KMG 2.1: IRMS is Still Born, लेकिन KMG और AIDS की दाई को मिला बोनस
Why do things remain the same, no matter how much they change?
#IRMS के इम्प्लीमेंटेशन के दो आयाम सोचे गए, नई भर्ती से, नीचे से और वरिष्ठ स्तर पर ऊपर से IRMS को बढ़ाया जाएगा। अर्थात, ऊपर और नीचे से कैडर-लेस रेलवे अधिकारी बनेंगे।
नीचे से बनता IRMS
बात ये बताई गई कि सारी भर्ती #CSE (सिविल सर्विसेस एग्जामिनेशन) के द्वारा ही होगी। 01 फरवरी को जिस दिन #UPSC ने नोटिफिकेशन निकाला, उसी दिन रेल मंत्रालय ने गजट द्वारा इस निर्णय पर पलटी मार ली। तीन साल से की हुई कवायद बेकार साबित हुई, जिसमें सैकड़ों वरिष्ठ अधिकारियों की प्रशासनिक बलि चढ़ा दी गई।
पढ़ें: “#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए!“
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए! भाग-2“
ऊपर से बनता IRMS
वहीं ऊपर ये बात हुई कि कैसे रेलवे बोर्ड के सदस्य एक्स-कैडर होंगे। इससे जीएम और बोर्ड सदस्य #IRMS को शीर्ष से बनाएंगे। वैसे रेल के कथित #Transformation एक्सपर्ट यह भूल गए कि जीएम तो आरंभ से ही एक्स-कैडर थे!
कई अधिकारियों से आड़े-तिरछे मनमानी काम कराए गए लुक ऑफ्टर में या एक्सटेंशन पर, वरिष्ठम अधिकारी हाशिये पर धकेल दिए गए। रेल व्यवस्था के बिखराव को, गिरती सेफ्टी को, यात्रियों की शोचनीय अवस्था को देख #Railwhispers को भी समझाना पड़ा कि कोर इंजीनियरिंग के साथ छेड़-छाड़ न की जाए।
लेकिन यहां भी ढ़ाक के तीन पात, नया रेलवे बोर्ड पुनः डिपार्टमेंटल है। इसे 1986-87 वाले बोर्ड से सीधे कम्पेयर किया जा सकता है।
देखें: “डेढ़ साल बाद कंप्लीट हुआ बोर्ड, तीन मेंबर और तीन जीएम की हुई पोस्टिंग“
इसीलिए एक वरिष्ठ रेल अधिकारी ने कहा, “more you change, more it remains the same!”
वहीं प्रशासनिक शर्म का पर्दा भी उतर गया जब रेल भवन के #KMG ने अपने ही #IRMS के गजट को दरकिनार कर दिया, जैसे यूपीएससी वाले गजट को किया। चूंकि यूपीएससी से खेल चुपके से नहीं हो सकता था, इसलिए नया गजट निकला गया, लेकिन रेल अधिकारी तो खूंटे से बंधी गाय हैं। इनके कैरियर से छेड़-छाड़ बिना किसी नोटिफिकेशन से बेखौफ की जा सकती है – पूरी दबंगई से!
याद करें, लेवल-16 के एम्पैनलमेंट की प्रक्रिया भी विवादों से घिरी थी। #Railwhispers ने इस पर एक बहुत विस्तृत लेख प्रकाशित किया, जिसमें #IRMS गजट के वायलेशन बताए गए- “मंत्री जी, किसके सिर पर है #KMG द्वारा की गई इन ब्रह्म-हत्याओं का पाप!“
तो…
न नीचे से #IRMS बनाने की प्रक्रिया चल पाई, न ऊपर से इसे बुनने की!
मंत्री जी, क्यों न #KMG के सेवारत अधिकारी 56-J में सेवा से बर्खास्त किया जाएं, जिन्होंने इस व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया!
मंत्री जी, आप अटल जी को तो जानते हैं, जिनके साथ आप काम कर चुके हैं, उन्होंने कहा था, “छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता!”
देखें: “#KMG का आतंक! समय बताएगा कि कौन सच के साथ था!“
मंत्री जी, अगर छोटे मन वाले #KMG से छुटकारा नहीं मिलेगा, तो आपके मंत्रालय के नेतृत्व की रीढ़ टूट जाएगी!
और हां, सद्गुरू की ये बात भी याद रखें..
मंत्री जी, आप जब अपनी सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे होंगे तो गोरबोचेव की पेरेस्ट्रोइका और ग्लासनोस्ट सुना होगा। इस सुधारवादी और उदारवादी सोच ने उसी देश को तोड़ दिया जिसका सुधार उनकी मंशा थी। आज का #ट्रांसफॉर्मेशन कुछ ऐसा ही है। जिस तरह से नाना प्रकार का रोलिंग स्टॉक लाया जा रहा है, बची कोडल लाइफ के असेट्स कंडम हो रहे हैं, रेल आखिर कब तक इस अस्त-व्यस्त सोच का बोझ उठाकर चल पाएगी, यह चिंता का विषय रेलकर्मियों को ही नहीं, शीघ्र ही अर्थशास्त्रियों के लिए भी बन जाएगा।
पढ़ें: “यह घंटी की आवाज नहीं मंत्री जी, ये रेल से जुड़े रोटी, कपड़ा और मकान के मुद्दों का शंखनाद है!“
जैसे आज मढ़ौरा और मधेपुरा रेल के गले में बंधे पत्थर बन गए हैं, इसे भी देखें: “Take A Decision On Granting Sanction To Attach DMRC’s Assets For Payment Of Unpaid Dues To Reliance Infra: Delhi High Court Directs Centre“
बात है जवाबदेही की..
बिखरते रेल सिस्टम की चर्चा हमने यहां की थी:
“यह घंटी की आवाज नहीं मंत्री जी, ये रेल से जुड़े रोटी, कपड़ा और मकान के मुद्दों का शंखनाद है!“
उपरोक्त ट्वीट को देखिए..
जहां माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने ब्यूरोक्रेसी की जवाबदेही का आव्हान किया था। इस पर हमने चर्चा इस लेख में की थी: “घंटियां नहीं, रेल भवन में दशकों से बैठे गुरु-घंटाल हैं रेल सेफ्टी के दुश्मन!“
आपके #KMG जनित विचार, सिस्टम को ऐसे ही तोड़ रहे हैं – घूम-फिर कर व्यवस्था वहीं आ रही है जहां से आरंभ किया गया था, लेकिन और अधिक क्षीण होकर!
तीन पन्नों की सेफ्टी ड्राइव से न तो वैगन के ब्रेक ठीक होंगे और न ही मधेपुरा के इंजन, WAG12B की टेलीस्कोपिंग क्षमता खत्म नहीं होगी। रेल भवन में लाल फीते को बढ़ाने से और #AIDS को मजबूत करने से आप ही के द्वारा राजनैतिक नेतृत्व कमजोर हो रहा है, यह हम पहले ही आपको बता चुके हैं: यहां उद्धृत लेखों का एक बार पुनः अवलोकन करें-
“अश्विनी वैष्णव जी आप पहले रेलमंत्री नहीं हैं, जो ‘खान मार्केट गैंग’ से घिरे हैं!“
“क्या खराब रिजल्ट की कीमत केवल रेलमंत्री ही चुकाएंगे?“
“KMG_2.0: रोटेशन के बजाय रेलवे में दिया जा रहा भ्रष्टाचार और जोड़-तोड़ को संरक्षण“
“KMG_2.0: न्याय इनके हिस्से का – इनकी ‘आह’ के ‘ताप’ से कैसे बचेंगे मंत्री जी!“
मंत्री जी, हम तो केवल गुहार ही लगा सकते हैं, लेकिन हरिकेश जैसे जो आपके #KMG की बलि चढ़ गए, उनको न्याय दिला दीजिये, नहीं तो आपकी ट्रेन में बच्चियों के साथ जो शर्मनाक घट रहा है वह और बढ़ेगा, वहां आपकी #RPF, साहब लोगों की बेबी के जूते-चप्पल ही ढूंढ़ने में लगी रहेगी-
“रेलमंत्री से न्यूनतम अपेक्षा: नियम से चलाएं सिस्टम!“
“हरिकेश की मर्माहत मृत्यु – और क्या-क्या दिखाएगा ये खान मार्केट गैंग? पार्ट-1“
“हरिकेश की मर्माहत मृत्यु – और क्या-क्या दिखाएगा ये खान मार्केट गैंग? पार्ट-2“
“हरिकेश की मर्माहत मृत्यु – अभी और क्या-क्या दिखाएगा ये खान मार्केट गैंग? पार्ट-3“
“KMG_2.0: न्याय इनके हिस्से का – इनकी ‘आह’ के ‘ताप’ से कैसे बचेंगे मंत्री जी!“
मंत्री जी, 56-J की आपने जब बात की थी तो ये बोला गया था कि जो रेल के विकास में बाधक हैं उन्हें सिस्टम से बाहर कर दिया जाएगा। क्यों नहीं IRMS को बधिया करने वाले आपके सलाहकार समूह के काम की निष्पक्ष समीक्षा हो और यह पता किया जाए कि जिस काम के लिए ये नौकरी में भर्ती हुए थे, वह काम इन्होंने किया या नहीं?
यह जानकारी सार्वजनिक होनी आवश्यक है रेल भवन के नेतृत्व की रसातल में पड़ी विश्वसनीयता को उबारने के लिए। IRMS के दोनों आयामों को सेबोटाज करने वाले ये #AIDS और #KMG के रणबाँकुरे किसकी ऐसी छत्र-छाया में हैं कि बिना कुछ किए न केवल सबके भाग्य-विधाता बन गए हैं और अब अपने पसंद के स्थान पर DRM बनने की बात सोच रहे हैं। क्यों रेल को असुरक्षित बनाने वाले इन लोगों के 5 कंट्रीब्यूशन और 5 रेल सुधार के सुझाव पब्लिक डोमेन में न रखे जाएं?
आप जिस परिपाटी पर सुनी बातों – मल्टी सोर्स फीडबैक – जिसकी विश्वसनीयता उतनी ही पाई गई जितनी रेल भवन के #KMG की है – पर 56J लगाने की बात सार्वजनिक कर चुके हैं, क्यों इसे #KMG पर लागू न करके इनकी पदोन्नति की बात हो रही है?
रेल में आए दिन होने वाले हादसे, कैसे रेल भवन में बढ़ रहे लाल फीते से आप ठीक करेंगे, जनमानस जानना चाहेगा! ये रेल भवन में बैठकर पोजीशन मांगने के अलावा क्या करेंगे? क्या रेलवे बोर्ड के मेंबर्स ने कभी यह सोचा है? नीचे वैसे ही आपके #KMG के चलते पिछले तीन साल से इंजीनियरों की भर्ती बंद है।
लेकिन ये #KMG और #AIDS आपको ही सफलतापूर्वक घुमा रहे हैं!
रेल के पुराने चावल दशकों से जो बात करते हैं, वह बात तो सच होती दिखाई दे रही है कि रेलमंत्री को भी रेल की यह ब्यूरेक्रेसी एक बोर्ड सदस्य के समान या फिर उससे भी नीचे एक ईडी के स्तर पर ले आते हैं-बस समय की बात है!
“लोग #कीचड़ और #लीचड़ से बचकर इसलिए चलते हैं कि उनके कपड़े और मन खराब न हों!“
इतने उपलब्ध तथ्यों के बाद भी जिस दबंगई से #AIDS के अधिकारी कुर्सी सहित रेल भवन में पदस्थापित हो रहे हैं, आपकी ही सरकार के पहले रहे रेलमंत्री के निर्णयों को धता बताते हुए, तो लगता है, समर अभी शेष है.. क्रमशः जारी…
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी