योगी जी के राज में अतीक-मुख्तार का राज और अय्याशी कैसे चली?

रेल में छाई ट्रांसफर/पोस्टिंग की अराजकता जानने के लिए इस सवाल का जवाब आवश्यक है!

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का माफिया को खत्म करने का संकल्प सब अच्छे से जानते हैं और यह अत्यंत सराहनीय कार्य भी है। मुख्तार और अतीक जैसे दबंग, जिन्होंने दूसरी पार्टी के जन-प्रतिनिधियों की सरेआम हत्या की – ये भी कहा जाता है कि स्वयं योगी जी के ऊपर हुए जानलेवा हमले के पीछे भी उत्तर प्रदेश के ऐसे माफिया ही थे-2008 का यह हमला बहुचर्चित रहा।

हम यह क्यों बता रहे हैं आपको?

हम यह इसलिए बता रहे हैं कि सरकार के मुखिया का संकल्प सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को अच्छे से पता है। देखें-

Hamid Ansari nephew – Mukhtar Ansari – terrorised Purvanchal – empire shattered by Yogi Govt

लेकिन दो घटनाओं ने सबको सकते में डाल दिया:

मवाली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को उत्तर प्रदेश की ही जेल में VVIP ट्रीटमेंट मिल रहा था, इतना कि डिप्टी जेलर के कमरे में अब्बास को प्राइवेट समय अपनी पत्नी के साथ दिया जा रहा था। इस जानकारी ने सबको हिलाकर रख दिया कि कैसे सरकारी तंत्र में इतना दुस्साहस कि गैरकानूनी काम तो करें, लेकिन आश्चर्य यह कि ये दुस्साहस ऐसे माफिया के लिए जिसने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर ही हमला करवाया था।

ऐसा ही कुछ हाल ही में प्रयागराज में देखने को मिला जहां कुख्यात अतीक अहमद के गुर्गों ने सरेआम फिल्मी ढ़ंग से उमेश पाल की हत्या के गवाह की हत्या कर दी जाती है। मुख्तार के ऊपर भी ऐसा ही आरोप है कि कृष्णानंद राय हत्या के गवाह संदेहास्पद तरीके से मर गए।

बात ये है कि कैसे सरकारी तंत्र में आज भी ऐसे लोग बैठे हैं जो निर्भीक हैं और ऐसे दुस्साहसी कार्य कर रहे हैं-ये भली-भांति जानते हुए कि सरकार के मुखिया की इन माफियाओं के प्रति क्या भावना है।

रेल में ट्रांसफर/पोस्टिंग के दुस्साहसपूर्ण सिंडिकेट इसी मॉडस ऑपरंडी की तरफ इशारा करता है। जो #KMG के रास्ते में हैं उनके कैरियर को येन केन प्रकारेण खत्म कर दिया जाता है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में चल रहे रेल इकाई के माफिया तंत्र का संरक्षण ऊपर दिए उदाहरणों से भिन्न नहीं। हमने हर बार यह बताया कि कैसे मोदी सरकार मंत्री बदलती रही, लेकिन खान मार्केट गैंग (#KMG) के अभेद तंत्र को नहीं भेद पाई।

अश्विनी वैष्णव जी आप पहले रेलमंत्री नहीं हैं, जो ‘खान मार्केट गैंग’ से घिरे हैं!

सरकार मंत्री बदलती रही, सीआरबी के एक्सटेंशन के साथ एक्सपेरिमेंट करती रही इस उम्मीद में कि वस्तुस्थिति सुधरेगी। लेकिन, #KMG पोषित होता रहा, क्योंकि इनका कोई सार्थक रोटेशन नहीं हुआ।

रेल में व्याप्त ट्रांसफर/पोस्टिंग का सिंडिकेट

#Railwhispers ने बार-बार यह विषय उठाया है कि रेल में ट्रांसफर/पोस्टिंग में व्याप्त अराजकता तथाकथित ‘समर्थवान’ अधिकारियों और कर्मचारियों के सिंडिकेट के आधिपत्य में है।  

भारतीय रेल चूंकि एक बहुत बड़ा विभाग है, ये सिंडिकेट अनेक स्तरों में काम करते हैं। लेकिन इसके मूल में आप हर बार #AIDS और #KMG को ही पाएंगे। इस अराजकता को ईंधन सार्थक रोटेशन नहीं किए जाने से मिलता है। इसको समर्थन मिलता है पोस्ट के लिए गलत चुनाव से! चूंकि काम न आना, बिना सार्थक रोटेशन एक जगह एक पोस्ट पर लंबे समय तक बैठे रहने से कड़े निर्णय लेने का नैतिक अधिकार खत्म हो जाता है, तो आप पाते हैं कि कई नेक्सस बनते हैं और कालांतर सुदृढ़ हो जाते हैं: जैसे वेंडर-अधिकारी नेक्सस, यूनियन-अधिकारी नेक्सस आदि।

हमने कई ऐसे उदाहरण दिए जहां यह बताया कि कैसे नितांत गैरकानूनी आदेश निकाले गए, कैसे कुछ चुनिंदा अधिकारियों को सीआरबी या मंत्री के स्पष्ट आदेशों के बाद भी ओब्लाइज किया गया। 

शमसी-नाकरा प्रकरण से यह बड़ा स्पष्ट हो गया कि कैसे सीआरबी द्वारा लिए गए निर्णय उनके जाने के मात्र दो हफ्ते में पूरी तरह बदल दिए गए? ऐसे में क्यों कोई डरेगा सीआरबी या मंत्री से? क्यों भजेगा सीआरबी या मंत्री को?

इस ट्वीट के जरिए हमने यह बताया कि कैसे रेल भवन के स्पष्ट आदेश के बाद भी एक जुगाड़ू अधिकारी (धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव उर्फ डी. के. श्रीवास्तव) मुंबई पहुंच गया। ये भी पता चला कि कैसे सरकार के 56-J के फैसले को इन्होंने धता बता दी।

डी. के. श्रीवास्तव द्वारा मुंबई में पद विशेष पर पोस्टिंग की मांग से रेलवे बोर्ड का लिखित इंकार!
देखें क्रम संख्या -3, ऊंची सिफारिश पर अंततः रेलवे बोर्ड का सरेंडर!

वहीं हमें पता चला कि कैसे पूर्व मध्य रेलवे के आशीष कुमार आर्य, जिन्हें संरक्षा संगठन में रहने के चलते शोषण के विरुद्ध प्रोटेक्शन मिलना था रेलवे बोर्ड के 29 दिसंबर 2022 के आदेश के तहत, उनके साथ एक ऐसा घटनाक्रम होता है जिसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है।

सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन के अधिकारियों को शोषण से बचाने का मंत्रालय का आदेश (2017/Safety (DM) 19/I Dtd 29 दिसंबर 2022)

श्री आर्य को ईसीआर में #SAG 16 दिसंबर 2022 को मिलता है, लेकिन 23 मार्च 2023 को इन्हें पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (#NFR) भेज दिया जाता है। कहते हैं कि इनके #PCEE साहब, जो हाल ही में हाजीपुर आए हैं, ने #MTRS से अपनी मित्रता का वास्ता देकर इस निर्णय को बदलवाया और इस अधिकारी को बिना किसी वाजिब कारण के मात्र कुछ महीने में #NFR में फेंक दिया।

वहीं, प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में, भारतीय रेल की एक बड़ी उत्पादन इकाई है- बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (#BLW)।यहां से हमें एक सामान्य स्थानीय दबंग द्वारा एक टेक्निशियन को शॉप फ्लोर पर सरेआम धमकाने का समाचार मिला। इस धमकी में एक अधिकारी का नाम लिया गया। आगे की जांच में ये भी पता चला कि शिकायतकर्ता और उसके गवाह के ऊपर अपने बयान से पलटने का बहुत दबाव है। और क्यों न हो-सब को पता है कि महाप्रबंधक, अन्य अधिकारी आएंगे-जाएंगे लेकिन यहां का माफिया यहीं रहेगा। यही तो इस माफिया की शक्ति है।

यहां संदर्भित आर्टिकल्स में कई ऐसे उदाहरण तथ्यों के साथ दिए हैं-

#KMG की दादागीरी के सामने प्रॉपर बोर्ड भी धराशाई!

कैसे #KMG अपने गिरोह को पोसता है और गॉडफादरलेस अधिकारियों का खुला शोषण करता है, #KMG के भौकाल के आगे रेल भवन के संतरी-मंत्री सब फेल!

शैतानी और अपराधिक भूल के सुधार के लिए साधुवाद!

अधूरा न्याय: क्या स्वतंत्र निर्णय लेने में असमर्थ हैं #MTRS?

वहीं हमें और सूचना मिली कि कैसे पूर्व सीआरबी वी . के. यादव, जिनकी अकर्मण्यता के चलते पूरा रेल तंत्र आज रेल के प्रति अपना उत्साह खो बैठा है, ने अपनी जाति के अधिकारियों को खुले हाथ समर्थन किया और रेलवे बोर्ड, आरडीएसओ (#RDSO), उत्तर रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे में पोस्ट करवाया। लालू का #JDPG, जिसे बोर्ड से निकाला गया था, उनकी मदद से वापस बोर्ड में आ गया। और लालू का ही तत्कालीन #APS, जिसने उपरोक्त सेफ्टी ऑर्डर जारी किया है, वह भी #VKYadav के जातिगत समीकरण के चलते #SS से #SAG तक रेलवे बोर्ड में ही टिका हुआ है।

#NER की स्थिति तो और भी अधिक हास्यास्पद हो गई, जहां वी. के. यादव ने अपनी जाति के अधिकारी खुले हाथ भर दिए। अब ऐसे में जब मुख्तार का बेटा जेलर के कमरे में रंग-रेलियां मनाता पकड़ा जाता है, तो आश्चर्य क्यों? #KMG #VKYadav की कमजोरी भांप गया और अपनी जाति के अधिकारियों की ट्रांसफर/पोस्टिंग में उनका सहायक बनकर उन्हें निष्क्रिय कर दिया।

रेलवे बोर्ड और सीआरबी साहब जागिये!

#CRB साहब आप विजिलेंस के मारे हैं, कहां आपकी विजिलेंस क्लीयरेंस नहीं मिल रही थी और कहां आप #CRB बन गए। क्या ये रेल कि व्यवस्थाओं के खुले मैनीपुलेशन की ओर इशारा नहीं है? विजिलेंस के चलते वन्दे भारत लेट हुई, विजिलेंस के चलते कितने अधिकारी जीएम या बोर्ड मेंबर नहीं बन पाए। केस सब बंद हुए, लेकिन विजिलेंस के इस खेल को किसी ने बंद नहीं करवाया।

इसे ही देखें, #RDSO के #CVO की नियम विरुद्ध अवैध पोस्टिंग को @Railwhispers ने उजागर किया था। आदेश बदलने की लीपा-पोती भी हो गई, लेकिन कोई जांच नहीं की, न कोई कार्रवाई हुई किसी पर कि कैसे रेलमंत्री से ऐसे गलत आदेश पर हस्ताक्षर करवाए गए!

रेलमंत्री जी यदि #KMG को ऐसे ही पोसेंगे तो जब प्रयागराज में सरेआम गोली-बम चलें या मुख्यमंत्री पर हमले के आरोपी का बेटा जेल में रंग-रेलियां मनाते पकड़ा जाए, तो उससे किसी को अचम्भा नहीं होना चाहिए।

यही कारण है कि कोई कुछ महीने में ट्रांसफर कर फेंक दिया गया और कोई पंद्रह साल के बाद भी वहीं प्रमोट और पोस्ट हो जाता है। मंत्री को तो छोड़ो, यहां प्रधानमंत्री का भी भय नहीं किसी को।

वहीं संरक्षा की बात पर नाकरा जैसे नाकारा और कदाचारी अधिकारी का सीआरबी द्वारा किया आदेश कैंसिल हो, पुराने मंत्री और सीआरबी के आदेशों के विरुद्ध रेल भवन में कुर्सी के साथ पोस्टिंग हो जाती है। दूसरी ओर सेफ्टी विभाग में फील्ड में पोस्टेड अधिकारी मात्र कुछ महीने में NFR फेंक दिया जाता है। रेल भवन में अनेक अधिकारी वहीं प्रमोट हो जाते हैं, महत्वपूर्ण कामों में लगा दिए जाते हैं, ये देखे बिना कि बाद में ये एक बड़ी परेशानी का सबब बनेंगे। किसी को कोई चिंता नहीं!

ये कहां का न्याय है? अगर आपके जातिगत समीकरण ठीक हैं तो इसी सरकार की नाक के नीचे सपा के धुर-समर्थक उत्तर प्रदेश के रेल मंडलों में पोस्ट हो जाते हैं! और मौज करते और करवाते हैं! कहने को रामराज्य है, मगर भ्रष्टों और कदाचारियों की सिफारिशें ऊपर से होती हैं, इसलिए आज भी उन्हीं का बोलबाला है! क्रमशः जारी…

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी

https://twitter.com/railwhispers/status/1486715646557650948?s=46