कश्मीर वैली में बिना वर्दी बिना हथियार आरपीएफ की पेट्रोलिंग! आतंकी हमले पर कौन होगा जिम्मेदार?
आरपीएफ जवानों को नहीं मिलते हैं गैस सिलेंडर और बुखारी, पता लगाया जाए कि यह सब जाते कहां हैं?
कश्मीर वैली में आरपीएफ जवानों से रात के समय बिना वर्दी और बिना हथियार के उस रेलवे सेक्शन में नाइट पेट्रोलिंग करवाई जा रही है, जो अब तक रेलवे को सुपुर्द भी नहीं हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कश्मीर वैली में बनिहाल से बारामुला सेक्शन में नई ओएचई लाइन लगाने पर काम किया जा रहा है, जो अभी पूरा नहीं हुआ है, क्योंकि बर्फबारी और भीषण सर्दी पड़ने के कारण काम बंद है। यह सेक्शन अभी तक प्राइवेट ठेकेदार के चार्ज में है। यह सेक्शन अब तक रेलवे को सुपुर्द नहीं हुआ है।
बताते हैं कि इसकी चोरी रोकने के नाम पर आरपीएफ अधिकारियों ने पता नहीं ठेकेदार से किस लालच में और किसके आदेश से आरपीएफ जवानों की पेट्रोलिंग ड्यूटी लगाई गई है। आरपीएफ जवानों को ड्यूटी करनी है, वह तो करेंगे, लेकिन कश्मीर जैसे खतरनाक और बर्फीले क्षेत्र में, जहां माइनस डिग्री तापमान में रात के समय फौज भी मूवमेंट नहीं करती, और अगर करती भी है, तो ग्रुप में करती है, उसके पास हथियार और ठंड से बचाव के पूरे साधन होते हैं।
लेकिन आरपीएफ की पेट्रोलिंग रात में जीआरपी के साथ सिविल ड्रेस में बिना हथियार के उनकी ड्यूटी लगाई जाती है। अगर इस दौरान उनका सामना किसी आतंकवादी से हो जाए, तो वह अपना बचाव कैसे करेंगे? जीआरपी के लोग स्थानीय लोग हैं, वे कैसे भी अपना बचाव कर सकते हैं। लोकल भाषा-भाषी होने के कारण वे किसी के घर में घुसकर अपना बचाव कर सकते हैं, लेकिन आरपीएफ जवानों को तो बाहरी होने के कारण फौज की तरह यहां पर टारगेट किया जाता है। ऐसे में उनका तो कोई बचाव ही नहीं है।
इस प्रकार आरपीएफ जवानों को जानबूझकर विभाग द्वारा मौत के मुंह में धकेला जा रहा है। एक जवान इतने खतरनाक क्षेत्र में बिना हथियार के खतरा होने पर अपना बचाव कैसे कर सकता है? एक तरफ तो विभाग जरूरी काम से भी बाजार में जाने की अनुमति नहीं देता है, जबकि दूसरी तरफ रात में बिना वर्दी और बिना हथियार के उनसे पेट्रोलिंग करवाई जा रही है। यह कहां तक उचित है?
उल्लेखनीय है कि अभी कुछ दिन पहले पंजगांम रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ जवानों पर आतंकवादियों द्वारा सीधे 3 फायर झोंक दिए गए थे। वह तो अच्छा हुआ कि किसी को कोई गोली नहीं लगी और कोई जवान हताहत नहीं हुआ था। ऐसे में आरपीएफ अधिकारियों की ऐसी क्या मजबूरी आ गई जो ओएचई लाइन अभी तक रेलवे के चार्ज में है ही नहीं, उस पर रात में बिना हथियार और बिना वर्दी के पेट्रोलिंग करवाई जा रही है?
वह भी ऐसी जगह जहां पर रात में बाहर निकलने की किसी को भी अनुमति नहीं है, फौज भी मना करती है। रेलवे बोर्ड को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और पेट्रोलिंग को तत्काल प्रभाव से बंद करवाना चाहिए, नहीं तो आरपीएफ जवान रात के अंधेरे में खाली हाथ पेट्रोलिंग में आतंकवादी या फौज अथवा सीआरपीएफ किसी के भी साथ दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। इसके लिए पूरी तरह से आरपीएफ के अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
एक और जानकारी प्राप्त हुई है। वह यह कि कश्मीर वैली में ठंड से बचाव के लिए आरपीएफ जवानों को गैस सिलेंडर और बुखारी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन जब किसी जवान को ठंड से बचाव के लिए यह गैस सिलेंडर और बुखारी दी ही नहीं जाती है, तो फिर इनकी आपूर्ति जाती कहां है?
बताते हैं कि बुखारी थाना इंचार्ज और ऑफिस बाबू के अलावा किसी जवान को नहीं दी जाती है, जबकि हर 15 दिन में गैस सिलेंडर आते हैं। इसमें इतना भ्रष्टाचार चल रहा है कि खाओ और खाने दो, जवान मरे तो मरे, मलाई खुद खाने से मतलब है।
इससे रेलवे को बड़ा चूना लगाया जा रहा है। यह गैस सिलेंडर और बुखारी जवानों को केवल कागजों में इशू होते हैं, जबकि जवान लकड़ी या हिटर जलाकर अथवा खुद का ब्लोअर लेकर ठंड से अपना बचाव कर रहे हैं।
यही नहीं, इन चीजों के बारे में अगर कोई जवान आवाज उठाता है, या ऐसी कोई कोशिश करता है, तो उसको कोई भी झूठी रिपोर्ट बनाकर फंसाने की कोशिश की जाती है। इसलिए कोई जवान कु बोलने की हिम्मत नहीं करता है।
रेलमंत्री, सीआरबी और डीजी/आरपीएफ, रेलवे बोर्ड को बर्फबारी और भीषण ठंड में भारी मुसीबतों तथा खतरों का सामना करते हुए अपने कर्तव्य एवं दायित्व का निर्वाह कर रहे इन आरपीएफ जवानों की उपरोक्त समस्याओं पर अविलंब विचार करते हुए उन्हें राहत प्रदान करना चाहिए।
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