महामारी में महाभ्रष्टाचार, महाअराजकता!!!
मेरा बचपन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांव में गुजरा है। 22 वर्ष में दिल्ली आने तक थोड़ी बहुत पढ़ाई-लिखाई सब कुछ वहीं।
सन 70 के आगे-पीछे चकबंदी में भ्रष्टाचार के मामले याद आते हैं!
स्कूलों में नकल करने, नंबर बढ़ाने के लिए कॉपी जांचने वालों को रिश्वत के मामले, डंके की चोट पर गांव के मुखिया, ओवरशियर, सिपाही बने सरकारी अमीर किस ढ़ंग से लूट लूटकर अपने घरों को आबाद कर रहे थे।
दिल्ली पहुंचने पर राशन, बिजली, मकान बनाने में भ्रष्टाचार के ऐसे अनुभव कि मिटाए नहीं मिटते।
फिर 2014 में यह सरकार भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ ही आई थी।
वंश को तो खत्म होना ही है, लेकिन भ्रष्टाचार अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओट में ऐसी ऊंचाईयों पर पहुंच गया है, यह इस महामारी ने उजागर किया है।
पूरे देश पर आपका राज है, आपके कार्यकर्ता भी जर्रे-जर्रे में हैं, फिर इस महामारी के इस कठिन समय में भी भ्रष्टाचार का ऐसा तांडव क्यों?
देश और जनता आपको भी कभी माफ नहीं करेगी।
जीवन की कीमत पर चौतरफा भ्रष्टाचार इतिहास का सबसे घृणित कार्य साबित होगा।
पूरे 7 वर्ष कम नहीं होते शहंशाह!
#प्रेमपाल_शर्मा की फेसबुक वॉल से साभार, 2 मई 2021
#भारत विश्व का गुरु है।
— KANAFOOSI.COM (@kanafoosi) May 4, 2021
सारा ज्ञान-विज्ञान हमारे पुरखे प्राप्त कर चुके।
अब आगे कुछ है ही नहीं।
हीनता और उच्चता के ये नशे बारी-बारी से चढ़ते रहते हैं।
हमारा नशा कभी उतरा ही नहीं।
– #हरिशंकर_परसाई#प्रतिनिधि_व्यंग्य#एक_व्यंग्य_रोज#राजकमलबुक्स@ppsharmarly@mukeshpoet