यह पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन है, या “संगठित भ्रष्टाचार संगठन” का अड्डा?
करोड़ों रुपये की अफरा-तफरी, भ्रष्टाचार, जातीयता का बोलबाला, बिरादरीवाद के चलते ठेकेदारों का फेवर, कर्मचारियों का उत्पीड़न
तमाम शर्तों के साथ सीसीआरएस द्वारा दिए गए 14 पेज के ऑथराइजेशन ने खोल दी पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन की अमानक कार्यशैली की सारी पोल
ईस्ट सेंट्रल रेलवे कंस्ट्रक्शन ऑर्गनाइजेशन (पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन) के मातहत सभी फील्ड यूनिटों के डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालयों द्वारा अपने-अपने मातहत अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, निरीक्षकों एवं कर्मचारियों की सेवाकाल के संबंध में बोगस रिकार्ड बनाकर मुख्यालय एवं रेलवे बोर्ड के सूचनार्थ पहले भी भेजा जाता रहा है और पुनः डायरेक्टर विजिलेंस, रेलवे बोर्ड के पत्र सं. 2020/वी-1/एएलएसएल/1/2, दि. 20.08.2020 के आदेश के अनुपालन में सीएओ/सी/पत्र सं. ईसीआर/सीएओ/ई/रोटेशनल ट्रांसफर/पोजिशन, दि. 20.08.2020 के तहत पूरी तरह फर्जी पोजीशन बनाकर भेजी गई है।
इस फर्जीवाड़े की हदें अब पार हो रही हैं। रेलवे का पूरा सिस्टम बुरे दौर से गुजर रहा है। इस सिस्टम में बैठे उच्च अधिकारियों द्वारा धृतराष्ट्र की तरह आंखे मूंदकर रेलवे बोर्ड को फर्जी कार्मिक रिकार्ड फारवर्ड किया जा रहा है। रेलकर्मियों का कहना है कि इन सभी को इसके लिए तनिक भी शर्म नहीं आती, क्योंकि ये सभी अपनी-अपनी समयावधि का फर्जी डेटा भेजते हैं।
कुर्सियों की अदला-बदली: क्या यही है रोटेशनल ट्रांसफर का औचित्य?
जिस दिन/माह/वर्ष में सीएओ कार्यालय, डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय के अधीन उक्त फील्ड यूनिट में योगदान दिया गया, वह नहीं लिखा जाता, बल्कि प्रायोजित रूप से इस आदेश की खानापूर्ति हेतु पूर्व में लोकल स्तर पर सिर्फ फील्ड यूनिट में उसी कार्यालय के अंतर्गत ही सिर्फ स्टेशन का नाम बदलकर रोटेशनल ट्रांसफर दिखा दिया जाना व्हॉइट कॉलर क्राइम का ही तो हिस्सा है।
चीफ इंजीनियर, डिप्टी चीफ इंजीनियर, एक्सईएन, एईएन, आईओडब्ल्यू, पीडब्ल्यूआई, बिल क्लर्क, ऑफिस में कांट्रेक्टर के भुगतान से संबंधित क्लर्क और ओएस इत्यादि को एक चीफ इंजीनियर से दूसरे चीफ इंजीनियर के मातहत या डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय से दूसरे डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय में स्थानांतरित होना यहां रोटेशनल ट्रांसफर कहलाता है।
निर्माण कार्यों का भौतिक सत्यापन कराया जाए
कर्मचारियों का कहना है कि इस तमाम तमाशे का भौतिक रूप में सत्यापन करवाया जाए और संबंधितों के विरुद्ध कठोरतम करवाई सुनिश्चित की जाए। उनका कहना है कि रेलवे बोर्ड के आदेशों को दरकिनार करते हुए पूर्व में सिर्फ स्टेशन का नाम बदलकर स्थानांतरण दिखलाए जाने वाले कार्यालय प्रमुख के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। यहां तक कि बलास्ट सप्लाई से जुड़े लोग भी अपनी जुगाड़ क्षमता से चार्जशीटेड होते हुए भी उसी पद पर लगातार पदस्थापित हैं।
वास्तविकता यह है कि इस तरह के सभी घटनाक्रम में जातिवादिता के चलते ठेकेदारों के प्रति समर्पित लोगों की पदस्थापना बनी हुई है, जो सिस्टम के लिए दीमक के समान साबित हो रहे हैं और सिस्टम और क्वालिटी को भगवान भरोसे छोड़कर दीमक बनकर चाट रहे हैं। सिर्फ कांट्रेक्टर बिल के अलावा उनका कोई चेकिंग पॉइंट नहीं रह गया है।
बाहुबली सीई ने अपनी कोताही के लिए सुपरवाइजरों को बनाया बलि का बकरा
सीसीआरएस के तकनीकी जमीनी सत्यापन के साथ किए गए निरीक्षण और निरीक्षण के दौरान किए गए तर्कपूर्ण सवालों के समक्ष मूकदर्शक बने अधिकारी द्वारा अपने मातहत सुपरवाइजरों को सिर्फ बलि का बकरा बनाते हुए मार्च 2020 में, वह भी बैक डेट में हस्ताक्षरित चार्जशीट थोक में नियम के विरुद्ध सीधे चीफ इंजीनियर द्वारा चार्जशीट दी गई, वह भी सभी क्लास थ्री मातहतों को!
इसका अर्थ क्या यह माना जाए कि उक्त कार्यों में एईएन, एक्सईएन, डिप्टी चीफ इंजीनियर की कोई भूमिका नहीं थी? तभी तो सिर्फ सुपरवाइजरों को चार्जशीट दी गई! जबकि सभी संबंधित ठेकेदारों को पेनाल्टी से मुक्त कर दिया गया। यह गहन जांच का विषय है।
उल्लेखनीय है कि जो चार्जशीट डिप्टी चीफ इंजीनियर द्वारा उनके पदस्तर से जारी की जानी चाहिए थी, उसके बदले चीफ इंजीनियर द्वारा अपने चरणों में जी-हुजूरी और चरण-बंदन कराने के उद्देश्य की पूर्ति तथा उनके भय से सभी चुपचाप उनका दिया पनिशमेंट स्वीकार कर लें, इसलिए यह चार्जशीट-दंड दिया गया।
वर्तमान परिस्थितियों में यह सब चीफ इंजीनियर के पद स्तर पर डायरेक्ट क्लास थ्री को चार्जशीट और पनिशमेंट दिए जाने को अन्य अधिकारियों द्वारा भी घोर निंदा की जा रही है।
जातिगत मानसिकता से कार्य और ठेकेदारों का फेवर
कुछ अधिकारियों का यह भी अब कहना है कि अपनी – अपनी जातिगत द्वेषपूर्ण मानसिकता के चलते एवं अपने खासमखास ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट होने से बचाने के उद्देश्य से ही चीफ इंजीनियर द्वारा यह सब बेलगाम कृत्य इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि ईस्टर्न रेलवे कैडर के होने के बावजूद ईसीआर निर्माण संगठन में वर्ष 2011 से उपमुख्य अभियंता/निर्माण/नार्थ रहते हुए इस पद पर भी अपने स्वाजातीय एक्सईएन और पीडब्ल्यूआई आदि को अपनी पहली पसंद के रूप में रखे हुए हैं।
जहां चाहा वहां पोस्टिंग करवाई, जो चाहा वह किया
इसी तरह वर्ष 2016 में पदोन्नति के भी बाद हरपाल सिंह, जिनको पदस्थापित होकर मात्र तीन महीने ही हुए थे, को हटाकर अपनी पदस्थापना सुनिश्चित कराई गई और फिर एकक्षत्र राज चालू हो गया था। जिस ठेकेदार को चाहा उसे ही टेंडर अवार्ड किया या टर्मिनेट अथवा क्लोजर करवा दिया।
इसी तरह जिसे चाहा उसे पदस्थापना दिया, ट्रांसफर किया, दंड दिया। सभी अधिकारियों में यही चर्चा है कि अब फिर से कोई नया पद अनुमोदित करवाकर इसी निर्माण संगठन से जुलाई 2024 में सेवानिवृत्त हुआ जाए, और इस दौरान सिर्फ उनके स्वजातीय ठेकेदार, स्टाफ, अधिकारियों की चलती रहे, बाकी अन्य इन्हीं के रहमोकरम पर रहें।
यह चीफ इंजीनियर महोदय जिसे चाहे बचा दें और जिसे चाहे दंडित करा दें, जिसे चाहें उसे बरबाद कर देने की धमकियां दे दें और इसे अपनी प्रतिष्ठा (ईगो) का मुद्दा बनाते हुए उक्त कनिष्ठ अधिकारियों-कर्मचारियों का स्थानांतरण, दंडित भी कर दें। यह है उनकी कार्यशैली! इसका एकमात्र कारण उनका लगातार लंबे समय से ईसीआर कंस्ट्रक्शन में ही जमे रहना है।
बाहुबली सीई से सीएओ और जीएम भी रहते हैं भयभीत
कर्मचारियों का कहना है कि वास्तविकता यह है कि इन बाहुबली चीफ इंजीनियर महाशय से वर्तमान सीएओ और जीएम भी भयभीत रहते हैैं कि कहीं ये अपनी राजनैतिक, प्रशासनिक पहुंच का इस्तेमाल कर उन्हें किसी बेमतलब के लफड़े में न फंसा दें। इसलिए 11 वर्ष से निर्माण संगठन में टेंडर से जुड़े पदों पर ही लगातार काबिज हैं। यही वजह है कि इनका स्थानांतरण करने के बारे में सोचने की भी हिमाकत करने की किसी में हिम्मत नहीं हो रही है।
“समरथ को नहिं दोष गुसाईं”
कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों का कहना है कि यहां “समरथ को नहिं दोष गुसाईं” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। दुष्टों की दुष्टता से हर शरीफ और ईमानदार आदमी बचना चाहता है। उनका कहना है कि कितना भी सीसीआरएस बोले, कुछ भी कहे, कुछ भी निर्देश दे ले, ऑथोराइजेशन में लिख दे, यहां किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, चूंकि जब अरबों रुपये का स्वामित्त्व है, तब कोई सीसीआरएस, जीएम अथवा सीएओ क्या कर लेगा? ऐसे में सभी को मुट्ठी में कर लेना कौन सी बड़ी बात है!
खूब हो रही है सीएओ/सी की जग-हंसाई
उपरोक्त तमाम मुद्दों पर सीएओ/सी की भी जग-हंसाई खूब हो रही है, चूंकि उनके अधीन ही तो खुलेआम यह सारा नंगा नाच हो रहा है। अन्याय भी चरम पर है, लेकिन नैसर्गिक न्याय के तहत मातहतों के हितों की रक्षा कोई नहीं कर पा रहा है। किसी को भी न्याय नहीं मिल पा रहा है, जो भी हो रहा है, वह बहुत ही अन्यायपूर्ण है।
अंत में कर्मचारियों का यही कहना है कि सीएओ/नार्थ को इस संबंध में आत्मचिंतन और मंथन जरूर करना चाहिए, ताकि सबको न्याय मिले और जीत सत्यता की हो, न कि व्यक्तिगत तौर पर पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर या जातिगत भेदभाव पर आधारित दंड देने की मंशा से मातहतों का दमन करने वाले अधिकारियों के दंभ और स्वार्थ-हित का पोषण किया जाए।
देखें – सीसीआरएस द्वारा दिया गया ऑथराइजेशन
अब 27 अगस्त 2020 को सीसीआरएस दिए गए ऑथराइजेशन में जो कमियां उनके द्वारा गिनाई गई हैं, उनके शत-प्रतिशत कम्प्लायंस के लिए जीएम/पू.म.रे. की तरफ से डिप्टी चीफ इंजीनियर/कंस्ट्रक्शन/डिजाइन, महेंद्रू घाट, पटना, पू.म.रे. स्वाति राय द्वारा सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है, देखें उनका निर्देश और इसी के साथ अटैच्ड सीसीआरएस शैलेश कुमार पाठक द्वारा दिया गया ऑथराइजेशन –
https://drive.google.com/file/d/1xnyQiAOKUjqys6q1T4Bvjebjohx_fYV-/view?usp=drivesdk
सीसीआरएस के इस “ऑथराइजेशन” को डिटेल में पढ़ने से पता चलता है कि पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन में नीचे से ऊपर तक कितने बड़े पैमाने पर अंधेरगर्दी चल रही है और विभिन्न निर्माण कार्यों की गुणवत्ता से कितने बड़े पैमाने पर समझौता करके किस स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है! क्रमशः
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