ईसीआर की जातिगत व्यवस्था और भ्रष्टाचार में ‘मुनीम जी’ की भूमिका!

कौन रहता है एस. पी. मार्ग, दिल्ली के उस आवस में, जहां बैठकर डिसाइड होती है बहुतों की किस्मत और कीमत? शीघ्र होगा इसका खुलासा!

पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) से लगातार फोन आ रहे हैं, इनमें अधिकतर रेलकर्मियों और अधिकारियों का कहना है कि “जो कुछ भी लिखा जा रहा है, उजागर हो रहा है, वह सब अक्षरशः सत्य है। इससे चांडाल चौकड़ी में शामिल लोग और उनके द्वारा पाले गए लोग भी बुरी तरह बिलबिला रहे हैं।” कई वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रकाशित तथ्यों की अपने स्तर पर पुष्टि करके बताया कि “जो भी लिखा गया है, वह सब सही है।”

कुछ फोन चांडाल चौकड़ी में शामिल लोगों, खासकर सीएओ/कंस्ट्रक्शन/साउथ, महेंद्रू घाट, पटना के फेवर में भी आए हैं। सबसे पहले इन पाले हुए लोगों का हंसते हुए कहना यह होता है, “भाई साहब, बहुत गहराई तक ‘एक्सपोज’ कर दिया!” फिर धीरे कहते हैं, “अब बख्श दीजिए, बहूत हो गया!”

परंतु जब इनसे यह पूछा जाता है कि क्या वे जो कह रहे हैं, वह कहने के लिए उनके बॉस ने अथवा चांडाल चौकड़ी के लोगों ने उनसे कहा है? तब लगभग हड़बड़ाकर वह कहते हैं, “नहीं, नहीं, भाई साहब, वो तो हमको इन लोगों पर दया आ रही है, और फिर आपने तो सब कुछ लिख ही दिया है, वैसे सीएओ साहब बहुत अच्छे हैं, सबकी मदद करते हैं, मगर शायद पीएफए और जीएम के चक्कर में आ गए हैं, क्योंकि एसएलटी का फुल पावर अब सीएओ के पास है और पूरा वरदहस्त एकाउंट्स विभाग को प्राप्त है। इसमें केवल सीएओ साहब नहीं, बल्कि पीएफए भी समान रूप से शामिल हैं!”

हालांकि अनजाने में ही यह पालतू मूढ़ रेलकर्मी एक बड़ा तथ्य प्रमाणित कर दिए हैं। तथापि आपके कहने का मतलब यह है कि अब तक जो कुछ लिखा गया है, वह सब सही है, यह पूछने पर वह हकलाते हुए हमारे सबसे बड़े मर्महिक बनकर कहने लगते हैं, “हां भाई साहब, वो सब सही तो है, पर आप हमें उनके नाम बताओ, जो आपको फीड कर रहे हैं, हम उनकी सारी बैकग्राउंड निकालकर आपको बताएंगे!” वह एक सांस में यह सब कह जाते हैं, और एक बार फिर से लिखे गए तथ्यों को प्रमाणित कर देते हैं, तथापि उन्हें अपनी स्थिति, अपने पद, अपनी हैसियत का भान भी नहीं रहता, कि यह सब भूलकर वह क्या कह रहे हैं!

बहरहाल, “ईसीआर में व्याप्त जातिगत पक्षपात, भेदभाव और भ्रष्टाचार के इस पूरे खेल की धुरी (किंगपिन) यहां के बड़े मुनीम जी अर्थात प्रिंसिपल फाइनेंस एडवाइजर (पीएफए) हैं। इन्होंने खुलकर जितनी अपनी जाति दिखाई है, उतनी तो उन्होंने भी शायद कभी नहीं दिखाई होगी, जो इसके लिए बदनाम किए गए हैं।” यह कहना है पटना, हाजीपुर में पदस्थ कई वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों तथा यूनियन पदाधिकारियों का।

पटना, हाजीपुर मुख्यालय सहित दानापुर, सोनपुर, समस्तीपुर, धनबाद तथा पं. दीनदयाल उपाध्याय मंडल के तमाम रेलकर्मियों और अधिकारियों का कहना है कि “इन्होंने बोल्डली जितना अपनी जाति के लोगों का फेवर किया है, उनको हर सम्भव जगह पर ठेका दिलाया है, और अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक को कमाई की जगह बैठाकर ऐसा सिंडिकेट तैयार किया है, जो शायद दाऊद टाइप के लोग भी नहीं कर सकते हैं।”

‘मुनीम जी’ को नजदीक से जानने वालों और इनके आसपास के लोगों का कहना है कि “जाति में वे ही लोग लाभान्वित किए गए हैं जो इनके जीरो इंवेस्टमेंट पर हजार गुना कैश और काइंड के रूप में इन्हें ‘रिटर्न’ पहुंचा सकते हैं।”

वह कहते हैं, “अपनी बिरादरी में यह महाशय ‘बुद्धिमान शिरोमणि’ माने जाते हैं, और इनकी पूरी सिंडिकेट इसे खूब प्रचारित भी करती है।”

वे बताते हैं, “मुनीम जी के इस महिमामंडन के चक्कर में अगर किसी भले व्यक्ति ने इनसे सलाह भी मांग लिया, तो वह इनके दल-दल में हमेशा के लिए फंस जाता है। इनके सिंडिकेट में जो लोग हैं, वह सब कहीं न कहीं इसी तरह के लोग हैं!”

ईसीआर के कई लेखाधिकारी और लेखाकर्मी बताते हैं, “चूंकि मुनीम जी ने जिंदगी भर यही किया, फिर भी बेदाग इसलिए रहे, क्योंकि दूसरों के कन्धों पर रखकर बंदूक चलाने की कला इनको बहुत अच्छी तरह आती है।”

वे कहते हैं, “ये महाशय खुद कभी किसी फाइल पर साइन नहीं करते हैं, जिससे कि कोई इन पर कहीं सवाल उठा सके, और जो इनकी मर्जी के अनुसार अथवा इनके मन-मुताबिक साइन नहीं करता है, उसे फंसाने की सारी कलाएं मुनीम जी को बखूबी आती हैं।”

वह कहते हैं कि “ईसीआर में जातीय फेवर की नींव मजबूत करने में मुनीम जी का सबसे बड़ा योगदान रहा है।”

उनका कहना है कि “यह महाशय एक पूर्व रेल राज्यमंत्री और वर्तमान में लेफ्टिनेंट गवर्नर के बहुत खास हैं, वह भी अपनी बिरादरी के सिरमौर हैं। उनके रेल राज्यमंत्री रहते इन महाशय ने रेलवे बोर्ड में गजब का आतंक मचाया हुआ था।” उन्होंने बताया कि, “इन महाशय ने अपनी सेटिंग फिक्स कर रखी है और नवंबर या दिसंबर तक यह दिल्ली पहुंच जाएंगे। इन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है कि ईसीआर अथवा रेलवे का क्या होगा, इन्हें केवल अपनी गोटियां फिट करने से ही मतलब रहता है!”

जानकारों का कहना है कि इन मुनीम जी की पोस्टिंग भले ही हाजीपुर में है, लेकिन इनका दरबार हमेशा दिल्ली के एस. पी. मार्ग स्थित एक आवास में लगता है, और कुछेक अन्य चुनिंदा जगहों पर भी, जहां बहुतों की ‘किस्मत’ और ‘कीमत’ डिसाइड की जाती है। क्रमशः

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी

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