ईडी/आईपी/रे.बो. आर डी बाजपेई की बेटी ने मां और भाई को मौत के घाट उतारा

“लड़की ने डिप्रेशन में दिया हत्याकांड को अंजाम”, इस अतर्कसंगत कहानी पर किसी को यकीन नहीं हो रहा

लखनऊ के अति-सुरक्षित इलाके में दिन-दहाड़े हुई इस वारदात से प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी में मचा हड़कंप

शनिवार, 29 अगस्त को दोपहर करीब दो-ढ़ाई बजे के बीच लखनऊ के वीवीआईपी इलाके गौतमपल्ली में दिन-दहाड़े हुए दोहरे हत्याकांड ने प्रदेश की राजधानी और पूरे प्रशासनिक तंत्र को झकझोर कर रख दिया। घटना रेलवे बोर्ड में कार्यकारी निदेशक/सूचना एवं जनसंपर्क (ईडी/आईपी) के पद पर पदस्थ राजीव दत्त बाजपेई (आईआरटीएस 1998 बैच) के लखनऊ स्थित सरकारी आवास में घटित हुई थी।

Rajeev Dutt Bajpai, ED/I&P, RlyBd

अतः केंद्र से लेकर प्रदेश तक की पूरी सरकारी मशीनरी घटना की जानकारी मिलते ही फौरन सक्रिय हो गई। घटना के समय बाजपेई दिल्ली में थे। वह सड़क मार्ग से रात लगभग 9-9.30 बजे लखनऊ पहुंचे थे।

वीवीआईपी इलाके में दिन-दहाड़े हुए इस दोहरे हत्याकांड का खुलासा करते हुए लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने मीडिया को बताया कि रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी आर. डी. बाजपेई की बेटी ने ही अपनी मां और भाई की गोली मारकर हत्या की है। पहले खबरों में लड़की के डिप्रेशन में होने की बात कही गई थी।

Police Commissioner, Lucknow briefing the media about double murder

पुलिस कमिश्नर का कहना था कि लड़की ने सोते वक्त दोनों को अपनी .22 की पिस्तौल से गोली मारी थी। रेल अधिकारी बाजपेई की बेटी नेशनल लेवल शूटर है। पहले जानकारी आई थी कि मां-भाई की हत्या के बाद से वह सदमे में है और उसी ने 112 पर कॉल करके पुलिस को बुलाया था।

पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय का कहना था कि “आरोपी लड़की ने अपनी .22 पिस्तौल से 5 गोलियां चलाई थीं। पुलिस ने लड़की की निशानदेही पर पिस्तौल (मर्डर वेपन) बरामद कर लिया है।”

उन्होंने बताया कि, “लड़की पहले भी कई बार आत्महत्या की कोशिश कर चुकी है। उन्होंने कहा कि मां-भाई को गोली मारने के बाद ब्लेड से अपने हाथ की कलाई काटकर इस बार भी आत्महत्या का प्रयास किया। उसके हाथ में पट्टी बंधी मिली है। लड़की को गिरफ्तार कर लिया गया है।”

पुलिस ने बंगले में किसी प्रकार की लूटपाट होने से इंकार किया है। लड़की ने घटना के बाद 112 पर फोन करके पुलिस को घटना की जानकारी दी थी। इसके बाद उसने फोन करके अपनी नानी को बुलाया था। पुलिस अब उससे यह जानकारी ले रही है कि हत्या क्यों की और परिवार के साथ ऐसी क्या बात हुई थी कि उसने इतना बड़ा कदम उठाया।

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हत्याकांड को अंजाम देने के बाद लड़की का सदमे होना स्वाभाविक है। उनका कहना था कि सर्वप्रथम जो पुलिस अधिकारी बंगले में पहुंचे थे, उन्हें गार्ड रूम के पास बैठी मिली लड़की की अव्यवस्थित हालत देखकर उसी के ऊपर सीधा संशय गया था। परंतु चूंकि मामला बहुत हाई लेवल का था, इसलिए सबसे पहले घटनास्थल के आसपास की इमारतों और सड़कों पर निगरानी के लिए लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने और अन्य सभी कोणों से इस बात की पुष्टि आवश्यक थी कि सुबह से घटना के समय तक बंगले में कौन-कौन आया-गया।

