कोरोना काल में भी साफ-सफाई का तमाशा, बाकी जरूरी मुद्दे गए पर्दे के पीछे!

साफ-सफाई के नाम पर निठल्ले बैठे रेल मंत्रालय के बाबुओं ने शुरू किया सफाई अभियान

जनता से सीधे जुड़े रेल मंत्रालय की नाकामी पर जनता रेलमंत्री को नहीं, प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराएगी

कोरोना महामारी काल में नए-नए खेल तमाशे भी जारी हैं। उधर प्रधानमंत्री ने “गंदगी भारत छोड़ो” का आह्वान किया और इधर निठल्ले बैठे रेल मंत्रालय के बाबुओं ने इसी के नाम पर 10 अगस्त से 16 अगस्त तक विशेष अभियान की शुरुआत कर दी।

समझ से परे है कि जब कोविड-19 के अनेकों प्रोटोकॉल अभी भी प्रभावी हैं, तो अनावश्यक भीड़ जमा करने वाले ऐसे किसी विशेष अभियान को चलाए जाने की क्या आवश्यकता है! इसका मतलब तो यही निकलता है कि जिस काम से आका खुश हो, वही काम सही है।

सवाल यह उठता है कि आज प्रधानमंत्री को भी जब “गरीबी भारत छोड़ो”, “बेरोजगारी भारत छोड़ो”, “भुखमरी भारत छोड़ो” और “अर्थव्यवस्था सुधारो” जैसे देश तथा जन हितकारी अभियान चलाने की शुरुआत करनी चाहिए, क्योंकि आज इस वक्त देश में बेरोजगारी, गरीबी चरम पर है, लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कोरोना के नाम पर गंदगी भारत छोड़ो का अभियान चलाने का प्रचार किया जा रहा है।

सार्वजनिक साफ-सफाई के प्रति जागरूकता अवश्य फैलाई जानी चाहिए, मगर यह बात स्थानीय नगर निगम ब्लाक स्तर पर और जिला प्रशासन एवं परिषदों का काम है, यदि प्रधानमंत्री इन स्थानीय मुद्दों पर अपना ध्यान लगाएंगे, तो राष्ट्रीय मुद्दों का क्या होगा!

इसके अलावा यह मुद्दे व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक स्तर के भी हैं। इनके लिए सार्वजनिक तौर पर समय-समय पर संदेशों का प्रसारण करके याद दिलाना ही पर्याप्त है।

इनके लिए प्रधानमंत्री स्तर पर सफाई अभियान चलाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि नौकरशाही उनको खुश करने के लिए बाकी जरूरी काम छोड़कर फोटो खिंचवाने पर उतारू हो जाती है। अब यदि घर-घर की बात को भी अभियान का नाम दिया जा रहा है, तो मूल समस्याएं ज्यों की त्यों ही पड़ी रह जाती हैं।

रेल मंत्रालय का कुप्रबंधन रेलवे को कितना नुकसान पहुंचा रहा है, इसके दुष्परिणाम आगे देखने को मिलेंगे। नियमित ट्रेनों के रद्द होने के कारण प्रदेशों के परिवहन विभाग और प्राइवेट परिवहन की चांदी हो रही है। लोगों के पास इन साधनों के इस्तेमाल के अलावा कोई चारा नहीं है।

रेल का बंटाधार करने वाले क्या जनता को यह बताएंगे कि स्पेशल ट्रेनों के चलने से कोरोना नहीं फैलेगा, लेकिन नियमित ट्रेनों के चलने से कोरोना फैलेगा, ये रिसर्च उन्होंने कहां से की है, कहां करवाई है?

प्रधानमंत्री महोदय जरा देश की धड़कन कही जाने वाली भारतीय रेल की दुर्दशा पर ध्यान दें, वरना इसकी नाकामी का ठीकरा आपके ही मत्थे मढ़ा जाएगा, क्योंकि सरकार के मुखिया आप हैं और आज पूरा देश सिर्फ आपकी तरफ ही देख रहा है, जनता से सीधे जुड़े रेल मंत्रालय की नाकामी पर जनता आपके रेलमंत्री को नहीं, बल्कि आपको जिम्मेदार ठहराएगी!