पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल द्वारा गैर-किराया राजस्व मद में किया गया उल्लेखनीय कार्य

पूर्व में #NINFRIS के तहत अवॉर्ड किए गए अनुबंधों को विवाद रहित एवं पारदर्शी बनाए रखने हेतु ई-ऑक्शन में परिवर्तित करके पूर्व में प्राप्त राजस्व की तुलना में कई गुना राजस्व प्राप्ति की गई

गोरखपुर ब्यूरो: हाल ही में पूर्वोत्तर रेलवे के एक विभाग प्रमुख का रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े जाने का मामला सामने आया था लेकिन यह खबर राहत वाली और सकारात्मक प्रयासों की है। पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के वाणिज्य विभाग द्वारा गैर-किराया राजस्व (#NFR) के तहत रेल की आय बढ़ाने के लिए नए-नए इनोवेटिव आइडिया अपनाए जा रहे हैं जिससे यात्री सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ रेल राजस्व में भी पर्याप्त वृद्धि देखने को मिल रही है।

चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 (जुलाई से अब तक) में पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल ने गैर-किराया राजस्व मद में उल्लेखनीय कार्य किया गया है। पूर्व में #NINFRIS के तहत अवॉर्ड किए गए अनुबंधों को विवाद रहित तथा पारदर्शी बनाए रखने हेतु ई-ऑक्शन में परिवर्तित करके पूर्व में प्राप्त राजस्व की तुलना में कई गुना राजस्व प्राप्ति की गई है।

ई-ऑक्शन में परिवर्तित प्रमुख अनुबंध:

  1. ट्रेन साइड वेंडिंग (#TSV): यह अनुबंध #NINFRIS के तहत ₹8 लाख प्रति वर्ष लाइसेंस शुल्क प्राप्ति के लिए दिया गया था जबकि वर्तमान में ई-ऑक्शन के माध्यम से इसी अनुबंध को एक करोड़ रुपया प्रति वर्ष लाइसेंस शुल्क प्राप्ति के आधार पर अवार्ड किया गया। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने प्रतिशत की वृद्धि हासिल हुई!
  2. #NINFRIS के तहत अवॉर्ड की गई जिस वीडियो वॉल से मात्र ₹3.5 लाख वार्षिक लाइसेंस शुल्क प्राप्त हो रहा था उसी को ई-ऑक्शन मॉड्यूल के माध्यम से अनुबंध दिया गया और इससे करीब ₹30 लाख प्रति वर्ष लाइसेंस शुल्क की प्राप्ति होगी। अर्थात् पूर्व में प्राप्त लाइसेंस शुल्क की अपेक्षा लगभग 800 प्रतिशत की वृद्धि।
  3. ई-ऑक्शन मॉड्यूल पर प्रचार (#Advertisement) मद में लखनऊ मंडल के प्रमुख स्टेशनों पर ग्लो वॉल के माध्यम से प्रचार की सुविधा के लिए अनुबंध दिया गया है।
  4. गोरखपुर-लखनऊ वंदे भारत एक्सप्रेस के कोचों में प्रत्येक सीट के साथ लगी फूड ट्रे के पीछे प्रचार करने हेतु ई-ऑक्शन के माध्यम से अनुबंध किया गया है जिससे करीब ₹45 लाख प्रति वर्ष की राजस्व प्राप्ति होगी।
  5. लखनऊ मंडल के प्रमुख स्टेशनों पर बैटरी चालित कार्ट का भी टेंडर अवार्ड किया जा चुका है जिससे प्रति वर्ष लगभग ₹20 लाख रेल राजस्व के रूप में प्राप्त होगा।
  6. उत्तर प्रदेश में पहली बार स्लीपिंग पॉड का टेंडर ई-ऑक्शन के माध्यम से गोरखपुर जंक्शन पर दिया गया है जिसकी एवज में लाईसेंस शुल्क के रूप में लगभग ₹40 लाख प्रति वर्ष राजस्व की प्राप्ति होगी।

इस तरह से गैर-किराया राजस्व अनुबंध से लखनऊ मंडल के वाणिज्य विभाग द्वारा रेल राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की गई है, वह भी बिना किसी विवाद के। यह यात्रियों सहित नए आइडिया लेकर आने वाले लोगों के लिए भी सुविधाजनक और आकर्षक है। ज्ञातव्य है कि रेल मंत्रालय द्वारा गैर-किराया राजस्व जनरेट करने के लिए दिए गए निर्देश के क्रम में लगभग सारे जोनों में नए-नए अभिनव आइडिया लाए गए जिसमें काफी कुछ विवादित रहे।

पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में भी #NINFRIS के तहत नए आइडियाज पर काफी अनुबंध किए गए थे जिनमें कुछ विवादित भी रहे थे। यथा, मिलेट (ज्वार, बाजरा ,कोदो, रागी जैसे मोटे अनाज) का अवार्ड, जो कि फूड आइटम्स की श्रेणी में पहले से ही आता है। ई-ऑक्शन के माध्यम से गैर-किराया राजस्व में वृद्धि की दिशा में लखनऊ मंडल वाणिज्य विभाग द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग, हेल्थ कियोस्क, प्रमोशनल कियोस्क इत्यादि अनुबंध प्रक्रिया में हैं।