क्या जीएम/प.रे. को दिखाई/बताई जाएंगी भावनगर वर्कशॉप कर्मियों की समस्याएं!
वर्कशॉप के निरीक्षण पर भावनगर जा रहे जीएम को क्या रेलकर्मियों के जर्जर क्वार्टर्स भी दिखाए जाएंगे!
पश्चिम रेलवे के जनरल मैनेजर अशोक कुमार मिश्रा शनिवार, 25 फरवरी 2023 को भावनगर रेलवे वर्कशॉप का निरक्षण करने जा रहे हैं। वह सुबह 9 बजे से 12 बजे तक ब्रॉडगेज वर्कशॉप का निरीक्षण करेंगे। यह जानकारी मिलने पर एक तरफ वर्कशॉप कर्मियों ने खुशी व्यक्त की है, तो दूसरी तरफ यह सोचकर उनकी उम्मीद भी हिलोरें मारने लगी कि इस बार शायद महाप्रबंधक का ध्यान उनकी मूलभूत सुविधाओं और वर्कशॉप की असली आवश्यकताओं पर अवश्य जाएगा।
मीटर गेज वर्कशॉप बंद होने के बाद पश्चिम रेलवे के भावनगर मंडल में वर्तमान ब्रॉडगेज वर्कशॉप की स्थापना की गई थी। 11 कोच के आउट टर्न से वर्ष 2011 में चालू हुआ यह वर्कशॉप आज 80 #ICF कोचों की पीरियोडिकल ओवरहॉलिंग (#POH) करके आउट टर्न दे रहा है और 10 #LHB कोच का पीओएच करके आउट टर्न निकालता है तथा आईसीएफ कोच की 120 ट्राली की पीओएच यहां हर महीने होती है।
जिस वर्कशॉप की डिजाइन और कर्मचारियों की संख्या केवल 50 कोच के लिए है और इसी के हिसाब से यहां इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है, उस वर्कशॉप के कर्मचारी बिना इंसेंटिव यह कार्य कर रहे हैं और वर्कशॉप प्रशासन उनका शोषण करते हुए जीएम एवं रेलवे बोर्ड की वाहवाही लूटता है।
कर्मचारियों का कहना है कि भारतीय रेल में केवल भावनगर वर्कशॉप को ही इंसेंटिव/जीआईएस नहीं दिया जाता और कम कर्मचारियों से वर्कशॉप प्रशासन जबरन ज्यादा आउट टर्न लेता है। अगर कर्मचारी विरोध करते हैं तो उनको चार्जशीट देकर चुप करा दिया जाता है। शोषित कर्मचारी प्रशासन की इस जोर जबरदस्ती और निर्दय दबाव को मन मसोस कर सहन कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इस वर्कशॉप के कर्मचारियों को सुविधा के नाम पर शून्य है। यहां पीने का शुद्ध पानी तक उन्हें नहीं मिलता। कर्मचारियों को रहने के लिए जो रेलवे क्वार्टर दिए जाते हैं उनकी हालत काफी खराब है। कंडम जैसे क्वार्टर में कर्मचारी अपने परिवार के साथ रहने को मजबूर होता है, जबकि उस क्वार्टर के लिए वह एचआरए का हकदार नहीं रहता और एचआरए के रूप में 4000 से 9000 तक उसका रेंट वह कर्मचारी रेलवे को चुकाता है। पानी-बिजली बिल सभी अलग से।
कर्मचारी जब अपने क्वार्टर की मरम्मत हेतु आईओडब्ल्यू से अनुनय-विनय करने जाता है तो 7-8 महीना बीत जाने पर भी उसका क्वार्टर रिपेयर नहीं होता। किसी की छत टूटी हुई है, किसी में दरवाजा नहीं है, कई सारे क्वार्टर्स में प्लास्टर टूट चुका है, बाहरी दरवाजे खराब हो चुके होते हैं, कलर नहीं होता, किचन/टायलेट में पानी का कनेक्शन नहीं है, ऐसी खराब हालत में रहते और अपनी दुर्दशा पर स्वयं चिंतित रहते भावनगर वर्कशॉप के शोषित कर्मचारी जब रिक्वेस्ट ट्रांसफर की अर्जी करते हैं तो फाइल फॉरवर्ड करने की भी कीमत चुकाते हैं, और जो यह लेन-देन नहीं समझता, उसको हर स्तर पर परेशान किया जाता है और उसकी फाइल कभी आगे नहीं बढ़ पाती है।
आउट सोर्सिंग के व्यापारी, जिनको कॉन्ट्रैक्ट मिला है, वह सारे कॉन्ट्रेक्टर्स, कंडम कोच खरीदने वाले कॉन्ट्रेक्टर्स मुख्य कारखाना प्रबंधक (#CWM) के ऑफिस में हमेशा बैठे दिखाई देते हैं और उनको जो भी सुविधा या फेवर चाहिए होता है, वह सब उन्हें खुशी-खुशी उपलब्ध कराया जाता है। कर्मचारियों को मगर समय पर प्रमोशन नहीं दिया जाता। #LDCE रैंकर कोटा की परीक्षा चार बार स्थगित हो चुकी है, और अभी भी पेंडिंग है।
कर्मचारी बताते हैं कि ऐसी काफी सारी असुविधाएं यहां हैं जो यहां के कर्मचारी भुगत रहे हैं। अब देखना यह है कि इनमें से कितनी असुविधाएं और समस्याएं भावनगर वर्कशॉप के निरीक्षण हेतु 25 फरवरी को भावनगर आने वाले पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक को दिखाई देती हैं और वर्कशॉप प्रशासन उन्हें क्या-क्या दिखाता और बताता है!
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी