रेल की बदहाली-हंसे या रोयें? मोदी जी, रोटेशन कराएं, रेल को बदहाली से बचाएं!
प्रधानमंत्री जी, आपके कार्यालय को तो सब पता है, फिर कार्यवाही क्यों नहीं? आपके पास तो सारी व्यवस्था उपलब्ध है स्वतंत्र फीडबैक लेने के लिए!
प्रधानमंत्री जी, आप स्वयं दुनिया के सबसे अच्छे कम्युनिकेटर हैं, क्यों आपका रेल मंत्रालय इतने गलत संदेश दे रहा है? क्यों आपके मंत्री भ्रष्टों पर कार्यवाही करने में बेबस हैं?
प्रधानमंत्री जी, आपने इतना निवेश करवाया रेल में, लेकिन आज रेलों की हालत देखिए, गर्मी में कैसे आपके गरीब वोटर चले हैं, आप स्वयं दुखी हो जाएंगे देखकर!
प्रधानमंत्री जी, क्या आपको किसी ने बताया कि कोरोमंडल की जगह अगर वन्दे भारत को गलत सिग्नल मिला होता तो बालासोर दुर्घटना देश में अब तक के रेल इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना बन जाती!
अपने को जो बहुत बड़ा तुर्रम खां मानते हैं, अंग्रेजी में उन्हें #बॉण्ड कहा जाता है। रेल भवन की #तीसरी_मंजिल के ‘बॉण्ड’ बहुत बातें करते रहे इंटीग्रिटी की, अखबारों ने टैंकर भर-भरकर स्याही खर्च कर दी, जिओ का नेटवर्क चोक कर दिया अपनी ईमानदारी और इंटीग्रिटी के कसीदे फैलाने के लिए। याद करिए, खजुराहो में एक ट्रैफिक ऑफिसर को सरेआम जलील करने का वीडियो कितना वायरल हुआ था? अपनी राजनैतिक मार्केटिंग के चलते रेल का एक वरिष्ठ अधिकारी, जो दसियों हजार रेलकर्मियों का नेतृत्व करता है, रेल के बहुत महत्वपूर्ण नेटवर्क को ऑपरेट करता है, उसके मनोबल को सार्वजनिक रूप से तोड़ना बहुत तकलीफदेह था – याद रखें #NCR के नेटवर्क पर हुए एक्सीडेंट ने #UPA सरकार की चूलें हिला दी थीं – जिन्हें डांटा जा रहा था न मंत्री जी, उनकी टीम इस नेटवर्क को चाक-चौबंद रखती है। बात तो ये होती, यदि अपनी बात में दम होता, इनकी तुरंत जांच करवाकर ट्रांसफर करते, या सीधे घर भेज देते, किसने रोका था, लेकिन जहां मंतव्य स्थानीय सस्ती राजनीति का 20-20 मैच खेलना हो, वहां इतनी सुधि कहां रहती है!
बॉण्ड-इन-चीफ ने तो 56J का प्रचार-प्रसार कुछ ऐसा किया कि लगा नायक फिल्म के अनिल कपूर ने भी न किया हो। ऐसा प्रचार-प्रसार हुआ कि साहब दुनिया की सबसे भ्रष्ट व्यवस्था तो भारतीय रेल थी और उनकी ट्रांसफॉर्मेटिव लीडरशिप से अब रेल दुनिया की सबसे साफ-सुथरी व्यवस्था तो अब भारतीय रेल ही होगी!
ऐसे तो अखबार और हर शहर की दीवारें तमाम तेलों के विज्ञापनों से भरी हुई हैं, और यकीन मानें हममें से अनेकों ने खरीद के जब लगाया तो जो बाल बचे थे, वह भी झड़ गए!
‘सब घर के बदल डालूँगा’, के चक्कर में सारे डीजल और काफी हद तक आईसीएफ कोच सिस्टम से बाहर हो गए। हजारों करोड़ का रोलिंग स्टाक देखते-देखते कबाड़ कर दिया गया। फिर आया वन्दे भारत का झुनझुना!
कलई तो तब खुल गई जब भीषण गर्मी में बदहाल आम जनता ट्रेनों में जानवरों के सरीखे चली, लेकिन कोई बात नहीं, रेल भवन की #तीसरी_मंजिल का एसी चौकस काम कर रहा है।
हमने ने भी बहुत छापा और आगाह किया कि व्यवस्था चौपट हुई जा रही है। #ट्रांसफॉर्मेशन के नाम पर माफिया अपने-अपने प्रतिस्पर्धियों को मार रहा है। हिन्दी फिल्मों के माफिया चित्रण की तरह, अबला अपने को बचाने थाने जाती है और वहीं उसका चीरहरण/शोषण हो जाता है। बॉण्ड-इन-चीफ के #KMG सदस्य व्यवस्था का शोषण कुछ ऐसे ही कर रहे हैं। आप जाएंगे कहां? हर उस कुर्सी पर, जहां सुनवाई होनी है, इनके ही गुर्गे बैठे मिलेंगे।
रेल भवन में #KMG और #AIDS के वर्चस्व के चलते #DRM में 52 साल के बैरियर को खत्म करने का साहस नहीं हो रहा, न ही मार्च’23 की अपनी ही नीति पर अमल करने की हिम्मत जुटाई जा पा रही है! तो कुल मिलाकर जब रोते नहीं बन रहा, तब सब रेल व्यस्वस्था में हो रहे ड्रामे पर हंसने लगे हैं। घंटियां अलग कर दो! आपने वेल्डिंग की है! आपको पता है रेल के #PHOD लाट साहब होते हैं! कितनी नौकरी बची है! ये डायलॉग रेल कर्मचारियों की चाय का पकौड़ा बन गए!
लेकिन कॉश, बात यहीं तक रहती! जिस डर को लोग व्यक्त नहीं कर रहे थे, वही हो गया, 300 बेगुनाहों को इन बॉण्ड सरीखे #तीसरी_मंजिल वालों ने अपनी सत्ता की हवस पर क़ुर्बान कर दिया। अब भी रेल भवन की #तीसरी_मंजिल के ये पिशाच इन बेगुनाहों के खून से भी तृप्त नहीं हुए। अब केवल हंसकर इस #तीसरी_मंजिल के भद्दे निर्णयों को टाला नहीं जा सकता!
रेल भवन की चौपट कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी!
अपनी निर्णय लेने की क्षमता का इतना प्रचार किया, लेकिन जब असल निर्णय लेने की बात आई तो सन्नाटा खींच लिया। हमने भी मंत्री जी को बहुत सुझाव दिए, उन्हें आगाह भी किया, लेकिन लगातार भ्रष्टाचार और रेल की मूल समस्या वाले मुद्दों पर असफल होते देख समझ में आया कि बात गलत नीयत की ही है-समझदार तो सभी हैं!
इतना बड़ा अपना सलाहकार समूह बना लिया, 30-40 सालों के सामान की खरीद के निर्णय ले डाले, लेकिन जो काले-सफेद जैसे स्पष्ट मुद्दे थे, वहां निल-बटे-सन्नाटा! लेकिन व्हार्टन की पढ़ाई में बेजुबानों के खून की कोई कीमत नहीं बताई गई। और आपके सलाहकारों ने तो अपनी कारस्तानियों पर किताब ही छाप डाली, जिसे आपने रेल के ट्रांसफॉर्मेशन की कुंजी करार दिया। धन्य है लिखने वाला और मूर्धन्य हैं उसका प्रचार-प्रसार करने वाले!
बालासोर की दुर्घटना से कई महीने पहले, फरवरी में #SWR/हुबली के तत्कालीन #PCOM और अप्रैल में #MemberInfrastructure ने जिस अनसेफ कार्य प्रणाली के बारे में लिखा, वह #तीसरी_मंजिल को समझ ही नहीं आया, शायद इसीलिए कि कुछ कार्टेल अपसेट हो जाते या इसमें नये टेंडर्स का स्कोप नहीं था? कृपया एक बार फिर से इन आर्टिकल्स को पढ़ें!
“Why is the Indian Railway in a State of Denial?”
“Railways Shamed: Modiji, this “Babulal” will only bring shame and embarrassment!”
“Root Cause Analysis of Poor Safety Record of Indian Railways in last 2 years”
“When Rome was burning, Nero was playing Flute!”
“It seems that the Government and especially Ministry of Railways have learned nothing from Balasore!”
“300 Dead – is there still a doubt on choice between Modi-Sense Vs Sudheer-Sense?”
“Question is that of Credibility Mr Rail-Minister-Please don’t Jump the Gun!”
“Modi-Sense Vs Sudheer-Sense – Your Pick Mr Rail Minister! Part-3”
“Modi-Sense Vs Sudheer-Sense – Your Pick Mr Rail Minister! Part-2”
“Modi-Sense Vs Sudheer-Sense – Your Pick Mr Rail Minister! Part-1”
मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर के पत्र के बाद हमने यह कहा था कि अब लाग-लपेट के सारे रास्ते बंद हो गए हैं, #GM, #DRM और #PCSTE के साथ, #RDSO और रेल भवन पर भी कार्यवाही की जाए!
22 जून को पहले #PCSO, #PCSTE, #PCCM, #PCSC, #DRMKGP, और फिर 30 जून को #GMSER को स्थानांतरित करने के आदेश आए, लेकिन इतना समय क्यों लगा यह निर्णय लेने में? यह सवाल उस दिन भी अनुत्तरित था, आज भी है! #PCSTE को तो एक्स्ट्रा फेवर देकर, और प्रयागराज जाने-आने के लिए लगभग दस लाख का एक्स्ट्रा बोनस देकर बिना किसी कामकाज के रिटायर होने के लिए छुट्टा छोड़ दिया है! इस पर भी ₹200 करोड़ से अधिक के दो टेंडर ट्रांसफर ऑर्डर के बाद फाइनल करने का अवसर उन्हें अलग से दिया गया! और यही नहीं, जाते-जाते खड़गपुर एवं चक्रधरपुर के अपने दोनों चहेते #SrDSTE को आपस में बदलकर सुरक्षित भी करते गए तथा रेल सिस्टम को गाली भी दे गए!
ExPCSTE/SER #PMSikdar abusing the #RailSystem including the Minister & Govt who gave him Rozi-Roti.👇
ये कैसी कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी है? वहीं बड़े #सलाहकार साहब के विभागीय जूनियर, #DRM/चेन्नई बने बैठे रहे, मंत्री जी, कम से कम यही बता दें – जो बहुत अधिकारी पूछ रहे हैं – कि कौन सी बूटी इन्होंने खाई है कि #CRB, जो विजिलेंस के मुखिया हैं, #PED/विजिलेंस, आपका वृहद् सलाहकार समूह इतने स्पष्ट सुबूतों को दरकिनार कर इस अधिकारी को अपना टेन्योर खत्म करने दे रहा है? ऐसी ही कुछ स्थिति #CEDE/ECR की भी है!
“अधिकारी-वेंडर-नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर”
“अधिकारी-वेंडर-नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर! भाग-2”
“अधिकारी-वेंडर-नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर, भाग-3”
उक्त तीन लेखों में रेल के तीन बड़े अधिकारियों के हथकंडे प्रकाशित हुए थे। भ्रष्टों के प्रात:स्मरणीय आर. के. राय साहब बाइज्जत 30 जून को #RVNL के सलाहकार का कार्यकाल खत्म कर चुके हैं, #DRM/चेन्नई का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, #CEDE/ECR भी चौकस काम कर रहे हैं। कुल मिलाकर 56J के नाम पर जो नगाड़े पीटे गए थे वो बिना किसी मतलब के-ऊँची दूकान के फीके पकवान के उदाहरण रूप में सिमट गए।
वहीं रेल के कई अधिकारी जिसमें नवीन कुमार-जितेंद्र सिंह के दोस्त थे, उन्हें बचा लिया गया है। और हां, सत्यवान जितेंद्र सिंह अब #DRM बन चुके हैं, उनके द्वारा फैलाए #IRMS के रायते की कीमत बालासोर जैसी और घटनाओं में बलि चढ़ाकर चुकाई जाएगी-ऐसा #तीसरी_मंजिल के बॉण्ड चाहते हैं। यहां यह भी बताना आवश्यक है कि रेल भवन से एक एडीशनल मेंबर को #RDSO भेज दिया गया है। #आरडीएसओ पर अब तरस आता है, जिस संस्था पर रेल की सेफ्टी को वेंडर कार्टेल से बचाने की जिम्मेदारी है, उसके एक स्पेशल डीजी भ्रष्टों के महामहिम आर. के. झा साहब हैं और दूसरे सिग्नलिंग कार्टेल के सरदार ये आ गए हैं! वाकई रेल भवन की कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी गजब ही है!
कुल मिलाकर मंत्री जी, कलई खुल गई है, अच्छा है आजकल आपके ज्ञानवर्धक बाइट्स ह्वाट्सऐप पर, बड़े होटलों में नहीं सुनाई दे रहे हैं। रेल की आज की सच्चाई कृपया इस थ्रेड में देखें:
प्रधानमंत्री जी से गुहार
माननीय प्रधानमंत्री जी, आपके कार्यालय को तो सब पता है, फिर कार्यवाही क्यों नहीं? आपके पास तो सारी व्यवस्था उपलब्ध है स्वतंत्र फीडबैक लेने के लिए! आप स्वयं दुनिया के सबसे अच्छे कम्युनिकेटर नेताओं में गिने जाते हैं, क्यों आपका ये रेल मंत्रालय इतने गलत संदेश दे रहा है? क्यों आपके मंत्री भ्रष्टों पर कार्यवाही करने में बेबस हैं? आपने इतना निवेश करवाया रेल में, लेकिन आज रेलों की हालत देखिए, गर्मी में कैसे आपके गरीब वोटर चले हैं, आप स्वयं दुखी हो जाएंगे देखकर! वन्दे भारत का अपना महत्व है, लेकिन जैसा आपके हर घर शौचालय, हर घर पानी-बिजली की योजनाओं के मूल में है, वह वन्दे भारत सर्विस में नहीं! गरीब की सुनिए – कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना में मरने वाले गरीब थे-जो आपके वोटर हैं, वह वन्दे भारत में नहीं चलेंगे। वैसे क्या आपको किसी ने बताया है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की जगह अगर वन्दे भारत को गलत सिग्नल मिला होता तो बालासोर दुर्घटना देश में अब तक के रेल इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना बन जाती।
लेकिन जब आपके बॉण्ड-इन-चीफ को नहीं पता तो आपको कौन ब्रीफ करेगा? मोदीजी, रेल में रोटेशन करवाइए, दिल्ली के ठग जो रेल भवन में और खासकर #तीसरी_मंजिल पर बैठे हैं, उन्हें निकलवाइए! बालासोर केवल शुरुआत है! जब आप बालासोर गए क्या आपके बॉण्ड ने आपको बताया कि आपने बतौर मुख्यमंत्री 2005 में समलाया, गुजरात में एकदम ऐसी ही आइडेंटिकल एक्सीडेंट साइट पर विजिट की थी? क्रमशः जारी..
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी