#KMG_2.0: और कितने जेना बनाएगा रेलवे बोर्ड?

क्या भारतीय रेल को कोई सिंडीकेट चला रहा है, जो कुछ विशेष अधिकारियों को ही चुन-चुनकर महत्वपूर्ण पदों पर बैठाता है?

रातों-रात विशिष्ट और गोपनीय कारणों से ईडी/कोल/रेलवे बोर्ड के पद से हटाए गए अधिकारी को उत्तर रेलवे के चीफ फ्रेट ट्रांसपोर्टेशन मैनेजर (#CFTM) के पद पर बैठाने का आदेश जारी कर दिया गया है। अगर ऐसा ही था और सब ठीक था, तो उसे ईडी/कोल ही बने रहने दिया जाता? यह कहना है कई रेल अधिकारियों का।

रेल अधिकारियों का कहना है कि “दुनिया भर के इफरात एसएजी अधिकारी उत्तर रेलवे में भरे पड़े हैं, बहुत से उनमें अच्छे और ईमानदार भी हैं, जो सिंडीकेट का हिस्सा न होने के कारण किनारे पड़े हैं, उनमें से न चुनकर बाहर से सीएफटीएम को लाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? और अगर ऐसा है, तो लानत है इस पूरे ट्रैफिक डिपार्टमेंट पर! तब तो सचमुच इस डिपार्टमेंट को बंद ही कर देना चाहिए!”
 
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के एक पुराने अधिकारी का कहना है कि कुछ कि पोस्टिंग प्रोफाइल देख कर ही सीबीआई इस मामले में आराम से केस बना सकती है। सिंडीकेट के जो पार्ट होते हैं उनकी तकरीबन 90% पोस्टिंग वैसी होती हैं जिनमें से एक पर भी काम करने के लिए 90% अधिकारी तरसते रह जाते हैं।

उनका यह भी कहना है कि सिंडीकेट से जुड़े ये लोग रेलवे में अपने विभाग के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे कमाऊ पदों पर ही लगातार काम करते हैं, बीच में कहने के लिए भले ही कुछ माह या कुछ समय के लिए अपने मन के विपरीत किसी अन्य पद पर काम कर लिए हों।

वह कहते हैं कि इनकी पोस्टिंग प्रोफाइल के आधार पर इनके यहां थोड़ी सी मेहनत से अगर कोई भी एजेंसी जांच करेगी, तो इनमें से जो सबसे कम भ्रष्ट होगा, वह भी शायद 50 करोड़ से कम का निकले!

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अधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि #Rotation के अभाव में #System के डम्प होने से पनपे भ्रष्टाचार का परिणाम हैं #PKJena जैसे लोग! “जिस अधिकारी को एक बड़ी डीलिंग के आरोप में ईडी/कोल/रेलवे बोर्ड की पोस्ट से तुरंत हटाकर उत्तर मध्य रेलवे में डम्प किया गया था, उसने जुगाड़ से अपना डेप्युटेशन डीएफसी में कराकर दिल्ली में ही अपनी पदस्थापना करा ली थी। अब उसे सीएफटीएम बनाकर उत्तर रेलवे में बैठाने का आदेश जारी किया गया है! शीघ्र इस अधिकारी की अब तक की कंप्लीट पोस्टिंग प्रोफाइल मंत्री जी के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी और उस पर विस्तार से प्रकाश डाला जाएगा!” यह कहना है रेलवे ट्रैफिक एवं कर्मशियल के कुछ जानकारों का।

इस तरह कैसे भ्रष्टाचार रुकेगा रेल में मंत्री जी? लंबे समय से जमी भ्रष्टाचार की काई को साफ करने का बीड़ा कब उठाया जाएगा? और कितने जेना बनाएगा रेलवे बोर्ड? यह सवाल पूछ रहे हैं रेलवे के तमाम अधिकारी!

उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर रेलवे में ट्रैफिक डिपार्टमेंट में काम वाले अधिकारियों का भारी अभाव है। पीसीओएम संजय त्रिपाठी गंभीर हृदयाघात के चलते पिछले लगभग डेढ़ महीने से दिल्ली के वेदांत अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां सीएफटीएम की पोस्ट अक्टूबर में प्रवीण पाण्डेय के डीआरएम बनने के बाद से ही खाली पड़ी है। एक डिप्टी सीओएम भी लाचार है। मात्र एक एसएजी अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे का पूरा ट्रैफिक डिपार्टमेंट चला रहा है।

दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड से एक ट्रैफिक अधिकारी आशीष भाटिया का ट्रांसफर आदेश दक्षिण पूर्व रेलवे से पूर्वोत्तर रेलवे में लगभग तीन महीने पहले जारी किया गया था, तथापि अब तक उन्हें वहां से स्पेयर नहीं किया गया है। वहीं ‘ऑल इंडिया दिल्ली सर्विस’ (#AIDS) से जुड़े और ‘खान मार्केट गैंग’ (#KMG) के सदस्यों की रेलवे में चौतरफा चांदी है! इनके मकड़जाल को तोड़ने, छिन्न-भिन्न करने का साहस कोई मंत्री, कोई सीआरबी क्यों नहीं कर पा रहा है? यह सवाल रेल का हर वह अधिकारी और कर्मचारी पूछ रहा है जो इन दोनों कुख्यात गैंगों से नहीं जुड़ा है। क्रमशः जारी…

#PramodKumarJena, IRTS’87 ExPCOM/PCCM @eastcoastrail, raided by CBI, 17 kgs Gold & Rs. 1.92 crore cash seized till now.
As per documents available, his Name was in #AgreedList in #Corrupt officers sent to CBI, but later on in November 2021 his Name was deleted from Agreed List of corrupt officials.
Who is the person behind his removal from Agreed list needs to be investigated by the CBI, otherwise he would have been caught during in service as #PCOM or #PCCM #ECoR before Retiring.
#RailMinIndia #CVCINDIA

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