एसएलटी स्कैम उजागर होने के बाद हरकत में है ईसीआर की चांडाल चौकड़ी!

पूरे घोटाले को रफा-दफा करने के लिए अलग रंग देने का किया जा रहा है कुत्सित प्रयास!

इस एसएलटी स्कैम की तह तक जाने की आवश्यकता इसलिए है कि कौन हैं वह लोग जो जनता की गाढ़ी कमाई को नियमों को ताक पर रखकर अपने स्वार्थ के लिए न केवल स्वयं लूट रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी लुटा रहे हैं!

एसएलटी स्कैम के खुलासे के बाद पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) की चांडाल चौकड़ी हरकत में आ गई है। पूरे मामले यानि घोटाले को रफा-दफा करने का प्रयास बड़े स्तर पर शुरू कर दिया है, और इसके लिए इस पूरे प्रकरण को एक अलग रंग देने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।

विश्वसनीय जानकार सूत्रों का कहना है कि चांडाल चौकड़ी का सरदार सीएओ/साउथ एवं बड़े मुनीम पीएफए इस पूरे प्रकरण को मैनेज करने के लिए बुरी तरह भाग-दौड़ मचा रहे हैं। यह भी सुनने में आया है कि ऊपर के कुछ लोगों को अलग तरीके से सेट करने की कोशिश की जा रही है। सीआरबी और रेलमंत्री को दबाव में लेने के लिए कुछ सांसदों से चिट्ठियां लिखवाने और मिलने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने रेलमंत्री को आगाह करते हुए कहा कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए इसे अविलंब सीबीआई को सौंपा जाए, क्योंकि यहां किसी भी एसएलटी में न तो कुछ स्पेशल है, न ही किसी प्रकार की कोई अर्जेंसी है।

उनका कहना है कि यह सब कुछ केवल जात-पात और पैसे के लिए किया गया है और यह सीधे-सीधे खुली चेतावनी है प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के प्रयासों को धता बताने की। उन्होंने कहा कि यह चांडाल चौकड़ी के शातिर लोग इस एसएलटी स्कैम के जरिए करप्शन की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं, जिसमें पक्षपात, भाई-भतीजावाद, जात-पात, पैसा और पद का दुरुपयोग तथा दुष्टतापूर्ण षडयंत्र सब कुछ एक ही जगह शामिल है।

उन्होंने कहा कि पूरे सरकारी महकमे में अपनी तरह का यह एक अनोखा मामला होगा जहां जानबूझकर 271 करोड़ से अधिक के एसएलटी महंगे/दोगुने रेट्स पर, वह भी सामान्य कार्यों के लिए, अपने चहेतों को दे दिए गए। उनका कहना है कि यह अपने आप में एक आश्चर्यचकित करने वाला प्रकरण है कि सीएओ और पीएफए में इतना दुस्साहस कहां से आया कि दोनों ने मिलकर इस तरह के घोटाले को खुलेआम अंजाम दिया!

उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा घोटाला है। इसकी तह तक जाने की आवश्यकता इसलिए है कि कौन हैं वह लोग जो जनता की गाढ़ी कमाई को नियमों को ताक पर रखकर अपने स्वार्थ के लिए न केवल स्वयं लूट रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी लुटा रहे हैं!

उन्होंने कहा कि इस मामले की गंभीरता का एक पहलू यह भी है कि रेलवे के ‘मुनीम’ अर्थात वित्त विभाग के अधिकारी, जिनकी इस मामले में हर कदम पर बहुत बड़ी भूमिका थी, वे चुप क्यों रहे? और इस भ्रष्टाचारपूर्ण दुष्कृत्य में वे भी भागीदार क्यों बन गए? क्या परंपरागत निर्धारित कमीशन कम पड़ रहा था? या फिर पेट नहीं भर रहा था?

उन्होंने कहा कि इतना कुछ होने के बाद भी मामले के प्रकाश में आने के बावजूद रेलमंत्री अथवा रेलवे बोर्ड स्तर से अभी तक किसी तरह की कार्यवाही न होने से व्यवस्था में भीषण असंतोष पैदा हो रहा है। अगर यही मामला किसी छोटे कर्मचारी से अनजाने में भी हुई गलती का होता, तो पूरा रेल प्रशासन और विजिलेंस उस निरीह को दोषी ठहराकर अब तक फांसी पर लटका चुका होता।

प्रश्न यह भी है कि एसडीजीएम/ईसीआर और उनके तीस मार खां विजिलेंस इंस्पेक्टर क्या कर रहे थे? क्या वह भी इस अपराध में भागीदार हैं? भारतीय रेल की एंटी करप्शन मशीनरी किस बात की राह देख रही है? किस बात की प्रतीक्षा कर रही है? कहीं इसका राज एक अनभिज्ञ अकर्मण्य काठ के उल्लू टाइप कार्मिक अधिकारी का एसडीजीएम के पद पर बैठे होने में तो नहीं छिपा है, जिसे डीआरएम न बनने के बावजूद रेलवे बोर्ड विजिलेंस के एक पूर्व महाभ्रष्ट शीर्ष अधिकारी की कृपा से एसडीजीएम/सीवीओ/ईसीआर बनाया गया था? यह सारी सेटिंग और सेटअप क्या इस तथ्य को प्रमाणित नहीं करते हैं कि ईसीआर की चतुर-चालाक चांडाल चौकड़ी सब कुछ पूर्व नियोजित तरीके से कर रही है?

इस प्रकरण के उजागर होते ही चांडाल चौकड़ी के कुछ चमचे अब उक्त सीएओ और बड़े मुनीमजी की इमेज चमकाने में लग गए हैं और एक एजेंडा चला रहे हैं कि उनको फंसाया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि रेलमंत्री को समझना होगा कि यह वही चौकड़ी है जो रेलवे में उनके सुधार के प्रयासों को डिरेल करने में लगी हुई है।

जानकारों का यह भी कहना है कि यह पूरा प्रकरण शीशे की तरह साफ है। इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें विजिलेंस और रेलवे बोर्ड के नियमों की जमकर और खुलकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि अन्य किसी जोनल रेलवे में इस पैमाने पर एसएलटी नहीं किए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस संदर्भ में पूरी भारतीय रेल में बाकी जगहों के आंकड़े भी देखे जा सकते हैं, करप्शन का ऐसा नंगा नाच संभवतः किसी भी रेलवे में नहीं हो रहा है।

सुनने में यह भी आया है कि शातिर सीएओ यह भी अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं कि इस पूरे मामले को उनके जीएम बनने की प्रक्रिया को रोकने के लिए उजागर करवाया गया है। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि उनको यह कैसे पता चला कि वे जीएम बन रहे हैं? कहीं वे इस एसएलटी स्कैम में उगाही गई रकम के माध्यम से जीएम बनने का जुगाड़ तो नहीं कर रहे थे? इसमें उनके सहयोगी कौन हैं? और वह पैसे किसको दिए जाने हैं?

जानकारों ने प्रधानमंत्री और रेलमंत्री से अनुरोध किया है कि वे रेलवे में पुराने भयावह दिनों की वापसी को रोकें! रेलमंत्री अपने स्तर से जांच करवाएं कि कहीं उनके नाम का बेजा उपयोग तो नहीं किया जा रहा है? क्योंकि #Railwhispers द्वारा उनका पक्ष लेने के लिए फोन किए जाने के दौरान सीएओ ने रेलमंत्री का नाम घसीटने का कुटिलतापूर्ण और घटिया प्रयास किया था।

अंत में उन्होंने कहा कि पूर्व मध्य रेलवे के सारे विभाग प्रमुखों/प्रमुख मुख्य विभाग प्रमुखों (एचओडी/पीएचओडी), जिनका कार्यकाल दो साल से ऊपर हो चुका है, चाहे वह कभी भी रिटायर कर रहे हों, उनको ईसीआर से अविलंब हटाकर दूसरी दूरदराज की रेलों में भेजने की या नौकरी से निकाल बाहर करने की नितांत आवश्यकता है! क्रमशः

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी

रेल मंत्रालय के कामकाज और रवैए के चलते समस्त रेलकर्मियों और अधिकारियों में गहरी हताशा और निराशा का भाव है।

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