High on EI, Zero on OLQ – Your Pick Mantri ji? Should not Caesar’s Wife be Above Suspicion?

रेल के रिफार्म और रिऑर्गनाइजेशन (पुनर्गठन) के लिए माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने देबरॉय कमेटी का गठन किया था। देबरॉय और सान्याल समिति की अनुसंशाओं पर माननीय मंत्री जी आप काम कर रहे हैं!

डॉ देबरॉय ने देश के महान ग्रंथ महाभारत का दस वॉल्यूम सेट में अनुवाद किया है। मंत्री जी, आशा है आप डॉ देबरॉय से मिलते और बात करते रहते होंगे। इस महान ग्रंथ में दिए “श्रीकृष्ण-शिशुपाल प्रकरण” को हो सकता है आपने बचपन में भी पढ़ा हो। आपके पास समय का अभाव है, और आपने शुरू से रेल के ‘शिशुपालों’ को पर्याप्त आश्रय दिया हुआ है, तो आपको नीचे दिए गए लिंक को देखने के साथ यहां दिए गए इन चार चित्रों को देख यह प्रकरण याद आ जाएगा कि, स्वयं विष्णुवतार श्रीकृष्ण अपने अपमान को सहते रहे जब तक शिशुपाल ने अपने को दिए गए 100 अभयदान को अहंकार में न गंवा दिया-

https://archive.org/details/scanned-document-62_202009/mode/2up

मंत्री जी, आपको अनेकों बार इस समाचार पत्र – #Railwhispers ने आगाह किया है, बहुत स्पेसिफिक इनपुट आपको और आपके ऑफिस को भी दिए। आपसे आग्रह केवल इतना ही था/है कि हमारी बात बिना स्वतंत्र जांच के न मानें, तथापि पिछले कई महीनों से कुछ नहीं हुआ, न ही होता हुआ दिख रहा है।

मगर हां, कुछ तो हुआ था, जो ये है…

#KMG के कनिष्ठतम खिलाड़ी को रेल भवन से निकाल, रेल भवन से पूरे 8 मिनट और 4100 मीटर दूर बड़ौदा हाउस में भेज दिया गया। जैसे, शम्सी जैसे खिलाड़ी रेल भवन से निकलते हैं, 5300 मीटर और पूरे 10 मिनट दूर ट्रांसफर होते हैं, बहुत स्पेसिफिक इनपुट पर, और ये तीन महीनों में फिर 3300 मीटर और पूरे 7 मिनट दूर बड़ौदा हाउस में बहुत महत्वपूर्ण और अतिसंवेदनशील पोस्ट पर आ जाते हैं।

स्मरण रहे, इनमें से शम्सी साहब का ट्रांसफर भ्रष्टाचार के बहुत ही स्पेसिफिक इनपुट के कारण से हुआ था।

ये सब आदेश आपके हस्ताक्षर से या आपके ऑफिस के संज्ञान से हुए हैं।

इन्हें संरक्षण देने का आपकी या आपके कार्यालय की क्या बाध्यता है? ये आपके निर्देश हैं या #KMG के अग्रणी आपके सलाहकार समूह के?

रोम से लेकर नंद वंश तक का पतन जिन कारणों से हुआ, वही कारण आपके संरक्षण में भारतीय रेल के पतन के लिए पनप रहे हैं।

लेकिन व्यवस्था के ‘शिशुपालों’ और ‘जयद्रथों’ का समय आ गया लगता है!

400 दिन और एक पीड़िता की आह

ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको सुधीर कुमार ने ठगा नहीं! शीर्षक से 20 जनवरी को एक पीड़िता श्रीमती प्रिया शर्मा का पत्र #Railwhispers ने प्रकाशित किया। इस प्लेटफार्म से बहुत से रेलकर्मी यह आशा करते हैं कि उनकी पीड़ा सही अधिकारियों के पास पहुंचे। हम भी इस ऊहापोह में रहते हैं कि किसी के व्यक्तिगत दर्द को बहुत संवेदनशीलता से सम्भालें। मामला हमारे संज्ञान में तो था, पीड़िता को डर भी है कि ऐसे बली और महाबली #KMG के लोग उसके पति का और ज्यादा उत्पीड़न कर सकते हैं।

#Railwhispers को प्रिया शर्मा जी की पीड़ा समझ में आती है। हम भारतीय हैं और हमारी इमोशनल इंटेलिजेंस #KMG के समतुल्य नहीं है और हमारे संस्कार किसी भी महिला की पीड़ा और उत्पीड़न को देखने मात्र से उद्विग्न हो जाते हैं।

#Railwhispers द्वारा इस पत्र के प्रकाशन के बाद कई रेल अधिकारियों से बात हुई। उन्होंने यह साझा किया कि आई. सी. शर्माजी के डीआरएम के आदेश बदले जाने वाली घटना इस प्रकाशन से पहले हमेशा एक रहस्य रही। साथ ही इस पत्र की प्रमुख बात कि, “आप जब तक सीढ़ी स्वरूप सामने हैं तब तक आपका स्वागत है, नहीं तो ‘जय राम जी की’ की पुष्टि भी हुई।”

यह बात भी दबे स्वर में होती रही कि #Advisor साहब की मैडम को नौकरी लगाने का प्रकरण भी किसी राजनैतिक दबाव के चलते हुआ। #KMG के अन्य सदस्य भी कुछ ऐसी ही जुगाड़ से अपनी पत्नियों की नौकरी लगवाने में सफल हुए थे। एक की पत्नी तो रेगुलर होकर भारत सरकार की राजपत्रित अधिकारी बन गई हैं। मजे की बात यह कि ये तीनों #KMG के सदस्यों की पत्नियां शिक्षा के क्षेत्र में ही हैं। इन सबके कई तथ्य हमारे पास उपलब्ध और सुरक्षित हैं, लेकिन जैसा हमने पहले ही कहा कि हमारा इमोशनल इंटेलिजेंस #KMG जैसा अच्छा नहीं है कि परिवारों के बारे में हम खोज बीन करें।

#Advisor साहब को इमोशनल इंटेलिजेंस में डॉक्टरेट (पीएचडी) की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि श्रीमती प्रिया शर्मा जी का पत्र बताता है कि उनका इमोशनल इंटेलिजेंस कोशेंट हमेशा बहुत-बहुत ऊंचा रहा है।

कई अधिकारी इस बात से परेशान थे कि पुराने मामले फिर उठ रहे हैं, पहले का परिदृश्य अलग था। इस पत्र में बिजली विभाग के उच्च इमोशनल इंटेलिजेंस के कई ‘खलीफाओं’ का संदर्भ आया है, लेकिन एक पीड़िता के पत्र को दबाना हमें कदाचित् उचित नहीं लगा।

इस पत्र से जो बड़े सवाल मंत्री जी की टेबल पर आए हैं-

– आपने 360 डिग्री रिव्यू के नाम पर बहुत वरिष्ठ अधिकारियों का कैरियर खत्म होते देखा है और उसका समर्थन भी किया है। 360 डिग्री रिव्यू पैनल के सदस्यों के संदिग्ध कार्य-कलापों के बारे में भी आपको चेताया गया था-कि आपका 50% पैनल रेल कर्मचारियों की नजर में अच्छा नाम नहीं रखते।
अब आपके #Advisor के 360 डिग्री रिव्यू के बारे में आप क्या कहेंगे?

– आपके पास #KMG के अन्य सदस्य, जिन्होंने आपसे सीवीओ/आरडीएसओ की पोस्टिंग पर गलत साइन करवाए थे, वे कैसे सुरक्षित बैठें है? मंत्री जी, स्मरण रहे कि फाइल पर साइन आपके हैं! आपके @Advisor के, या आपके सेल के अधिकारियों के नहीं – और हां, जानकारी आपको #Railwhispers के माध्यम से सार्वजनिक रूप से भी दी गई है।

– वे अधिकारी जिन्होंने रेलमंत्री से आईआरएफसी के एमडी और सीएमडी/एनएचआरसीएल के हस्ताक्षर आपके दफ्तर से करवाए, और यहां तक कि #PMO को भी दिग्भ्रमित किया, वे सब #KMG के आपके दफ्तर के ऊँचे पदों पर बैठे अधिकारियों के बल पर सुरक्षित हैं।

– मंत्रीजी आपकी अपने #Advisor साहब पर निर्भरता रेल व्यवस्था में उन्हें ‘छाया रेलमंत्री’ की पदवी दे चुकी है। खैर, ये कोई नई बात नहीं, हर किसी को अपनी कोर टीम बनाने का अधिकार है। लेकिन पढ़े-लिखे कहते हैं, “Caesar’s wife should be above suspicion” जिसका अर्थ है – “Those in positions of authority should avoid even the implication of impropriety.”

https://en.wiktionary.org/wiki/Caesar%27s_wife_must_be_above_suspicion

20 जनवरी को प्रकाशित श्रीमती प्रिया शर्मा पत्र से जो सवाल रेल मंत्रालय और भारत सरकार के लिए उठते हैं, वह ये हैं-

1. क्या नौकरी मिलने की किसी स्टेज में जाली हस्ताक्षर हुए? इस तथ्य की पुष्टि के लिए फॉरेंसिक जाँच आवश्यक है। ये आक्षेप उस व्यक्ति पर लगा है जिसके क्रिया-कलापों का प्रतिकूल प्रभाव आने वाले 50 सालों से अधिक समय तक देश की अर्थ व्यवस्था पर पड़ेगा। कई सौ अधिकारी अपने कैरियर को बर्बाद होते देख रहे हैं इनके कारण! इनकी अर्धांगिनी पूरी नौकरी कर सेवानिवृत्त भी हो चुकी हैं।

डॉ श्रीमती सुचित्रा कुमार का रिटायरमेंट आर्डर

2. क्या रेलमंत्री इन्हें अपने पास रख अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसे ही भयभीत रखेंगे? इतने बड़े ‘अनैतिक व्यवहार’ (unethical conduct) के बाद किस मुँह से नैतिकता (ethics) और समर्पण (dedication) की बात हो रही है? डेडिकेशन केवल अपने और अपनों के लिए! क्या ऐसे व्यक्ति को – जो लगातार अपने लिए दिए गए कार्यक्षेत्र के बाहर काम कर रहा है – सारे बड़े टेंडर और सारी बड़ी नियुक्तियों को प्रभावित करता रहेगा?

सवाल आपसे मंत्री जी-

श्रीमती प्रिया शर्मा की कही बातों कि तुरंत जाँच होनी चाहिए, क्या ये सही था कि श्री नीतीश कुमार ने श्री ए. के. वोहरा के स्थान पर श्री आई. सी. शर्मा का नाम लाल पेन से काटकर लिखा-ये तुरंत जाँचा जा सकता है। रेलमंत्री स्वयं एक यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं। उन्हें तुरंत अपने #Advisor की पत्नी की नियुक्ति के मामले को आई. पी. यूनिवर्सिटी रेफर करना चाहिए फॉरेंसिक जाँच के लिए!

वैसे मंत्री जी, जाँच का विषय यह भी है कि कैसे सीवीओ/आरडीएसओ की गैर-कानूनी पोटिंग पर आपके साइन करवाये गए? कैसे स्पष्ट और स्पेसिफिक इनपुट के बावजूद शम्सी मात्र तीन महीने डेपुटेशन के बाद वापस उत्तर रेलवे में महत्वपूर्ण पोस्ट पर आ गए,? कैसे एक ही विभाग के 5 अधिकारी रेलवे बोर्ड में प्रमोट हो गए? कैसे एक #AIDS के महाबली कुर्सी सहित बड़ौदा हाउस से रेल भवन पहुँच गए?

मंत्री जी, अगर इतने स्पष्ट इनपुट के बाद भी #KMG आपका समर्थन पाकर सुरक्षित है, तो बहुत विचलित करने वाली बातें उठेंगी। अभी तो #KMG के एक ही सदस्य के इनपुट को प्रकाशित किया गया है!

फिलहाल बस अभी इतना ही, Caeser’s wife has to be above suspicion. क्रमशः जारी..

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी