KMG_2.0: A cynic’s view – रेलवे के धनकुबेरों का सिंडीकेट
प्रधानमंत्री जी, अगर रेलवे की सेहत ठीक करनी है, तो आपकी एजेंसियों को इस “पंचारिष्ट” पर काम करना ही चाहिए!
A railway officer remarked that Indian Railways is desperately in need of reform and refuses to accept the dichotomy based on ESE vs CSE paradigm. He summarises the web of railways organised services as under:
• Those who take money from contractors are engineering services,
• Those who take money from their customers is traffic service,
• Those who take money from own employees is personnel service,
• Those who are omnivores constitute Accounts, RPF and Medical services. A cynical railway officer mentioned that Indian Railways (IR) desperately requires reform and should abandon the dichotomy between engineering services (ESE) and civil services (CSE) in career progression.
#Modiji, The only way to break the syndicate of moneyed officers is to act on this #Pancharisht
#मोदीजी, रेलवे के धनकुबेरों का सिंडीकेट तोड़ने का एकमात्र उपाय है – #पंचारिष्ट पर अमल!“ Published on February 4, 2023
Respected Narendra Modi ji,
Hon’ble Prime Minister of India,
प्रधानमंत्री जी, रेलवे के धनकुबेरों को पहचानने हेतु आपकी CBI/ED/IT/CVC के लिए प्रस्तुत हैं पांच सबसे आसान टिप्स!
प्रधानमंत्री जी, अगर रेलवे की सेहत ठीक करनी है, तो आपकी एजेंसियों को इस “पंचारिष्ट” पर काम करना ही चाहिए!
Hon’ble PM sir, #Railwhispers presents #Pancharisht for #CBI, #ED, #IT, #CVC for easy screening of railwaymen – the true objective 360°.
Hon’ble PM sir, if we have to improve the health of Indian Railways, your agencies should follow this #Pancharisht, which incidentally would be useful for other government offices also.
Respected PM Sir,
Sir, you have been repeatedly stressing on ‘zero tolerance’ for corruption and have been trying to spread awareness on this issue from every possible forum. People at large have not only noted this, they talk about it and acknowledge your principled conduct.
What pains, however, is when all this gets ignored and trivialised by many in the system – we call them #Khan Market Gang (#KMG) of Railways.
Talking of Railways, many have been stuck to a post or doing same type of work or staying in one geography for 20/25/30 years creating and strengthening nexus of corruption and intimidation. Infact in Production Units from level of Class IV/Class III to SAG level, people spend a life time in one small unit, in one town. Strong, entrenched networks get developed.
Some of these start to run their own businesses and subvert authority of senior officers who get transferred. Ordinary supervisors are millionaires due to this except for very few exceptions. The same applies to officers at large barring a few of them. Departmentally promoted officers benefit the most in this.
Sir, we have been observing and reporting on railway system for past several decades. Based on our experience, #Railwhispers present a simple objective framework to do first level of screening of officials. This is more objective and can be automated easily on existing IT platforms.
Sir, #Railwhispers presents #Pancharisht for #CBI, #ED, #IT, #CVC for easy screening of railwaymen – the true objective 360°.
How to identify the monied powerful officials of railways-the #Pancharisht
1. Have spent 80-90% time working only on important positions.
2. Have exceeded 3/4/5 year limit of posting of CVC for working in sensitive posts, exceeding this limit by change of designation but working with similar contractors, handling similar jobs.
3. Living in the same city for more than 10 years by switching of designations.
(#JAG, #SAG, #HAG are the stages when one must without exception be moved to different cities and zones)
If both husband-wife are working, both should undergo change the place of posting. Spouse ground has led to officers being posted in one city for very long periods of time. This trend must be stopped. Posting in a city twice in one’s career on spouse ground.
4. Screen Provident Funds of officers, screen investments of family declared on pass rules. This is usually clear give away of ‘other’ income sources.
5. Officers who occupy highest positions in Zonal Railways, Railway Board, Minister’s office, who handle transfer, posting, empanelments.
{and those who have spent 80-90% of career on important positions handling tenders, transfers, postings, examinations and then occupying important positions in Railway Board}
Sir, above can be done on existing databases of government. This can be first tier of 360 degree review which would be most objective. Exceptions will alsways be there, but then they would be few. It would also help top level to monitor what is happening under their noses. The same can be seen by external monitors. You can consider having a retired senior bureaucrat as ombudsman in the process.
Sir, you have talked about generation of employment on several occasions. Believe us, railway sector can also be employment booster, just eliminate the sugar syrup of contarctor-officer nexus which has made system diabetic. For nexus to break implement rotation as suggested and screen officers on suggested #Pancharisht.
People will always remember this reform sir, and system productivity and efficiency will be boosted multifold.
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
महोदय, आप लगातार व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात हर फोरम से कह रहे हैं। आप इस मुद्दे पर लगातार जन-जागरूकता फैलाने का अथक प्रयास भी कर रहे हैं। जनसाधारण द्वारा इस विषय पर आपके प्रयासों का न केवल उल्लेख किया जाता है, चर्चा होती है, बल्कि आपके आदर्श और प्रयासों की प्रशंसा भी हो रही है। परंतु बड़ी निराशा तब होती है जब आपके इन प्रयासों का कोई असर व्यवस्था में बैठे लोगों पर होता हुआ दिखाई नहीं देता!
अगर रेल की बात करें, तो यहां 20/25/30 सालों से लोग एक ही जगह एक ही शहर एक ही रेलवे में बैठे हैं। उत्पादन इकाईयों में तो तृतीय/चतुर्थ श्रेणी से भर्ती होकर वरिष्ठ प्रशासनिक वेतनमान (SAG) तक प्रमोशन लेकर पूरी सर्विस वहीं एक ही यूनिट में कर रहे हैं। इस तरह उनके अपने विशिष्ट स्थानीय नेटवर्क बने हुए हैं। रेल का मामूली सुपरवाइजर भी करोड़पति है, कुछेक अपवादों को छोड़कर, क्योंकि उसका स्थान/शहर पूरी सर्विस में कभी नहीं बदलता। यही हाल अधिकतर अधिकारियों का भी है। इस व्यवस्था में सबसे अधिक लाभांवित होने वालों में विभागीय पदोन्नति से अधिकारी बनने वाले सबसे आगे हैं।
महोदय, यहां कुछ सबसे आसान टिप्स के सुझाव हैं रेलवे के धनकुबेरों को पहचानने हेतु आपकी #IT, #CBI, #ED, #CVC जैसी एजेंसियों के लिए–
रेल के धनकुबेरों की पहचान के आसान तरीके:
1. पोस्टिंग प्रोफाइल के अनुसार 80/90% केवल महत्वपूर्ण/संवेदनशील पदों पर काम कर चुका अधिकारी
2. सीवीसी के पीरियोडिकल ट्रांसफर की गाइडलाइंस/एडवाइजरी में निर्धारित समय सीमा – 3-4 साल – से ज्यादा समय तक एक ही पोस्ट पर काम करने वाला अधिकारी
3. उसी गाइडलाइंस के हिसाब से निर्धारित समय 3-4 साल से ज्यादा लंबे समय तक एक ही स्थान/शहर में कई पदों पर रहने वाला अधिकारी, पद का नाम बदलकर वही काम करने वाला अधिकारी
(#JAG, #SAG और #HAG, इन तीन स्टेज में कंफर्म प्रमोशन होने पर बिना किसी भेदभाव और अपवाद के अधिकारियों का जोन चेंज होना चाहिए!
अगर पति/पत्नी दोनों वर्किंग हों तो दोनों का स्थान चेंज होना चाहिए। दोनों को एक-दूसरे का बहाना बनाकर एक ही जगह एक ही शहर में लंबे समय तक बने रहने का मौका न दिया जाए और कोई भी शहर अधिकतम दो बार ही पोस्टिंग के लिए मिले।)
4. #DRM और #GM पद पर काम कर चुका अधिकारी – इनके और पत्नी के पैन से इंवेस्टमेंट की जांच से पता चल जाएगा कि ‘ऊपर’ की कमाई की व्यवस्था क्या है
5. रेलवे बोर्ड/जोनल रेलों में उच्चतम पदों पर बैठे अधिकारी, जिनके हाथ में ट्रांसफर/पोस्टिंग करने, पॉलिसी बनाने और निर्धारित करने की शक्ति है।
(और जो या तो अपने कार्यकाल के 80/90% समय तक महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं, या फिर एक ही जगह अपने कैरियर का 80/90% समय बिताया, और फिर रेलवे बोर्ड के उच्च एवं महत्वपूर्ण पदों पर भी काबिज हो गए।)
मोदी जी, अगर रेलवे की सेहत ठीक करनी है, तो आपकी जांच एजेंसियों को उपरोक्त “पंचारिष्ट” पर काम करना ही होगा, तभी आपका घोषित उद्देश्य पूरा हो पाएगा।
इसमें आपको अपवाद के तौर पर ही कोई अपवाद मिल सकते हैं, जो हमेशा हर काल में रहेगा।
इन्हीं पांच टिप्स अर्थात “पंचारिष्ट” पर काम शुरू और अमल करना आसान भी है, और रेलवे की लाइलाज हो चुकी बीमारी का शत-प्रतिशत शर्तिया इलाज की गारंटी भी है।
माननीय प्रधानमंत्री जी, भ्रष्टाचार को समाप्त करने की आपकी प्रतिबद्धता को इससे तब और शक्ति मिलेगी जब ट्रांसफर/पोस्टिंग भी एक कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से होनी शुरू हो जाएगी। जिसमें अधिकारी की गोपनीय प्रविष्टि भी हो और उसकी कार्यप्रणाली एवं व्यवहार से संबंधित अन्य सभी डिटेल्स भी हों।
रेलवे में तो यह बिल्कुल सम्भव भी है, क्योंकि इसमें सेना जैसी पदस्थापना को लेकर कोई संवेदनशील मसला नहीं होता।
इससे व्यवस्था में पारदर्शिता भी आएगी, पक्षपात की गुंजाइश भी नगण्य हो जाएगी, और सबसे बड़ी बात होगी कि नवधनाढ्यों/कदाचारियों का सिंडीकेट भी टूट जाएगा।
आदरणीय मोदी जी, रेल में नौकरियों की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं – लेकिन ठेके की चाशनी ने सिस्टम को मधुमेह से सराबोर कर दिया है।
माननीय मोदी जी, अगर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह ‘पंचारिष्ट’ नामक महत्वपूर्ण सुधार करा देंगे, तो केवल रेलवे में ही नहीं, सर्वत्र आपकी जय-जयकार हो जाएगी, और बाकी विभागों के लिए भी आपका यह कदम एक अनुकरणीय उदाहरण बन जाएगा।
सादर/धन्यवाद
आपका शुभाकांक्षी
सुरेश त्रिपाठी
संपादक
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