रेलमंत्री का जोधपुर प्रेम: #AIDS का भौकाल और #KMG का टूलकिट!
बुधवार, 14 दिसंबर 2022 को देर शाम रेल मंत्रालय से दो आदेश निकले, गतिशक्ति विश्वविद्यालय से संबंधित – वह इस प्रकार हैं-
1. रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव गतिशक्ति विश्वविद्यालय के चांसलर नियुक्त किए गए।
2. रेलमंत्री के कॉलेज के साथी डॉ मनोज चौधरी को गतिशक्ति विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर नियुक्त किया गया।
रेलमंत्री के कॉलेज के साथी कौन हैं?
सैमसंग में सेमिकंडक्टर या यूँ कहिए कि चिप डिजाइनर रहे डॉ मनोज चौधरी, रेलमंत्री जी के ही डिपार्टमेंट में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर में पढ़े हैं। इसके बाद ये दोनों मित्र आईआईटी कानपुर में भी साथ रहे।
डॉ चौधरी की जानकारी उनके लिंक्डइन प्रोफाइल से ली गई है। जुलाई 2010 से सितंबर 2021 तक ये सैमसंग के आर एंड डी में रहे। उससे पहले आप साढ़े चार साल टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स में रहे हैं।
https://www.linkedin.com/in/manojc11
भारतीय रेल और परिवहन इंस्टिट्यूट, जो अब गति शक्ति महाविद्यालय बन गया है, काफी विवादास्पद रहा है। वर्ष 2018 से चालू हुआ यह इंस्टिट्यूट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का बड़ा सपना कहा जाता रहा है। मोदीजी ये चाहते थे कि गतिशक्ति में होने वाले लाखों करोड़ के निवेश को संभालने के लिए विश्व स्तर की ट्रेनिंग और रिसर्च का महाविद्यालय होना चाहिए।
अतः खान मार्केट गैंग (#KMG) ने मौके का फायदा उठाते हुए आनन-फानन में नंबर बटोरने के लिए रेलवे स्टाफ कॉलेज परिसर में ही यह इंस्टीट्यूट चालू कर दिया। आज जब इस इंस्टीट्यूट में बीटेक, बीबीए, बीएससी, एमबीए, एमएससी, इत्यादि कुल 10 तरह के कोर्स चल रहे हैं, तथापि इसके पास अपनी बिल्डिंग तक नहीं है।
छात्रों का आक्रोश कोरा जैसे प्लेटफार्म पर अक्सर देखा जाता है और कई बार छात्र और उनके अभिभावक हमें भी लिख डालते हैं। रेल अधिकारी, रेलवे स्टाफ कॉलेज के परिसर को बर्बाद होते देख अक्सर हमें बताते हैं कि मोदीजी चाहते थे कि इसमें 5000 छात्र पढ़ें, क्यों अलग कैंपस नहीं विकसित किया गया? आज इस कॉलेज की प्रयोगशाला उजड़े कच्चे शेल्टर में चल रही है।
#KMG और #NRTI
इस यूनिवर्सिटी में भी #KMG के पदचिह्न दिखाई देते हैं। #Advisor साहब नेशनल रेलवे ट्रांसपोर्टेशन इंस्टीट्यूट (NRTI) के बोर्ड में रहे और उनके मित्र डॉ प्रमथ सिन्हा भी इसके बोर्ड में रहे-
डॉ प्रमथ सिन्हा आईएसबी हैदराबाद से करीबी तौर से जुड़े हैं। डॉ प्रमथ सिन्हा के वे साथी जिनके साथ उन्होंने अशोका यूनिवर्सिटी बनाई थी, आज कानून की गिरफ्त में हैं-
बताते हैं कि डॉ सिन्हा ने #एडवाइजर साहब और इमोशनल इंटेलिजेंस वाले राजेश्वर उपाध्याय को एक दूसरे से इंट्रोड्यूस करवाया (#एडवाइज़र साहब की जीवनी का p.234)।
डॉ सिन्हा की दो कंपनियों को एनआरटीई द्वारा सिंगल टेंडर बेसिस पर काम मिला – एक उनकी कंपनी हड़प्पा फाउंडेशन-
https://us.harappa.education/about-us/our-origin-story/
द्वारा बिग डेटा और एनालिटिक्स की ट्रेनिंग और नाइन डॉट नाइन-
द्वारा एनआरटीई को चलाने की कंसल्टेंसी। नाइन डॉट नाइन महीने का ₹65 लाख लेती थी-
कॉलेज चलाने की मॉडस ऑपरेंडी पाठकगण नोट करेंगे कि एक सी ही है। इमोशनल इंटेलिजेंस का ठेका भी सिंगल टेंडर पर दिया गया था-
आखिर जब ये शिकायत #PMO में गई तब नाइन डॉट नाइन की दूकान बंद हुई!
रेलवे स्टाफ कॉलेज में कार्यरत रेल अधिकारी हमेशा से ही रेल के अधकचरे प्लान पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका यह मानना है कि अब गतिशक्ति विश्वविद्यालय केवल इंजीनियरिंग विषय तक सीमित रह जाएगा और नया वाइस चांसलर परिवहन क्षेत्र से नहीं है – जो उसकी विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। किसी नए कॉलेज को बनाने का भी उनके पास कोई अनुभव नहीं है – यह निर्णय रेलवे और वहां पढ़ने वाले सैकड़ों छात्रों के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है!
जोधपुर प्रेम!
यहां यह स्मरण हो आता है कि मंत्री बनने के कुछ माह बाद, रेलमंत्री जी ने अपने ही शहर जोधपुर के नरेश सलेचा का अप्रत्याशित रूप से मेंबर फाइनेंस की पोस्ट पर एक्सटेंशन करवा दिया था। इस बात से लोग बहुत अचंभित हुए थे, क्योंकि सलेचा की प्रशासनिक क्षमता और निष्ठा हमेशा संदेहास्पद रही थी, और तो और वह महाप्रबंधक भी नहीं रहे थे।
नरेश सलेचा के ही कार्यकाल में आईआरसीटीसी के शेयरों में कुछ ऐसे भारी उतार-चढ़ाव हुए थे कि पीएमओ को रेल मंत्रालय से जवाब मांगना पड़ गया था, और सरकार ने इसका स्पष्टीकरण भी सोशल मीडिया पर दिया था-
आईआरएफसी के एमडी के चयन में भी भागीदार रहे सलेचा आज रिटायरमेंट के बाद एनसीएलटी में मेंबर हैं और हाईकोर्ट के जज का प्रोटोकॉल ले रहे हैं। उनके चयनित अमिताभ बनर्जी से जो सरकार की किरकिरी हुई उसके प्रभाव से वह दूर बैठे हैं। यह है ‘ऑल इंडिया दिल्ली सर्विस’ (#AIDS) का भौकाल और ‘खान मार्केट गैंग’ (#KMG) का टूलकिट!
“रेल में इतना कुछ हो रहा है खुलेआम, पर न तो रेलमंत्री ध्यान दे रहे हैं, न ही कोई ऐक्शन होता दिखाई दे रहा है, और न ही पीएमओ कोई कदम उठा रहा है – पूरा सन्नाटा खिंचा हुआ है! ईश्वर न करे कि 2024 में अगर कहीं कोई दूसरी पार्टी केंद्र की सत्ता पर काबिज हो गई, तो वर्तमान सरकार के कुछ मंत्री जांच एजेंसियों के गहरे लपेटे में आ जाएंगे।” यह कहना है कुछ जानकारों का!
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