रेलवे: सिग्नल एंड टेलिकॉम डिपार्टमेंट में चरम पर पहुंचा भ्रष्टाचार!
मॉडर्नाइजेशन के नाम पर फंड की बंदरबाट करने का मामला
रेलवे बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने खोल रखी हैं अपनी कंपनियां
जोनल रेलों पर एकीकृत टेलीकॉम टेंडर निकालने पर जोनल हेडक्वार्टर्स का दबाव
सुरेश त्रिपाठी
मोदी सरकार ने रेलवे में आधुनिकीकरण के लिए फंड की भरपूर बरसात कर रखी है। शत-प्रतिशत रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन, लाइन कैपेसिटी बढ़ाने, ट्रेनों की गति बढ़ाने, स्टेशनों का रिडेवलपमेंट, विभिन्न प्रकार के उपकारणों का आधुनिकरण करने इत्यादि के लिए मोदी सरकार भरपूर जोर लगा रही है। कैपिटल इंवेस्टमेंट के नाम पर पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है।
रेलवे के ऐसे बदलते स्वरूप ने धीरे-धीरे रेलवे के लगभग हर विभाग में मठाधीश पैदा कर दिए हैं। आजकल रेलवे के सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग में ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। हमेशा से उपेक्षित रहा दूरसंचार विभाग अब आधुनिकरण के नाम पर मोदी सरकार से मिल रहे फंड से मालामाल हो गया है। #TCAS, #Kawach, #IP_MPLS, #VOIP, #CCTV इत्यादि जैसे प्रोजेक्ट्स के आने से रेलवे के संकेत एवं दूरसंचार विभाग से जुड़े अधिकारियों की चौतरफा चांदी ही चांदी हो गई है।
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दूरसंचार उपकरणों से जुड़ी कंपनियां रेलवे बोर्ड से लेकर आरडीएसओ तक में डेरा डाले हुए हैं। नए स्पेसिफिकेशन बनाकर लोकल कंपनियों को अधिक से अधिक फायदा हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि रेलवे बोर्ड के कुछ टेलीकॉम अधिकारियों ने या तो अपने किसी नाते-रिश्तेदार के नाम पर अपनी ‘दूकानें’ (कंपनियां) खोल रखी हैं, अथवा लोकल कंपनियों में स्लीपिंग पार्टनरशिप ले रखी है, जो स्पेसिफिकेशन मैच कराकर सब-स्टैंडर्ड उपकरण सप्लाई कर रही हैं। इसके चलते रेलवे को अरबों रुपयों का चूना लग रहा है।
सूत्रों का कहना है कि ये सिग्नल एंड टेलीकॉम अधिकारी इतने घाघ बन गए हैं कि जिस कंपनी को चाहते हैं वही रेलवे में अंदर आ सकती है। इनका खेल केवल यहीं तक नहीं रुका है, जोनल रेलवे के टेलीकॉम विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा उल्टे-सीधे आदेश निकालकर इन कंपनियों को अकूत फायदा पहुंचाया जा रहा है। यहां तक बोगस कारण बताकर एल-1 (3.60% below) को बाईपास करके एल-2 (14% above) को टेंडर देने तक की मनमानी की गई है। ऐसे अनेक उदाहरण उपलब्ध हैं।
जोनल रेलवे के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा सिग्नल एंड टेलीकॉम विभाग में एकीकृत टेंडर निकालने का धंधा खूब फल-फूल रहा है। बताते हैं कि इस धंधे के आका रेलवे बोर्ड में बैठे कुछ अधिकारी हैं। ज्ञातव्य है कि जोनल हेडक्वार्टर्स में सिग्नल एंड टेलीकॉम विभाग में इसके लिए एक एसएजी, एक जेएजी अधिकारी के साथ एक-दो सुपरवाइजर पदस्थ किए जाते हैं। कुछ जोनल एवं डिवीजनल अधिकारियों का कहना है कि पूरे जोन के लिए इस प्रकार से टेंडर करके और सभी स्टेशनों पर इसका एक्जीक्यूशन कराना हास्यास्पद ही है।
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इसका अर्थ यह है कि जोनल हेडक्वार्टर से उक्त जोन से संबंधित सभी डिवीजनों के लिए एकीकृत टेंडर करके हेडक्वार्टर के अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी की जा रही है। वर्क एग्जीक्यूट कराने के लिए डीआरएम और उनकी टीम को कहा जा रहा है। एक आदेश पारित कर डिवीजन को ड्यूटी पर लगाकर और एक्जीक्यूशन सर्टिफिकेट मंगवाकर हेडक्वार्टर के अधिकारी केवल कमीशनखोरी कर रहे हैं! इसका अर्थ ‘मेहनत करे मुर्गा, अंडा खाए फकीर’ की तर्ज यह भी है कि हमाली डिवीजन के अधिकारी/कर्मचारी कर रहे हैं और कमीशन की मलाई खा रहे हैं जोनल हेडक्वार्टर के अधिकारी!