उपरोक्त सभी कोणों से मामले को देखने के बाद यह तय पाया गया कि घटना के पहले और बाद में कोई बाहरी व्यक्ति न तो बंगले में आया था और न ही बाहर गया था। इसके बाद लड़की की कलाई पर बंधी पट्टी देखकर उससे पूछताछ की गई तब उसने थोड़ा इधर-उधर करने के बाद मां मालती बाजपेई और बड़े भाई शरद बाजपेई (18) को उसी ने गोली मारी है, यह स्वीकार कर लिया। यह भी पता चला है कि लड़की ने नहीं, बल्कि नानी ने आने के बाद पुलिस को घटना की सूचना दी थी।

बहरहाल, इस क्रूरतम हत्याकांड के पीछे की असली वजह चाहे जो भी हो, परंतु लड़की के कथित डिप्रेशन में होने की कहानी किसी के गले नहीं उतरी है। जानकारों का मानना है कि कोई भी लड़की या लड़का भले ही कितना भी तथाकथित डिप्रेशन में हो, वह यों ही जाकर सोते समय मां की छाती में और भाई के सिर में सीधे गोलियां नहीं दाग सकता! उसके पहले उन तीनों के बीच किसी न किसी बात को लेकर तकरार अवश्य हुई होगी।

जानकारों का यह भी कहना है कि लड़की नेशनल लेवल की तो नहीं, स्टेट लेवल की शूटर हो सकती है। हालांकि वह पिछले तीन साल से निशानेबाजी का प्रशिक्षण ले रही थी। यह भी बताया जा रहा है कि आज-कल में परिवार को दिल्ली शिफ्ट होना था कि आज अचानक यह भीषण और दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हो गई। जानकारों ने हर दृष्टिकोण से इस अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना की असली तह तक पहुंचने की जरूरत बताई है।

रेलमंत्री करा सकते थे विशेष इंतजाम

बताते हैं कि इसमें रेलमंत्री पीयूष गोयल द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और डीजीपी से बात कर पूरे मामले को गंभीरता से लेने की बात को प्रमुखता से मीडिया में प्रचारित किया गया। जबकि यह नहीं देखा गया कि उन्होंने बाजपेई के लिए शीघ्र लखनऊ पहुंचने का कोई उचित इंतजाम किया या नहीं। घटना के समय आर. डी. बाजपेई दिल्ली में ही थे। घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद वह लखनऊ के लिए रवाना हुए थे।

यदि अपने लिए चार्टर्ड प्लेन इस्तेमाल करने वाले रेलमंत्री को इतनी ही चिंता हुई थी, तो वह बाजपेई को सड़क मार्ग से जाने देने के बजाय उनके लिए स्पेशल फ्लाइट अथवा कैरेज के साथ स्पेशल ट्रेन चलाने की व्यवस्था करा सकते थे, जिससे भारी सदमे की हालत में वह हवाई मार्ग से फौरन अथवा रेलमार्ग से ज्यादा से ज्यादा चार घंटे में लखनऊ पहुंच सकते थे।

इससे पहले ऐसे कितने रेलकर्मी और अधिकारी ऐसी हृदयविदारक पारिवारिक घटनाओं से गुजर चुके हैं, तब मंत्री या रेल प्रशासन की ऐसी कोई संवेदनशीलता और मानवीयता कभी परिलक्षित नहीं हुई। जबकि ऐसी किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के समय परिवार का मुखिया होने के नाते यदि मंत्री और उच्च रेल प्रशासन अपने मातहतों के साथ खड़ा दिखाई दे, तो उन्हें न सिर्फ ढ़ाढ़स मिलेगा, बल्कि वह प्रशासन और मंत्री के साथ जुड़कर एक अपनत्व महसूस करेंगे और दुःख के समय उन्हें अपने साथ खड़ा पाकर उससे शीघ्र उबरने में उनको बड़ी दिलाशा मिलेगी।

बहरहाल, इस स्तब्ध कर देने वाली घटना से पूरा रेल परिवार सदमे और अवसाद में है। जिसने सुना, भौंचक रह गया। ऐसे जरूरत इस बात की है कि अब इसको ध्यान में रखते हुए सभी रेल अधिकारी और कर्मचारी, जो कि व्यापक समाज का ही एक महत्वपूर्ण अंग हैं, को अपने परिवार तथा बच्चों की संगति, परवरिश और संस्कारों पर उचित ध्यान देना चाहिए। कैरियर में आगे आगे बढ़ते जाने की उनकी महत्वाकांक्षा के चलते ही परिवार और बच्चों के संस्कारों सहित सामाजिक शिष्टाचार भी नष्ट हो रहा है। इसमें रेल प्रशासन और रेलमंत्री का समुचित मानवीय दृष्टिकोण भी एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी