील जारी कर रहे हैं कि पश्चिम रेलवे के राजधानी रूट पर चलने वाले सभी रेलकर्मी और अधिकारी इनको रोज प्रणाम कर इनका आशीर्वाद प्राप्त करें, क्योंकि रेल तो चलानी उन्हीं को है, बाकी मंत्री-संतरी तो टाइम पास ही हैं!
खैर, भारतीय रेल भी ऐतिहासिक निवेश के दौर से गुजर रही है। #RDSO से उम्मीद की जाती है कि सुबह ड्राइंग आएं और शाम को निकल जाएं, अर्थात पास हो जाएं। गिनी-चुनी निजी कंपनी ही सारा निवेश अपनी ओर लेकर जा रही हैं और वह और मजबूत होती जा रही हैं। देश की कंपनियों को समर्थन देने में #Railwhispers हमेशा आगे रहा है। लेकिन हम ये भी मानते हैं कि यात्री गाड़ियां, रेल के वे सब असेट्स, जिनका उपभोग साधारण नागरिक करते हैं, वहां उनके जान-माल से खेलने का अधिकार किसी के पास न हो!
“#Kalyug – Now Train Climbs Platform and Kills“
प्राइवेट थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन और एक्सेप्टेंस में कैसे ये कंपनियों इन बड़े वेंडर्स का सामना करेंगी, जब रेल के बड़े अधिकारी भी इनके शरणागत हैं?
अंतरराष्ट्रीय साक्ष्य आपके सामने हैं, कैसे बोइंग के सामने #FAA का ओवरसाइट छोटा पड़ गया था।
एक ही उपाय – लेकिन क्या रेल भवन और रेल मंत्रालय में जिगरा है?
#Railwhispers और #RailSamachar वर्षों से कहते आ रहे हैं कि रेल में #Rotation ही एकमात्र रेल की समस्याओं के किसी भी हल की सफलता के मूल में है। बिना जमीन तैयार किए, भले ही बीज कितना उत्तम हो, अच्छी फसल की उम्मीद करना नितांत नासमझी है, या फिर यह भी कह सकते हैं कि, महा-बेवकूफी है!
जैसा हमने कहा, रेल का विश्लेषण अन्य सेक्टर की भांति किसी भी मुख्य धारा की मीडिया में नहीं होता, इसका मतलब यह नहीं कि रेल में सब ठीक है। हमने तो रेल के भीतर बैठे #KMG को चिन्हित भी किया और #AIDS के बारे में भी बताया। यह सारा विश्लेषण समसामयिक है। पिछले कुछ हफ्तों में ही रेल भवन को छोटा किए जाने के निर्णय को पलट दिया गया और सब शांत और प्रसन्न हैं। हमने यह भी बताया कि कैसे मंत्रियों को शीशे में उतारा जाता है!
चूंकि रोटेशन नहीं होता है, तो भ्रष्ट और अकर्मण्य, अक्षम अधिकारियों के हाथ में रेल की फैक्टरियां, रेल के अनुरक्षण डिपो, उत्पादन इकाईयां, जोनल हेडक्वार्टर और रेल भवन हैं। करवा लीजिए उनसे काम! ले लीजिए इनसे इच्छित आउटपुट!!!
अब उनसे काम नहीं करवाया जा सकता, तो बुलाईए निजी संस्थाओं को, वह करने के लिए, जिसके लिए रेल के पास हजारों सक्षम कर्मी हैं!
सुधार यह नहीं कि रेल की उत्पादन इकाईयां बंद कर दी जाएंगी और रेल के इंस्पेक्शन निजी इंस्पेक्टर्स को दे दिए जाएंगे। कोई भी माँ-बाप, अपने बच्चे को आया के हवाले कर अपने पैरेंट्स (अभिभावक) होने की जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते!
इन सुधारों के मूल में रेल भवन की लाचारी है रोटेशन न कर पाने की। रोटेशन करिए, फिर ये सुधार और अधिक सामयिक एवं उपयोगी होंगे! नहीं तो यह आउटसोर्सिंग भ्रष्टाचार की आग में घी डालने का काम करेगी! इन मदों में अगर रेलवे बोर्ड के मेंबर्स आगे भी इसी तरह असफल होते हैं, तो यह पाप उन्हीं के सिर पर चढ़ेगा, यह निश्चित है!
यह तो कोई बात नहीं हुई कि तैराक तैराकी भूल जाए और सबको सब कुछ ठीक लग रहा है!
आदरणीय रेलवे बोर्ड मेंबर्स और माननीय मंत्री जी, कृपया यहां उल्लेखित आर्टिकल्स का एक बार पुनः अध्ययन करें-
“#VIP संस्कृति पर मंत्री जी के हास्यास्पद निर्णय, #VVIP कल्चर पर सन्नाटा!“
“#KMG_2_1: #KMG के सामने असहाय रेलवे बोर्ड!“
“#KMG_2.0: और कितने जेना बनाएगा रेलवे बोर्ड?“
“#KMG_2.0: Crisis of Competence!“
“#KMG_2.0: रोटेशन के बजाय रेलवे में दिया जा रहा भ्रष्टाचार और जोड़-तोड़ को संरक्षण“
“High on EI, Zero on OLQ – Your Pick Mantri ji? Should not Caesar’s Wife be Above Suspicion?“
“#Competence Poverty of #KMG – Machinations Exposed!“
“चलती ट्रेन में गैंगरेप: भ्रष्टों का बोलबाला – स्टाफ ने किया मुंह काला! रेल भवन पर #KMG का जलवा!“
“#KMG_2.0: न्याय इनके हिस्से का – इनकी ‘आह’ के ‘ताप’ से कैसे बचेंगे मंत्री जी!“
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए!“
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए! भाग-2“
“#KMG_2.0: क्यों चाहिए टेम्परेरी रेलवे बोर्ड का सेक्रेटरी!“
“#Competence Poverty of #KMG – Machinations Exposed! Part-II“
“#KMG_2.0: A cynic’s view – रेलवे के धनकुबेरों का सिंडीकेट“
क्रमशः जारी…
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी
#Third_Party_Inspection #RDSO #RailwayBoard #IndianRailways