डिवीजनों से एक्जीक्यूशन सर्टिफिकेट मंगाकर केवल बिल पेमेंट करने का धंधा जोनल हेडक्वार्टर्स से चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि “जब आरडीएसओ ने टेक्निकल स्पेसिफिकेशन निकाल रखा है, तब डिवीजन भी उसके अनुसार टेंडर करके वर्क एक्जीक्यूट कर सकता है। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। यूनिफार्मटी का नाम देकर जोनल हेडक्वार्टर्स में बैठे कुछ भ्रष्ट एसएंडटी अफसरों ने एकीकृत टेंडर द्वारा सब-स्टैंडर्ड उपकरणों की सप्लाई का पूरा धंधा बना दिया है।
इस मामले में जानकारों का कहना है कि डिवीजनों से उनकी रिक्वायरमेंट मंगाकर हेडक्वार्टर स्तर से एकीकृत टेंडर जारी करने का कोई नियम नहीं है, और न ही रेलवे बोर्ड ने इस बारे में कोई स्पष्ट गाइडलाइंस जारी की हैं। ऐसे में हेडक्वार्टर से ऐसा कोई लोकल आर्डर कैसे जारी किया जा सकता है? उनका मानना है कि रेलवे बोर्ड को इस बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और जोनल स्तर पर हो रही कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की इस मनमानी पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
रेलमंत्री और सीआरबी सिग्नल एंड टेलीकॉम विंग में हो रहे इस भयानक भ्रटाचार के मुद्दे की गहन जांच कराएं, जोनों और डिवीजनों से रिपोर्ट मगाई जाए कि एकीकृत टेलीकॉम टेंडर कितने और क्यों किए गए हैं? यह मामला बेहद संगीन है। इसमें हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार समाहित है। इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए, निष्ठावान और रेल के प्रति समर्पित अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा यह अपेक्षा नए सीआरबी अनिल कुमार लाहोटी और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से की जा रही है।
कृपया इन सब खबरों पर भी एक नजर डालें रेलमंत्री और सीआरबी –
“South Eastern Railway: The Jageer of the signalling contractors!“
“AXLE COUNTER FRAUD, SCAM AND LOOT IN RAILWAYS CONTINE“
“PARDAFASH: CORRUPTION IN PURCHASE OF SIGNALLING ITEMS – BUSTED“
“Railway Board should protect the interests of the society and stop open loot of public money“
“Cartel pressurising to relieve CSTE/C/SER immediately, are authorities aware?“
“Do or die – otherwise favour the particular contractor!“
“Scam continues: Signalling officials openly misusing funds to loot Railways“
“Trackless and corrupt system, and influence of contractors over the Stores department“
“Railway Signalling Scam: How has the railway justified the #price difference of Rs. 1100 crores?“
“PURCHASE OF MSDAC: SCAM HAS BEEN FURTHER EXPOSED!“
“रेलवे का ‘नीतिगत भ्रष्टाचार’ हुआ उजागर“
“CBI arrests a SrDSTE & Chief OS in bribery of ₹1.80 lakh“
“The ongoing online tendering fraud in Railways“
“Indian Railway: Contractors making Raining Profits by twisting the Policy in a cartelized manner!“
“East Central Railway is being run by a caucas of Chandal Chaukadi“
The standard recognition & general public perception is, “if the #river of #corruption is flowing openly in front of you, and you are not able to control, then either you are incapable, incompetent or one of the beneficiaries of the same!”
“Step Backwards or Policy corrupt system?“
#Signal #Telecom #IndianRailways #AshwiniVaishnaw #RailMinister #CRB #CEORlyBd #RailwayBoard #PMOIndia #CVCIndia #CBI #PCSTE #CSTE #SnT