पीसीएमएम को ₹5 लाख की रिश्वत लेते सीबीआई ने रंगेहाथ पकड़ा, 15 करोड़ कैश सहित 50 करोड़ की संपत्तियाँ बरामद होने का कयास

ताजा मिली अपुष्ट जानकारी के अनुसार ₹15 करोड़ नकद और ढ़ेर सारी ज्वैलरी इत्यादि चीजें मिलाकर कुल बरामदगी अब तक लगभग ₹50 करोड़ हुई है!

पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक (#PCMM) के. सी. जोशी उर्फ कृष्ण चंद्र जोशी को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (#CBI) ने ₹5 लाख की नकद रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा! रिश्वतखोर जोशी को उनके ऑफिस-पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर में सीबीआई ने करीब सवा चार बजे अचानक धावा बोलकर रंगेहाथ पकड़ा। सीबीआई का यह धावा जोशी के गोरखपुर स्थित ऑफिस, सरकारी रेल आवास सहित उनके नोएडा स्थित निजी आवास पर एकसाथ किया गया।

कृष्ण चंद्र जोशी, पीसीएमएम/पूर्वोत्तर रेलवे, इनके पेट का साइज देखकर ही पता चल जाता है कि ये कितने बड़े पेटू रहे हैं!

सीबीआई में दर्ज #एफआईआर के अनुसार शिकायतकर्ता मैटेरियल सप्लायर/सर्विस प्रोवाइडर फर्म के मालिक प्रणव त्रिपाठी से पीसीएमएम जोशी ने ₹7 लाख की रिश्वत माँगी थी और धमकी दी थी कि अगर उसने ये रकम नहीं पहुँचाई तो उसकी फर्म “सूक्ति एसोसिएट्स” का पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) जेम पोर्टल पर रद्द कर देने को लिखकर भेज देंगे, जिसके बाद वह बर्बाद हो जाएगा और फिर रेलवे में वह कहीं भी टेंडर लेने तथा काम करने के लायक नहीं रहेगा।

एसपी/सीबीआई/एसीबी /लखनऊ को की गई लिखित शिकायत

जोशी के दोनों आवासों में देर रात तक चली छानबीन के दौरान नोएडा स्थित आवास से बताते हैं कि ₹15 करोड़ नकदी और तमाम ज्वैलरी सहित कुल बरामदगी लगभग ₹50 करोड़ होने की खबर है। इसके साथ ही लगभग 20 बैंक लॉकर्स का भी पता चला है। यह सभी लॉकर #सीबीआई द्वारा संभवतः आज खोले जाएंगे तब उनमें जो नकदी और नामी-बेनामी संपत्तियों का पता चलेगा, उससे जोशी साहब के सौ करोड़ से ऊपर के आसामी होने संभावना है।

देर रात तक चली छानबीन के बाद रात लगभग 11 बजे जोशी को लेकर सीबीआई टीम गोरखपुर से लखनऊ के लिए रवाना हो गई थी। जहां जोशी को स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाएगा। अपडेट की प्रतीक्षा है।

सेंट्रल रेलवे के कुछ ही महीने बाद अब पुनः एक और विभाग प्रमुख (#PHOD) को सीबीआई द्वारा रंगेहाथ रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने पर आज फिर से पूरी भारतीय रेल शर्मसार हुई है!

पीसीएमएम जोशी को स्वभावत: रिश्वतखोर बताया गया है। सबसे पहले यह पता चला है कि जोशी जी की अब तक की लगभग पूरी सर्विस रेलवे की उत्पादन इकाईयों में ही हुई है। एक बार जब इनका ट्रांसफर दक्षिण पश्चिम रेलवे, हुबली में किया गया था तब ये वहाँ न जाकर लंबे समय तक छुट्टी पर रहे। फिर पंतनगर में साथ पढ़े अपने मित्र टेंडरमैन सुधीर कुमार का पल्लू पकड़कर किसी तरह पूर्वोत्तर रेलवे में अपनी रिक्वेस्ट पोस्टिंग कराने में सफल रहे।

पीसीएमएम के. सी. जोशी के गोरखपुर स्थित सरकारी रेल आवास में चल रही छानबीन और बाहर खड़ी सीबीआई अधिकारियों की गाड़ियाँ

जोशी जी की रिश्वतखोरी का इनका लगभग हर मातहत अधिकारी और कर्मचारी भुक्तभोगी रहा है। बताते हैं कि एक युवा अधिकारी जब इनके चंगुल में नहीं फँसा तो इन्होंने उसके खिलाफ रेलवे बोर्ड विजिलेंस से केस बनवाकर और विजिलेंस से रिकमंड करवाकर उसे गोरखपुर से दूर अन्य जोनल रेलवे में फेंकवा दिया। पता चला है कि उस केस में जब कोई तथ्य या विसंगति नहीं मिली तब बोर्ड विजिलेंस ने जोनल विजिलेंस पूर्वोत्तर रेलवे को केस ट्रांसफर करके पीसीएमएम अर्थात् संबंधित विभाग प्रमुख यानि कि जोशी महाशय की ओपीनियन के साथ क्लोजर रिपोर्ट लगाने को कहा। बताते हैं कि यह फाइल आने पर जोशी जी ने अपने दो खास चेलों से उस अधिकारी को फोन करवाकर पॉजिटिव रिपोर्ट लगाने के लिए पाँच लाख रुपये माँगे, मगर संबंधित अधिकारी ने जोशी जी के दोनों चेलों को ठेंगा दिखाते हुए साफ कह दिया कि “उन्हें जो रिपोर्ट लगानी है, कह दो कि तुरंत लगा दें, न तो मेरे पास पैसा है, न ही मैंने रिश्वत लेकर पैसा कमाया है, मैं उन्हें एक ढ़ेला भी नहीं देने वाला!”

पीसीएमएम के. सी. जोशी की रिश्वतखोरी का प्रमाण और उगाही का तरीका: पहले ट्रांसफर कराओ, फिर कैंसिल कराने के नाम पर लाखों कमाओ! पहले विजिलेंस केस बनवाओ, फिर पॉजिटिव रिपोर्ट लगाने/केस खत्म कराने के नाम पर लाखों कमाओ! पहले टेंडर की फाइलें उठवाओ, फिर ठेकेदारों से वसूली करो! #RKJha-#RKRai-#AshokKumar की विजिलेंस में डाली गई अवैध वसूली की नई परंपरा रेलवे बोर्ड विजिलेंस से लेकर जोनल विजिलेंस तक में तो खूब परवान चढ़ ही रही है, अब उक्त तिकड़ी द्वारा अन्वेषित इस अत्यंत आसान और बेहतरीन तरीके का पूरा उपयोग के.सी.जोशी जैसे महाशातिर पीएचओडी भी करने लगे हैं! अर्थात् मेड़ ही खेत खा रही है! शर्मनाक! बेहद शर्मनाक स्थिति!

जानकारों का कहना है कि जोशी जी जैसे कुछ बड़े घाघ स्टोर्स ऑफिसर और हैं, जिनकी हैसियत सैकड़ों करोड़ की है और ये अधिकांशतः उत्पादन इकाईयों में ही रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि सीबीआई को ऐसे छुपे महा-रिश्वतखोरों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। फिलहाल अब जब सीबीआई का शिकंजा कसा है तब पता चलेगा कि जोशी जी वास्तव में कितने करोड़ के आसामी रहे हैं!

शीघ्र ऐसे कुछ और स्टोर्स अफसरों की दैनंदिन कार्यप्रणाली उजागर होगी जो अक्षरशः अपने चैंबर में पड़े सोफे पर लंबलेट होकर माहवार लाखों के मुफ्त वेतन के साथ समस्त सरकारी सुख-सुविधाओं का उपभोग करते हुए जनता की गाढ़ी कमाई को चूना लगा रहे हैं! क्रमशः जारी..