अधिकारी-वेंडर-नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर
जब आप सिस्टम में महत्वपूर्ण स्थान पर बैठकर किसी वेंडर के लॉबीस्ट बन जाते हैं, तो आप उस वेंडर के कम्पिटीटर और न्यूट्रल अथवा अपने से असहमत या फिर अपने आड़े आने वाले अधिकारियों को आसानी से निबटा सकते हैं!
लगभग तीन दशक से रेल की समस्याओं का अध्ययन-विश्लेषण और हजारों रेलकर्मियों तथा सैकड़ों वरिष्ठतम रेल अधिकारियों से #RailSamachar और #Railwhispers के आत्मीय संबंध रहे हैं। हमारे इन संबंधों के कारण ही हमें रेल की समस्याओं के मूल में जाने का अवसर मिला। यह बात भी है कि एक नॉन-रेलवेमैन होने के कारण हमारे स्वयं के साधन-संसाधन अत्यंत सीमित रहे हैं, लेकिन सुधी पाठकों का स्नेह है कि रेल के लिए समर्पित रेल के सेवारत और सेवानिवृत्त सभी स्तर के रेलकर्मी सूचनाओं के आदान-प्रदान में हमारे लिए काफी सहायक सिद्ध होते रहे हैं। हमें जब कोई सूचना मिलती है, उसका वेरिफिकेशन यही स्नेहीजन बिना विलंब किए कर देते हैं। हमारे पोर्टल और ट्विटर हैंडल को कई वेंडर, पैसेंजर और अब स्कूल-कालेज के छात्र भी देख रहे हैं।
संसाधनों की कमी के चलते ही पाठकों ने देखा होगा कि हम बहुत सारे विषयों को एक साथ ट्रैक नहीं कर पाते हैं, इसीलिए कुछ विषयों का फॉलोअप थोड़े अंतराल से आता है।
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र- बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बरेका) से शॉप फ्लोर में एक दबंग द्वारा एक रेलकर्मी को गंभीर धमकी देने का समाचार मिला था, चूंकि वाराणसी का मामला था, इसीलिए इसे हमने जांचने के बाद प्रकाशित किया। इस जांच में #KMG के तार बरेका से भी जुड़े पाए गए, जिसे हमने यहां प्रकाशित किया-
“#KMG की दादागीरी के सामने प्रॉपर बोर्ड भी धराशाई!”
इसका फॉलोअप हमने दो दिन बाद, 20 मार्च को प्रकाशित किया-
उपरोक्त लेख में हमने यह बताया था कि कैसे दिल्ली से लेकर वाराणसी तक में #AIDS और #KMG ने पूरे रेल सिस्टम को अपने वश में कर रखा है। इस लेख में तारीखवार, मंत्रालय के आदेशों के साथ #KMG के जुगाड़ तंत्र की दबंगई को हमने ब्रेक किया।
इस लेख के अगले ही दिन #BLW से सवा दो साल से कम में बाहर ट्रांसफर किए गए अधिकारी का ऑर्डर रेलवे बोर्ड ने कैंसल कर दिया। लेकिन 15 साल से यहां लगातार रहे अधिकारी को यहीं प्रमोट करने का उल्लेख भी इस लेख में किया गया था, उसके इस आदेश पर रेलवे बोर्ड ने अब तक चुप्पी साध रखी है, वह निरस्त नहीं हुआ, जिसे यहां पाठकों के सामने रखा गया था-
“शैतानी और अपराधिक भूल के सुधार के लिए साधुवाद!”
क्यों रेल भवन पर आपराधिक तत्व भारी पड़ रहे हैं, इसका हमने इस लेख में उल्लेख किया-
“अधूरा न्याय: क्या स्वतंत्र निर्णय लेने में असमर्थ हैं #MTRS?”
उपरोक्त लेख में हमने बताया कि कैसे #योगी_मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य, जो पहले #PMO में भी रह चुके हैं, की फोटो और उनसे परिचय का उनकी जानकारी के बिना गलत फायदा उठाया जा रहा है। इस शोध में यह भी पता चला कि कैसे #MTRS अपने ही एक कुटिल और भ्रष्ट बैचमेट के दबाव में आ गए?
इस लेख में प्रकाशित एक फोटो को देखकर, हमें एक वेंडर से बहुत महत्वपूर्ण सूचना मिली, जिसकी हमने वरिष्ठ अधिकारियों से पुष्टि करवाई।
#अधिकारी_वेंडर_नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर!
कोई भी कंपनी रेल में अपने को बतौर वेंडर रजिस्टर करवा सकती है। यह भी स्वाभाविक है कि उनके बच्चे किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हों, जिसका रेल के साथ बिजनेस हो। यही कारण है कि हर टेंडर में टेंडर कमेटी (टीसी) के मेंबर अधिकारियों को ‘कंफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ का डिक्लेअरेशन करना पड़ता है।
इसके साथ ही यह भी संभव है कि किसी रेल अधिकारी का बेटा या बेटी कोई ऐसा व्यवसाय करें, जिसकी ग्राहक भारतीय रेल हो।
यहां तक तो ठीक है, लेकिन हमें जो जानकारी प्रभावित वेंडर से मिली, और जितना वेरीफाई हुआ रेल के नेटवर्क से, तो पता चला कि “अब तो वेंडर-अधिकारी-नेक्सस से बातें बहुत आगे बढ़ चुकी हैं, अब तो अधिकारी ही वेंडर बन गए हैं!”
एक कुविख्यात विद्युत अधिकारी (आईआरएसईई), जो हाल ही में बरेका से सेवानिवृत्त हुए हैं, ने रेलवे बोर्ड विजिलेंस में अपनी पोस्टिंग को एक वेंडर विशेष को मदद करने में पूरा इस्तेमाल किया – इस केस का उल्लेख आगे किसी लेख में किया जाएगा – यह आइटम अभी बन रहे रेल इंजनों में लग रहा है। अर्थात् पहले जिस कंपनी की आप मदद करना चाहते हैं, उससे आप शिकायत जनरेट करवाइए और अपने को एड्रेस करवाइए। अब आप सिस्टम इम्प्रूवमेंट आदि-इत्यादि से फाइलें उठवा सकते हैं। नैरेटिव तो कैसा भी बन सकता है। जब आप सिस्टम में महत्वपूर्ण स्थान पर बैठकर किसी वेंडर के लॉबीस्ट बन जाते हैं, तो आप उस वेंडर के कम्पिटीटर और न्यूट्रल अथवा अपने से असहमत या फिर अपने आड़े आने वाले अधिकारियों को आसानी से निबटा सकते हैं। विजिलेंस में बैठकर अक्षरशः यही होता भी रहा है, और यह आज भी हो रहा है!
इस कंपनी में इन महाशय का सीधा इंटरेस्ट था। वहीं एक और कंपनी का नाम आया है, जिसके ‘वेल-विशर’ का नाम हमने इस लेख में प्रकाशित किया था-
“ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको सुधीर कुमार ने ठगा नहीं! -प्रिया शर्मा”
स्मरण रहे कि हम किसी वेंडर के न तो समर्थन में हैं, न ही विरोध में, हमारा मानना है कि सबको समान अवसर मिले! स्थापित नियमों का पालन हो! हमने सूचना देने वाले सूत्र को बताया कि हमारा उद्देश्य सिस्टम सुधार है, इसीलिए, हालांकि जानकारी वेरीफाई हो गई है, तथापि हमने व्यक्तियों के नाम और कंपनियों के नाम रिडेक्ट कर दिए हैं, मिली सूचना कुछ इस प्रकार है-
1. Ex ED/E/Vigilance ### Railway Board ####, earned huge money by misusing his position and power.
2. He invested huge corrupt money in the firm M/s ###/Haridwar whose owner is Mr S# ##. This firm is approved vendor for supplying electric locomotive items and electrical coaching items.
3. Mr ### opened a firm R###/Okhla industrial Area, Delhi whose real owner is his son Mr M### with joint partnership with S### owner of M/s ###/Haridwar.
4. M/s R### used to supply and do turnkey projects of Signalling work/items.
5. Now Mr ### is trying to get his firm M/s R#### registered as approved vendor of locomotive and RE items from RDSO, CLW, BLW and CORE organisation. For this he pressurising RDSO, BLW, CLW and CORE officers and started giving vigilance threatening.
Therefore the above firms to be seriously scrutinised and investigated by CBI for all these activities.
Hon’ble Minister for Railways should take immediate action to expose the corrupt practices of Mr### in order to make Railway Organisation corruption free. This will act as deterrent for all corrupt officers and vendors involved in massive corruption in entire Indian Railways.
हम किसी पिता के प्रयासों को छोटा नहीं दिखाना चाहते, लेकिन, अपने पद का दुरुपयोग कर डराना-धमकाना, गलत ट्रांसफर-पोस्टिंग करवाना नितांत गलत है। चिंता की बात यह है कि इनका #KMG से जुड़ाव अभी भी है और रेल की उत्पादन इकाईयों (PUs) के कामकाज में हस्तक्षेप करने में यह आज भी सफल हैं। विजिलेंस तंत्र में इनका सीधा दखल आज भी बना हुआ है, क्योंकि सिस्टम में अपने चेले इन्होंने हर जगह फिट करा रखे हैं!
#MTRS के बैचमेट होने के कारण इनकी पहुंच उनके चैंबर तक है। वहीं कुछ प्रभावशाली नेताओं को भी इन्होंने पकड़ रखा है।अतः यह #MTRS संदेश दें कि “सिस्टम को डरने की आवश्यकता नहीं है।” क्रमशः जारी..
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी