#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए! भाग-2
मंत्री जी, पिछले तीन साल से IRMS के नाम पर रेल अधिकारी बेवकूफ बने और सैकड़ों अधिकारी अपना कैरियर बर्बाद होते चुपचाप देखते रहे, लेकिन तीन साल बाद जब गज्टेड नोटिफिकेशन से IRMSE के बारे में पूरे देश के युवाओं को दिग्भ्रमित कर दिया तो जिम्मेदारी से आपके #Advisor साहब भाग नहीं सकते !
मंत्री जी, हमने आपको बताया कि कैसे आपके ऑफिसर्स का एक छोटा समूह 50 वर्षों से रेल भवन में बैठा है। हमने इनके नाम और काम भी बताए, और यह भी बताया कि कैसे कीमत रेलमंत्री ही चुकाएंगे, ये #KMG गिरोह वाले नहीं। 185 पन्नों की पूरी पुस्तक आपको भेजी भी, लेकिन फिर एक बहुत बड़ा ‘प्रशासनिक डिरेलमेंट’ हुआ!
01 फरवरी को गजट नोटिफिकेशन द्वारा तीन साल से चल रही कवायद तो ढ़ाक के तीन पात कर दिया, “#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए! भाग-1“ में गुरुवार, 02 फरवरी को हमने ये मांग की कि आपके शिशुपालों के इस #KMG गिरोह को सरकार की किरकिरी और लाखों युवाओं को दिग्भ्रमित करने के लिए 56-J में बर्खास्त किया जाए। यही गिरोह इस IRMS के कन्फ्यूजन के पीछे है!
मंत्री जी, हाथ कंगन को आरसी क्या, अपने #Tenderman उर्फ #Advisor साहब को बुलवाईए अपनी ब्लाकबस्टर जीवनी, ‘Never a Bystander’ के साथ और कहिए पृष्ठ सं. 197 से पढ़कर आपको सुनाएं। जब पृष्ठ 200 आए, तो जरा सतर्क हो जाइएगा। वैसे आपका धन्यवाद कि आपकी सिफारिश पर आपके कथनानुसार हमने ये जीवन बदलने वाली पुस्तक पढ़ी, पूरे 900 रुपये का एक-एक पैसा वसूल हो गया – खबर मिली है कि ‘वॉर’ और ‘पठान’ की कथित अभूतपूर्व सफलता के बाद निर्देशक सिद्धार्थ आनंद इस पुस्तक पर एक फिल्म बनाने की सोच रहे हैं, अब देखना ये है कि आमिर खान को लेते हैं कि शाहरुख को, इनमें से किसको आपके #Advisor साहब का रोल देते हैं – हमारा मानना है कि ये रोल हकले शाहरुख के बजाय डेढ़ फुटिया आमिर ज्यादा बेहतर करेंगे!
हां, तो हम थे पृष्ठ 200 पर, #एडवाइजर साहब बताएंगे, कैसे मई 2019 में चेयरमैन वी.के.यादव उन्हें नीति आयोग के सीईओ से मिलने, साथ लेकर चलते हैं। #Advisor साहब चूंकि उच्चकोटि के इमोशनल इंटेलिजेंस के मालिक हैं, वह नीति आयोग के साथ ऊँची योजना बनाते हैं, वह थीं – चैप्टर 28, पेज 200 से उद्धृत-
• Restructuring of Railway Board on functional lines to improve customer focus and bring synergy.
• Single service named IRMS through UPSC against the eight services at present to circumvent the siloed working in the organisation and bring focus on organisational goals rather than departmental ones.
• Opening the rail sector for private investment for passenger train operations to bring efficiency and world’s best technology in the shortest time and make Railways future ready.
• Redevelopment of stations to improve passenger experience.
• Allotment of 5 MHz frequency in 700 MHz range for Long Term Evolution (LTE) communication to improve signalling and therefore safety.
• Corporatisation of Production Units of Railways to make Railway PUs the global hub of manufacture.
• आदि, आदि…
अब रेल के अधिकारी और यूनियनें सिर खुजाते रहते हैं कि IRMS और निगमीकरण का इतना बड़ा बम किसने फोड़ा! जनाब, #Tenderman की जीवनी पढ़िए, जेम्स वॉट के बाद, रेल सेक्टर में मूल काम आपका ही है, ऐसे ही नहीं आप #KMG के मुखिया और ‘छाया-रेलमंत्री’ बने हुए हैं। वहीं #AIDS के सदस्य जो पीयूष गोयल साहब की रेलवे बोर्ड को छोटा करने की नीति को धता बताते हुए रेल भवन में सकुर्सी पहुँच रहे हैं लुक ऑफ्टर सेक्रेटरी और स्टैब्लिशमेंट ऑफिसर की मिलीभगत से! ये माँग कर रहे हैं कि चूँकि #Advisor साहब ने रेल में विभागीय लड़ाई बंद करवाकर शांति स्थापित करवा दी है, विश्व शांति के लिए अगले साल का नोबेल पुरस्कार #Tenderman उर्फ #TransformationMan को दिया जाए!
अब चलिए आगे चलते हैं, पृष्ठ 203, #छाया_रेलमंत्री बताते हैं, कि कैसे उन्हें “परिवर्तन संगोष्ठी” को आयोजित करने को कहा गया। वैसे मीटिंग में जो हुआ सो हुआ, लेकिन, रेल अधिकारी मानते हैं कि जो मसौदा रेलवे बोर्ड ने इमरजेंसी बोर्ड मीटिंग में पास किया, वह विचार-विमर्श से बहुत भिन्न था। पृष्ठ 204 में आप पाएंगे-
“The most popular recommendations that emerged in the end were:
– Restructure Railway Board on functional lines and reduce the size of the Railway Board from eight Members to five Members, including Chairman, Railway Board. It was a historical decision as the Board Members could be selected without any tag of a department from any of the erstwhile cadres. It was an amazing alignment. It meant there was a willingness to change for a better Railways.
– All the eight services recruited through two different exams – Civil Services and Engineering Services – need to be merged into a common Indian Railway Management Service (IRMS).”
ये है IRMS नाम के कन्फ्यूजन के पीछे का सच! मंत्री जी, जब हम आपको कहते हैं कि इमोशनल इंटेलिजेंस के धनी कुछ ऑफिसर सरकार के मूड को भाँप अपने हितसाधन में माहिर हैं तो क्या गलत कहते हैं? आगे पृष्ठ 205 पर आप कहते हैं-
No sooner was the majority decision of the house sensed on the second day of the Sangoshthi on December 8, 2019, than an emergency Board meeting was convened at the Pravasi Bhartiya Kendra itself. It was quite unprecedented. This was done to take a final call to ensure that the right steps were taken urgently to freeze most of the decisions.
Two days later, a Committee of Secretaries was formed, headed by the Cabinet secretary with Chairman, Railway Board; Secretary, Department of Personnel and Training, Secretary, Expenditure, secretary, Law; and the CEO, Niti Aayog, to work out the modalities and to evolve the decision points for approaching the Cabinet in the shortest possible time. This was to obviate the need for interministerial consultation which normally takes 4-6 weeks.
CRB was to superannuate on December 31, 2019. Superannuation was the key driver.
After 2-3 meetings chaired by the Cabinet Secretary, it was decided to approach the Cabinet. On December 24, 2019, the Cabinet approved restructuring of the Railway Board on functional lines with four functional Board Members designated as Member Infrastructure, Member Operation and Business Development, Member Traction & Rolling Stock and Member Finance. Chairman Railway Board was re-designated as Chairman Railway Board and Chief Executive Officer to give him over-riding power over any matter and over any Board Member including Member Finance. Except for CRB, generally no other Board Member has a helicopter view of the organisation.
Late evening on December 24, 2019, I got a call from CRB informing me that the decisions taken in the Parivartan Sangoshthi on two major issues – Restructuring the Board and Single Service (Indian Railway Management Service) – had been approved by the Cabinet that day. This quick action was completely unexpected. It took merely 16 days after Parivartan Sangoshthi. I was very happy. CRB also thanked me for my contributions in organising the Parivartan Sangoshthi on a short notice that could forge a consensus for such a major organisational reforms.
It was no doubt a great moment for me as these ideas had persisted with me for a very long time as the next level of reforms for the organisation. These reforms were most needed for a strategic shift in thinking and to meet the aspirations of New India@ 75.
The reforms are moving forwards, in spite of the focus on fight against Covid-19.
This is a defining moment in the history of Railways.
केंद्रीय कैबिनेट के इस निर्णय के बारे में जारी PIB की रिलीज आप, “#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए!“ में देख सकते हैं।
इससे पहले दिसंबर 2017 में अशोक होटल, नई दिल्ली में “संपर्क, समन्वय और संवाद” भी आपने ही करवाया था (पृष्ठ 203)। यही नहीं, नवंबर 2016, सूरजकुण्ड, हरियाणा में हुए “रेल विकास शिविर” में आपने भाँप लिया कि #NDA सरकार की प्राथमिकता क्या है। अब इतना उच्च इमोशनल इंटेलिजेंस का धनी तो ऊँचा ही सोचेगा और बड़ा ही करेगा। तुरंत इस शिविर का लाभ उठाते हुए, आपने ट्रांसफॉर्मेशन डायरेक्टोरेट बनवाया और उसके हेड बन गए, और समानांतर रेलवे बोर्ड बना डाला (पृष्ठ 203)।
तो ये देखा आपने कि-
• रेल विकास शिविर करवाया सुरेश प्रभु जी ने,
• संपर्क, समन्वय और संवाद और परिवर्तन संगोष्ठी करवाई पीयूष गोयल ने, और
• आपने इस प्रक्रिया के महत्वपूर्ण दो निर्णयों को बदलवा दिया – जीएम को अपेक्स ग्रेड देना और IRMSE के मात्र 2 महीने पहले निकले गजट नोटिफिकेशन को वापस लेना।
इस पूरी प्रक्रिया में हमने आपको आपके #Advisor साहब की जीवनी से ही बताया कि कैसे मंत्री बदलते गए, लेकिन वह डटे रहे और कैंसर को फैलाते रहे, अर्थात सरकार के नहीं, अपने एजेंडे पर अमल करते रहे!
क्षमा करें मोदी जी, आपके तीन रेलमंत्रियों का इमोशनल इंटेलिजेंस का स्तर माननीय अश्विनी वैष्णवजी के #एडवाइजर के बराबर नहीं रहा! आप चाहें तो #टेंडरमैन से अपने कैबिनेट की इमोशनल इंटेलिजेंस की मास्टर क्लास करवा सकते हैं। वैसे छोटे मुँह बड़ी बात, सीखने के लिए तो आपको भी बहुत कुछ है उनसे। ऐसे ही नहीं रेल के खान मार्केट गैंग (#KMG) के सरगना बन गए हैं वह, और क्या जबर्दस्त इकोसिस्टम बना डाला है। आप बेकार ही इतनी मेहनत करते हैं, कम मेहनत में सिक्का जमाना कोई #Advisor साहब से या उनके गिरोह के सदस्यों से सीखे!
तो मंत्री जी, बात ये हुई कि पिछले तीन साल से IRMS के नाम पर रेल अधिकारी बेवकूफ बने और सैकड़ों अधिकारी अपना कैरियर बर्बाद होते चुपचाप देखते रहे। लेकिन तीन साल बाद जब गज्टेड नोटिफिकेशन से IRMSE के बारे में पूरे देश के युवाओं को दिग्भ्रमित कर दिया तो जिम्मेदारी से आपके #Advisor भाग नहीं सकते!
जवाब दिलवाइए उनसे, नहीं तो सवाल आपसे किए जाएंगे। ठीकरा तैयार है आपके सिर पर फोड़े जाने के लिए!
और हां चलते-चलते..
ये जो बातें करते हैं कि इंजीनियर #RRB से ले आएंगे, #SSE रूट से रेल का टेक्निकल काम होगा, अपने #Tenderman की ऐसी बातों को बढ़ावा न दीजिये। रोटेशन करिए, सिस्टम रिबूट नवीन और जितेंद्र जैसे ऑफिसर्स से न हो पाएगा, जो भर्ती तो इंजीनियरिंग डिग्री पर हुए, लेकिन काम अब तक बतौर क्लर्क ही किया। उनके इंजीनियरिंग कार्य का 360° तो करवा दीजिए। कैसे उनकी सलाह पर आप ट्रांसफॉर्मेशन करने की उम्मीद कर रहे हैं? बंदरों के हाथ से उस्तरा फौरन ले लीजिए, क्योंकि उस्तरा लिए ये बंदर आपको ही चोट पहुँचा रहे हैं। जहां तक आपके #Advisor की टेक्निकल कॉम्पिटेंस का सवाल है, उनकी भी कभी 360° करवा लीजिए स्वतंत्र एजेंसी से। उनके अधकचरे ज्ञान की कीमत रेल को आने वाले 50 साल से अधिक चुकानी है!
#Khatauli के खलनायक भी आपसे पुरस्कृत हुए, अब जितेंद्र सिंह और नवीन कुमार भी होने जा रहे हैं, ऐसा सुनने में आ रहा है।
जैसा हमने कल भाग-1 में कहा था, गेंद आपके पाले में है! पाप और पापियों को न पालें! आपके मंत्रालय के कर्मठ और चुपचाप काम करने वाले आपसे न्याय की उम्मीद करते हैं, #KMG के शिशुपालों को अब और अधिक अभय और पुरस्कृत कर इन्हें बेइज्जत न करें। वैसे भी रोटेशन के अभाव में महिला उत्पीड़न और अराजकता चरम सीमा पर है।
मोदीजी के वोटर ट्रेन की बदबू से बीमार हो रहे हैं, ये वोटर ट्रेन में बैठे-बैठे मर रहे हैं, ये वोटर एक प्लेटफार्म से दूसरे पर नियमानुसार एफओबी पर चलते-चलते भी मर रहे हैं, यहां तक कि ये वोटर प्लेटफार्म पर और प्रतीक्षालय में बैठे हुए भी असुरक्षित है, क्योंकि पहले तो डिरेलमेंट ट्रैक पर होते थे, अब ट्रेनें प्लेटफार्म पर चढ़ाई कर रही हैं। ऐसे में कितने वोटर वन्दे भारत की चमक-दमक देख आपके काम की कितनी तारीफ करेंगे-ये आप स्वयं समझ सकते हैं।
आपने कई मंचों से 56-J और सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी को घर भेजने की बात की है, क्योंकि ये ठीक से काम नहीं कर रहे थे। अब समय आ गया है और सब देख रहे हैं, कि जो आपने प्रीच किया वह आप प्रैक्टिस में ला पाते हैं कि नहीं, इस #KMG पर 56J लगाकर! यह देखना अभी बाकी है! क्रमशः जारी…
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी