शैतानी और अपराधिक भूल के सुधार के लिए साधुवाद!

हमने पिछले कुछ लेखों में तारीख वार बताया कि कैसे रेल भवन में जमा #KMG अधिकारियों की ट्रांसफर/पोस्टिंग में माफिया स्तर पर काम कर रहा है। इस प्रक्रिया में बोर्ड मेंबर, सीआरबी और मंत्री मूकदर्शक मात्र हैं – क्योंकि उनसे जानकारी सफलतापूर्वक छिपाई जाती है।

16 मार्च को हमें बरेका में एक खुले शॉप फ्लोर पर, 15 मार्च को एक दबंग द्वारा खुलेआम धमकी देने का मामला मिला था। यह मामला चूंकि माननीय प्रधानमंत्री मोदीजी के संसदीय क्षेत्र से संबद्ध था, इसलिए #Prayagraj और #Gorakhpur ब्यूरो को हमने तथ्य पता करने के लिए कहा।

पता चला कि जिस अधिकारी के नाम की धमकी 15 मार्च को दी गई, वह जूनियर स्केल से ही #BLW में है, और उसके #SAG में प्रमोशन के लिए स्थान बनाने हेतु, मात्र दो साल अड़तालीस दिन पोस्टेड रहे इसके ही सीनियर को बाहर फेंक दिया गया।

धमकी के मात्र 48 घंटों में इनका #SAG में ऑर्डर #BLW के लिए ही निकल गया। मतलब यह कि एक 15 साल के बाद स्टेशन कंटीन्युइटी पाता है और दूसरा सवा दो साल भी एक स्थान पर नहीं रह पाता। एक बार पुनः पढ़ें-

18 मार्च: “#KMG की दादागीरी के सामने प्रॉपर बोर्ड भी धराशाई!

20 मार्च: “कैसे #KMG अपने गिरोह को पोसता है और गॉडफादरलेस अधिकारियों का खुला शोषण करता है, #KMG के भौकाल के आगे रेल भवन के संतरी-मंत्री सब फेल!

क्रोनोलॉजी देखें:

#KMSingh, जिनके नाम पर नामी बदमाश खुले में धमका रहा है, #KMG की दादागीरी के सामने प्रॉपर बोर्ड भी धराशाई!“, वह बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (#BLW) में पहले भी रह चुके हैं – जूनियर स्केल से सेलेक्शन ग्रेड तक (1 सितंबर 2005 से 7 सितंबर 2015 तक – लगातार 10 साल), ये जाते हैं बनारस से मात्र 100 किलोमीटर दूर प्रयागराज। वहां से यह फिर बरेका में अवतरित होते हैं – 2 मार्च 2019 को, और तब से, अर्थात् चार साल से अधिक, #BLW में ही हैं, और 17 मार्च को यहीं रेगुलर SAG में प्रमोट हो जाते हैं।

हमारे गोरखपुर ब्यूरो को यह भी पता चला कि पहले और दूसरे कार्यकाल में यह डिप्टी सीईई/अनुरक्षण ही रहे हैं – जिसका काम कॉलोनी मेंटेनेंस करना अर्थात झाड़ू-पोछा लगाना रहा है।

रणविजय को #BLW में 11 जनवरी 2021 में पोस्ट किया गया था और इनका ट्रांसफर 28 फरवरी 2023 को हो जाता है, इनके द्वारा फिलहाल अनिच्छा व्यक्त करने के बावजूद!

लेकिन साधुवाद #MTRS, #CRB और #MR को जिन्होंने हमारे 18 और 20 मार्च के लेखों को पढ़ने के बाद तथ्यों से अवगत हुए और तथ्यों को जानने के बाद रणविजय के आदेश कैंसिल कर दिए गए।

रेलवे बोर्ड द्वारा रद्द किया गया रणविजय का ट्रांसफर आर्डर

हालांकि ये अधूरी भूल सुधार है, यह पूरा न्याय नहीं हुआ है, क्योंकि 17 मार्च की तारीख को निकले #KMSingh के आदेश यथावत हैं, जबकि उनको 14 साल से अधिक #BLW में ही हो चुका है और उनके नाम से शॉप फ्लोर पर खुलेआम धमकी तक दी जा रही है।

निम्न लेख में #Railwhispers ने ऐसे कई और आदेशों का उल्लेख किया है: कैसे #KMG अपने गिरोह को पोसता है और गॉडफादरलेस अधिकारियों का खुला शोषण करता है, #KMG के भौकाल के आगे रेल भवन के संतरी-मंत्री सब फेल!

हमें तो इस बात का अचंभा था कि कैसे #KMG की ताकत इतनी बढ़ गई कि अब ये प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में अराजक तत्वों को खुलेआम समर्थन दे रहे हैं? जैसी मोदीजी की कार्यशैली है, वाराणसी वासियों को ये पता है कि उनके शहर की हर छोटी-बड़ी बात मोदी जी को रोज बताई जाती है। ऐसे में #Railwhispers इस बात पर हैरान है कि कैसे #KMG के सदस्य ऐसी सीनाजोरी कर सकते हैं।

बनारस रेल इंजन कारखाना (#बरेका)

बरेका दुनिया के अग्रणी रेल इंजन बनाने वाली इकाई है। शॉप फ्लोर पर खुलेआम धमकी देने की बात की जाँच में ये भी पता चला कि बरेका का अपना माफिया है जिसके चलते पिछले कुछ वर्ष पहले एक मर्डर भी हुआ था। स्थिति ऐसी बनी कि तत्कालीन महाप्रबंधक को स्थानीय पुलिस की सुरक्षा लेनी पड़ी थी।

इस माफिया के अग्रणी बरेका के कई ऐसे अधिकारी हैं जिनके 10-20-30 वर्ष यहीं हो चुके हैं। चूंकि बरेका साल में हजारों करोड़ का क्रय करता है, यहां रोटेशन के अभाव में ये माफिया सरीखे ऑफिसर बहुत पावरफुल हो गए हैं। हम जांच करवा रहे हैं कि यहां ऐसे कौन से तत्व हैं जो रोटेशन की पालिसी को धता बता चुके हैं।

पता चला है कि #KMSingh जैसे अन्य कई मामले यहां हुए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि अगर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के बारे में यह संवेदनशीलता है, तो अन्यत्र क्या हो रहा होगा?

हमें धन्यवाद बरेका के उन रेलकर्मियों को देना है जिन्होंने एक शॉप फ्लोर पर दबंगई की सूचना देकर एक बहुत बड़े अपराधिक तंत्र को उजागर किया। हम इस कहानी की तह तक जाएंगे-थोड़ा धैर्य रखें, सूचनाएं हमें रोज मिल रही हैं और अपने सीमित संसाधनों से इनका वेरिफिकेशन हो रहा है।

रेल भवन का #KMG – नए आयाम

साथ ही हम रेल भवन के उस छुपे हुए तंत्र को भी समझने में सफल हुए हैं जो हमारी नजर से परे था। पूर्व रेलमंत्री पीयूष गोयल के एमआर सेल में भुवन सोरेन की गतिविधियों को #Railwhispers और #RailSamachar ने ही उजागर किया था। उनके तंत्र के एक महत्वपूर्ण भाग को #Advisor साहब से विवाद के चलते पहले ही निकाल दिया गया था। बाकी के बारे में विस्तार से शीघ्र ही अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों को हम अपने सुधी पाठकों के सामने लाने का प्रयास करेंगे। क्रमशः जारी…

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी