#KMG का आतंक! समय बताएगा कि कौन सच के साथ था!

हम मानते हैं कि हर आतताई का कभी न कभी अंत होता है, और यह एक कटु सत्य भी है, जिसे आजतक कोई झुठला नहीं सका है!

हमारे द्वारा बताए तथ्यों की जांच न करना और कुकर्मियों तथा आतंकियों को आश्रय देना शीघ्र ही रेल भवन की बहुत बड़ी गलती साबित होने वाली है, इसमें संदेह नहीं!

#KMG ने हमें चुप कराने के लिए कई प्रलोभन दिए, चूंकि ये उच्च इमोशनल इंटेलिजेंस वाले हैं, तो हमें इमोशनली ब्लैकमेल किया गया, डराया गया, धमकाया गया, छोटे-बड़े नेता, अधिकारी, फर्में, कांट्रेक्टर आए। साथ ही कयास लगाए गए कि सूचनाएं कहां से आ रही हैं #Railwhispers और #RailSamachar के पास! अधिकारियों और कर्मचारियों के मोबाइल नंबर और उनके कॉल ट्रेस किए गए! हमें थोड़ा संकोच हुआ, लेकिन फिर भी हमने मंत्री जी को और उनके दफ्तर को चेताया कि हमारे सुझाव मात्र दो हैं-

1. हमारे द्वारा दी गई जानकारी की स्वतंत्र जांच करवा लें – सबसे बड़ा भ्रष्टाचार ट्रांसफर/पोस्टिंग में सदा से रहा है। रेल में #KMG के नेक्सस को हमने डायग्राम्स के जरिए बताया भी, जिनमें स्पष्ट रूप से दिखा कि वैधानिक प्रावधानों तक को ताक पर रख दिया गया।

2. रोटेशन करिए – आपके सेल में 50 साल से अधिक समय से रेल भवन और दिल्ली में रहने वाले ऐसे अधिकारी हैं जिनके पास बताने के लिए बतौर इंजीनियर शून्य बटे सन्नाटा ही है। और #Advisor साहब के कौशल का बखान करने वाली पुस्तक का हमने वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण किया, यह भी बताया कि कैसे आपके खोखले कौशल कि दसियों हजार करोड़ की कीमत लंबे समय तक ये देश चुकाएगा।

और तो और, अब हमें क्या उकसा रहे हैं, #RailSamachar से कहो कि क्या बदल दिया इसने? सब तो जैसे का तैसा है।” हमें आदत है यह सब सुनने की! मंत्री जी, आपके सेल और #KMG से कोई उम्मीद नहीं, क्योंकि भय और आतंक के ये पर्याय हैं। आपके रेल भवन में एक आईपीएस अधिकारी बैठते हैं, उन्हें हमारे किए खुलासों की जांच का जिम्मा सौंपिए। हमने आपको इतनी प्रामाणिक जानकारियां दी हैं जिससे माननीय प्रधानमंत्री जी के सपने पर आपका मंत्रालय खरा उतरता। मगर रेल का दुर्भाग्य कि ऐसा न हो सका!

मंत्री जी, इसे फिर से पढ़ें: “ट्रांसफार्मेशन के लिए क्रैडिबल लीडरशिप आवश्यक है, लेकिन क्षमा करें मंत्री जी! आपके सलाहकार समूह के पास कोई क्रैडिबिलिटी नहीं है!

खैर, अगर ये तीन-चार आतंक फैलाने वाले #KMG के सदस्य यह भूल गए हैं कि ये नया भारत है, और प्रधानमंत्री मोदी जी के राज में लोकतंत्र और अधिक प्रशस्त हुआ है, यहां काम करने वालों की पूछ और एम्पावरमेंट हुआ है, और हम मानते हैं कि रेल मंत्रालय में व्याप्त अराजकता सरकार की नहीं, #खान_मार्केटियों की देन है!

लेकिन जो चिंता करने की बात है, वह ये है-

रेलवे बोर्ड के कई वरिष्ठ और कनिष्ठ अधिकारी अब प्रताड़ित रेलकर्मियों/अधिकारियों को फोन कर धमका रहे हैं, और भ्रामक बातें कर रहे हैं, भ्रांति फैला रहे हैं कि #Railwhispers और #RailSamachar से रेलकर्मियों को बात करने पर प्रतिबंध है! क्या एक मजबूत लोकतंत्र में ऐसा संभव है?

व्यवस्था की दुष्टता से पीड़ित एक रेलकर्मी की पत्नी जब अपने पति के समकक्ष अपनी पड़ोसी रेल के एक सीएलआई की आत्महत्या से व्यथित होकर यह सोचकर कांप उठती है कि ऐसा तो उसका पति भी किसी दिन कर सकता है, तब वह ‘रेलसमाचार’ और ‘रेलव्हिस्पर्स’ से अपने पति के लिए न्याय पाने की गुहार लगाती है, वह भी तब जब रेल के हर दरवाजे को खटखटाने के बाद निराश हो जाती है! ऐसी महिला के पति को रेलवे बोर्ड के कार्मिक निदेशालय एवं सीआरबी सेल के वरिष्ठ अधिकारी फोन करके धमकाते हैं! क्या इनकी मानवीयता एकदम मर चुकी है? लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्या ये सर्वसामान्य आदमी (रेलकर्मियों) की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी छीन लेना चाहते हैं?

कृपया पुनः पढ़ें: “KMG का मारा CLI बेचारा: Mantri ji, pls order High-Level enquiry in the case of CLI/HQ/CR

और यह दुष्टतापूर्ण कार्य रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं! तो हमारा प्रश्न यह है कि इतनी बड़ी बात कहने के लिए किसने उन्हें कहा? इन अधिकारियों से #Railwhispers का ये सवाल है – क्या उन्होंने सोचा कि कैसे #KMG इतना विकराल हो गया? #KMG ने इतना विकराल रूप कैसे लिया? इसने यह इन डरे हुए अधिकारियों के कारण ही तो ऐसा विकराल रूप धारण किया है ना!

क्या इन अधिकारियों ने कभी यह सोचा है कि जो 203 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी आज हाशिए पर बैठा दिए गए हैं और अपने ऊपर 56-J की तलवार लटकती देख रहे हैं, क्या आज ये फोन करने वाले अधिकारी यह समझते हैं कि उनका नंबर नहीं आएगा? #Advisor साहब के करीबी रहे कई अधिकारी और कर्मचारी एक सुर में, बिना अपवाद के बताते हैं, कि “उनके लिए आप जब तक सीढ़ी के पायदान हैं, तभी तक आपकी कोई वैल्यू है!”

कृपया इसे भी पुनः पढ़ें: “ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको सुधीर कुमार ने ठगा नहीं!-प्रिया शर्मा

खैर, हम मानते हैं कि हर आतताई का कभी न कभी अंत होता है। और यह एक कटु सत्य भी है, जिसे आजतक कोई झुठला नहीं सका है। पिछले तीस सालों में हम आज से बड़े धुरंधर आतताईयों को रेल भवन से खाली हाथ जाते और फिर उन्हीं गलियारों में झोला लटकाए निपट अकेला टहलते और दलाली करते देख रहे हैं। हमारे द्वारा बताए तथ्यों की जांच न करना और कुकर्मियों/आतंकियों को आश्रय देना शीघ्र ही रेल भवन की बहुत बड़ी गलती साबित होने वाली है, इसमें संदेह नहीं!

बोर्ड के सदस्य कृपया इस पर अवश्य ध्यान दें-

अपने अधिकारियों को निरपवाद रोटेट करें, ग्रुप ‘बी’ से ग्रुप ‘ए’ प्रमोशन में इंटरजोनल ट्रांसफर्स को अब और देर तक नहीं रोका जा सकता। एक्सीडेंट और भ्रष्टाचार के नित नए-नए हो रहे कांड निश्चित रूप से आपकी कुर्सी तक ताप पहुंचाएंगे!

कृपया पुनः पढ़ें: “व्यर्थ कयास लगाना छोड़कर, ‘रोटेशन’ पर ध्यान केंद्रित किया जाए!

विजिलेंस की पोस्टिंग में फाइलों पर हेर-फेर को हमने उजागर किया। कैसे रेलवे बोर्ड में एक खास ग्रुप लगातार डटा है 50 वर्षों से अधिक अवधि से, यह भी नामजद बताया। सीआरबी साहब आप विजिलेंस के मारे रहे हैं, इसे अविलंब दुरुस्त करें! ऐसी पोस्टिंग के साथ छेड़छाड़ करने वाले सीधे आपके नीचे बैठे हैं, आपका ऐक्शन न लेना आपके ऊपर भी सवाल उठाएगा।

और मंत्री जी, आपको सादर नमन! अगर आपको इतना बताने के बाद भी बंदरों को अपना अंगरक्षक रखना है, तो आपको हमारी शुभकामनाएं!

बंदर के हाथ में उस्तरा!

मंत्री जी, अगर आप चाहें तो इस लिंक को देख सकते हैं, आपका तो पता नहीं, लेकिन ऐसा ही कुछ हमें इसमें दिख रहा है-

https://youtu.be/3bh0hgReejc

#KMG Continue…

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी