डेढ़ साल बाद कंप्लीट हुआ बोर्ड, तीन मेंबर और तीन जीएम की हुई पोस्टिंग

जब कैडर के हिसाब से ही बोर्ड मेंबर्स की पोस्टिंग करनी है तो #IRMS की व्यर्थ और विवादास्पद कवायद का औचित्य क्या रहा? पुराने सिस्टम में क्या खराबी थी? क्या इस व्यर्थ की कवायद और रेलवे के वर्षों पुराने, जांचे-परखे प्रशासनिक सिस्टम की तोड़फोड़ को ही रेल का रिफार्म और विकास माना जाए?

जैसा कि पहले से ही अपेक्षित था, एसीसी से मंगलवार, 24 जनवरी 2023 को सुश्री अंजलि गोयल, #IRAS 1985, जीएम/बीएलडब्ल्यू और सुश्री जया वर्मा सिन्हा, #IRTS 1986, एएम/ट्रैफिक/रे.बो. का बतौर मेंबर रेलवे बोर्ड और नरेश लालवानी, #IRSE 1985, बी. जी. माल्या, #IRSEE 1985, मनोज शर्मा, #IRSE 1985, का अप्रूवल मिलने के बाद रेलवे बोर्ड ने तीन मेंबर और तीन जीएम की पोस्टिंग के आर्डर जारी कर दिए।

इसके अलावा, बतौर मेंबर, आर. एन. सुनकर के नाम का अप्रूवल 17.12.2022 को एसीसी ने पहले दे दिया था।

रेलवे बोर्ड द्वारा मंगलवार, 24.01.203 को जारी आदेश के अनुसार उपरोक्त अधिकारियों की पोस्टिंग इस प्रकार है-

1. Shri R. N. Sunkar, MInfra
2. Ms. Anjali Goyal, MF
3. Smt. Jaya Verma Sinha, MOBD
4. Shri Naresh Lalwani, GM/CR
5. Shri B. G. Malya, GM/ICF
6. Shri Manoj Sharma, GM/ECoR

नवनियुक्त सभी अधिकारियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं! परंतु सुश्री जया वर्मा सिन्हा जैसे पैराशूटर, जिन्हें बतौर जीएम काम करने का कोई अनुभव नहीं है, जिन्होंने जीएम में काम करने का दबाव नहीं झेला, वह सिस्टम के लिए कितनी प्रभावी और उपयुक्त साबित होंगी, यह समय बताएगा!

इस पोस्टिंग आर्डर से यह तय हुआ कि सुश्री अंजलि गोयल जीएम/बीएलडब्ल्यू, जिनके साथ नरेश सलेचा को एक्सटेंशन दिए जाने से अन्याय हुआ था, और श्री बी. जी. माल्या एजीएम/दक्षिण रेलवे, के साथ न्याय हुआ।

उल्लेखनीय है कि श्री माल्या सबसे योग्य, सक्षम और कर्मठ अधिकारी हैं, रेल में उनके कई महत्वपूर्ण योगदान हैं, इसके बावजूद पहली लाट में किन्हीं कारणों से जीएम बनने से रह गए थे, अन्यथा आज वह नवीन गुलाटी, जिन्होंने पूरी सर्विस में शायद ही कभी किसी फाइल पर साइन किया हो, की जगह मेंबर ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक होते। अब अगर #KMG की मेहरबानी रही तो आठ महीने बाद – एक साल के भीतर – वह तीसरा प्रमोशन लेकर सीआरबी/सीईओ भी बन सकते हैं, अन्यथा तो 2025 तक एमटीआरएस रहेंगे ही!

तथापि, तीन जीएम, जीएम/मेट्रो रेलवे, कोलकाता (वैकेंट-01.03.2022), जीएम/एनएफआर/कंस्ट्र. (वैकेंट-13.07.2022) और जीएम/बीएलडब्ल्यू (वैकेंट-25.01.2023), खाली रह गए, इसके अलावा मात्र 20 दिन जीएम रहकर बी. एम. अग्रवाल के डीजी/सेफ्टी बनकर रेलवे बोर्ड चले जाने से जीएम/एमसीएफ, रायबरेली की भी पोस्ट खाली है। और अब यह चारों पोस्टें अगले जीएम पैनल के बाद ही भरी जा पाएंगी। जबकि जो 20-25 नाम अभी हाल ही में क्लीयर हुए थे, उनमें से उपरोक्त तीन को छोड़कर लगता है कि बाकी ‘एलिजिबल’ नहीं हुए।

बहरहाल, लगभग डेढ़ साल बाद अब बोर्ड कंप्लीट हुआ है। और ऐसा भी कहा जा रहा है कि खान मार्केट गैंग (केएमजी) की इस बार बहुत अधिक नहीं चली, क्योंकि केएमजी की अगर चली होती, तो सुश्री गोयल कभी एमएफ नहीं बन पातीं, अगर पीएमओ ने मोहित सिन्हा का नाम एमएफ से काटकर डीजी/एचआर में नहीं किया होता, तो #केएमजी ने तो उन्हें एमएफ बनवा ही दिया था।

कहा यह भी जा रहा है कि अब शायद बोर्ड में केएमजी की हेकड़ी बहुत अधिक नहीं चल पाएगी, क्योंकि दो मेंबर को छोड़कर तीन मेंबर – सीआरबी, मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर और मेंबर फाइनेंस – अब बोर्ड में ऐसे आ गए हैं जिन्होंने ग्राउंड लेवल पर काम किया है और उन्हें रेलवे की फील्ड वर्किंग का पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव भी प्राप्त है, अतः उनके सामने चीजों को मेनीपुलेट करने का आसान अवसर केएमजी को अब उतना नहीं मिल पाएगा, जितना अधकचरे और गैर अनुभवी लुक ऑफ्टर मेंबर्स के रहते पहले मिला करता था।

परंतु अधिकांश अधिकारियों का पुनः प्रश्न यही है कि जब कैडर के हिसाब से ही बोर्ड मेंबर्स की पोस्टिंग करनी है तो आईआरएमएस की व्यर्थ और विवादास्पद कवायद का औचित्य क्या रहा? पुराने सिस्टम में क्या खराबी थी? क्या इस व्यर्थ की कवायद और रेलवे के वर्षों पुराने, जांचे-परखे प्रशासनिक सिस्टम की तोड़फोड़ को ही रेल का रिफार्म और विकास माना जाए?

एक वरिष्ठ रेल अधिकारी कहते हैं, “किसी की बात नहीं सुनने की पूर्व मंत्री की अहंमन्यता और अपने एडवाइजर के प्रति वर्तमान मंत्री जी की अंधभक्ति तथा एक पैराशूटर सीआरबी की अनुभवहीनता का दुष्परिणाम है – #IRMS, यह वह गलती है, जो हो तो गई है, परंतु अब स्वीकार करने में अपमान महसूस हो रहा है, क्योंकि आखिर यह भी तो #KMG के ही दिमाग की उपज है!” अधिकांश रेल अधिकारियों का भी यही मत है।

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी