अधूरा न्याय: क्या स्वतंत्र निर्णय लेने में असमर्थ हैं #MTRS?
बनारस रेल इंजन कारखाना (#बरेका) से सवा दो साल में #KMG द्वारा बाहर फेंकवाए गए रणविजय को आखिर न्याय मिला। लेकिन जूनियर स्केल से, पंद्रह साल बरेका में रहे अधिकारी की वहीं पदोन्नति के गलत आदेश को निरस्त नहीं किया गया। सेफ्टी में कार्यरत फील्ड अफ़सरों को बोर्ड के प्रोटेक्टिव दिशा निर्देशों के बावजूद पहले अन्यत्र फिर इंटर रेलवे ट्रांसफर कर दिया जाता है और किसी के चेहरे पर न तो शिकन आती है, और न ही कोई सुनवाई होती है। यह कैसा रेल सिस्टम चलाया जा रहा है!
क्रोनोलॉजी देखिए:
श्रीमान #KMSingh, जिनके नाम पर नामी बदमाश खुले में धमका रहा है, एक बार फिर से पढ़ें–
“#KMG की दादागीरी के सामने प्रॉपर बोर्ड भी धराशाई!”
यह जुगाड़ू बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (#BLW) में पहले भी रह चुके हैं – जूनियर स्केल से सेलेक्शन ग्रेड तक (1 सितंबर 2005 से 7 सितंबर 2015 तक – लगातार 10 साल), ये जाते हैं बनारस से मात्र 100 किमी दूर प्रयागराज। वहां से यह फिर बरेका में अवतरित होते हैं-2 मार्च 2019 को, और तब से, अर्थात् चार साल से अधिक, #BLW में ही हैं, और 17 मार्च 2023 को यहीं रेगुलर #SAG में प्रमोट हो जाते हैं।
हमारे गोरखपुर ब्यूरो को ये भी पता चला कि पहले और दूसरे कार्यकाल में यह डिप्टी सीईई/अनुरक्षण ही रहे हैं – जिसका मुख्य काम कॉलोनी मेंटेनेंस करना अर्थात झाड़ू-पोछा लगाना रहा है। इससे कुछ कमाई तो होती ही रही, मगर इसके साथ ही स्थानीय माफियाओं के संपर्क में रहकर उन्हें प्रोटेक्शन देना और लेना दोनों संभव होता रहा!
श्री रणविजय को #BLW में 11 जनवरी 2021 में पोस्ट किया गया था और इनका ट्रांसफर 28 फरवरी 2023 को #BLW से बाहर हो जाता है, इनके द्वारा फिलहाल अनिच्छा व्यक्त करने के बावजूद!
हालांकि शरीफ तो कोई नहीं है – कुछेक अपवादों को छोड़कर – सब अपनी–अपनी सुविधानुसार सुविधाजनक पदों अथवा कमाऊ पोस्टों पर ही लंबे समय तक बने रहना चाहते हैं – और अगर इनका वश चले तो शायद पूरी सर्विस एक ही जगह रहकर/बैठकर कर लें – यह देखना प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि किसी के साथ भेदभाव न हो।
लेकिन साधुवाद #MTRS, #CRB और #MR को जिन्होंने हमारे 18 और 20 मार्च को प्रकाशित आलेखों को पढ़ने और तथ्यों को जानने के बाद श्री रणविजय का ट्रांसफर आदेश 21 मार्च को कैंसिल कर दिया।
सेफ्टी के नाम पर बह रही उल्टी गंगा
पिछला साल रेल सेफ्टी के लिए अच्छा नहीं था। गाड़ियां प्लेटफार्म पर चढ़ रही थीं, फुट ओवरब्रिज (#FOB) से लोग गिरे, प्लेटफार्म शेल्टर में लोग इलेक्ट्रोक्यूट हुए, यात्रा करते कोच के भीतर बैठे यात्री के गले में सब्बल घुस गया, दुर्गंध के कारण लोगों को उल्टियां हुईं, सफोकेशन के कारण लोग मूर्छित और मृत हुए!
लेकिन वाह री #KMG, रेल भवन में सेफ्टी के नाम कई SAG की पोस्ट बड़ौदा हाउस से रेल भवन लाई गईं। पहले तो रेल की प्रायोरिटी कुछ ऐसी थीं कि डिजास्टर मैनेजमेंट रूम को तोड़ दिया गया, डीजी/सेफ्टी की पोस्ट ख़ाली रही, और अब सेफ्टी के नाम पूर्व मंत्री और सीआरबी के निर्णयों के विरुद्ध रेल भवन में बाहर से SAG एलिमेंट लाए जा रहे हैं।
वहीं, रेल सेफ्टी सुधारने के लिए पूर्व सीआरबी श्री विनय कुमार त्रिपाठी ने एक बहुत महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया था, कि टेन्योर खत्म होने के बाद, उनका उत्पीड़न (#victimisation) न हो, उनको प्रोटेक्शन मिले। इसलिए यह पत्र 29.12.2022 को इशू हुआ–
अब मजे की बात ये है कि, 15 साल एक जगह पोस्ट रहने के बाद भी #KMG के पोषित अधिकारी वहीं प्रमोशन पाते हैं, और फील्ड सेफ्टी में पोस्टेड अधिकारी ए. के. आर्य को मात्र 2-3 महीने में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (#NFR) में फेंक दिया जाता है। हमने ये भी देखा कि कैसे बरेका में सवा दो साल से कम समय में, 15 साल से पोस्टेड अधिकारी के लिए स्थान बनाने हेतु बाहर ट्रांसफर कर दिया गया।
18 मार्च: “#KMG की दादागीरी के सामने प्रॉपर बोर्ड भी धराशाई!”
वहीं एक और उल्टी गंगा बहती और दिख रही है – उन लोगों को NFR भेजा जा रहा है जो हमेशा रोटेट हुए हैं। ऐसे अधिकारियों का दर्द समझा जाए। संरक्षा संगठन के अधिकारियों के आदेश बदलकर अथवा तत्संबंधी रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर NFR भेजने का क्या औचित्य है? जबकि 29.12.22 को तत्कालीन सीआरबी के अनुमोदन से आदेश हुआ था कि सेफ्टी ऑर्गनाइज़ेशन के अधिकारियों को उत्पीड़न से बचाया जाएगा।
“#KMG_2_1: #KMG के सामने असहाय रेलवे बोर्ड!”
“#KMG_2_1: #KMG के सामने असहाय रेलवे बोर्ड: भाग-2”
“#KMG की दादागीरी के सामने प्रॉपर बोर्ड भी धराशाई!”
क्या सेफ्टी में फील्ड अधिकारी उत्पीड़ित (#victmise) होंगे? और रेल भवन में #नाकारा जैसे लोग, सीआरबी के आदेशों को धता बताकर कुर्सी सहित रेल भवन में पदस्थापित होकर भविष्य में इन प्रोटेक्शंस का लाभ उठाएंगे?
क्या #MTRS स्वतंत्र निर्णय लेने में असमर्थ हैं? #CRB साहब ये अराजकता के पीड़ित आपको भी टेर रहे हैं!
बड़े स्तर पर चल रही दादागीरी
बरेका में खुलेआम दी गई धमकी के वेरिफिकेशन में यह भी पता चला कि जिस अधिकारी के नाम धमकी दी गई उसके पीछे #KMG के मूढ़धन्य सदस्य श्री नवीन कुमार और चिर-परिचित महान षड्यंत्रकारी आर. के. राय महाशय हैं। कई सवाल उठे, जैसे-
- महान आर. के. राय ने बरेका को रिटायरमेंट के लिए चुना?
- राय-राजनीति ने अपराधिक तत्वों को क्यों समर्थन दिया-जिसके चलते बरेका में खुलेआम धमकी दी जा रही है?
अब यह आवश्यक हो गया है कि, प्रधानमंत्री कार्यालय (#PMO) से आए उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री श्री अरविंद कुमार शर्मा संज्ञान लें, उनका नाम और फोटो का उपयोग कर ऐसे अपराधिक तत्व वाराणसी में लोगों को भयाक्रांत कर रहे हैं। आपके खुलेपन का कैसा दुरुपयोग हो रहा है वह वाराणसी में माफिया सरीखे कदाचारी अधिकारी और कर्मचारी प्रयोग कर रहे हैं, यह हाल में हुए रोटेशन के विरुद्ध बरेका में ट्रांसफर/पोस्टिंग से स्पष्ट हो रहा है।
रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) के #KMG ग्रसित बोर्ड सदस्यों को नाम के साथ तारीखें भी बतानी पड़ेंगी कि कम से कम प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र को तो बख्श दें, या फिर जब तक बाबा का बुलडोजर रेल मंत्रालय के दबंगों पर भी नहीं चलेगा, उन्हें चैन नहीं मिलेगा!
अरविंद कुमार शर्मा पॉवर मिनिस्टर हैं योगी कैबिनेट में, और मोदीजी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे हैं गुजरात से। इनका नाम लेकर श्री राय इत्यादि ने बहुत भौकाल खड़ा किया है। श्री शर्मा को पता भी नहीं कि वाराणसी का एक माफिया तंत्र उनके नाम और फोटो का इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर अपना भौकाल खड़ा करने के लिए कर रहा है।
यह सर्वज्ञात है कि श्री राय ने अपने निजी स्वार्थ के चलते खुलेआम बरेका के माफिया तंत्र को समर्थन दिया। सारे नंबरी अधिकारी और कर्मचारी इनके चेले रहे और प्रोटेक्शन पाया। #KMSingh प्रकरण में मेंबर ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टाक (#MTRS) पर इन्होंने ही बैचमेट होने के कारण दबाव बनाया। MTRS चाहते तो बरेका की पूर्व महाप्रबंधक, जो उनके समकक्ष बोर्ड की सदस्य हैं, से बात कर सकते थे। क्मंत्री जी की किरकिरी करवाने में ऐसे स्थान पर वह माफिया तंत्र को बढ़ावा क्यों दे रहे हैं जहां पीएमओ की पैनी नजर रहती है?
इस माफिया के चलते बरेका का सर्वसामान्य रेलकर्मी बहुत डरा हुआ रहता है। चूँकि इन लोगों को कोई ट्रांसफर नहीं कर पाता तो ये लोग आज महाप्रबंधक से तो बड़े हो ही गए हैं। बरेका में कोई ऐसा रेलकर्मी नहीं बचा जो इस माफिया से त्रस्त न हो। चाहे वेंडर हों, चाहे आम रेल कर्मी के प्रमोशन, ट्रांसफर की बात हो, इस माफिया के आशीर्वाद के बिना कुछ नहीं हो सकता। अगर #KMSingh के नाम धमकी नहीं दी गई होती, तो हमें भी प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में इस #KGF सरीखी माफियागीरी के बारे में पता नहीं चलता!
#Railwhispers का सुझाव
#MTRS साहब यह स्मरण रहे कि, सिस्टम कोई बात भूलता नहीं है! आपके निर्णयों की पारदर्शिता, आपका सिस्टम के प्रति कमिटमेंट दोस्ती निभाने से नहीं परखा जाएगा। उन्हें समर्थन दें जो रेल के लिए समर्पित हैं, न कि उन्हें जो #KMG जनित तंत्र के भागीदार हैं। ऐसे निर्णयों की जो शृंखला बन रही है वह आपको आने वाले महीनों में आपके स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर करेगी।
References:
“Unless top shows spine to rotate officers, nothing would change!”
“रेलमंत्री जी! रेलकर्मियों/अधिकारियों को लगता है कि ‘खान मार्केट गैंग’ आपको भ्रमित करता है!”
“क्या खराब रिजल्ट की कीमत केवल रेलमंत्री ही चुकाएंगे?”
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए!”
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए! भाग-2”
“रेल में व्याप्त भ्रष्टाचार: विजिलेंस प्रकोष्ठ की जवाबदेही?”
“रेल में व्याप्त भ्रष्टाचार: विजिलेंस प्रकोष्ठ की जवाबदेही? भाग-2”
“#KMG_2.0: रोटेशन के बजाय रेलवे में दिया जा रहा भ्रष्टाचार और जोड़-तोड़ को संरक्षण”
“रेलमंत्री से न्यूनतम अपेक्षा: नियम से सिस्टम चलाएं!”
“#KMG_2.0: न्याय इनके हिस्से का – इनकी ‘आह’ के ‘ताप’ से कैसे बचेंगे मंत्री जी!”
क्रमशः जारी…
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी