मूढ़ता की सारी हदें पार कर रहा रेल प्रबंधन
रेलवे के मूर्धन्य रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड के मूढ़धन्य मुखिया आज पूरी भारतीय रेल में कर्मचारियों को कोरोना से बचने के तरीके शपथ लेते हुए बताएंगे।
ताली-थाली और घंटा-घड़ियाल-मोमबत्ती के बाद अब कोरोना भगाने का नया जुगाड़ यदि देखना हो तो आज रेल मंत्रालय द्वारा दिखाया जाएगा।
मूढ़ता की हद है, जब देश अनलॉक के अंतिम दौर में पहुंच गया है तथा लगभग सारी आर्थिक गतिविधियों शुरू हो चुकी हैं, तब रेलवे का मूढ़धन्य प्रबंधन कभी 10 नई स्पेशल गाड़ी चलाने का शगूफा छोड़ता है, तो कभी कोई अन्य मूढ़तापूर्ण कदम उठाता है।
परंतु सभी गाड़ियां पूर्ववत चालू करने की दिशा में कोई रुचि नहीं दर्शाता है।
और अब तो एक कदम और आगे बढ़कर “कोरोना को भगाना है तो शपथ ग्रहण करना ही पड़ेगा” के दौर में पहुंच गया है।
भारतीय रेल की 13.50 लाख वर्क फोर्स को पिछले लगभग आठ महीनों से बिना किसी उद्देश्यपूर्ण वीडियो कांफ्रेंसिंग और अनावश्यक एवं परिणाम विहीन फालतू कार्यों में लगाए रखकर पूरा वेतन-भत्ता दिया जा रहा है।
जबकि यही वह वर्क फोर्स है जो प्रतिदिन 22-23 हजार ट्रेनों का संचालन करके रोजाना लगभग तीन करोड़ रेलयात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती थी।
कहा जा रहा है कि सभी ट्रेनें तब तक नहीं शुरू होंगी जब तक कि निजी ट्रेनों का आवश्यक पाथ तय नहीं हो जाएगा। इसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि ज्यादातर सवारी गाड़ियां रद्द हो जाएंगी जिससे निजी ट्रेनों को खुला पाथ दिया जा सके।