#KMG की दादागीरी के सामने प्रॉपर बोर्ड भी धराशाई!
#MTRS, #PEDVigilance और नए आने वाले तथा बाकी #GMs का रोटेशन के इस फेलियर पर क्या कहना है?
हम तो कह चुके हैं कि कीमत तो #रेलमंत्री चुकाएंगे-क्योंकि #KMG तो उन्हीं के पाले ऑफिसर चला रहे हैं!
ये ऐसे अधिकारी हैं जिन पर 56-J लगना था मगर ये वहीं के वहीं प्रमोट भी हो रहे हैं और अब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में सरकार की छवि को भी दागदार कर रहे हैं!
कहां तो उम्मीद थी कि प्रॉपर बोर्ड आने पर वह खान मार्केट गैंग (#KMG) को यथासंभव निष्क्रिय करके इससे पीड़ित-प्रताड़ित लोगों के साथ न्याय करेगा। वहीं देखने में यह आ रहा है कि ये प्रॉपर बोर्ड भी #KMG के सामने नतमस्तक और निष्क्रिय हुआ पड़ा है तथा #KMG का जलवा और मनमानी लगातार जारी है। ऐसे में रेल रिफार्म या व्यवस्था के उन्नयन की उम्मीद धराशाई होती दिख रही है। लोग न्याय की उम्मीद भी छोड़ रहे हैं!
#Railwhispers बहुत समय से यह मांग करता रहा है कि #रोटेशन के बिना रेल सुधार अर्थात रेल सिस्टम के रिफार्म की बात भैंस के आगे बीन बजाने जैसी है। #IRMS हो या कोई और सुधार, हर स्थिति में #KMG को ही लाभ मिलता है। #KMG शेयर मार्केट के ब्रोकर की तरह हैं, बाजार उठे या गिरे, उनको उनकी ब्रोकरेज तो मिलेगी ही!
यही हाल रेल भवन में बैठे #KMG का है। हम कई बार यह भी बता चुके हैं कि कैसे रेलमंत्री और सीआरबी के आदेश को धता बताकर अपना हित साधन करने में #KMG महारत हासिल कर चुका है। उसके सामने प्रॉपर या फुल बोर्ड की हैसियत ही क्या है!
“#KMG_2_1: #KMG के सामने असहाय रेलवे बोर्ड: भाग-2“
इसमें हमने कुछ बहुत ही रोचक ट्रांसफर ऑर्डर्स की बातें की थीं, जो यहां ट्वीट भी किया गया था:
“#VIP संस्कृति पर मंत्री जी के हास्यास्पद निर्णय, #VVIP कल्चर पर सन्नाटा!“
“#KMG_2_1: #KMG के सामने असहाय रेलवे बोर्ड!“
“#KMG_2_1: #KMG के सामने असहाय रेलवे बोर्ड: भाग-2“
तो कुल मिलाकर एक गॉडफादरलेस गरीब सवा दो साल में, यानि कार्यकाल पूरा हुए बिना ही ट्रांसफर हो जाता है और कुछ महाबली दशकों एक ही जगह पदस्थ रहने और मलाई मारने के बाद भी वहीं के वहीं प्रमोट हो जाते हैं!
क्यों सारे तार #KMG से जुड़ते हैं?
जैसा कि हम अपने सुधी पाठकों से साझा करते रहे हैं, हमारे पास रेल के सभी स्तरों से, यूनियनों से फीडबैक आते रहते हैं। कल एक शिकायत की प्रतिलिपि #Railwhispers को मिली। यह मामला बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका), वाराणसी का है। देखें, एक कर्मचारी की लिखित शिकायत और समझें इसके निहितार्थ को..
वैसे इस शिकायत के मूल में कहने को एक बहुत साधारण सी बात थी – दो पुराने परिचितों और साथ काम करने वालों ने एक दूसरे को गिरगिट-मेंढ़क कहा, इंटरनल ह्वाट्सऐप ग्रुप पर। इस पर स्थानीय कर्मचारी परिषद के नेता और पूर्व संयुक्त सचिव रहे हैं, पहलवान हैं और डराने-धमकाने, मार-पीट में काफी अग्रणी रहे हैं, उन्होंने जाकर खुले में, सार्वजनिक तौर पर संतोष प्रकाश शुक्ला नाम के टेक्निशियन को धमकी दे डाली। ध्यान रहे 2017 में बरेका के सेंट्रल मार्केट में दिन-दहाड़े कर्मचारी परिषद के संयुक्त सचिव का मर्डर हुआ था-जिसमें कर्मचारी परिषद और यहां लंबे समय से पोस्टेड अधिकारियों का नाम भी आया था। इसीलिए इन तत्वों द्वारा दी गई धमकियों को हमने क्रॉस वेरीफाई करवाया कि क्या वाकई खुले में, कार्य परिसर में धमकी दी गई? जवाब हां में आया, और यह भी पता चला कि शिकायतकर्ता ने कुछ चीजें दबाकर ही लिखी हैं, ठीक उस तरह नहीं जिस तरह उसे वास्तव में धमकाया गया।
हमारे गोरखपुर एवं प्रयागराज ब्यूरो ने यह जानने की कोशिश की, कि श्रीमान के. एम. सिंह कौन हैं, जिनके नाम पर धमकाया गया है! जानकारी बहुत विस्फोटक निकली!
उन्होंने छूटते ही कहा कि महोदय, #Railwhispers तो इन्हें जानता है और आपने इनके बारे में ट्वीट भी किया था। अब हम परेशान, फिर वह ट्वीट मंगवाया और इन सूत्रों ने बताया कि जिस गरीब की बात आपने ट्वीट में की थी उसको बरेका में 11 जनवरी 2021 में पोस्ट किया गया था। और इनका ट्रांसफर 28 फरवरी 2023 को, अर्थात बिना कार्यकाल पूरा हुए कुल दो साल अड़तालिस दिन में हो जाता है, इनके द्वारा मना करने के बावजूद। उन्होंने ये भी बताया कि हमारे ट्वीट में थोड़ी गलत जानकारी थी – श्रीमान रणविजय को तीन साल नहीं, सवा दो साल भी पूरे नहीं हुए थे!
इनको सवा दो साल के कम समय में, बाहर फेंक कर – ट्रांसफर करके – जगह जिनके लिए बनाई गई – वह हैं श्रीमान के. एम. सिंह यानि कृष्ण मोहन सिंह – जिनका नाम लेकर 15 मार्च को संतोष प्रकाश शुक्ला नाम के कर्मचारी – टेक्नीशियन – को धमकाया जाता है, घर से उठवा लेने की खुली धमकी दी जाती है, शिकायत में स्पष्ट रूप से उनके नाम का उल्लेख आता है और 17 मार्च को उनका प्रमोशन बरेका में ही हो जाता है! यह केवल एक संयोग नहीं हो सकता! इसके तार कहीं न कहीं कैडर बिरादरी और बैचमेट से भी जुड़ते हैं!
हमने बरेका के नए-पुराने नेताओं से भी पूछा और उनके द्वारा पर्सनल रिकॉर्ड भी जंचवाए। उनसे मिली यह जानकारी काफी विस्फोटक निकली:
के. एम. सिंह, जिनके नाम पर नामी बदमाश एक कर्मचारी को खुलेआम धमका रहा है, वह बरेका में पहले भी रह चुके हैं – जूनियर स्केल से सेलेक्शन ग्रेड तक (1 सितंबर 2005 से 7 सितंबर 2015 तक – लगातार 10 साल), ये महाशय फिर से यहीं अवतरित होते हैं – 2 मार्च 2019 को, और तब से, अर्थात चार साल से अधिक, बरेका में ही हैं और 17 मार्च को यहीं रेगुलर #SAG में प्रमोट हो जाते हैं। हमारे ब्यूरो को ये भी पता चला कि पहले और दूसरे कार्यकाल में यह मुख्यत: डिप्टी सीईई/मेंटेनेंस ही रहे हैं – जिसका प्रमुख कार्य कॉलोनी मेंटेनेंस रहा है और यह पद अब तक अधिकांशतः प्रमोटी को दिया जाता रहा है। अर्थात कालोनी में झाड़ू लगाने सफाई करने का काम करता रहा है यह अधिकारी!
कहने का तात्पर्य यह कि 2001 बैच का अधिकारी जूनियर स्केल से लेकर अब तक मुश्किल से साढ़े तीन साल उत्तर मध्य रेलवे (#NCR) कंस्ट्रक्शन में रहता है और बाकी कार्यकाल बरेका में अनुरक्षण में निकाल देता है – इसके लिए जगह बनाने के लिए सवा दो साल से भी कम समय तक बरेका में पदस्थ रहे इसके वरिष्ठ अधिकारी को उसकी इच्छा के विरुद्ध अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया जाता है।
के. एम. सिंह चीज क्या हैं?
पता चला कि यह महाशय बरेका में अपनी समानांतर सरकार चलाते हैं। अपनी जातिगत राजनीति के लिए मशहूर #KMG के एक सक्रिय सदस्य, जो स्वयं बरेका में 10 साल से अधिक रहे हैं, जब भी वह दिल्ली से बनारस आते हैं, इनके घर पर ही ठहरते हैं – दोनों एक ही जाति-बिरादरी के हैं और जातिगत राजनीति के बड़े नाम माने जाते रहे हैं। पता ये भी चला कि रेलवे बोर्ड विजिलेंस के ईडी स्तर के एक अधिकारी भी इनके घर आते रहते हैं, वह भी सपरिवार!
और तो और, यह भी ज्ञात हुआ कि करप्शन और मेनीपुलेशन के ख्यात नाम श्री-श्री-108 आर. के. राय, जो #AIDS और #KMG के शातिर सदस्यों में रहे हैं, और जिन्होंने बोर्ड विजिलेंस में रिकॉर्ड छह साल से अधिक का कार्यकाल गुजारा – इनकी सेवाएं लेते रहे हैं और अपने बैचमेट वर्तमान #MTRS से बरेका में ही इनके प्रमोशन के पश्चात पदस्थापना की अनुशंसा कर रहे थे। अब श्रीमान राय महाशय क्यों सेवानिवृत्ति के बाद अपना बुढ़ापा खराब करने को उतारू हैं, ये तो वही बता सकते हैं – परंतु जब ये नौकरी में थे तो इनके बारे में बहुत विस्तार से #RailSamachar ने लिखा था। वैसे सेवानिवृत्ति के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड – जिसे करप्ट ब्यूरोक्रेसी ने करप्ट पॉलिटिक्स से मिलकर दो साल से कम करवाकर एक साल करा लिया – खत्म होने से पहले किसी रेलवे #PSU या मेट्रो रेल में नौकरी करने की परिपाटी पर एक विस्तृत लेख आना अभी बाकी है – खासकर तब जब रेलवे #PSUs में भ्रष्ट गतिविधियां सरकार की नजर में आ रही हैं, ऐसे में इस तरह के एंगेजमेंट्स अनैतिक कार्य-व्यवहार (अनएथिकल कंडक्ट्स) माने जाने चाहिए।
रेलवे बोर्ड के सदस्य और विजिलेंस प्रकोष्ठ की मिलीभगत
#Railwhispers ने यह भी बताया था कि कैसे रेल भवन में बैठा #KMG विजिलेंस की पोस्टों में नियम विरूद्ध पोस्टिंग कर रहा है।
“#खान_मार्केट_गैंग की अनियमितताओं को आखिर कब तक नजरअंदाज करेंगे रेलमंत्री महोदय!“
“#Mantri ji, Today people may be afraid or just withdrawn – but they will not forget!“ शीर्षक खबर में हमने उन आदेशों का उल्लेख किया जहां #KMG ने मंत्री जी को भ्रमित करके फाइल पर उनसे गलत हस्ताक्षर करवाए गए और बाद में उन आदेशों को पलटना पड़ा।
“अश्विनी वैष्णव जी आप पहले रेलमंत्री नहीं हैं, जो ‘खान मार्केट गैंग’ से घिरे हैं!“ शीर्षक खबर में हमने #KMG को चिन्हित किया था और बताया कैसे मंत्रीजी को दिग्भ्रमित किया जा रहा है!
ये ही लोग अब एक अधिकारी को सवा दो साल में ट्रांसफर कर देते हैं और दूसरे को 14-15 साल बरेका में रखने के बाद भी वहीं का वहीं प्रमोट करते हैं। स्टाफ की शिकायतों में अधिकारियों के ऐसे नाम आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन उपलब्ध तथ्यों के साथ देखा जाए तो सवाल ये उठते हैं:
• #KMSingh जैसे अधिकारियों पर किसका वरदहस्त है? निश्चित ही ये हाथ बड़े मजबूत हैं, क्योंकि #KMSingh के लिए स्थान बनाने हेतु दूसरे उनसे सीनियर अधिकारी को सवा दो साल में उसकी इच्छा के विरुद्ध बाहर फेंक दिया जाता है। #Railwhispers इसी नेक्सस को तोड़ने की मांग लगातार करता रहा है।
• रणविजय क्यों ट्रांसफर किए गए? क्यों एक अधिकारी जो जूनियर स्केल (#JS) से सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (#SAG) तक बरेका में एक पोस्ट विशेष पर रहने के बाद भी वहीं का वहीं प्रमोट हो जाता है?
• क्या ये सही है कि बरेका में 10-20-30 साल तक रहने वाले अधिकारी हैं?
श्रीमान कृष्ण मोहन सिंह (#KMSingh) और बाकी #KMG में समानता यह है कि इन्होंने जीवन पर्यंत वह काम नहीं किया जिसके लिए इनकी भर्ती #UPSC ने की थी।
और ये सब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में हो रहा है! वैसे धर्मेंद्र पहलवान को नमन कि उन्होंने आदेश के दो दिन पहले ही नाटकीय ढ़ंग से ये ऐलान कर दिया कि उनके #KMSingh साहब बरेका में ही पदस्थ हो रहे हैं। पूर्वांचल में यह आम बात है कि अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए नाटकीय ढ़ंग से खुलेआम मार-पीट की जाती है और खुली धमकी भी दी जाती है। #KMSingh के आदेश से पहले की गई यह वाक्-हिंसा इसी ओर इशारा कर रही है और सभी उपलब्ध तथ्य भी इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।
देखना यह है कि #MTRS, #PEDVigilance और नए आने वाले तथा बाकी #GMs का रोटेशन के इस फेलियर पर क्या कहना है। हम तो कह ही चुके हैं कि कीमत तो #रेलमंत्री चुकाएंगे-क्योंकि #KMG तो उन्हीं के पाले ऑफिसर चला रहे हैं! मजे की बात यह कि ये ऐसे अधिकारी हैं जिन पर 56-J लगना था मगर ये अधिकांशतः वहीं के वहीं प्रमोट भी हो रहे हैं और अब प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र में सरकार की छवि को भी दागदार कर रहे हैं।
“Unless top shows spine to rotate officers, nothing would change!“
“#रेलमंत्री जी! रेलकर्मियों/अधिकारियों को लगता है कि ‘खान मार्केट गैंग’ आपको भ्रमित करता है!“
“क्या खराब रिजल्ट की कीमत केवल रेलमंत्री ही चुकाएंगे?“
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए!“
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए! भाग-2“
“रेल में व्याप्त भ्रष्टाचार: विजिलेंस प्रकोष्ठ की जवाबदेही?“
“रेल में व्याप्त भ्रष्टाचार: विजिलेंस प्रकोष्ठ की जवाबदेही? भाग-2“
कुछ वरिष्ठ नेताओं ने यह चिंता भी प्रकट की है कि ऐसे अकर्मण्य अधिकारियों को बरेका में देकर इसके निजीकरण की तैयारी तो नहीं हो रही?
प्रधान मंत्री कार्यालय (#PMO) के स्थानीय प्रकोष्ठ में इस मामले की रिपोर्ट करने की बात की है कुछ नेताओं ने-बात मेंढ़क और गिरगिट की नहीं, बात है अधिकारी-माफिया नेक्सस को तोड़ने की, जिसके चलते बरेका में मुख्य बाजार में 2017 में दिन-दहाड़े हत्या हुई थी।
बात है माननीय प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में संपूर्ण अराजकता की। हमें और भी लीड मिले हैं, लेकिन हम सनसनीखेज पत्रकारिता में विश्वास नहीं करते, लेकिन ठोस साक्ष्य हमें बरेका के नेताओं की तरफ से मिले हैं, और उनकी पुष्टि भी हुई है। मजे की बात यह कि ऐसे स्थान पर जहां रेल की छवि माननीय प्रधानमंत्री जी के सामने बनती है, वहां ऐसी अराजकता को कौन बढ़ावा दे रहा है?
“#KMG_2.0: रोटेशन के बजाय रेलवे में दिया जा रहा भ्रष्टाचार और जोड़-तोड़ को संरक्षण“
“रेलमंत्री से न्यूनतम अपेक्षा: नियम से चलाएं सिस्टम!“
क्या #MTRS, #CRB या #MR बेबस हैं?
एक विभाग विशेष के इस तरह के मुद्दे #Railwhispers ने पहले भी उजागर किए हैं। इस नेक्सस के बारे में थोड़ी रिसर्च और वेरिफिकेशन बाकी है, शीघ्र ही सुधी पाठकों के सामने #KMG और #AIDS की एक बड़ी खबर आएगी। क्रमशः जारी…
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी