एनआरसीएच में एएनओ की लगातार बढ़ती मनमानी, कोविड वार्ड में नर्सों की ड्यूटी लगाने में भेदभाव
डिपार्टमेंटल इंचार्जों की बीवियों और कामचोर यूनियनबाजों को बख्शा जा रहा है कोविड ड्यूटी से?
नई दिल्ली : उत्तर रेलवे केंद्रीय चिकित्सालय (एनआरसीएच) में जहां एक तरफ कोविड मरीजों की संख्या और मौतें बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ अस्पताल की अहमन्य सहायक नर्सिंग अधिकारी (एएनओ) की मनमानी तथा कोविड वार्ड में नर्सों की ड्यूटी लगाने में पक्षपात तथा अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के साथ उनका भेदभाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।a
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रेलवे हॉस्पिटल ने दिल्ली सरकार को 200 बेड मुहैया करवाए हैं। फिलहाल 100 बेड पर मरीजों को भरती किया जा रहा है और उन सबमें नर्सिंग स्टाफ 3 शिफ्ट में काम कर रहा है। स्टाफ का कहना है कि “यह तीन शिफ्ट भी “रेलसमाचार” में खबर प्रकाशित होने के बाद बनाई गई हैं, जबकि इससे पहले यहां वार्ड में नर्सेस से पूरे 12 घंटे की ड्यूटी एएनओ द्वारा करवाई जा रही थी और स्टाफ को 12 घंटे लगातार पीपीई किट पहनकर काम करना/रहना पड़ता था।”
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उन्होंने बताया कि तीन शिफ्ट में काम करने के लिए 60 से ज्यादा नर्सिंग स्टाफ 24 घंटे में लगता है तथा साथ में इतना ही स्टाफ कोरंटीन में रह रहा होता है। इस वजह से अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी जल्दी-जल्दी रिपीट हो रही है। स्टाफ का स्पष्ट आरोप है कि अस्पताल की सहायक नर्सिंग अधिकारी द्वारा कुछ खास लोगों को कोरोना की ड्यूटी करने से बचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन खास लोगों में यूनियन के कुछ तथाकथित पदाधिकारी तथा कुछ डिपार्टमेंटल इंचार्ज और उनकी बीवियां भी शामिल हैं।
उनका कहना है कि यह कुछ खास लोग, जो काम कम और यूनियनबाजी ज्यादा करते हैं, अक्सर अपने फायदे के लिए इस अधिकारी को अपने मन-मुताबिक इस्तेमाल करते हैं और अपनी मर्जी से हांकते रहते हैं। उन्होंने बताया कि यहां एक चीफ नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट हैं, जो कि एक यूनियन के कथित पदाधिकारी भी हैं, वह आजकल अपनी बिना डायग्नोस बीमारी के कागजात लेकर अस्पताल में घूमते हुए देखे जा रहे हैं और साथ में चेलेंज भी कर रहे हैं कि “हिम्मत है तो कोई हमारी ड्यूटी लगवाकर तो दिखाए! हम तो किसी भी डॉक्टर से लिखवा लेंगे कि हम बीमार हैं और हम ड्यूटी नहीं कर सकते हैं।”
स्टाफ का कहना था कि यह बहुत संभव है कि कोई दब्बू डॉक्टर इनका मददगार हो जाए, और इन्हें कोई फर्जी बीमारी लिख दे, ऐसा पहले भी यहां होता रहा है, क्योंकि ये लोग सारा दिन बिना कोई काम किए सिर्फ कुछ डॉक्टरों के आगे-पीछे ही मंडराते रहते हैं और अपनी बेशर्म खींसें निपोरते हुए भी उन पर यूनियनबाजी की धौंस जमाते रहते हैं।
स्टाफ का साफ कहना है कि एएनओ द्वारा ऐसे निठल्ले लोगों को पहले भी सपोर्ट किया जाता रहा है। सामान्यतः इन निठल्ले लोगों को हॉस्पिटल में काम कम, ठलुआगीरी (दलाली और कामचोरी) ज्यादा करते देखा जा सकता है। उनका कहना है कि यह लोग सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करते रहे हैं। जहां सामान्य नर्सेस अथवा स्टाफ को एक महीने की भी सीसीएल आसानी से नहीं मिलती है, वहीं ये तथाकथित कुछ स्पेशल लोग 6-6 महीनों की सीसीएल एकसाथ लेकर कोरोना काल में भी घर पर आराम फरमा रहे थे और अब जब ड्यूटी पर आ गए तो यहां पर भी ये अपनी जुगाड़ का फायदा उठाकर कोविड वार्ड में ड्यूटी करने से बच रहे हैं।
स्टाफ का कहना है कि वहीं सामान्य दिनों में अस्पताल में अच्छे वार्ड की इंचार्जशिप और मलाईदार पद पर ड्यूटी लेने के लिए ये लोग यूनियन और फेडरेशन के बड़े पदाधिकारियों की भी सिफारिश लगाने से पीछे नहीं रहते। इन सब सिफारिशों के चलते एमडी/सीएमडी भी दबाव बनाकर इन कथित कामचोर यूनियन नेताओं की ड्यूटी लगवाते हैं। जबकि बाकी स्टाफ को दोहरी-तिहरी ड्यूटी करने के लिए बुलाया जा रहा है। यह बात तो जग-जाहिर है कि ये कामचोर कथित यूनियनबाज पहले भी अपने मन-मुताबिक ड्यूटी(?) करते रहे हैं। इसके अलावा यह भी जग-जाहिर है कि रेलवे हेल्थ सर्विसेज का सत्यानाश करने में इन कामचोर यूनियशबाजों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
इसी तरह स्टाफ ने बताया कि ऑफिस में बैठे कुछ लोग भी अपनी नर्सेस् बीवियों को कोविड वार्ड में ड्यूटी लगाने से बचा रहे हैं, जबकि अब तक जितने भी इनाम-इकराम रहे हैं, चाहे वह एमडी अवार्ड हो या सीएमडी अवार्ड, अथवा जीएम अवार्ड्स, सबसे ज्यादा अवार्ड इन्हीं लोगों ने लपके हैं। अच्छी जगह या मलाईदार ड्यूटी के लिए ये सब अपनी पहुंच और पॉवर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन सबको बचाने के लिए आजकल अस्पताल की एएनओ भी इन यूनियन नेताओं को पूरा सपोर्ट कर रही है।
स्टाफ का कहना था कि पावर और पहुंच वाले ये लोग आराम से अपने घर पर परिवार के साथ रहते हैं, जबकि 150 से ज्यादा स्टाफ दिल्ली से बाहर का है और उनके परिवार दूसरे राज्य में हैं। उनके छोटे-छोटे बच्चों से मिले हुए इन सभी स्टाफ को पांच महीने से ज्यादा हो गए है, तथापि वे अपने परिवार से मिलने नहीं जा पा रहे हैं। बार-बार इनकी ड्यूटी लगाकर इनकी जिंदगी और स्वास्थ्य दोनों को खतरे में डाला जा रहा है। जबकि ये यूनियन के नेता और कुछ डिपार्टमेंटल इंचार्ज तथा ऑफिस में काम करने वाले स्टाफ की बीवियों को कोरोना में ड्यूटी लगाने से बचाने के लिए सारा प्रशासन लगा हुआ है।
स्टाफ का कहना है कि कोरोना में भी कमाई का अवसर तलाश रहे इन लोगों की मदद यहां के कुछ डॉक्टर भी कर सकते हैं क्योंकि सुनने में आ रहा है कि एएनओ ने इन कामचोरों को सलाह दी है कि अगर ये सब लोग किसी डॉक्टर से लिखवाकर दे देंगे तो उनको ड्यूटी से बचाया जा सकता है। इसलिए आजकल ये तथाकथित वीआईपी लोग डॉक्टरों के आस-पास चक्कर लगाते हुए दिख रहे हैं। एएनओ द्वारा खुद भी जिस तरह इन लोगों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है उससे बाकी नर्सिंग स्टाफ में भारी रोष व्याप्त है।
जहां इस मुसीबत की घड़ी में सभी स्टाफ का मॉरल बढ़ाने के लिए इन तथाकथित बड़े यूनियन नेताओं और डिपार्टमेंट के लोगों को आगे आना चाहिए, वहीं ये लोग काम करने वाले स्टाफ का मॉरल डाउन करने में लगे हुए हैं। स्टाफ से बात करने पर उसकी मन:स्थिति का पता चला कि अगर इन वीआईपी लोगों की भी ड्यूटी नहीं लगाई गई अथवा इन लोगों ने ड्यूटी नहीं की और सभी की समान रूप से ड्यूटी नहीं लगाई गई तो बाकी स्टाफ भी ड्यूटी करने से मना कर सकता है।
ऐसे में स्टाफ का कहना है कि इस स्थिति में कोरोना संकट के समय एक बड़ा बवाल खड़ा हो सकता है और उस सब के लिए एएनओ एवं उसके कुछ खास चहेते लोगों के साथ ही वीआईपी बनने वाले कामचोर यूनियनबाज भी जिम्मेदार होंगे, क्योंकि अभी तक सारा स्टाफ अपने परिवार से महीनों दूर रहकर भी अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से कर रहा है और एक सच्चे कोरोना योध्दा की भूमिका निभा रहा है, जबकि ये कुछ लोग नर्सिंग की जिम्मेदारियों से भाग कर नर्सिंग सेवा को बदनाम करने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ उचित करवाई करनी चाहिए। ये देश पर आई इस विपदा की घड़ी में सिर्फ कमाई का अवसर ढ़ूंढ़ने और अपनी जान बचाने में लगे हुए हैं, जबकि बाकी लोगों की जान को मुसीबत मे डाला जा रहा है।
रेल प्रशासन को भी समय रहते इस मामले का अविलंब संज्ञान लेकर इस पर उचित कार्यवाही करने सहित समान रूप से सबकी ड्यूटी लगाने की और तुरंत ध्यान देना चाहिए, ताकि सभी स्टाफ को आवश्यक आराम के साथ ही अपने घर-परिवार से मिलने का समान मौका मिले। इसके साथ ही सर्वप्रथम एएनओ को अन्यत्र ट्रांसफर करने का पुख्ता इंतजाम किया जाए, तब तक के लिए उसे सख्ती के साथ ताकीद किया जाना चाहिए कि वह सभी स्टाफ के साथ समान व्यवहार करे और सबकी ड्यूटी बिना किसी भेदभाव के उसके पद के मुताबिक लगाई जाए। इसके अलावा कामचोर और कदाचारी यूनियन नेताओं की धींगामुश्ती पर अविलंब लगाम लगाई जाए।