रेल की रिकॉर्ड आय: मंत्री जी आपका खुश होना तो बनता है!

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार, 20 जनवरी 2023 को एक ट्वीट करके बताया कि रेलवे ने 19 जनवरी 2023 को ₹42,370 करोड़ अधिक आय अर्जित करके पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की कुल आय ₹ 1,91,128  करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया है, जबकि चालू वित्त वर्ष 2022-23 के 71 दिन अभी शेष हैं।

रेल की आय बढ़ी है, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव जी आपका खुश होना स्वाभाविक है। हमें भी खुशी है। अभी शेष 71 दिनों में यह लाभ और बढ़ेगा ही!

जानते हैं मंत्री जी, गलती से आपके सलाहकार समूह ने एक सच्चे रेलकर्मी को सीआरबी बना दिया था, जिसने रेल का सारा रेजरशॉर्प फोकस रेल की आमदनी वाली गतिविधियों पर लगा दिया, तब यह रिजल्ट आया है, जिसका श्रेय आप लेकर प्रसन्न हो रहे हैं। विनय कुमार त्रिपाठी जी को उच्च इमोशनल इंटेलिजेंस वाले लीडर के रूप में तो नहीं, उन्हें याद एक सच्चे रेल अधिकारी के रूप में किया जाएगा, एक ऐसा अधिकारी जो रेलवे से भावनात्मक रूप से जुड़ा था।

#VKTripathi, former CRB & CEO RlyBd.

उनके व्यक्तित्व की मानवीय कमजोरियों के बारे में भी हमने उन्हें समय-समय पर आगाह किया था। जब हमें लगा कि रेल का सेफ्टी परिदृश्य बिगड़ रहा है, त्रिपाठी जी ने रेल के एक तिहाई/एक साल ओवरड्यू डीआरएम तुरंत नियुक्त करवा दिए, जीएम और मेंबर की फाइलें भी चलवाईं और नियुक्ति भी करवाई। जहां ट्रैफिक विभाग बंदरबाँट में व्यस्त था, वहीं उनके सीधे हस्तक्षेप से और फ्रंटलाइन नेतृत्व से काम करवाया,जिसके कारण आपके खुश होने के लिए आज यह सकारात्मक परिणाम आया है।
   
मंत्रीजी, आप अगर रेल के जानकारों को अपने आस-पास रखेंगे, तभी रेलवे का चंहुमुखी विकास होना संभव है। आपका सबसे भरोसेमंद सलाहकार समूह आपका ‘रेलवे बोर्ड’ है। भारतीय समाज की मन:स्थिति वरीयता को स्वाभाविक आदर देती है। रेलकर्मी अपने वरिष्ठ अधिकारियों की बात मानने के लिए स्वभावत: प्रशिक्षित हैं। बोर्ड को मजबूत करें, सक्षम, निष्ठावान और समर्पित अधिकारियों को बोर्ड में लाएं, अन्यथा ऊपर-ऊपर चमकाते रहें, नीचे स्तर पर कभी कुछ नहीं बदला है। मोदी सरकार के 9 साल बीतने जा रहे हैं, मगर रेलयात्री को उचित साफ-सफाई, साफ-सुथरा लिनेन, कोच में पानी और गुणवत्तापूर्ण खानपान जस का तस है।

हमने आपको एक मोटी राजनैतिक बात कही थी जो आपने मानी, धन्यवाद! हमने आपको कहा था, “2024 तक आपको दो सर्दियां निकालनी हैं!” – बिना देर किए एक वरिष्ठ सिविल इंजीनियर को आपने मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर बना दिया। पुनः साधुवाद!

अब आपको एक कड़वी, लेकिन सच बात और बताते हैं – रेलवे बोर्ड, जिसका नाम बड़े आदर से लिए जाता था, हास्य और व्यंग का पात्र बन गया था रेलकर्मियों और अधिकारियों के बीच! सब ये मानने लगे थे कि रेलवे बोर्ड केवल जोड़-तोड़ करने के लिए और कुछ ‘खास’ लोगों की ‘जागीर’ है। केवल पूरा बोर्ड ही नहीं, पूरी भारतीय रेल एडहॉक पर थी, टेक्निकल मेंबर ऐसे कि वह जिस विषय पर नेतृत्व दे रहे थे, उस विषय को कभी देखा ही नहीं था। फुल फाइनेंशियल और एडमिनिस्ट्रेटिव पावर के साथ जो लोग जीएम का कार्यभार लुक ऑफ्टर कर रहे थे, उन्हें न तो कोई भजता था, न ही वे रेल का काम करने के लिए लगाए गए थे, वह तो केवल #KMG अर्थात आपके सलाहकार महोदय के हुक्म की गुलामी कर रहे थे, और इसीलिए उनमें से अधिकांश जीएम न बन पाने से स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

और तो और डीआरएम/जीएम की बाध्यता खत्म कर रेलवे बोर्ड ऐसे लोगों से भर गया था, जो बोल भी नहीं पाते थे, जिनके मुंह में या तो जीभ नहीं थी, या फिर अपनी अक्षमता (इंकम्पीटेंसी) के चलते मुंह खोलने का उनके अंदर साहस नहीं था। इनमें आपके वह चार सदस्य भी अपवाद नहीं हैं, जिनको आपने जीएम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी थी। ऐसे में रेल अधिकारियों का मनोबल टूट गया। बोर्ड के सारे निर्णय वह लोग अर्थात #KMG के लीडर उर्फ #Tendermam साहब कर रहे थे जिन्हें फाइलों पर साइन नहीं करना था, ऐसे में रेलकर्मी आज रेल ‘टाइम’ से नहीं, ‘कैलेंडर’ से चलाकर ही खुश हो जाते हैं।

चलिए, ठीक है, बाहर से ही सही, किसी ने तो प्रबंधन (मैनेजमेंट) के मूलभूत सिद्धांत रेल भवन को बताए!

71 दिन इस वित्तीय वर्ष के शेष बचे हैं, और बकौल मोदीजी, आम चुनावों के भी 400 दिन बचे हैं। कई फाइलों पर डरा-धमकाकर तथ्य छुपाकर, #KMG ने आपसे कई गलत निर्णय करवाए हैं। आपको इसके बारे में सूचित भी किया जा चुका है, और शायद आपको भी इस सबका कुछ तो अंदाजा रहा ही होगा। अब ये बचाव भी संभव नहीं कि आप से बातें (तथ्य या सच्चाई) छुपाई गईं थीं।

मंत्री जी, आपका सलाहकार समूह यही खोजने में व्यस्त है कि #Railwhispers को सूचनाएं कहां से मिल रही हैं! और यह दे कौन रहा है! अब जहां सब कुछ खुला-बिखरा पड़ा हो, वहां किसी को यह बताने, देने या समझाने की आवश्यकता ही कहां रह जाती है, यह तथ्यात्मक बात आपके सलाहकार समूह की समझ में इसलिए नहीं आएगी, क्योंकि वह आपकी आड़ में अपना एजेंडा लागू करने के चक्कर में अंतर्दृष्टि गंवा चुका है!

इसीलिए हमने लिखा था कि व्यर्थ कयास लगाना छोड़कर, ‘रोटेशन’ पर ध्यान केंद्रित किया जाए!

मंत्री जी, आपको भेजी गई 186 पृष्ठ की पीडीएफ में दिए गए तथ्यों की स्वतंत्र जांच करवाएं, और #KMG तथा #AIDS से रेल व्यवस्था को निजात दिलवाएं, नहीं तो 400 दिन में आप रेल में बीमार हो रहे यात्रियों को और रेल भवन के इर्द-गिर्द रेल के शिकार हरिकेश और अफरोज शेख की भटकती आत्माओं को जवाब भी न दे पाएंगे!

आपके सलाहकार समूह पर एक सुधी पाठक का कहना है, “मंत्री जी के सलाहकार समूह में ऐसे घुड़सवार शामिल हैं जिन्होंने घोड़ों की रकाब पर कभी पैर भी नहीं रखे!”

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी