अनधिकृत यात्रा करने वाले पुलिस वालों पर कब नियंत्रण करेगा रेल प्रशासन!

अनधिकृत यात्रा करने वाले पुलिस वालों से होती है अपर क्लास यात्रियों को परेशानी, यह करते हैं ऑनबोर्ड टिकट चेकिंग स्टाफ के साथ मारपीट और देते हैं देख लेने की धमकी

ट्रेनों में अनधिकृत रूप से, बिना टिकट बिना किसी वैलीड अथॉरिटी के यात्रा करने वाले पुलिस वालों पर रेल प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है। यह पुलिस वाले, वर्दी, बिना वर्दी हमेशा एसी कोचों में ही घुसते हैं। जबरदस्ती करते हैं। यात्रियों को परेशान करते हैं। इनकी धींगामुश्ती से खासतौर पर महिला यात्रियों को विशेष परेशानी और संकोच का सामना करना पड़ता है

इन अनधिकृत पुलिस वालों से केवल यात्रियों को ही नहीं, बल्कि ऑनबोर्ड ड्यूटी पर टीटीई को भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। एक तरफ यात्रियों की शिकायत, तो दूसरी तरफ इन पुलिस वालों की जबरदस्ती होती है। मना करने पर यह कई बार न केवल टीटीई को धमकाते हैं, देख लेने और किसी फर्जी मामले में फंसा देने की धमकी देते हैं, बल्कि मारपीट भी करते हैं।

ऐसा एक कारनामा गुरुवार, 14 अप्रैल, 2022 को ट्रेन नं. 14217 में टीटीई के साथ मारपीट करने का तब हुआ जब यात्रियों की शिकायत पर ऑन ड्यूटी टीटीई हरीशंकर पोरवाल ने जीआरपी के सिपाही पिंटू कुमार एवं उसके साथ दो अन्य (एक महिला एवं एक पुरुष) बेटिकट लोगों को एसी कोच में बैठने से मना किया।

खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ चलने वाली अधिकांश मेल/एक्सप्रेस, राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों के एसी कोचों में न केवल जीआरपी बल्कि सिविल पुलिस वाले भी धड़ल्ले से अनधिकृत यात्रा करते हैं। रेल प्रशासन नियम कायदे की लाख घुड़कियां दे, लेकिन इन लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा है।

कई रेलयात्रियों का कहना है कि रेलवे के अधिकारी गाड़ियों की चेकिंग के नाम पर मात्र खानापूर्ति करते हैं। जबकि दीन दयाल उपाध्याय, प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, इटावा, झांसी, गोंडा, गोरखपुर, देवरिया, सिवान, छपरा, पटना इत्यादि की तरफ जाने वाली गाड़ियों में उक्त स्टेशनों पर जीआरपी का अधिकांश स्टाफ बिना अधिकृत ट्रेवल अथॉरिटी के यात्रा करता है और चेकिंग स्टाफ के लाख मना करने के बावजूद एसी कोच में ही यात्रा करता है। इससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है।

रेलवे का दैनिक यात्रा करने वाला स्टाफ तक इन पुलिस वालों की अराजकता से परेशान है। उनका कहना है कि रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी कान में रुई डालकर बैठे हैं, क्योंकि उन्हें वर्दी से डर लगता है! रेल मंत्रालय को इन अनधिकृत यात्रा करने वाले पुलिस वालों के खिलाफ अविलंब कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है।

“आरपीएफ और जीआरपी के प्रमुखों और जिम्मेदार अधिकारियों को पुलिस की मुफ्तखोर छवि को ध्यान रखकर इस अराजकता को रोकने के लिए कारगर कदम उठाना चाहिए। ऐसी सख्त व्यवस्था बनाए जाने की आवश्यकता है कि कोई भी पुलिस वाला वर्दी के आड़ में अनधिकृत यात्रा न कर सके, नहीं तो उन्हें चेकिंग स्टाफ के साथ-साथ यात्रा कर रहे यात्रियों और अन्य रेलवे स्टाफ के असंतोष का सामना करना पड़ सकता है।” यह कहना है पुलिस के दुर्व्यवहार से आतंकित तमाम रेलकर्मियों का।

इस मामले में रेल प्रशासन से भी नाराज रेलकर्मियों का कहना है कि पता नहीं कौन सी ऐसी किलाबंदी करके चेकिंग, मजिस्ट्रेट चेकिंग और अनेकों प्रकार के ड्राइव चलाए जाते हैं, जिनमें ये पुलिस वाले चेकिंग टीम के पकड़ में नहीं आ पाते हैं।

उनका कहना है कि ये लोग अधिकतर सुबह पांच बजे से दस बजे तथा शाम को पांच बजे से दस बजे के बीच अनधिकृत यात्रा करते हुए मिल जाएंगे। मगर उस समय में रेल प्रशासन की उक्त चेकिंग ड्राइव नहीं होती हैं। यह कथित ड्राइव केवल सामान्य रेलयात्रियों को परेशान करने के लिए ही चलाई जाती हैं।

उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग अपनी छवि को सुधारने में लगा है, जबकि इस मुफ्तखोर प्रवृत्ति के कुछ लोग उसकी साख पर बट्टा लगा रहे हैं। इस पर राज्य सरकारों के पुलिस मुखियाओं, जीआरपी के विभिन्न सक्षम अधिकारियों और रेल प्रशासन को कड़ा संज्ञान लेना चाहिए।