भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है रेलवे बोर्ड विजिलेंस ऑर्गनाइजेशन

जरूरत है रेलवे बोर्ड विजिलेंस में बैठे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अविलंब बदले जाने की!

New Delhi: खबर है कि रेलवे बोर्ड विजिलेंस द्वारा एक इंवेस्टीगेशन इंस्पेक्टर (आईआई) को #NorthernRailway की तरफ से #CBI में #RSO नॉमिनेट किया गया है।

सूत्रों का कहना है कि कमाल यह है कि यह आईआई #NERailway गोरखपुर का #PWI है, जो नियम से उत्तर रेलवे का आरएसओ नॉमिनेट नहीं किया जा सकता है।

रेलवे बोर्ड विजिलेंस में ही एक और महान आईआई है, जिसका टेन्योर खत्म होने पर इसे उसके पैरेंट कैडर और रेलवे में बैक करने के बजाय इसे वहीं पर “प्रजेंटिंग ऑफीसर” (#PO) बना दिया गया।

सूत्रों का कहना है कि इस महान खिलाड़ी ने बतौर आईआई न तो कभी कोई खास केस किया, न ही इसे कभी कोई विशेष कठिन केस सौंपा गया था, और अब इसने आजतक कोई केस #प्रजेंट भी नहीं किया है।

सूत्रों का कहना था कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह महान आईआई न सिर्फ बोर्ड विजिलेंस के अधिकारियों की चापलूसी और जी-हजूरी में रहता है, बल्कि ऑफिस से लेकर घर तक उनकी #जरूरतों की “आपूर्ति” भी करता है? इसके अलावा यदि जरूरत बताई गई, तो इसके द्वारा दौरों के दौरान भी उनके लिए सारी “व्यवस्था” मुहैया कराई जाती है?

जोनल रेलवे के सूत्र बताते हैं कि इसे जब #आईआई के लिए #झांसी से स्पेयर किया गया था, तब इसके खिलाफ एक चार्जशीट भी पेंडिंग थी!

ऐसा ही एक और महान खिलाड़ी है, रेलवे बोर्ड विजिलेंस में, जो आईआई बनकर आया था, लेकिन शिकायत होने पर इसे तुरंत बैक-टू-पवेलियन करने के बजाय सिर्फ फील्ड में जाने से रोक दिया गया।

परंतु चूंकि इसे ऑफिसर्स की वसूली में इतनी महारत हासिल हो चुकी थी कि इसे न सिर्फ एक्सटेंशन पर बोर्ड में ही रखा गया, बल्कि रेलवे बोर्ड विजिलेंस की सबसे ज्यादा संवेदनशील (सेंसिटिव) और कमाऊ पोस्ट पर “गजटेड सेक्शन” में लगा दिया गया।

जबकि रेलवे बोर्ड विजिलेंस में यह भी #आरबीगैंग की ही एक प्रमुख कड़ी बताया गया है। यही नहीं, हाल ही में बोर्ड विजिलेंस से लगभग धकिया कर निकाले गए आरबीगैंग के मुखिया को डीएफसीसी में इसी वसूली और तिकड़मबाजी को बनाए रखने के उद्देश्य से ज्वाइन करा दिया गया है।

इसी तरह रेलवे बोर्ड विजिलेंस में ईडी/विजि./इले. के पद पर बैठे मोस्ट वांटेड आर. के. राय को लगभग 6 साल से भी ज्यादा हो चुका है, जबकि विजिलेंस अधिकारियों के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की गाइडलाइन सिर्फ 2 या 3 साल के कार्यकाल तक के लिए ही है।

यहां बोर्ड विजिलेंस के विश्वसनीय सूत्रों का ही कहना है कि “राय साहब को सभी नियम और गाइडलाइन ताक पर रखकर इतना लंबा विजिलेंस टेन्योर इसलिए दिया गया, क्योंकि इन्होंने घमासान सिंह जैसे कई महाकदाचारियों को विजिलेंस और सीबीआई से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अतः पहले घमासान सिंह का और अब दूसरे कैडर बिरादरी वर्तमान सीआरबी का वरदहस्त उन्हें मिलना तो तय ही था।”

इसी तरह सीपीडी/आरई/दानापुर पर भी कैडर बिरादरी होने के नाते वर्तमान सीआरबी पर यह आरोप लग रहा है कि उनके वरदहस्त के चलते ही उसे हटाया नहीं जा रहा है, जबकि उसका टेन्योर कब का खत्म हो चुका है।

यही नहीं, उन्हें हटाना तो दूर की बात है, बल्कि पिछले करीब दो साल से उन्हें आरई/हावड़ा का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा हुआ है।

इसके अलावा सीपीडी/आरई/दानापुर पर रेलवे बोर्ड विजिलेंस प्रमुख का भी वरदहस्त बताया जाता है, जो कि सभी संवेदनशील पदों पर बैठे अधिकारियों को उनका टेन्योर खत्म होने पर उन्हें हटाने या अन्यत्र शिफ्ट करने का फरमान समय-समय पर जारी करते हैं।

सूत्रों का कहना है कि “इस सबका मतलब तो यही निकलता है कि सभी प्राधिकारों को उनका “ड्यू” समय पर पहुंच रहा है, तो व्यवस्था जैसी चल रही है, वैसी ही चलती रहे! फिर भले इसके चलते पूरी व्यवस्था ही चौपट क्यों न हो जाए!”

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ऐसे में देखा जाए तो पूरा का पूरा रेलवे बोर्ड विजिलेंस भ्रष्टाचार और कदाचार का सबसे बड़ा अड्डा बना हुआ है, जिसकी अब सफाई जरूरी हो गई है।

जरूरत इस बात की है कि रेलवे बोर्ड विजिलेंस के हर अधिकारी और कर्मचारी को तुरंत बदला जाए!

रेलमंत्री पीयूष गोयल यदि अपने ठीक ऊपर चल रहे इस कुप्रबंधन और कदाचार को ही ठीक करके व्यवस्थित कर लें, तो न सिर्फ रेलवे की अवस्था सुधर सकती है, बल्कि प्रबंधन सही और उचित तरीके से होने पर रेलवे की बदौलत वह अपनी जनविरोधी छवि को भी चार चांद लगा सकते हैं।

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Fix responsibility/accountability or send home all these type of corrupt & non-working officials, and abolish all ZonalRailways’ construction organisation units

#VigilanceMafia #CorruptIIRB #pmmodi #pmoindia #cvc