KMG_2.1: मंत्री जी, सिस्टम जब जुआरियों को प्रोत्साहित करता है, तब रेल संचालन द्युत क्रीड़ा बन जाता है!
देख धनानंद, प्रलय का आगमन हो रहा है -आचार्य चाणक्य
मालदा डिवीजन वाली गलती ऐसे सिस्टम की गलती थी जिसमें हर स्तर पर कंप्लायंस के नाम पर झूठ बोलने को बढ़ावा दिया गया। गलती एक ब्रांच ऑफिसर की नहीं – #Railwhispers का मानना है कि – गलती उस सिस्टम की है जो बैल से दूध निकालने की उम्मीद करता है! जब सिस्टम ऐसे जुआरियों को प्रोत्साहित करता है, तो रेल परिचालन जुए का खेल बन जाता है। गंभीर इंजीनियरिंग विषयों पर #KMG अपनी ओपिनियन देते हैं, तो क्यों कोई ज्ञान की बात करेगा?
आज #KMG के चलते रेल भवन हास्यास्पद बन गया है। #CRB जैसे पद की गरिमा #AIDS के महानायकों ने धूल-धूसरित कर दी है। अभी हाल में बदले दो सीआरबी के जाने के 10-15 दिन में ही उनके द्वारा किए ट्रांसफर ऑर्डर थोक के भाव बदल दिए गए। मंत्रियों को शीशे में तो बहुत पहले से उतारा जा चुका था, लेकिन सीआरबी के पद की ऐसी फजीहत हाल का ही डेवलपमेंट है! यहां एक बार पुनः पढ़ें-
“क्या खराब रिजल्ट की कीमत केवल रेलमंत्री ही चुकाएंगे?“
इस रेल व्यवस्था को हम और हमारे अधिकांश सुधी पाठक बहुत आदर की दृष्टि से देखते हैं और भारतीय रेल की उपासना करते हैं। लेकिन,
जब जोकर राजमहल में चला जाता है तो वह राजा नहीं बनता, राजमहल अवश्य सर्कस बन जाता है.. कुछ ऐसा ही रेल भवन का हुआ है जब पुराने खिलाड़ी फिर मक्कारी और ठगी का च्यवनप्राश खाकर पुनः प्रकट हो गए और फिर अपने पुराने पापियों का ग्रुप इकट्ठा कर लिया। हमने निम्न आर्टिकल्स के द्वारा इस #KMG के बारे में गहरे विश्लेषण प्रस्तुत किए। इन सब लेखों के कंपाइल्ड वॉल्यूम भी प्रकाशित हो चुके हैं:
जो लेख प्रकाशित हुए हैं, वह ये हैं:
पहले वॉल्यूम में 37 (186 पेज) दूसरे में 19 (100 पेज) और तीसरे में 18 फरवरी तक दो लेख आ चुके हैं। हर 100 पृष्ठों के बाद नया वॉल्यूम निकालने का #Railwhispers का संकल्प है। पाइपलाइन में आर्टिकल गिनें तो आपके सामने अगले हफ्ते तक साठवां लेख आ जाएगा। लेकिन मजे की बात यह कि #KMG न केवल डटा है, बल्कि इसने #AIDS को और अधिक मजबूत कर दिया है।
#KMG को मिले संरक्षण से तो ऐसा लगता है कि एक ‘collector’s edition’ भी शीघ्र निकलेगा।
पाठक हमें, editor@railwhispers.com पर ईमेल भेजकर इन वॉल्यूम को मंगा सकते हैं।
हमारे पास कई सुझाव आए कि इन्हें एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाना चाहिए और कुछ पाठकों का स्नेह तो इतना रहा कि उन्होंने पब्लिशर से बात भी कर ली – उनको हमारा सादर नमन! हमारा उनसे ये निवेदन है कि इस सीरीज को लिखने और प्रकाशित करने में हमें कोई प्रसन्नता नहीं हो रही है, हमें रेल की ऐसी गति देखकर बहुत कष्ट हो रहा है। हमारी मनःस्थिति कुछ ऐसी है- #दिनकर के शब्दों में:
कुत्सित कलंक का बोध नहीं छोड़ेंगे,
हम लिए बिना प्रतिशोध नहीं छोड़ेंगे।
अरि का विरोध अवरोध नहीं छोड़ेंगे,
जब तक जीवित हैं क्रोध नहीं छोड़ेंगे।
कैसे इस महान संस्था को #KMG नाम की दीमक और #AIDS की बीमारी ने ऐसा बना दिया कि भारतीय रेल को रेल चलाने में भी डर लगने लगा है – कब ट्रेन प्लेटफार्म पर चढ़ जाए। लाखों करोड़ के निवेश के बाद मालगाड़ियों की गति और सीमित कर दी है ये कहते हुए कि BMBS ब्रेक सिस्टम में एक ‘known deficiency’ है!
16 फरवरी सुबह साढ़े पांच बजे हुए सुल्तानपुर स्टेशन एरिया के एक्सीडेंट, “Head On Collision of Goods trains on Lucknow Division of Northern Railway“ के बाद सीआरबी साहब ने यह मेसेज फ्लैश किया:
All GMs, PHODs, DRMs,
Derailments/accidents in last few days call for immediate action for alertness and enforcement of already laid down operation and maintenance protocols. Each accident is showing slackness on one or the other aspect.
Please immediately launch an intensive safety drive. HODs from HQ be asked to go to various sections, lobbies, maintenance centers, work sites, etc. and carry out thorough review of working practices.
Divisional officers be asked to carry out similar intensive safety drives over the division.
Please start this tomorrow itself.
Feedback on action taken be furnished to Board through DG/Safety.
रूटीन मैसेज – रूटीन खानापूरी
ऐसे मैसेज रूटीन मैसेज बन गए हैं। समस्या यह है कि रेलकर्मी रेल चलाने में रुचि खो रहे हैं। अगर #KMG के सदस्य बिना कुछ किए सब के ऊपर बैठ सकते हैं, तो कौन अपने को मेहनत वाले कामों में लगाएगा? कोई क्यों नाइट फुट-प्लेट, गर्मी में साइट पर खड़ा होने जैसे कामों में उलझेगा।
समस्या गहरी है। खतौली के लिए जिम्मेदार अधिकारी प्रमोट हो गए, तो क्यों कोई अपनी नींद और आराम में खलल डालेगा! सीआरबी साहब, आज सेफ्टी ड्राइव का एजेंडा नंबर-1 यह होना चाहिए कि रोटेशन हो, #AIDS और #KMG का वैक्सीन केवल #रोटेशन है। आपकी ये कथित ड्राइव्स केवल नीचे के लोगों के फ्रस्ट्रेशन को और अधिक गहरा करेंगी!
सीआरबी साहब, आप रेल भवन में सेफ्टी के नाम पर बड़ौदा हाउस से कई अधिकारी रेल भवन ले गए। रेल भवन को छोटा करने का निर्णय पीयूष गोयल का था, वह #UPA के नहीं, #NDA के ही रेलमंत्री थे!
इस से कोई लाभ नहीं होगा! उल्टे, फील्ड का मनोबल गिरता है – जब लोग देखते हैं कि SECR जैसी रेलवे के ऑर्डर को बदलवाकर सीआरबी के बदलते ही अधिकारी रेल भवन में कुर्सी सहित आ जाता है। फिर आप कैसे SECR के अधिकारियों को उत्साहित करेंगे? क्यों रेल भवन में कमाऊ जोनल रेलवे – जिनकी कमाई से समस्त रेलकर्मी वेतन पाते हैं – के ऑफिसर नहीं पोस्ट हो सकते?
सुल्तानपुर ने की मधेपुरा लोको की फजीहत
16 फरवरी सुबह साढ़े पांच बजे एक परेशान करने वाला हेड ऑन कॉलिजन हुआ। इसमें कई गलतियां एक साथ हुईं। अगर प्रमुख अंग्रेजी दैनिक में आए #DRM के स्टेटमेंट को देखें: “We are not very sure how two trains came on the same track?“ ये तो गलती हुई ऑपरेशंस की। वहीं अगर ड्राइवर का डिसेंट नोट देखें–
तो एक और आयाम – जो अब बहुत चर्चा में है – उठता है – वह है #BMBS, यहां पुनः पढ़ें!
“बीएमबीएस में ‘जानी-पहचानी विसंगति’ थी, तो यह सिस्टम बीस सालों से लगातार जारी क्यों रहा?“
“#Kalyug – Now Train Climbs Platform and Kills!“
“#KMG_2.1: ..और कलई खुल गई: मंत्री जी, जब घर में आग लगी हो तो आने वाली होली की तैयारी नहीं करते!“
22 अक्तूबर को प्रकाशित, “नीतिगत गलतियों का दोहन अपने हित में करने वाले अधिकारियों का सीएजी ऑडिट करवाया जाए!“ शीर्षक लेख में ये मांग सीआरबी और मेंबर फाइनेंस से – पहले सीआरबी एक्सटेंशन पर थे और मेंबर फाइनेंस लुक ऑफ्टर में एक जूनियर अधिकारी थे – सीएजी ऑडिट इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि दो सीआरबी और एक मंत्री के बदलते ही बहुत से ट्रांसफर/पोस्टिंग बदल दिए गए, यह संदेहास्पद है, और प्रशासनिक शुचिता के विरुद्ध भी। साथ ही इससे सरकार की ही नीतियों के उलट काम होकर #AIDS मजबूत हुआ है। #Railwhispers का इसमें ये कहना था, “रेल के ‘खान मार्केट गैंग’ तथा यथास्थितिवादी वामपंथी व्यवस्था के अग्रणी लोगों को अपने साथ बैठाकर रेलमंत्री क्यों पूरे भारतीय रेल सिस्टम की गुडविल गंवाने पर आमादा हैं?”
रेल व्यवस्था के जानकार बताते हैं इस डिसेंट नोट और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध फोटो देखकर कि,
“यह कोलिशन भले ही स्टेशन एरिया में हुआ, इसमें हुआ नुकसान बहुत अधिक है, स्टेशन एरिया में बंपिंग हो सकती है, लेकिन इतनी ऊर्जा आई कैसे? 94% ब्रेक पॉवर कम नहीं होता। लोको के ब्रेक कितने लगे, कब लगाए गए, यह सब विश्लेषण का विषय है!”
प्रथम दृष्टया यह बताया जा रहा है कि अगर WAG 12B द्वारा खींची जानी वाली लोडेड मालगाड़ी को होम सिग्नल रेड मिला था, तो सामने WDG4 के मल्टी से खींची जाने वाली ट्रेन गलत रिसीव हुई थी। डीआरएम का प्रमुख अंग्रेजी दैनिक में छपा वक्तव्य भी कुछ ऐसा ही इंगित करता है। जिस तरह का डैमेज हुआ है, उससे यह भी लगता है कि या तो डीजल पॉवर वाली ट्रेन आगे बढ़ रही थी या WAG12 वाली गाड़ी की स्पीड काफी ज्यादा थी। वन इन फोर हंड्रेड ग्रेड से भी टक्कर में ज्यादा फोर्स लगा होगा। कर्व वाले सेक्शन में BMBS के अनप्रेडिक्टेबल ब्रेकिंग फोर्स की बातें होती रही हैं।
“Competence Poverty of #KMG – Machinations Exposed! Part-II“ शीर्षक से प्रकाशित लेख में हमने बताया कि कैसे #Advisor साहब ने रेलमंत्री से WAG 12B के बारे में कसीदे पढ़वा दिए और दुनिया – जहां में इसका प्रचार-प्रसार करवा दिया गया। यह भी #KMG की टूलकिट का हिस्सा है, अपने प्रोजेक्ट को मंत्री का प्रोजेक्ट बनाने भर की मेहनत करनी है, फिर हर फेलियर का ठीकरा मंत्री के सिर फोड़ना आसान हो जाता है।
Crisis of Competence
मंत्री जी के सलाहकार समूह को कैसे #KMG ने पकड़ा है, हमने आपको और उन्हें समय-समय पर बताया है। हमने यह भी बताया कि कैसे #KMG ने अपने को बहुत अधिक कम्पीटेंट होने का दिखावा किया है। हमने इसकी भी कलई खोली:
“#KMG_2.0: Crisis of Competence!“
“Competence Poverty of #KMG – Machinations Exposed!“
“Competence Poverty of #KMG – Machinations Exposed! Part-II“
आपकी इंसेंटिवाइजेशन स्कीम जैसी होगी वैसे ही आपको कर्मचारी और अधिकारी मिलेंगे। अगर आपके घर सब्जी लाने वाला अच्छा लगता है, तो आपको वर्कशॉप में अच्छा मशीन चलाने वाला नहीं मिल पाएगा। अगर प्रमोशन सब्जी लाने से हो जाता है, आउट ऑफ टर्न काम इसी से हो सकते हैं, तो क्यों पसीना बहाया जाए?
सीआरबी साहब, यह समस्या जो आप देख रहे हैं, इसका हल सेफ्टी ड्राइव में नहीं है। इसका हल कहीं और है। आपसे पहले वाले सीआरबी का स्वागत मालदा डिवीजन में WAP4 की ट्रैक्शन मोटर गिरने से हुआ था। आपका स्वागत भी आपकी ही पुराने डिवीजन में वी. के. त्रिपाठी जी के कार्यकाल की तरह पहले कुछ हफ्तों में ही हो गया है।
मालदा डिवीजन वाली गलती ऐसे सिस्टम की गलती थी जिसमें हर स्तर पर कंप्लायंस के नाम पर झूठ बोलने को बढ़ावा दिया गया। गलती एक ब्रांच ऑफिसर की नहीं, #Railwhispers का मानना है कि, गलती उस सिस्टम की है जो बैल से दूध निकालने की उम्मीद करता है! जब सिस्टम ऐसे जुआरियों को प्रोत्साहित करता है, तो रेल परिचालन जुए का खेल (द्युत क्रीड़ा) बन जाता है। गंभीर इंजीनियरिंग विषयों पर #KMG अपनी ओपिनियन देते हैं, तो क्यों कोई ज्ञान की बात करेगा?
#Advisor साहब को पता था कि मधेपुरा लोको की स्पेसिफिकेशन पुरानी है, लेकिन नई सरकार की ऊर्जा को इन्होंने गेम कर डाला और टेंडर अवार्ड कर दिया। और ऐसे किया कि जहां अधिक क्षमता (कैपेबिलिटी) वाले भारतीय फैक्ट्री में बने इंजन सस्ते हो रहे हैं, वहीं मधेपुरा का इंजन, बताते हैं कि ₹28 करोड़ से बढ़कर ₹32 करोड़ का हो गया है।
#RDSO से उम्मीद की जाती है कि सुबह दी गई ड्राइंग शाम तक साइन हो जाए, तो ऐसा ही होगा कि दुनिया का सबसे ताकतवर लोको #ICF कोच की तरह टेलिस्कोप कर जाएगा!
स्टेशन एरिया में ऐसा कैसा कॉलिजन कि स्वयंभू सर्वश्रेष्ठ WAG12 ICF के कोच की तरह टेलिस्कोप कर गया!
ICF कोच भी हाई स्पीड कॉलिजन में टेलिस्कोप करते थे, यहां यह अचीवमेंट 10 करोड़ अधिक खर्च करके, 30% कम haulage के साथ स्वयंभू सर्वश्रेष्ठ ₹32 करोड़ के #KMG के कोहिनूर ने स्टेशन एरिया में ही कर दिखाया।
आज वैगन के ब्रेक हों, या मधेपुरा के यह इंजन, अथवा प्लेटफार्म शेल्टर में इलक्ट्रोक्यूशन, मृतप्राय आरडीएसओ के कारण ऐसा हो रहा है! आज लाखों करोड़ खर्च करने के बाद भी रेल के पास ऐसा कोई टैलेंट नहीं बचा है – जो जनता की गाढ़ी कमाई को #Tenderman से बचा पाए।
WAG12 बनाम ICF कोच, किसकी जिम्मेदारी?
सच में क्या गजब ट्रांसफॉर्मेशन है!
हड़बड़ी में आ रही टेक्नोलॉजी-आज लाखों करोड़ खर्च करके वैगन की गति धीमी करनी पड़ रही है, इंजन टेलिस्कोप हो रहे हैं! ये हाल है फ्रेट स्टॉक का, यही हड़बड़ी पैसेंजर स्टॉक में भी हो रही है! आरडीएसओ की लगातार उपेक्षा और उसके कामकाज की गुणवत्ता में लगातार आ रही गिरावट इसके मूल में है, और उसके मूल में घुसा है #KMG जनित ‘वेंडर-अधिकारी नेक्सस!’
WAG12B की हॉलएज क्षमता के बारे में हमने विस्तार से विश्लेषण किया था– फिर से इसे पढ़ें-
“Competence Poverty of #KMG – Machinations Exposed! Part-II“
इसी की पुष्टि एक प्रमुख हिंदी दैनिक में प्रकाशित इस खबर ने हाल ही में किया–
“झारखंड के पठारी क्षेत्रों में हांफने लगता है रेलवे का WAG-12 इंजन, राजस्व का हो रहा नुकसान“
#BMBS हो या #WAG12B, रोलिंग स्टॉक बहुत गंभीर विषय है और जिसमें बहुत बड़ा निवेश हुआ है। जिस हड़बड़ी में आरडीएसओ पर दबाव बनाकर ड्राइंग और डिजाइन अप्रूव करवाने की परिपाटी चल चुकी है, वह अगर रोकी नहीं गई तो अभी तो यह मालगाड़ियों के स्टॉक में हो रहा है, यह अब पैसेंजर स्टॉक में भी होगा और कोई कुछ नहीं कर पाएगा, क्योंकि #Tenderman द्वारा लिखे टेंडरों में रेल तरबूज है और वेंडर छुरी!
मंत्री और सीआरबी आते-जाते रहेंगे – ध्यान से देखें और #KMG को नमस्कार करें – यही हैं रेल के असली भाग्यविधाता, रेल भवन के सर्कस के रिंग मास्टर, यह किसी भी सीआरबी या मंत्री के दिए आदेश उनके बदलते ही बदलवा सकते हैं!
वैसे यह भी बात है कि ‘वेंडर-अधिकारी नेक्सस’ को #KMG कैटालाइज कर देता है और मंत्री के हस्ताक्षर से ऐसे लोग आरडीएसओ में पोस्ट होते हैं जिनकी डोर #KMG के हाथ में रहती है और मंत्री को पता ही नहीं चलता की क्या हो गया! क्रमशः जारी..
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी