अधिकारी-वेंडर-नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर! भाग-2

रेलमंत्री जी, आपका 3 अप्रैल का वक्तव्य अधिकारियों को यह भरोसा दिलाता है कि जिनके पास प्रोटेक्शन पाने के लिए पैसे नहीं हैं, उन्हें आप प्रोटेक्ट करेंगे!

रेल मंत्रालय एक कमाऊ मंत्रालय है। इस मंत्रालय ने क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां खड़ी कराई हैं, रेल ने सैकड़ों नेता पैदा किए हैं, तो कुछ क्षेत्रीय दलों/नेताओं को राज्यों की सत्ता तक पहुंचने लायक धनसाधन उपलब्ध कराने में भी रेल मंत्रालय सहायक सिद्ध हुआ है। शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी जी और उनकी जांच एजेंसियों की निगाह अब तक रेल मंत्रालय के उन धनाढ्य अफसरों पर नहीं पड़ी है, जो केवल बड़ेबड़े नेताओं को खरीद लेने की हैसियत रखते हैं, जो शेल कंपनी बनाकर शेल कारोबार कर रहे हैं, बल्कि अपनी काली कमाई को रेल की ही ठेकेदारी में निवेश करके सफेद कर रहे हैं, और रोटेशन के अभाव में वे लंबे समय से रेल में एक ऐसा माफिया तंत्र चला रहे हैं, जिसके सामने अतीकमुख्तार का माफिया राज भी फीका पड़ जाता है!

पिछले आर्टिकल – अधिकारी स्वयं बना वेंडर – में बताया गया था कि सर्विस में रहते ही #RKRai ने कैसे स्वयं वेंडर बनने का बंदोबस्त किया, अब प्रस्तुत आर्टिकल में श्रीमान राय महाशय की छत्रछाया में एक और अधिकारी – रवि प्रकाश भारती – कैसे रेलवे सर्विस में रहते हुए अधिकृत वेंडर बने हुए हैं, इस बारे में पाठकों को पता चलेगा! #Railwhispers ने इस अधिकारी-वेंडर-नेक्सस पर लगातार लिखा है, देखें-

कार्टेल विशेष के फेवर में लाई गई थी अंतरिम अप्रूव्ड कैटेगरी: खुल रही हैं बोर्ड विजिलेंस के संरक्षण में पलते भ्रष्टाचार की परतें!

वहीं हमने यह भी बताया था कि नेक्सस इतना गहरा हो गया है कि अधिकारी अब वेंडर बन गए हैं-

अधिकारी-वेंडर-नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर!

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के 3 अप्रैल के वक्तव्य से रेल अधिकारी बहुत उत्साहित हुए हैं, क्योंकि पहली बार किसी रेलमंत्री ने रेलवे विजिलेंस की अराजकता की बात की है। तथापि वे यह भी अपेक्षा करते हैं कि मंत्री जी का वक्तव्य केवल एक जबानी जमाखर्च बनकर न रह जाए, बल्कि मंत्री जी अपने वक्तव्य के अनुसार ऐक्शन में भी आते दिखाई देने चाहिए!

लंबे समय से रोटेशन के अभाव में, रेलवे में खान मार्केट गैंग (#KMG) और ऑल इंडिया डेलही सर्विस (#AIDS) की जड़ें मजबूत होती गईं। इसने रेल के सतर्कता विभाग को भी नहीं छोड़ा। यह समय की बात थी कि विजिलेंस के वरिष्ठ अधिकारी विजिलेंस को अपने कैरियर की महत्वकांक्षाओं के लिए या अपने अहं (ईगो) की लड़ाई में प्रयोग करेंगे। जो हुआ भी – अरुणेंद्र कुमार द्वारा आर. एस. विर्दी के खिलाफ केस बनवाया गया और वह स्वयं सीआरबी तक बन गए। ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएंगे।

यह भी समय की ही बात थी कि विजिलेंस के असीमित पॉवर को भ्रष्टाचार में लगाया जाएगा, जो हुआ भी! #RKJha-#RKRai नेक्सस के क्रिमिनल कृत्य सार्वजनिक थे, लेकिन यह #KMG की ही माया थी, कि इनको इसकी कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ी! वहीं इनके नेक्सस में जो अधिकारी फंसे, वे अपने करियर को बर्बाद होते देखते रहे और कुछ नहीं कर पाए।

वहीं जैसा हमने बताया कि वरिष्ठ स्तर से मिलने वाले समर्थन के चलते #CLW में वेंडर की एक नई कैटेगरी – अंतरिम अप्रूव्ड – का आविष्कार बिना रेलवे बोर्ड की अनुमति/सहमति /अनुशंसा के किया गया और शेल बनाने वाले एक कार्टेल को पैदा किया गया।

जहां हमने देखा कि बोर्ड विजिलेंस में 6 साल पदस्थ रहे #RKRai वेंडर बन चुके थे नौकरी में रहते हुए, वहीं उनका वरदहस्त एक ऐसे ग्रुप पर था जो स्वयं वेंडर की तरह काम कर रहा था। इस ग्रुप को अत्यंत संवेदनशील स्थानों/पदों पर पदस्थ किया गया।

ऐसे ही एक अधिकारी के बारे में हम आज आपको बताएंगे-

रवि प्रकाश भारती (#IRSEE)

श्रीमान रवि प्रकाश भारती (#IRSEE), जो अभी CEDE हैं और पूर्व मध्य रेलवे (#ECR) में पदस्थ हैं, का ऐनुअल इमोवेबल प्रॉपर्टी रिटर्न (#AIPR) जो स्पैरो (#sparrow) वेबसाइट से लिया गया है-देखें। यह श्रीमती पूजा भारती के नाम है, जो कि इन अधिकारी महाशय श्रीमान रवि प्रकाश भारती की धर्मपत्नी हैं। रेड बॉक्स लाइन से कवर/हाईलाइट की गई प्रॉपर्टी देखें- जो इंडस्ट्रियल है, इन प्रॉपर्टीज से सालाना किराया 62 लाख रुपये से अधिक है।  

sparrow का स्क्रीनशॉट जहां प्रॉपर्टी रिटर्न दिया है।

अब चलते हैं दूसरे स्क्रीनशॉट पर जो बताता है कि श्रीमती पूजा भारती अभी और पहले किन-किन कंपनियों में डायरेक्टर रही हैं-

श्रीमती पूजा भारती किन-किन कंपनियों में डायरेक्टर रही हैं!

अब देखते हैं कि ये ‘गौरांश इंजीनियरिंग वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड’ क्या है और अभी इसमें कौन डायरेक्टर हैं-

गौरांश इंजीनियरिंग के डिटेल

श्रीमती पूजा भारती उस दिन इस कंपनी की डायरेक्टर बनी थीं जिस दिन यह कंपनी स्थापित हुई थी। इस कंपनी का एड्रेस है-

CHAKUNDI, DANKUNI COLA COMPLEX, DANKUNI HOOGHLY WB 712310 IN

इस कंपनी के बारे में कुछ डीटेल पाठकगण यहां भी देख सकते हैं-

Gauraansh Engineering Works Private Limited

जानकारों ने बताया कि यह कंपनी, शेल बनाने वाली कंपनियों के लिए जॉब वर्क करती है। यदि आप #IREPS पर जाएंगे तो पाएंगे कि मुख्यतः #CLW ने इस “गौरांश इंजीनियरिंग वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड” को पिछले दो साल में कई ऑर्डर दिए हैं, देखें-

पेज 1-रेल के ऑर्डर गौरांश पर IREPS से!
पेज 2-रेल के ऑर्डर गौरांश पर IREPS से!
पेज 3-रेल के ऑर्डर गौरांश पर IREPS से!

इन सबका इंस्पेक्शन #CLW कोलकाता से होता है। वैसे जिन अधिकारी महोदय – रवि प्रकाश भारती – का यह प्रॉपर्टी रिटर्न हमने लिया है, वह इंस्पेक्शन के कथित मास्टर माइंड रहे हैं और इन्हें अभयदान #RKRai महाशय का रहा। साथ ही #Advisor साहब के निकट रही कंपनियां भी इन्हें मदद करती रही हैं। श्रीमान रवि प्रकाश भारती लंबे समय तक #CLW के दिल्ली इंस्पेक्शन ऑफिस में कार्यरत रहे। फिर थोड़े समय के लिए #IRCON और #RCF गए, लेकिन शीघ्र ही वापस #CLW चितरंजन पहुंच गए #RKRai महाशय के आशीर्वाद से!

यह कैसे हुआ और किस-किस के पास यह जानकारी थी?

इन रवि प्रकाश भारती महाशय को बहुत लंबा टेन्योर इंस्पेक्शन और #CLW डिजाइन में दिया गया। इन्होंने #VPPathak-#GhanshyamSingh के समर्थन और #RKRai, जो रेल भवन में ईडी/विजिलेंस/इलेक्ट्रिकल थे, के अभयदान से बहुत बड़े-बड़े काम किए, जिसके फलस्वरूप यह सब संभव हो पाया।

V. P. Pathak, MMM & GM/CLW (Retd.)

‘अंतरिम अप्रूव्ड कैटेगरी’ के ये परम योद्धा रहे जिसके लाभार्थी गौरांश इंजीनियरिंग के कस्टमर बने। रवि प्रकाश भारती तब #CLW में #DyCEE डिजाइन रहे। #PKMisra ने भी बतौर GM/CLW इनकी खूब सेवाएं लीं। लेकिन स्वयं के रिटायरमेंट से पहले उन्होंने इनको ‘एग्रीड लिस्ट’ पर डलवा दिया, ताकि वह अपने आपको पाक-साफ दिखा पाएं।

P. K. Mishra, GM/CLW (Retd.)

पूरी इंडस्ट्री जानती थी कि रवि प्रकाश भारती कितने मजबूत थे और उनकी पहुंच कहां तक थी। यदि उनकी नजरे-इनायत नहीं हुई तो कोई वेंडर कुछ नहीं कर सकता था और यदि इनका आशीर्वाद रहता था तो किसी का कोई काम कहीं नहीं रुकता था।

Ghanshyam Singh, ML (Retd.) and Vinod Kumar Yadav, CRB (Retd.)

यहां यह बताना जरूरी है कि पैराशूटर सीआरबी विनोद कुमार यादव, जो #RKRai-#RKJha नेक्सस को समर्थन देते थे और जाति-बिरादरी को फेवर करने के मामले में लालू-मुलायम को भी पीछे छोड़ दिया था, उन्होंने अपने दो सजातीय अधिकारियों – विक्रम यादव एवं वीरेंद्र यादव – को इंस्पेक्शन में लगवाया था – एक को #CLW में और दूसरे को #RDSO दिल्ली में। यह बात सार्वजनिक है कि अपने इन सजातीय अधिकारियों (बिरादरी भाईयों) के लिए विनोद कुमार यादव कुछ भी कर सकते थे। जिस अधिकारी को उन्होंने #CLW, दिल्ली में पोस्ट किया था वह #RKRai की छोड़ी कुर्सी पर आना चाहते हैं और विनोद कुमार यादव ने आज तक इस पद को भरने नहीं दिया है। है न यह सारा आश्चर्यजनक माफिया नेक्सस! इस पर विस्तार से फिर कभी चर्चा की जाएगी।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विनोद कुमार यादव से रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव बहुत नाराज रहते हैं, इसका उन्होंने पब्लिक फोरम में कई बार उल्लेख भी किया है, लेकिन इससे क्या अंतर पड़ता है – उनके अनन्य मित्र और #केएमजी मुखिया सुधीर कुमार आज मंत्री जी के #Advisor हैं, इस्टैब्लिशमेंट ऑफिसर (#EO) सहित उनके अन्य तमाम बिरादरी और उनके ही समान अधकचरे गुण-धर्म वाले अधिकारी तो आज भी रेल भवन में बैठे हैं, यानि कहने का तात्पर्य यह है कि मंत्री भले ही अश्विनी वैष्णव हैं, मगर सिस्टम आज भी वी. के. यादव, घनश्यम सिंह, वी. पी. पाठक, पी. के. मिश्रा, आर. के. झा, आर. के. राय, जितेंद्र सिंह, नवीन कुमार, रवि प्रकाश भारती इत्यादि जैसों का ही चल रहा है। यही तो #RailSamachar और #Railwhispers लगातार कहते आ रहे हैं कि, “मंत्री क्या चाहते हैं, इससे कोई बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उनकी सारी इंद्रियां #KMG के वश में हैं, ऐसे में इंटर्नल फोरम हो या एक्स्टर्नल, क्या फर्क पड़ता है आपकी नाराजगी का, जब तक कि सिस्टम आपका न हो!”

R. K. Rai, ED/Vig/Elect. & PCEE/BLW (Retd.)

निष्कर्ष:

श्रीमान रवि प्रकाश भारती निर्भय होकर एक कंपनी बनाते हैं, उनकी पत्नी श्रीमती पूजा भारती इसकी डायरेक्टर बनती हैं। इस कंपनी से 62 लाख का सालाना किराया भी दिखाया गया है। जगह की जितनी कीमत, करीब-करीब उतना ही उसका सालाना किराया!

फिर इसी जगह से एक कंपनी चलाई जाती है, जिसे चंद्रा उद्योग जैसी शेल बनाने वाली कंपनियां काम देती हैं और यह कंपनी #IREPS से भी काम लेती है। यह भी देखें कि जब अंतरिम अप्रूव्ड कैटेगरी का आइडिया आता है तो यह अधिकारी अपनी पत्नी को इसकी डायरेक्टरशिप से अलग करा देता है और इसके अन्य रिश्तेदार उसका स्थान ले लेते हैं।

जब एक साधनविहीन समाचार पत्र इस सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी से यह सारी जानकारी इकट्ठा कर सकता है, तो क्या रेल भवन और रेलवे बोर्ड विजिलेंस में बैठे सर्वसाधनसंपन्न अधिकारी यह काम नहीं कर सकते? लेकिन यदि #AshokKumar, #RKRai जैसे अनुभवहीन मगर निजी हित में अपने पद और पावर का उपयोग करने वाले अधिकारी शीर्ष पर रहेंगे तो वे कैसे यह सब काम कर सकते हैं? वहीं यदि #RKJha बतौर पीईडी/विजिलेंस और #RKRai बतौर ईडी/विजिलेंस/इलेक्ट्रिकल पैसा लेकर अथवा उगाही करके ऐसे लोगों को प्रोटेक्शन देने का घृणित कार्य करेंगे, तो क्या होगा?

वहीं जो अधिकारी रेल हित में अपने को झोंके रहे, वे बोर्ड विजिलेंस के इस माफिया नेक्सस द्वारा बनाए गए झूठे केसेस में उलझे हुए हैं। कौन हैं वह लोग जो उन अधिकारियों को फंसाए और दबाए रहते हैं जो निष्पक्ष काम के लिए जाने जाते रहे हैं? आप पाएंगे कि ये वह लोग हैं जो #KMG द्वारा पोषित हैं।

रेलमंत्री जी, आपका 3 अप्रैल का वक्तव्य अधिकारियों को यह भरोसा दिलाता है कि जिनके पास प्रोटेक्शन पाने के लिए पैसे नहीं हैं, उन्हें आप प्रोटेक्ट करेंगे!

मंत्री जी, हमने अपना ‘पंचारिष्ट’ इस अधिकारी पर लगाया, और निर्णय स्पष्ट है। अब देखना यह है कि आपका निर्णय क्या होता है! आप उक्त पंचारिष्ट का यहां पुनः अवलोकन कर सकते हैं-

#KMG_2.0: A cynic’s view – रेलवे के धनकुबेरों का सिंडीकेट

सर्विस कंडक्ट रूल को धता बताकर श्रीमान रवि प्रकाश भारती जैसे कुछ अधिकारी रेलवे बोर्ड विजिलेंस की नाक के नीचे अपना धंधा-कारोबार खुलेआम इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि इन्हें झा-राय-अशोककुमार जैसे तिकड़मी अधिकारियों का वरदहस्त है! जबकि ऐसे ही लोगों को खोजकर निकालने का मुख्य दायित्व है विजिलेंस का! और ऐसे लोग ही वास्तव में 56J के तहत तुरंत बर्खास्त किए जाने योग्य हैं! अब देखना यह है कि रेलमंत्री क्या कदम उठाते हैं! तथापि इतनी सारी फीडबैक के बाद भी अगर रेलमंत्री कोई कारगर कार्रवाई करते नहीं दिखाई देते हैं, तो यह मान लिया जाना चाहिए कि पूरे कुएं में ही भांग पड़ी हुई है!

क्रमशः जारी… अगले आर्टिकल में एक अन्य अधिकारीवेंडर के बारे में बताया जाएगा, जो कि वास्तव में #केएमजी प्रमुख उर्फ एडवाइजर साहब के अत्यंत चहेते और करीबी भी हैं!

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी