वन-डे-भारत

व्यंग्य – डॉ रवीन्द्र कुमार

हमारे भारत की भारतीय रेल अब इंटरनेशनल हो गई है। बोले तो वर्ल्ड क्लास! क्या बोला, काय में? काय में क्या? काय में इंटेरनेशनल होते हैं। अरे बाबा लुक्स में! टच एंड फील में! विजिबिलिटी में! यहां मैं गाय भैंस के टच की बात नहीं कर रहा हूं, जिसे टच करना नहीं आता और इंजन को ही पिचका देती है।

देखो ! वर्ल्ड क्लास बोले तो थोड़ी स्टाइल, ज्यादा नजाकत! नहीं क्या? तो अगर इंजन या ये वाली वर्ल्ड क्लास रेल नाजुक है तो शिकायत कैसी? खीसे में पैसे हैं तो सफर करो! नहीं तो बस देखो! निहारो! और धन्य हो जाओ कि इस जन्म में आप भारत में हो और उस दौर में हो जहां यह आपको देखने को मिल गई!

वो कहते भी हैं न – ब्यूटी इज इन दि आइज ऑफ बिहोल्डर – बोले तो सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती है। अब आपकी आंखों में सुंदरता नहीं रहती तो इसमें रेल का क्या दोष? अपनी आंखों का इलाज़ आयुष्मान भारत योजना में कराओ जिनमें अच्छे दिन का अक्स रेटिना पर नहीं गिर रहा। गिर रही है तो बस वन डे भारत की टूटी पिचकी तस्वीर!

यहां नित नई-नवेली वन डे भारत इतने भव्य समारोहों में चलाई जा रही हैं। पूरे देश में समारोहों का जाल सा बिछ गया है। आज यहां झंडी दिखा, कल वहां, परसों कहीं और। ये सब किसके लिए? नाशुक्रो, तुम्हारे लिए ही तो! अब क्या तुम्हारे पैर धुला-धुलाकर इसमें तुम्हें चढ़ाएं!

इतनी आन-बान और शानो-शौकत से ये रेल चलाई जा रही है कि अब तो तुमको लगना चाहिए कि भारत 22वीं सदी में है या 23वीं में? कहीं सीधे 24वीं में तो नहीं पहुँच गया? कारण 2024 में चुनाव भी हैं।

जिनकी आंखों में गंदगी है, जाहिर है कि उनकी आंखों में स्वच्छ भारत अभियान नहीं पहुंचा है और वो इसमें भी कमियां निकाल रहे हैं। देश की इतनी तरक्की को पचा नहीं पा रहे हैं। इनकी नजर अब भी फोड़ा-फुंसी पर ही जाती है।

अब न जाने कहां से कोई फोटोशॉप करके फोटो ले आए हैं जिसमें लोग-बाग न जाने कौन देश की, कौन ट्रेन में पसरे पड़े हैं, फर्श पर सो रहे हैं, उकड़ूं बैठे हैं। एक पर एक चढ़े जा रहे हैं। कह रहे हैं ये भारत की है। शर्म भी नहीं आती कह रहे हैं यही है असली भारत की तस्वीर। हम तुमको अर्श दिखा रहे हैं और तुम हो कि फर्श ही दिखता है तुम्हें, आप लोग विकास डिजर्व ही नहीं करते हो।

मेरे भोले भाईयों-बहनों, जीवन में तरक्की करो, फर्श नहीं, अर्श देखो अर्श.. अर्श पर आठ हजार करोड़ का भारत के माननीय यशस्वी विश्वगुरु प्रधानमंत्री का विमान देखो! पूरे भारत का आसमान पर राज है राज! पर तुम्हें थर्ड क्लास फर्श देखने से फुर्सत मिले तब न! उठो ! इस थर्ड क्लास ट्रेन के थर्ड क्लास डिब्बे के थर्ड क्लास फर्श से! अब तुम वर्ल्ड क्लास हो गए हो! अरे दीवानो, मुझे पहचानो !

वो ट्रेन, वो डिब्बा, वो भेड़-बकरियों की तरह पसरे बंदे इंडिया के हैं भी या नहीं, किसे बेरा? आजकल फोटोशॉप और ट्रिक-फोटोग्राफी से क्या नहीं संभव? हो न हो ये कोई फेकू-फोटू आई मीन फेक-फोटो है। या तो ये भारत का है ही नहीं, या फिर 2014 से पहले का है।

अब भाई, गाय-भैंस ट्रेन से टकरा जाये तो वन डे भारत क्या करे? पिछले 70 साल में गाय-भैंस के परिवार के शिक्षण-प्रशिक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, बस अपने परिवारवाद पर ही लगे रहे। देश का ख्याल था किसे? अब हमीं को कोई नवीन योजना लानी पड़ेगी, 5 किलो अनाज और चावल के साथ 5 किलो घास भी एड करनी पड़ेगी!

#डॉ_रवीन्द्र_कुमार, सुपरिचित व्यंग्यकार एवं पूर्व आईआरपीएस अधिकारी हैं।