#KMG_2_1: #KMG के सामने असहाय रेलवे बोर्ड!
IRCTC के CMD का पद दो साल तक खाली क्यों रखा गया? और फिर इसमें से क्यों #IRMSE के बेसिर-पैर के क्वालीफाइंग सब्जेक्ट सेलेक्शन की दुर्गंध आ रही है? क्या कोई है रेलवे बोर्ड में, जो इन ज्वलंत प्रश्नों का तर्कसंगत उत्तर दे सके?
हाल ही में रेल भवन को याद आया कि इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (#IRCTC) के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर (#CMD) का पद दो साल – 1 फरवरी 2021 – से खाली पड़ा है। यहां सुधी पाठकों को याद दिला दें कि IRCTC स्टॉक मार्केट में लिस्टेड एक सरकारी कंपनी अर्थात रेलवे का एक उपक्रम (#PSU) है।
अब जब याद आया, तो कुछ पुरानी बातें भी ध्यान में आ रही हैं!
अक्टूबर 2021 को एक पत्र निकलता है और IRCTC की मार्केट वैल्यू कई हजार करोड़ गिर जाती है, परेशान #PMO को हस्ताक्षेप करना पड़ता है और दो दिन बाद ये पत्र वापस होता है:
यहां जो बातें देखने वाली थीं वह ये कि, तत्कालीन मेंबर फाइनेंस एक्सटेंशन पर थे और IRCTC बिना रेगुलर CMD का था।
इतने बड़े घालमेल के बाद भी उस समय के मेंबर फाइनेंस, जो कि शेयर मार्केट के एक ऊंचे खिलाड़ी हैं, हाई कोर्ट के तुल्य एक अपीलेट ट्रिब्यूनल में भर्ती पा जाते हैं और 65 साल तक के लिए अपनी व्यवस्था बना लेते हैं।
भारत सरकार का स्थिति सुधारने के लिए हस्तक्षेप: देखें ‘मनी कंट्रोल’ की यह रिपोर्ट, “IRCTC’s minority shareholders hold paramount importance -dipam secretary“
इसकी चर्चा हमने 16 दिसंबर 2022 को निम्न लेख में की थी: “रेलमंत्री का जोधपुर प्रेम: #AIDS का भौकाल और #KMG का टूलकिट!“
फिर 2023 में आता है IRCTC के दो साल से अधिक समय से खाली पड़े चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर (सीएमडी) पद का विज्ञापन। पहले के विज्ञापन से अलग, इस पद के लिए ये मांगता है इंजीनियरिंग या कॉमर्स पृष्ठभूमि के ऑफिसर!
मतलब यह कि इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (#IRTS) के अधिकांश अधिकारी – जिनके स्थानापन्न के लिए यह विवादित और भ्रष्टाचार के कारण गुणवत्तापूर्ण खानपान सेवाएं उपलब्ध न करा पाने वाला यह पीएसयू बनाया गया था – इस पद या पोजीशन के लिए अप्लाई ही नहीं कर पाएंगे। मजे की बात यह कि इसी आईआरटीएस कैडर के अधिकारी वह सब व्यवस्थाएं देखते हैं जिसकी मार्केटिंग अथवा लाइजनिंग IRCTC करता है।
हमने कई वरिष्ठ आईआरटीएस अधिकारियों से इस मामले को समझने की कोशिश की। सीएमडी के लिए मांगी क्वालिफिकेशन, आयु एवं योग्यता को लेकर सभी परेशान और आंदोलित लगे। उनका ये कहना था कि एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया ऐसा कैसे बन गया जो पहले से बिल्कुल भिन्न है।
एक वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारी ने बड़ी तल्खी के साथ कहा कि “हमारे लोगों के मुंह में जबान नहीं है, वे जिंदा नहीं हैं, जिंदा होते तो बोलते!” दिल्ली में पदस्थ एक अन्य वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारी का कहना था कि, “प्रोटेस्ट तो किया गया था, मगर कोई कुछ सुनने को ही तैयार नहीं है!” फिर दबी आवाज में उन्होंने यह भी कहा कि “जब अपने ही सीनियर्स चुप्पी साधे हुए हैं, तब बेगानों से क्या अपेक्षा की जाए!”
हमने ऐसे लगभग दर्जन भर वरिष्ठ आईआरटीएस अधिकारियों से बात की। उन सबका एक स्वर से यह मानना था कि ये गलत हो रहा है और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि एमओबीडी अपनी बात रखने में सक्षम नहीं है। उन्होंने 13/17.02.2020 के नोटिफिकेशन का हवाला भी दिया और कहा कि इससे लगता है कि यह नोटिफिकेशन निकालने से पहले ही इस पद पर किसी अधिकारी विशेष को बैठाया जाना तय कर लिया गया है। हमने ये बातें समझकर फिर ट्विटर पर इसे शेयर किया:
बात यह भी उठी कि इंजीनियरिंग और कॉमर्स का बैकग्राउंड तो IRMS के नोटिफिकेशन में था, कहीं वही ग्रुप तो पुनः सक्रिय नहीं है?
फिर बात यह भी आई कि 45 साल से 52 साल की आयु सीमा का औचित्य क्या है? क्या 35 साल तक अन्य असेट्स की तरह 10-15 साल के लिए इस पोस्ट को ब्लाक करना है? यह आयु सीमा 51 साल से 59 साल क्यों नहीं हो सकती थी? 52 के आंकड़े पर ही रेल भवन के नौनिहालों की सुई क्यों अटकी हुई है?
बात यह भी हुई कि इस पोस्ट के लिए #DRM रहे तमाम अधिकारी भी कंसीडर नहीं होंगे, क्योंकि वे 52 साल से ऊपर होंगे। क्यों रेल भवन ने #IRMS के अधिकारियों को इसके लिए ठीक अथवा योग्य पाया? यह क्राइटेरिया बनाने वाले कौन लोग हैं?
रेलवे बोर्ड के सदस्य, विशेष रूप से चेयरमैन सीईओ रेलवे बोर्ड (#CRB), मेंबर ऑपरेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट (#MOBD) और मेंबर फाइनेंस (#MF) इसे ध्यान से देखें, स्टॉक मार्केट में हुई IRCTC के स्टॉक की उठापठक जिसके मार्ग निर्देशन में हुई वह तो पुरस्कृत होकर स्थानापन्न हो गया। लेकिन ऐसे मामलों पर आप लोगों की शर्मनाक चुप्पी और निष्क्रियता आपको ही भारी पड़ने वाली है। स्मरण रहे कि ऐसे निरंकुश और अराजक कदम अपने ही अधिकारियों का मनोबल तोड़ देते हैं। साथ ही लिस्टेड PSU में मैनीपुलेशन का सीधा आरोप रेल भवन पर अर्थात आप लोगों पर आ जाता है!
#KMG और #AIDS को कौन संजीवनी दिए हुए है? और यदि रेल भवन अपने PSU को प्रोफेशनल तरीके से नहीं चला सकता तो छींटे पूरे बोर्ड पर ही आएंगे। ऐसे निर्णय एक बहुत अच्छे स्टॉक मार्केट में लिस्टेड सरकारी उपक्रम की विश्वसनीयता को खत्म कर रहे हैं। रेल अधिकारियों का मानना है कि बोर्ड के सदस्यों की ऐसी सोच नहीं, तो क्या #KMG के इस दुष्टतापूर्ण खेल को रेलवे बोर्ड पर भारी पड़ने के रूप में देखा जाना चाहिए?
इस पृष्ठभूमि में यह भी देखना होगा कि कैसे मंत्रियों से संसद और पब्लिक फोरम में यह कहला दिया जाता है कि रेल का निजीकरण नहीं होगा, लेकिन अपने उपक्रमों को ऐसे तोड़कर निरर्थक या निष्क्रिय करना और भविष्य में सरकारी उपक्रम के औचित्य को ही समाप्त करने की दिशा में कदम लगता है।
कृपया इकनॉमिक टाइम्स की इस रिपोर्ट का पुनरावलोकन करें: “Ashwini Vaishnaw at CII global economic policy summit – railways will not be privatised“
प्रश्न यह भी उठता है कि IRCTC के CMD का पद दो साल तक खाली क्यों रखा गया? और फिर इसमें से क्यों #IRMSE के बेसिर-पैर के क्वालीफाइंग सब्जेक्ट सेलेक्शन की दुर्गंध आ रही है? क्या कोई है रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) में, जो इन ज्वलंत प्रश्नों का तर्कसंगत उत्तर दे सके?
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए!“
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए! भाग-2“
“अगर फुल बोर्ड के रहते भी #KMG सक्रिय है, तो ऐसे बोर्ड को क्या कहेंगे?“ क्रमशः जारी..
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी