रेलवे बोर्ड के सीटीसी स्क्वाड का औचित्य!
आखिर किसलिए है रेलवे बोर्ड का सीटीसी स्क्वाड? क्या यह ऑनबोर्ड चेकिंग स्टाफ को गाली देने/दिलवाने के लिए है? अफसरों के जान-पहचान वालों को बेटिकट अपर क्लास में लाने-लेजाने अर्थात ढ़ोने के लिए है? रेलवे बोर्ड के अफसरों के झोला उठाने/बैग ढ़ोने के लिए है? अफसरों की फेमिली को स्कार्ट करने के लिए है? आखिर क्या है औचित्य इस रेलवे बोर्ड सीटीसी स्क्वाड का?
सुरेश त्रिपाठी
मेंबर/ऑपरेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट/रेलवे बोर्ड (एमओबीडी) के ऑफिस से शुक्रवार, 12.08.22 को ट्रेन नं. 12445 के कंडक्टर को दो आदमी फर्स्ट एसी में कैरी करने के लिए सेंट्रल टिकट चेकिंग (सीटीसी) स्क्वाड के ओएसडी/सीटीसी के माध्यम से मैसेज दिया गया कि “ये एमओबीडी के लोग हैं, इन्हें कैसे भी एडजस्ट करके लेकर जाना है!”
प्राप्त जानकारी के अनुसार संबंधित कंडक्टर ने उन लोगों को फोन करके उनकी लोकेशन ली और कहा कि “वे जनरल टिकट ले लें, जिससे उन्हें पेनाल्टी नहीं लगेगी, बाकी डिफरेंस गाड़ी में बना दिया जाएगा।” यह बात उन लोगों ने एमओबीडी ऑफिस के संबंधित व्यक्ति को बताई, जिसने उन्हें कैरी करने के लिए कहा था, तो ओएसडी/सीटीसी के साथ कांफ्रेंस में एमओबीडी ऑफिस वाले व्यक्ति ने कहा कि “तुमने किस गधे को मेरा काम सौंप दिया, जिसे काम करना भी नहीं आता!”
यह गाली और अभद्रतापूर्ण भाषा सुनकर संबंधित कंडक्टर की ओर से कहा गया कि “वह यहां नौकरी करने आता है, किसी की गालियां सुनने नहीं, और यह कॉल रिकॉर्ड की जा रही है, ऐसा अपमानजनक व्यवहार कतई स्वीकार्य नहीं है।” कंडक्टर की यह बात सुनकर ओएसडी/सीटीसी न केवल चुप रहा, बल्कि तत्काल कांफ्रेंस कॉल खत्म कर दिया। हालांकि बताते हैं कि कॉल रिकॉर्ड नहीं की गई थी, यह बात इसलिए बोली गई थी कि जिससे अभद्रता कर रहा व्यक्ति अपने पैजामे में रहे।
पता यह भी चला है कि जिस ट्रेन नं. 12445 के कंडक्टर को ओएसडी/सीटीसी द्वारा जिन दो पैसेंजर (Pankaj Negi+1, PNR 2846440274) को जिन यात्रियों (Sunny Chahal+4, PNR 2606663016) के साथ एडजस्ट/परमिट करने का मैसेज दिया गया, और जिसके लिए एमओबीडी ऑफिस के गर्दभ स्वभाव व्यक्ति ने अभद्र एवं असंसदीय भाषा का प्रयोग किया, असल में वे दोनों पैसेंजर (Pankaj Negi+1) उपरोक्त ट्रेन से पौने दो घंटे पहले ही 19.05 बजे नई दिल्ली से चलने वाली ट्रेन नं. 22461 में जा चुके थे।
यही नहीं, यह भी पता चला है कि इस ट्रेन 22461 के कंडक्टर ने उनकी (Pankaj Negi +1, PNR 2846440274) न केवल सेकेंड एसी की रसीद बनाई, बल्कि उन्हें फर्स्ट एसी में शानदार यात्रा भी करवाई। अर्थात दो-दो ट्रेनों के कंडक्टर्स को एक ही पार्टी को कैरी करने के मैसेज दिए गए।
टिकट चेकिंग स्टाफ का प्रश्न यह है कि “क्या ऑनबोर्ड चेकिंग स्टाफ बोर्ड में बैठे अभद्र और अहंकारग्रस्त लोगों की गालियां खाने/सुनने के लिए नौकरी करता है?” उनका यह भी कहना है कि “एक तरफ अपने व्यक्तिगत जोखिम पर हम उनके निठल्ले फोकटिए जान-पहचान वालों को बेटिकट (डब्ल्यूटी) अपर क्लास में ढ़ोएं! और पकड़े जाएं, तो वर्षों तक विजिलेंस केस और दंड भुगतें! ऊपर से गालियां सुनें! यह कहां तक उचित है?”
प्राप्त जानकारी के अनुसार बाद में कंडक्टर को ओएसडी/सीटीसी ने मैसेज देकर बुधवार, 17 अगस्त 2022 को कार्यकारी निदेशक/पैसेंजर मार्केटिंग (ईडी/पीएम) के सामने सुबह दस बजे हाजिर होने को कहा है। बताते हैं कि यह जानने के बाद और इस प्रकरण में स्टाफ के साथ हुए अभद्र व्यवहार और गाली दिए जाने से सीटीसी स्क्वाड के समस्त स्टाफ में भयानक असंतोष व्याप्त है, तथा सभी ने सीटीसी स्क्वाड में काम नहीं करने और तत्काल रिपैट्रिएट होकर अपनी पैरेंट रेलवे में चले जाने का मन बना लिया है। स्टाफ का कहना था कि “अब और ज्यादा अपमान सहन नहीं होता!”
उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड के इस सीटीसी स्क्वाड का उद्देश्य टिकटिंग और पैसेंजर मार्केटिंग में होने वाले फ्रॉड पकड़ना तथा बोर्ड के अफसरों एवं मंत्री की प्रोटोकॉल देखना भी है। इसके साथ ही स्क्वाड के प्रत्येक स्टाफ को हर महीने कम से कम दो लाख की रसीदें भी बनानी होती हैं।
जानकारों का कहना है कि इस स्क्वाड का काम केवल इतने तक ही सीमित होता तब तक तो ठीक था, परंतु फ्रॉड पकड़ना और प्रोटोकॉल देखना तो यदा-कदा ही होता है, जबकि स्टाफ का अधिकतम समय अफसरों के निजी काम करने तथा उनकी फेमिली, नाते-रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों को ढ़ोने तथा स्कार्ट करते हुए लाने-ले जाने में खर्च होता है। इसके अलावा, सीटीसी स्क्वाड में कार्यरत स्टाफ का उपयोग उसकी पैरेंट रेलवे के कमर्शियल अधिकारियों द्वारा भी ऐसे अनेक कार्यों के लिए हमाली हेतु किया जाता है।
उनका यह भी कहना है कि अगर यहां तक भी होता, तब भी कुछ गनीमत होती, मगर यह फोकट सुविधा बोर्ड में बैठे अफसरों के जान-पहचान वालों, आईपीएस, आईएएस और दूसरे सरकारी विभागों के अधिकारियों सहित व्यापारी मित्रों तक बांटी जा रही है। ऐसे में इसे “सेंट्रल टिकट चेकिंग स्क्वाड” नहीं, बल्कि “सेंट्रल टहलुआ चपरासी स्क्वाड” बनाकर रख दिया गया है।
जानकारों का कहना है कि ओएसडी/सीटीसी की पोस्ट राजपत्रित स्तर की है, जबकि इस पर एक सुपरवाइजर – चीफ टिकट इंस्पेक्टर – (सीटीआई) स्तर के तृतीय श्रेणी कर्मचारी को राजपत्रित स्तर का दर्जा देकर इसलिए बैठाया गया है, जिससे कि उससे किसी चपरासी की तरह अपने मन-मुताबिक निर्देशों का पालन करवाया जा सके।
उन्होंने कहा कि सीटीसी स्क्वाड का औचित्य तभी तक सही माना जा सकता है, जब तक कि यह निर्धारित मैनडेट अथवा उपरोक्त उद्देश्य तक सीमित रहे। अन्यथा इसके अस्तित्व पर हमेशा प्रश्न उठता रहेगा, क्योंकि एक तरह से यह अनावश्यक अथवा अधिकारियों के रुतबे एवं अहंकार के पोषण के लिए किया जा रहा मैनपावर का अपव्यय है।
उन्होंने यह भी कहा कि सीटीसी स्क्वाड में कार्यरत स्टाफ के कार्यकाल को आठ साल से घटाकर पांच साल किया गया है, यह निश्चित रूप से एक सही कदम है। यह भी सही है कि कुछ गंभीर और उल्लेखनीय फ्रॉड भी पकड़े गए हैं। परंतु वर्तमान ओएसडी/सीटीसी, जिसका कार्यकाल अक्टूबर, 2022 में खत्म हो रहा था, को छह महीने पहले ही सेवा विस्तार कैसे और किस आधार पर दे दिया गया, यह जांच का विषय है।
जानकारों का मानना है कि न तो अधिकारियों की कमी है, और न ही इस पद पर आने के इच्छुक लोगों की कमी है। तथापि अधिकार संपन्न और बोर्ड के लगभग सभी उच्च/वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सीधे संपर्क एवं समन्वय में रहने वाले इस पद पर किसी तृतीय श्रेणी कर्मचारी को बैठाने का कोई औचित्य नहीं है।
उनका मानना है कि मनमानी को परंपरा के नाम पर जारी रखना उचित नहीं कहा जा सकता। जब इस पद से जूनियर स्केल अधिकारी अपनी प्रतिनियुक्ति पूरी करके वापस गया था, तभी इस पर समकक्ष अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए थी। अगर ऐसा किया गया होता, तो यह स्क्वाड आज इतना अधिक विवाद में नहीं होता।
उनका यह भी कहना है कि समकक्ष अधिकारी की नियुक्ति शायद इसके कंट्रोलिंग अधिकारियों को मुफीद नहीं लगती है, क्योंकि उससे चपरासी जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकेगा, मन-मुताबिक उससे किसी को स्कार्ट करने, उसका झोला (बैग) उठाने के लिए नहीं कहा जा सकेगा, उससे अनावश्यक और नियम विरुद्ध कार्य करवाने में कठिनाई आती है। ऐसा कुछ कहने-करने के लिए संकोच पैदा होगा। हिचक भी होगी।
अतः व्यवस्था में सुधार, पारदर्शिता, थोड़ी शुचिता, थोड़ी नैतिकता लाने के लिए यह आवश्यक है कि वर्तमान ओएसडी/सीटीसी का एक्सटेंडेड पीरियड तत्काल प्रभाव से समाप्त कर इस पद पर अविलंब गज्टेड अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए।