रेल के दबंगों की दबंगई: क्यों #रोटेशन का कोई अपवाद नहीं!
रेल में हर स्तर पर #Rotation हमारा मुख्य उद्देश्य और डिमांड है, इसीलिए हमने #रेलभवन को मुख्य रूप से केद्रित किया, क्योंकि ऑल इंडिया डेलही सर्विस (#AIDS) और खान मार्केट गैंग (#KMG) का ये नर्व-सेंटर है। अगर रेलवे बोर्ड के सदस्य, इसके अध्यक्ष, मंत्री, इस तंत्र के सामने बेबस हैं, तो समझा जा सकता है कि कितने व्यापक रूप से यह कैंसर पूरी भारतीय रेल में फैल चुका है!
Railwhispers को कई पाठकों और आलोचकों ने कहा, कि आप क्यों केवल कुछ लोगों के पीछे पड़ें हैं!
हमने उन्हें बताया कि #Railwhispers और #RailSamachar शुरू से ही रेल के जमीनी मुद्दे उठाते रहे हैं। जबसे हमने ये पत्र और पोर्टल आरंभ किए हैं, एक विषय हर बार मुख्य रूप से आया है-जोड़ तोड़ यानि जुगाड़ तंत्र ने जुगाड़ू अधिकारियों और कर्मचारियों को ही रेल में पनपाया है। हर बार बात यही आती थी कि शोषण करने वाला अफसर या सुपरवाइजर एक स्थान या पोस्ट पकड़कर बीसों साल से बैठा है जिसके चलते वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही पूरे सिस्टम को भी न्यूट्रलाइज कर मैनेज कर लेता है।
इसीलिए शुरू से ही #Rotation की मांग हमारा समाचार पत्र और पोर्टल करता रहा है और आगे भी करते रहेंगे। इसमें किसी के प्रति कोई पूर्वाग्रह या किसी प्रकार की व्यक्तिगत लागडाट नहीं होती है। अभी मुद्दे तीखी धार के साथ इसीलिए भी सामने आ रहे हैं, क्योंकि पहले अधिकारी चुपचाप काम करते रहते थे, इसलिए कि समय और सीनियरिटी के साथ उन्हें उचित प्रमोशन मिल जाता था। #DRM या #GM अच्छी जगह बनें या न बनें, लेकिन वे ऊपर तक पहुंच सकते थे। लेकिन धन्य हो #IRMS का, जिससे अब उनकी यह सुनिश्चितता भी समाप्त हो चुकी है। इसीलिए ये अधिकारी, जो जहां फेंक दिए जाते थे, चुपचाप चले जाते थे, अब ठगा सा महसूस कर रहे हैं और मुखर हो रहे हैं।
रेल में हर स्तर पर #Rotation हमारा मुख्य उद्देश्य और डिमांड है, इसीलिए हमने #रेलभवन को मुख्य रूप से केद्रित किया, क्योंकि ऑल इंडिया डेलही सर्विस (#AIDS) और खान मार्केट गैंग (#KMG) का ये नर्व-सेंटर है। अगर रेलवे बोर्ड के सदस्य, इसके अध्यक्ष, मंत्री इत्यादि सब, इस तंत्र के सामने बेबस हैं, तो समझा जा सकता है कि कितने व्यापक रूप से ये कैंसर रेल में फैल चुका है!
इस ट्वीट में हमने विस्तार से दबंगई के ऐसे 12 उदाहरण दिए हैं।
आज पता चला कि कैसे #पुणे में अनुकंपा नियुक्ति पर आए C&W के एक फिटर ने #AME से लेकर #SrDME तक का लगभग बीस साल का कार्यकाल #Pune में ही निकाला। ग्रुप ‘सी’ में जितने समय रहे, वह अलग। इनके शोषण से त्रस्त कर्मचारियों की शिकायत और प्रदर्शन पर इन्हें दक्षिण पश्चिम रेलवे, हुबली भेजा गया-पता चला कि ये सिक लगाकर रेल भवन के कॉरिडोर्स में अपना ट्रांसफर आदेश बदलवाने की जुगाड़ में टहल रहे हैं।
रेल भवन में #KMG की पकड़ ऐसी रही कि दो रेलमंत्रियों से तथ्य छुपा #Khatauli के खलनायक महाप्रबंधक बन गए, जबकि इस दुर्घटना में मोदी सरकार के एक वरिष्ठतम कैबिनेट मंत्री का करियर खत्म हो गया। इसीलिए हमने बताया कि राजनैतिक नेतृत्व यदि #KMG के सम्मोहन से बाहर नहीं आएगा तो रेल मंत्रालय इस सरकार से पहले के मंत्रियों का भी गले का फंदा बना है, आप अलग नहीं हैं #KMG के सामने!
हमने यह भी बताया कि कैसे #IRFC, #IRCTC, #NHRCL जैसे #PSU को इस गैंग ने इसी सरकार से तथ्य छिपाकर सरकार की किरकिरी करवाई। अनैतिक और गैरकानूनी पोस्टिंग आदेशों पर मंत्रियों से साइन करवाए गए, इनका भी सटीक उदाहरण दिया गया। यह तो बात हुई दिल्ली की!
अब बात करते हैं वाराणसी की, हमें आकस्मिक रूप से मिली एक जानकारी से पता चला कि दबंगई केवल देश की सत्ता के केंद्र दिल्ली में ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भी है। आपराधिक तत्व और यहां लंबे समय से पोस्टेड कुछ अधिकारियों के नेक्सस के सामने सब फेल हैं। #Ranvijay एवं #KMSingh प्रकरण में भी #RDSO के #CVO की गलत पोस्टिंग जैसी लीपा-पोती कर दी गई।
“शैतानी और अपराधिक भूल के सुधार के लिए साधुवाद!”
जैसे रेलवे बोर्ड में खुला मैनीपुलेशन चला उसका अंदाजा इसी से लगता है कि #BoardVigilance का बस चलता तो वर्तमान #CRB महाप्रबंधक भी नहीं बन पाते। उस अधिकारी का, जिसकी विजिलेंस क्लीयरेंस वापस ले ली गई थी, उसका सीआरबी बनना, बताता है कि कैसे रेल भवन में विजिलेंस जैसे महत्वपूर्ण विभाग पूरी तरह से #KMG की राजनीति के पैदल सिपाही बन गए हैं।
यही कारण है कि रेल के #KMG के दबंगों को किसी का भय नहीं। इसकी तुलना हमने योगी जी के राज में ऐसे अधिकारियों से की थी, जिनमें अपने ही मुख्यमंत्री के ऊपर जानलेवा हमला करने वाले माफिया के प्रति कड़े रुख का भी किसी को भय नहीं।
“योगी जी के राज में अतीक-मुख्तार का राज और अय्याशी कैसे चली?”
जैसे पुणे में 20 साल से रहे अधिकारी का नीचे स्टाफ पर शिकंजा है, अपने #PCME को जेब में रखने के कारण, यही कुछ #BLW में दिखा, जो माननीय प्रधानमंत्री मोदीजी का संसदीय क्षेत्र है और हर छोटी बात #PMO को बताई जाती रही है।
ये है दबंगई!
KMSingh के 15 साल के कार्यकाल का विवरण हमने प्रकाशित किया था-
इस विषय में हमारे शोध से, जैसा हमने पहले आपको बताया था, और ऐसे मामले आए, जहां दबंग यहीं ग्रुप ‘ए’ भी पा गए और सारे फीडबैक के उलट यहीं लगातार पोस्टेड रहे हैं। 20 साल रहने के बाद यहीं प्रमोशन के बाद पोस्ट हो जाना इनके तंत्र को न केवल मजबूत करता रहा है, बल्कि और अधिक मजबूती देता है। #पुणे जैसी स्थिति यहां भी है।
अगर इनकी पोस्टिंग प्रोफाइल देखेंगे तो पाएंगे कि #KMSingh बरेका में अकेले नहीं हैं। #Stores और #Mechanical विभाग के #tenure डरावने हैं। आशा है #MTRS इसका संज्ञान लेंगे।
यहां तो सुपरवाइजर भी रोटेट नहीं हो रहे और कमाऊ पोस्टों पर ये तंत्र अपनी पूरी मजबूत पकड़ बनाए हुए है। आपराधिक पृष्ठभूमि के सुपरवाइजर इस तंत्र को पकड़े हैं। बरेका के इंस्पेक्शन विभाग के चर्चे जग-जाहिर हैं। व्यवस्था कुछ ऐसी बनाई गई कि ईमानदार #HOD भी बेबस हो गए हैं इनकी पहुंच के चलते! कुछ नेता टाइप कमीशनखोर कर्मचारी तो इंस्पेक्शन में 15 साल से भी अधिक समय से हैं, जबकि इस विभाग में रोटेशन का बहुत अधिक स्कोप है।
बरेका में भय क्यों छाया है?
23 जनवरी 2018 को बरेका कैंपस में दबंगों ने स्टाफ काउंसिल के संयुक्त सचिव, बरेका कर्मी तराधीश कुमार मुकेश को 7 गोलियां मारकर उन्हीं के घर के सामने ढ़ेर कर दिया गया। आपसी विवाद में यह बात भी सामने आई कि मुकेश, हत्या के एक आरोपी स्थानीय दबंग, जो बरेका के ठेके लेता था, के कार्यों की जांच की मांग करता रहा था, देखें-
“DLW employee murder case revealing, one arrested”
हमसे बात करने वाले बरेका के रेलकर्मियों ने जब अपनी जान का खतरा बताया तो हम बहुत अचंभित हुए। ये देश के अब तक के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है और प्रधानमंत्री बरेका परिसर में अक्सर आया करते हैं। उनका एक संपर्क-समन्वय कार्यालय भी यहां कार्यरत है।तथापि हमें दबे स्वरों में बताया गया कि “जिस अधिकारी को यहां बनाए रखने का प्रयास चल रहा है, वह इस तरह के आपराधिक तत्वों से तब से जुड़ा है जब वह कालोनियों की साफ-सफाई करा रहा था। ऐसे में कौन हिम्मत करेगा बोलने की! यहां तो लोगों की नौकरियां चली गई हैं, ये तो फिर अपनी जान की बात है!”
हमने आश्वस्त उन्हें किया है कि #Railwhispers और #RailSamachar बिना भय के ऐसे आपराधिक तत्वों से जुड़े अधिकारियों/कर्मचारियों की करतूतों को लगातार उजागर करते रहेंगे, लेकिन अभी पूरी जानकारी एकत्रित करना शेष है। इतना अवश्य पता चला है कि यहां से सेवानिवृत्त हुए एक कुख्यात करप्ट विद्युत अधिकारी का इस नेक्सस को अभयदान था। हालांकि हमें इसका नाम पता है, लेकिन इसे 2-3 सूत्रों से पहले और कंफर्म किया जाएगा। ऐसे अधिकारियों के नेक्सस में ग्रुप ‘सी’ से प्रमोट हुए और बीसों साल से अधिक समय से यहां पोस्टेड कई ग्रुप ‘बी’ अधिकारियों का नाम भी आया है, लेकिन उनके नाम भी कंफर्म करने के बाद ही प्रकाशित किए जाएंगे।
उम्मीद है #MTRS इस पर गौर फरमाते हुए न्याय करने के साथ ही बरेका में छाये भय को छांटने का महती प्रयास करेंगे! क्रमशः जारी…
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी