सीआरबी साहब, कृपया #AIDS और #KMG से रेल व्यवस्था को निजात दिलवाएं!
रेलवे बोर्ड इस बात का खुलासा करे कि मंत्री जी के #EDPG ने बतौर इंजीनियर ऐसा क्या काम किया है कि वह 56-J के अनप्रोडक्टिव ऑफिसर्स की सूची में नहीं हैं?
सिंगल टेंडर द्वारा नॉन-एडॉप्टेड इमोशनल इंटेलिजेंस टेस्ट सैकड़ों अधिकारियों का मनोबल तोड़ रहा है, इसको किसने सर्टिफाई किया? किसने इस टेस्ट को चुना? कैसे जबरन या धोखे से यह टेस्ट कराए जा रहे हैं? इन बातों को सार्वजनिक किया जाए!
#CRB साहब, आप रेल के सर्वोच्च अधिकारी (चीफ ऑफ स्टाफ) हैं, भारतीय रेल स्वयं में एक महासागर है, इसमें हर पल कहीं न कहीं कुछ न कुछ घटित होता रहता है। तथापि घटित होने वाली हर घटना के लिए न सही, तो भी हर प्रबंधकीय कोताही अथवा अनियमितता के लिए आपकी जवाबदेही या उत्तरदायित्व बनता है, अतः कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक तथ्य आपके सामने प्रस्तुत हैं, जिनको ध्यान में रखकर यह जांच सुनिश्चित करवाएं कि ‘इमोशनल इंटेलिजेंस टेस्ट’ के असली ‘मानक’ क्या हैं?
– हर मनोवैज्ञानिक टेस्ट का एडेप्टेशन होता है जब वह नई कल्चरल एंटिटी पर किया जाता है – इसे कुछ इस तरह समझें, कि एक भारतीय आपके घर आएगा तो डेहरी से भीतर घुसने से पहले जूता बाहर उतारकर अंदर आएगा और अंग्रेज अपनी हैट! इसीलिए, मनोवैज्ञानिक टेस्ट तभी मान्य होता है जब इसका एडेप्टेशन होता है। हमारी प्राथमिक सूचना यह है कि इस टेस्ट का एडेप्टेशन भारतीयों के लिए नहीं हुआ है। साथ ही, इस प्रकार के टेस्ट व्यक्तिगत कंसेंट (#consent) पर आधारित होते हैं, #ISB में किए गए इमोशनल इंटेलिजेंस टेस्ट से पता चला कि इस टेस्ट को #administer करने से पहले अधिकारियों को कुछ नहीं बताया गया।
– ये टेस्ट हमारी जानकारी में ऑनलाइन है, इसके सर्वर कहां हैं? इसको किसने जांचा? आपके वरिष्ठ अधिकारियों के मानस को टटोलता यह टेस्ट #UPSC द्वारा चयनित अधिकारियों का डेटा कैसे संरक्षित (सिक्योर) करता है? इस पर भी रेल भवन क्यों सन्नाटा खींचे है?
– एकाउंट्स, ऑपरेशंस, इंजीनियरिंग के चयन के लिए, किस मापदंड से इमोशनल इंटेलिजेंस टेस्ट होना चाहिए? हमारी रिसर्च में आयी जानकारी बताती है कि हर डोमेन में यह टेस्ट मान्य नहीं है। फिर इसे हर किसी पर क्यों थोपा जा रहा है?
– रेल के सामने इमोशनल इंटेलिजेंस बड़ा मुद्दा है कि टेलिस्कोपिंग #WAG12B, प्लेटफार्म पर चढ़ती मालगाड़ियां, गिरते #FOB, कोच में बैठे बीमार होते, उल्टियां करते यात्री? कोच में असुरक्षित बैठे मरते यात्री? क्या रेल के इंजीनियर, इंजीनियरिंग, रिसर्च, इन्नोवेशन इत्यादि को भूलकर केवल क्लर्क, बाबू और टेंडरकर्ता बन चुके हैं?
– क्या यह सच है कि #IRMS के प्रारूप के पीछे 9dot9 कंसल्टेंट का भी हाथ था?
– क्यों रेल भवन आमादा है सिंगल टेंडर पर दिए ऐसे टेस्ट को कराने के लिए, जो कतई निरर्थक है? क्या केवल इसीलिए कि #एडवाइजर साहब के वह पीएचडी गाइड हैं?
सीआरबी साहब, हमने “#KMG: Never A Bystander – A Standard & Deeper Analysis: पार्ट-3“ में इस विषय का विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण किया था। कृपया एक बार पुनः इसका अवलोकन करें!
• Pulling off a fraud in broad daylight – Truth Behind Hype of Emotional Intelligence
• क्या इमोशनल इंटेलिजेंस का #KMG अपने जैसे सिस्टम के नंबरी चालबाज लोगों का चयन करने के लिए एक टूल के रूप में उपयोग कर रहा है?
• क्या इसीलिए आईआरएमएस जैसी बिना सोची-समझी चयन प्रणाली को इंट्रोड्यूस किया गया है?
निगाह रखें, अभी बहुत कुछ देखने को मिलेगा! क्योंकि अब धीरे-धीरे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि नेताओं, सांसदों, मंत्रियों को गुमराह कर #KMG जैसे गैंगों से जुड़े कुछ धूर्त नौकरशाह विदेशी भेदिए बनकर हमारे सिस्टम को भीतर से खोखला करने का प्रयास रहे हैं!
कुर्सी धारक बदला, आदेश बदले, और अंत में हुई #AIDS की जीत
सीआरबी साहब, दुखद ये है कि आपके कार्यकाल के पहले महीने में ही #AIDS के रणबाँकुरे, अपनी कुर्सी सहित रेल भवन पहुंच रहे हैं-
• जिन अधिकारियों के ट्रांसफर नॉर्दर्न रेलवे के बाहर हुए, उनके ऑर्डर कैसे फिर कैंसिल होकर पोस्ट सहित बोर्ड पहुँच गए?
• क्या पुराने ऑर्डर्स के परिपेक्ष्य को फाइल पर लिंक नहीं किया गया?
• क्या यह अराजकता नहीं है कि सीआरबी के बदलते ही ऑर्डर ऐसे बदल दिए जाएं?
• क्या पूर्व सीआरबी के निर्णय गलत थे?
यही प्रश्न पूर्व सीआरबी से हुआ था, कि क्यों उन्होंने सुनीत शर्मा जी के द्वारा किए आदेशों को होलसेल में निरस्त कर दिया! शुचिता की मांग तो यही है। ऐसे ही एक ट्रैफिक अधिकारी को गंभीर संदिग्ध गतिविधियों के मद्देनजर सीआरबी के आदेश से बोर्ड से निकाला गया, लेकिन वह वाया #DFCCIL मात्र कुछ ही दिनों में बड़ौदा हाउस में पुनः एक सेंसिटिव पोस्ट पर पहुंच गया।
ऐसा ही कुछ पहले हमने भी इंगित किया था कि कैसे #KMG ने आपसे पहले भी विजिलेंस जैसी सेंसिटिव पोस्ट पर मंत्री जी से जानकारी छिपाकर #RDSO में पोस्टिंग करवाई थी।
यह #Railwhispers के खुलासे के बाद हुआ कि इस अधिकारी को आरडीएसओ से मुंह छिपाकर निकाला गया। फिर क्यों रेल भवन, आरडीएसओ को गरियाता रहता है जब सारा खेल #AIDS के रेल भवन में बैठे रणबाँकुरे खेल रहे हैं? #RDSO को तो रेलमंत्री गरियाते हैं, लेकिन सारी पोस्टिंग वहां उन्हीं के हस्ताक्षर से होती हैं – यह कैसा विरोधाभास है!
मुद्दा ये है मान्यवर कि-
पूर्व सीआरबी द्वारा किए गए आदेश, जो आपके कार्यकाल में बदले गए हैं, आप इन आदेशों की जांच करवाईए, पूर्व सीआरबी से बात करिए, क्या आदेश बदलना नैतिक निर्णय है, या पहले अनैतिक निर्णय हुए थे? इस निर्णय से क्या मैसेज गया, क्योंकि इसका अर्थ यह है कि आप अगर ऑल इंडिया दिल्ली सर्विस (#AIDS) से हैं, तो आपके सामने सीआरबी भी छोटे पड़ेंगे?
“#KMG_2.0: क्यों चाहिए टेम्परेरी रेलवे बोर्ड का सेक्रेटरी!“ शीर्षक खबर में हमने 15 फरवरी 2023 को ही माननीय प्रधानमंत्री जी को संबोधित करते हुए रेल प्रशासन को भी बताया कि उसे #पंचारिष्ट पर क्यों सख्ती से अमल करना चाहिए!
क्यों इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए, क्या बाकी अधिकारियों के लिए बहुत वीभत्स मानक नहीं रखा जा रहा? #IRSEE का 1992 बैच वैसे ही रेल भवन में #CRB और #MRCell को कब्जे में लिया हुआ है। क्या कारण है कि इन्हें रेल भवन में इतने महत्वपूर्ण पद दिए गए हैं? राष्ट्रपति के ADC क्यों स्पेशल फोर्सेज के डेकोरेटेड सैन्य ऑफिसर होते हैं? यह इसलिए कि सर्वोच्च कमांडर अर्थात् राष्ट्रपति के पास ऐसे लोग रहें जिन्हें सैन्य व्यवस्था सम्मान की दृष्टि से देखे। आपके और आपके ऊपर के दफ्तर में ऐसे इंजीनियर बैठे हैं, जो किसी भी अचीवमेंट से अछूते हैं, और उन्हें इस पर गर्व है! कृपया इस लेख का पुनः अवलोकन करें-
1987 बैच का इमोशनल इंटेलिजेंस टेस्ट हुआ है #GMPanel के लिए! वहीं, जैसा सोचा था, पहले चक्र में एम्पैनलमेंट प्रक्रिया से अलग कर दिए गए ऑफिसर्स के रिप्रेजेंटेशंस को अधर में लटकाकर छोड़ दिया गया है। जैसा पहले हमने अनुमान लगाया था, #KMG के टूलकिट के अनुरूप, फाइल चलाकर रोक दी जाएगी। क्या यह कैबिनेट निर्णय के विरुद्ध नहीं? कृपया इस लेख का एक बार पुनः अध्ययन करें-
“मंत्री जी, #KMG द्वारा की गई इन ब्रह्म-हत्याओं का पाप किसके सिर पर?“
खैर, अब पूरा काम प्रेडिक्टेबल ही है, इसीलिए बहुत सारी निजी जानकारी #KMG के बारे में आने लगी है। हम मानते हैं कि परिवार को इन मसलों में नहीं लाना चाहिए, लेकिन सरेआम अपमानित होना भी अधिकारियों को उत्तेजित कर रहा है। ये खबर कि #KMG के प्रयागराज वाले पंडाधिकारी – अगर दिल्ली में नहीं, तो प्रयागराज में डीआरएम बनाए जाएंगे – के चलते बहुत से वरिष्ठ अधिकारी आंदोलित हैं। उनका ये मानना है कि मंत्री जी ये बताएं कि उनके #EDPG ने बतौर इंजीनियर ऐसा क्या काम किया है कि वह 56-J के अनप्रोडक्टिव ऑफिसर्स की श्रेणी/सूची में नहीं हैं? यह सवाल हमने भी पूछा है, लेकिन हमें ये पता है कि एमआर सेल के कागज के किले को इस जानकारी के बाहर आते ही ढ़हते देर नहीं लगेगी!
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए!“
“#IRMSE पर यू-टर्न: मोदीजी, क्यों नहीं #KMG को 56-J में बर्खास्त किया जाए! भाग-2“
वैसे सीआरबी साहब, आपको अगर भविष्य की समस्याओं से बचना है तो हमारे द्वारा उठाए प्रश्नों पर स्वतंत्र जांच करवाएं – इमोशनल इंटेलिजेंस के इस सिंगल टेंडर द्वारा नॉन-एडॉप्टेड टेस्ट से आपका दफ्तर सैकड़ों अधिकारियों का मनोबल तोड़ रहा है। गजट नोटिफिकेशन भी बात करता है ‘स्टैंडर्ड टेस्ट’ की, इसको किसने सर्टिफाई किया? किसने इस टेस्ट को चुना? कैसे जबरन (प्रमोशन के लिए) या धोखे से (ISB की ट्रेनिंग में) ये टेस्ट कराए जा रहे हैं? ये सब तो अब आपको ही देखना है!
इमोशनल इंटेलिजेंस टेस्ट से संबंधित जानकारी हमने #RTI के अंतर्गत रेल मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय (#DOPT) दोनों से मांगी है, लेकिन अभी तक जवाब नहीं मिला। क्यों स्टैब्लिशमेंट ऑफिसर को चीजें छुपाने की जरूरत है? सीआरबी साहब इस फाइल की नोटिंग सार्वजनिक करिए! इस छुपा-छुपाई के चलते ट्रेनें प्लेटफार्म पर चढ़कर लोगों को मारने लगी हैं। चलती ट्रेन में भीतर बैठे यात्री मर रहे हैं। जब एक लाख वैगन में ये वायरस चला गया, तो धीरे से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया गया कि ये ‘known deficiency’ है।
सीआरबी साहब, आप यह बात मंत्री जी को बताएं, और इसलिए भी बताएं क्योंकि आपके सिवा दूसरा कोई नहीं बता सकता, कि उनके ईडीपीजी ने जीवन भर केवल सुरक्षित फाइलों को ही डील किया, अर्थात वह इंजीनियर नहीं, क्लर्क रहा अब तक की सर्विस में, तो अब उसे डीआरएम बनाने के लिए कैसे योग्य, सक्षम और उचित मान लिया गया? उसका फाइनेंशियल निर्णय लेने वाली पोस्टिंग से बचना या गॉडफादर्स द्वारा उसे बचाकर रखना, सर्वथा अनुचित और अनैतिक है। इसमें #Railwhispers की पूर्ण सहमति है।
आपके द्वारा #KMG के एक सदस्य को रेल भवन से निकाला जाना आपका पहला एक अच्छा निर्णय था, हालांकि, रेल भवन के गलियारों में यह चर्चा भी सुनने में आई कि वह अधिकारी #KMG के वरिष्ठ सदस्यों की निगाह में गिर चुका था।
महोदय, संसद का सत्र खत्म हो चुका है, बजट आ चुका है। कृपया #AIDS और #KMG से रेल व्यवस्था को निजात दिलवाएं, रेल व्यवस्था के सुधार में यह आपका महती योगदान होगा। आपके कार्यकाल में पुराने आदेशों को बदलना एक गलत परिपाटी को बढ़ावा दे रहा है, कृपया इसे रोकिए! क्रमशः जारी…
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी