डॉक्टरों पर कड़ाई से लागू की जाए आवधिक स्थानांतरण नीति!
मनचाही जगह सीएमडी नहीं बनाया, तो प्रमोशन रिफ्यूज करने, वीआरएस तक की धमकी देकर रेल प्रशासन को ब्लैकमेल करने तैयार हैं कुछ हेकड़ीबाज डॉक्टर!
जैसे-जैसे भारतीय रेल की मेडिकल सेवा में व्याप्त अनियमितताओं का खुलासा हो रहा है, इसमें बेनकाब हो रहे कई चेहरे अब अपने आपको बचाने के लिए अलग-अलग तरह की जोड़-तोड़ करने में लग गए हैं। सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से एक ही जोन में जमे हुए और उसी जोन में सीएमडी बनकर रिटायर होने तथा 62 की उम्र के बाद भी क्लिनिकल ड्यूटी के बहाने 65 की उम्र तक उसी जगह रेलवे के सुख भोगने की चाह रखने वाले कई डॉक्टर्स में हड़कंप मचा हुआ है।
भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि ये लोग जीएम और डीजी/हेल्थ/रेलवे बोर्ड को मैनेज करने की कोशिश में लगे हुए थे, लेकिन लगता है कि रेल प्रशासन को इनकी तिकड़मबाजी की जानकारी मिल चुकी है, इसीलिए इन्हें कहीं से कोई भाव मिलता फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है। यहां यह साफ है कि यदि इनकी तिकड़मबाजी को तुरंत खत्म नहीं किया गया तो ये तिकड़मी लोग एक गलत संदेश देकर रेलवे को बदनाम करके जाएंगे।
इसी कड़ी में यह भी पता चला है कि मध्य रेलवे के जोनल अस्पताल भायखला की एमडी भी भरपूर कोशिशें करने के बावजूद अब तक आश्वस्त नहीं हैं कि उनकी नियुक्ति बतौर सीएमडी मुंबई में हो सकेगी, क्योंकि काफी चक्कर चलाने के बाद भी उन्हें रेलवे बोर्ड से कोई आश्वासन नहीं मिला है। इसलिए उन्होंने अब अपने आसपास वालों से यह कहना शुरू कर दिया है कि अगर उन्हें मुंबई में सीएमडी नहीं बनाया जाता है, तो वे अपना प्रमोशन रिफ्यूज कर देंगी, लेकिन मुंबई से बाहर बिल्कुल नहीं जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि मुंबई में फिलहाल दोनों ही जोनों – मध्य एवं पश्चिम रेलवे – में अभी सीएमडी हैं और उनका कार्यकाल भी काफी शेष है, ऐसे में एमडी/भायखला द्वारा सिस्टम को किसके भरोसे चैलेंज किया जा रहा है? यह सोचने वाली बात है।
उधर उनके करीबी सूत्रों ने यह भी बताया है कि एमडी/भायखला का कहना है कि “भायखला हॉस्पिटल में निर्माणाधीन अतिरिक्त बिल्डिंग को वे अपने कार्यकाल में ही पूरा कराकर रहेंगी, चाहे इसके लिए उन्हें प्रमोशन ही क्यों न रिफ्यूज करना पड़े!”
सूत्रों का कहना है कि यह उद्देश्य रखना अच्छी बात है, परंतु इसके लिए प्रमोशन रिफ्यूज करने की बात समझ से परे है। इसका मतलब क्या यह निकाला जाए कि अगर मध्य रेल में सीएमडी नहीं बनाया जाता है, तो मुंबई से बाहर न जाना पड़े, इसलिए इस बहाने से प्रमोशन रिफ्यूज कर दिया जाएगा। फिर सवाल यह उठता है, और शक भी पैदा होता है कि आखिर उस बिल्डिंग के निर्माण में उनकी ऐसी क्या रुचि है? ऐसे में इस मामले की अलग से जांच की जानी चाहिए कि बिल्डिंग का निर्माण करने वाली एजेंसी से इनके इस विशेष लगाव का कारण क्या है?
वर्तमान में पूर्वोत्तर रेलवे, दक्षिण पश्चिम रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे एवं आईसीएफ में सीएमडी के पद खाली हैं। दक्षिण रेलवे के सीएमडी इस महीने रिटायर हो रहे हैं। इस प्रकार लगभग आधा दर्जन सीएमडी की पोस्टें खाली हैं। इन पर तुरंत नियुक्ति होनी है।
उनका कहना है कि वरिष्ठता क्रम में एमडी/भायखला तीसरे या चौथे क्रम पर हैं। इसलिए उन्हें तुरंत उनकी वरिष्ठता के अनुसार अन्य जोन में भेजा जाना चाहिए, जिससे रेलवे की छवि में सुधार होगा, अन्यथा एक गलत संदेश देने की कोशिश कई जुगाड़ू टाइप डॉक्टर कर रहे हैं।
प्रमोशन को रिफ्यूज करने वाले पैंतरे अथवा धमकी को ध्यान में रखते हुए भी रेल प्रशासन को उन्हें मध्य रेलवे, मुंबई से बाहर अविलंब भेजना चाहिए। इसके साथ ही किसी योग्य और आधुनिक क्लिनिकल समझ तथा मेडिकली अपडेटेड डॉक्टर को बतौर सीएमडी मध्य रेलवे में नियुक्त किया जाना चाहिए।
जानकारों का यह भी कहना है कि वैसे भी प्रशासनिक कार्यों के लिए भायखला हॉस्पिटल में प्रशासक नियुक्त है, और जो डॉक्टर क्लिनिकल कार्यों से पिछले लंबे समय से दूर हैं, उनका कोई बहुत अच्छा लाभ मरीजों को नहीं मिलता है। अतः प्रशासक की उपस्थिति में सभी मंडल एवं जोनल रेलवे अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को क्लीनिकल सर्विस में लगाया जाए, फिर वे चाहे किसी भी हायर ग्रेड या पद पर क्यों न हों!
उनका यह भी कहना है कि रेल प्रशासन को डॉक्टरों की, “नौकरी छोड़ देंगे या वीआरएस ले लेंगे”, जैसी धमकियों से ब्लैकमेल होने के बजाय इन पर कड़ाई से आवधिक स्थानांतरण नीति लागू करनी चाहिए, तभी इनकी मनमानी, इनका भ्रष्टाचार और प्रशासन को ब्लैकमेल करने की इनकी नीयत पर लगाम कसी जा सकती है, और तभी मरीजों अर्थात रेलकर्मियों को उचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जा सकती है।
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