हरिकेश की मर्माहत मृत्यु – और क्या-क्या दिखाएगा ये खान मार्केट गैंग? पार्ट-2
मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री, सुरेश प्रभु का राजनैतिक कैरियर खत्म हो गया, लेकिन उनकी जगह आए पीयूष गोयल ने, और उनके बाद आए अश्विनी वैष्णव ने इस एक्सीडेंट के जिम्मेदार दो प्रमुख अधिकारियों को महाप्रबंधक बना दिया, जबकि #Khatauli की अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण लापरवाही की यह घटना रेल के एक सड़े हुए सिस्टम को चीख-चीखकर इंगित कर रही थी!
रेल की कार्य संस्कृति: हरिकेश की मर्माहत मृत्यु – और क्या-क्या दिखाएगा ये खान मार्केट गैंग? पार्ट-1 में आदरणीय मंत्रीजी से जानना यह था कि क्या उन्हें ये ब्रीफ किया गया कि कैसे पिछले कुछ हफ़्ते, कैसे क़िस्मत से सैकड़ों जानें बच गईं – मेल एक्सप्रेस के पीछे चलने वाली मालगाड़ी के ब्रेक फेल होने के संदर्भ में, “मंत्री जी! रेल में अगर थोड़ी सी नैतिकता और शुचिता बचाए रखनी है, तो कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें!“
माल गाड़ी के प्लेटफार्म पर चढ़कर लोगों के मारने के संबंध में, “Kalyug – Now Train Climbs Platform and Kills!“
FOB से लोगों के ट्रैक पर गिरने में, “Failure of FOB in Ballarshah-Indian Railway’s Morbi!“
हमने ये भी कहा था कि शायद नहीं, अन्यथा आपकी कार्यवाही की गूंज सुनाई अवश्य देती।
रेल भवन की कार्य संस्कृति-इकोचैम्बर्स का निर्माण, ये सेलेक्टिव ब्रीफिंग, वही इको-चैम्बर्स में बताया जाना जो ‘कंट्रोलर ऑफ़ इन्फर्मेशन’ चाहते हैं, ही कारण रहा कि क़ीमत मंत्रियों ने ही चुकाई, “क्या खराब रिजल्ट की कीमत केवल रेलमंत्री ही चुकाएंगे?“
चूंकि ये इको चैम्बर हैं जहां आने वाली इन्फर्मेशन को टाइटली नियंत्रित किया जाता, वही जानकारी हर चेक पर सुनाई देती है।
अब प्रश्न ये उठता है कि इको चैम्बर कैसे बनाया जाता है?
इसके लिए यह आवश्यक है कि आप जानें कि सबल और समर्थ कौन है रेल व्यवस्था में। इसका हमने पार्ट-1 में वर्णन किया गया है, “हरिकेश की मर्माहत मृत्यु – और क्या-क्या दिखाएगा ये खान मार्केट गैंग? पार्ट-1“
चूंकि रेल की ये माफिया जैसी व्यवस्था राजनैतिक नेतृत्व नहीं समझ पाया, इसके लिए आवश्यक है कि माफिया के सफल होने का कारण पहले समझा जाए। यहां मंत्रीजी को समझना पड़ेगा कि ऑमर्टा कोड क्या है! Omertà – Wikipedia
https://en.wikipedia.org/wiki/Omert%C3%A0)
https://www.britannica.com/topic/omerta-Mafia-code-of-honor
ये कोड है पर्सनल लॉयल्टी का – आप किस के आदमी हैं!
ये कोड यह मानता है कि मंत्री आते और जाते हैं, लेकिन आपके सबल और सक्षम सीनियर अधिकारी हमेशा वहीं रहेंगे। इसीलिए कोई भी इंक्वायरी या जांच भले ही निष्पक्ष हो, उस पर हमेशा सवाल रहता है। इसीलिए ब्रेक फेल या ऐसी इंक्वायरी जहां कोई बड़ी फर्म का नाम आए, वहां पूरी व्यवस्था अपने वरिष्ठ सबल अधिकारियों के इशारे पर अपने नोट को बदल देते हैं। और जहां नोटिंग नीचे से ऐसे बनकर आए कि कोई कोर्ट कचहरी या मंत्री कुछ नहीं कर सकता। यहां तक कि साइंटिफिक एविडेंस भी ऐसे ही बदल दिया जाता है।
जो इस कोड को फॉलो करते हैं, वे ऐसी पोस्टों पर रहते हैं जहां विदेश जाने के मौके बहुत मिलते हैं, पोस्टिंग मनमर्जी की मिलती है – या फिर यूं कहें कि ‘show me the face and I show you the rule’ ऐसे ही फॉलोवर्स के लिए है!
सबल और समर्थ गैंग लीडर कौन है? ये रेल भवन व्यवस्था में अमूमन वह हैं जो एक साथ बहुत मजबूत पोर्टफोलियो पर बैठते हैं – जैसे मेंबर और सीआरबी एक साथ (के.सी.जेना), एएम/ट्रैफिक और सेक्रेटरी/रेलवे बोर्ड (एस.के.मिश्रा), पीईडी/इंफ्रा और सेक्रेटरी/रेलवे बोर्ड (आर.एन.सिंह)। जो इनके ऊपर होते हैं वे अपने लिए पोस्ट और डायरेक्टोरेट ही बना लेते हैं (एएम/ट्रांसफार्मेशन) और ट्रांसफॉर्मेशन डायरेक्टोरेट – ये हैं रेल भवन के #TenderMan, जिन्होंने ‘ट्रांसफार्मेशन डायरेक्टोरेट” के माध्यम से पूरे रेलवे बोर्ड को बाईपास कर दिया था!
अब देखें, कि कैसे मोदी सरकार में ये #KMG का इकोसिस्टम मंत्रियों की बलि देता गया।
हमने, “अश्विनी वैष्णव जी, आप पहले रेलमंत्री नहीं हैं, जो ‘खान मार्केट गैंग’ से घिरे हैं!“ में एक चार्ट द्वारा इस इकोसिस्टम को चित्रित किया था।
सुधी पाठकों ने हमारे चार्ट में कुछ सुधार के सुझाव दिए थे, उन्हें डालकर इसे दुबारा बनाया गया है – देखें –
इसमें देखें कि कैसे रेलवे के इकोसिस्टम को बनाया गया जहां पर्सनल लॉयल्टी को प्रोफेशनल कॉम्पिटेंस के ऊपर स्थान दिया गया। नहीं तो कोर #KMG के चार सदस्यों ने ही 50 साल से ज्यादा रेल भवन में बिता दिए! यह डायग्राम ये बताता है कि मंत्री और सीआरबी क्या देखेंगे और क्या सुनेंगे, यह पूरी तरह से इकोसिस्टम नियंत्रित करता है। सबल और समर्थ यह बखूबी जानते हैं कि नेतृत्व को कब-क्या चाहिए – उस जानकारी को सोर्स से रिपोर्टिंग इनके हाथ में होती है।
रेल भवन के पुराने चावल मॉडस ऑपरेंडी समझाने के लिए आपको पंचतंत्र की एक कहानी सुनाते हैं:
कहानी कुछ ऐसी है: एक मित्र शर्मा नामक ब्राह्मण को एक गांव में एक बकरी दान में मिलती है। रास्ते में तीन चोर इसे देखते हैं और जुगत लगाते हैं कि कैसे यह बकरी उस ब्राह्मण से छीन ली जाए। वे एक योजना बनाते हैं और एक-एक करके, अलग अलग, ये तीनों चोर रास्ते में मित्र शर्मा को मिलते हैं। पहला आदर पूर्वक कहता है, ओ ब्राह्मण, आप एक कुत्ता क्यों अपने कंधे पर लेकर जा रहे हैं?
थोड़ी देर बाद दूसरा चोर मिलता है, और कहता है कि ओ ब्राह्मण, आप मरी बछिया क्यों ले जा रहे हैं, और उसके थोड़ी देर बाद तीसरा चोर मिलता है और कहता है – अरे ब्राह्मण देवता, आप अपने कंधे से गधे को उतार दीजिए, नहीं तो लोग हँसेंगे – मित्र शर्मा को विशास हो जाता है कि उसे दान में बकरी नहीं कुछ मायावी चीज मिली है – और डर के मारे उसे फेंक देता है – जो ये तीन चोर चाह रहे थे।
रेल भवन में भी कुछ ऐसा ही होता है। बॉस के पास अलग अलग लोग जाते हैं अलग अलग विषय लेकर और ऐसा दिखाते हैं कि एक साथ कमरे होना मात्र संयोग है। और फिर मुख्य बात का समर्थन ऐसे देते हैं जैसे उसके अलावा और कोई महत्वपूर्ण विषय है ही नहीं, और कहते हैं, “सर, यदि ये कर देते तो ये जो मैं विषय लेकर आया हूं, वह भी इसी समस्या के कारण है।”
पंचतंत्र की ये कहानी बताती है कि कैसे रास्ते में आपको यदि अपने पर विश्वास नहीं हो, तो ऐसे चोर मिलेंगे जो आपको गुमराह कर आपसे वह करवा लेंगे जो आप स्वयं अपने विवेक से नहीं करते।
आपको याद दिला दें: पूर्व मध्य रेलवे में एक मेल-एक्सप्रेस ट्रेन के पीछे चल रही एक लोडेड मालगाड़ी का ब्रेक फेल होता है। और मंत्रीजी और सीआरबी साहब जानते हैं कि क्या बच गया इस ‘इंडिकेटिव एक्सीडेंट’ में? 20 अगस्त 1995 की रात 300 से ज्यादा मारे गए थे जब एक फॉलो ऑन कोलिजन हुआ था दो ट्रेनों में। यहां मालगाड़ी लोडेड थी और बढ़ती स्पीड पर गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया था।
ऐसा ही एक्सीडेंट गैसल में गुआ था 2 अगस्त 1999 को! इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी कि ये आतंकवादी घटना है या रेल की गलती। कोर्ट में सीबीआई के वकील, पार्थ तपस्वी ने कहा कि सीबीआई ने यह पाया कि ये दुर्घटना मोमेंटरी फेल्योर (momentary failure) नहीं था। नीचे दिए गए ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की तत्कालीन खबर का लिंक देखें-
लेकिन हमने #Khatauli में ये पाया कि मोदी सरकार के वरिष्ठतम मंत्री, सुरेश प्रभु का राजनैतिक कैरियर खत्म हो गया, लेकिन सुरेश प्रभु की जगह आए पीयूष गोयल ने, और उनके बाद आए अश्विनी वैष्णव ने इस एक्सीडेंट के जिम्मेदार दो प्रमुख अधिकारियों को महाप्रबंधक बना दिया। जबकि #Khatauli की अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण लापरवाही की यह घटना रेल के एक सड़े हुए सिस्टम को चीख-चीखकर इंगित कर रही थी!
चूंकि ये अधिकारी ‘ऑल इंडिया दिल्ली सर्विस’ (#AIDS) के रहे, इनके पास वे सब तरीके थे कि इन्हें क्लीन चिट मिल जाए। दुर्भाग्य तो यह है कि भले ही आपको दिख कुछ रहा है, या दिखाया कुछ जा रहा है, मगर आपको फाइल सीधी नोटिंग के साथ मिलती है। यह शक्ति है #KMG के इकोसिस्टम की। दोनों मंत्री मित्र शर्मा बन गये!
पार्ट-3 में हम इस विषय को और गहराई से देखेंगे!
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी
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