पुराने नियमों पर जीएम पैनलिस्ट्स की डीपीसी हुई संपन्न, जल्द पोस्टिंग की उम्मीद
जब यही करना था तो चार महीने की देरी करने का औचित्य क्या था?
सुरेश त्रिपाठी
आज की ताजा खबर यह है कि जीएम पैनल-2021 में शामिल वरिष्ठ रेल अधिकारियों की डीपीसी संपन्न हो गई है। ऐसे में अब जल्दी ही जीएम पोस्टिंग की उम्मीद की जा सकती है।
परंतु रेलवे बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि यह डीपीसी भी पुराने स्थापित नियमों के अनुसार ही हुई है। उनका कहना है कि चार महीनों से यही कहा जा रहा था कि नई व्यवस्था के हिसाब से नियम बनाए जा रहे हैं, इसलिए जीएम पोस्टिंग में देर हो रही है।
मगर सूत्रों का कहना है कि यह सब ढ़कोसला था, यदि समय पर पोस्टिंग करने की बोर्ड की नीयत होती, तो उसे ऐसा करने से कोई नियम नहीं रोकता है। उनका कहना था कि इसके लिए सिर्फ डीओपीटी को सुचित करना या उसकी सामान्य सहमति ले लेना ही पर्याप्त होता है।
सूत्रों का यह भी कहना था कि हर साल जीएम पैनल महीनों लेट होता है, क्योंकि इसकी एडवांस प्लांनिंग नहीं की जाती है, क्योंकि बोर्ड का पूरा स्थापना विभाग अंदरुनी खुरपेंच की राजनीति में उलझा रहता है। यहां हर कोई अपनी अक्ल के अनुसार अपने नियम बनाने के नाम पर अपनी तुगलकी विशेषज्ञता दर्शाता है।
इसके अलावा पैनल उपलब्ध होने पर भी जीएम पोस्टिंग में देरी इसलिए होती है, क्योंकि कोई भी पोस्टिंग “मुफ्त” में नहीं होती है। बोर्ड मेंबर्स की पोस्टिंग में भी यही अलिखित नियम लागू होता है।
उल्लेखनीय है कि चेयरमैन/सीईओ के अलावा एक “मुनीम” मेंबर के अलावा वर्तमान में पूरा बोर्ड भी खाली है। ऐसे यदि उपरोक्त निष्कर्ष निकाला जा रहा है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति भी नहीं है।
इस बारे में जानकारों का कहना है कि व्यवस्था का यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि राजनीतिक नेतृत्व अपने निहित उद्देश्य में व्यस्त रहता है और दलालों या बिचौलियों के भरोसे व्यवस्था का संचालन करता है। इसका भरपूर फायदा नौकरशाही उठाती है और इस सबका नुकसान अंततः व्यवस्था और जनता को भुगतना पड़ता है।
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