रेलकर्मियों को कल्याण में पार्किंग की जगह उपलब्ध नहीं करा रहा रेल प्रशासन!

जो थोड़ी सी जगह उपलब्ध थी, रेवेन्यू अथवा निजी स्वार्थ के लालच में उसका भी टेंडर कर दिया

कल्याण : जहां भारतीय रेल की हजारों एकड़ जमीन लोगों ने अवैध तरीके से हथिया ली हो, उस पर जबरन कब्जा कर रखा हो, वहां मुंबई मंडल, मध्य रेलवे के कल्याण शहर में हजारों रेल कर्मचारियों को अपने दुपहिया वाहन तक खड़ा करने की जगह देने के लिए रेल प्रशासन तैयार नहीं है।

कल्याण रेलवे कर्मचारियों का गढ़ माना जाता है। कल्याण क्षेत्र में करीब 5000 के आसपास रेलवे कर्मचारियों के परिवार रहते हैं। कल्याण रेलवे स्टेशन के पश्चिम परिसर में जहां टैक्सी, ऑटो, तांगा, जीआरपी आदि सभी के लिए जगह फ्री में नामित की गई है, वहीं एक विशाल भूभाग यात्रियों की पार्किंग के लिए ठेके पर भी दिया हुआ है। परंतु रेलकर्मियों के लिए कोई जगह नामित नहीं की गई है।

रेल कर्मचारियों को रेलवे की जगह पर अपने वाहन खड़े करने के लिए कोई भी जगह उपलब्ध नहीं है। अनेकों रेलकर्मियों ने बार-बार इस बात को मौखिक एवं लिखित रूप से रेल अधिकारियों के संज्ञान में लाने का असफल प्रयास किया। तथापि रेल अधिकारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। इस बात को लेकर रेलकर्मियों में भारी असंतोष व्याप्त है और उन्होंने इसे मुद्दे को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।

उल्लेखनीय है कि कर्मचारी यूनियनों ने भी यह मुद्दे को पीएनएम के माध्यम से कई बार रेल प्रशासन के समक्ष उठाया। सीनियर डीपीओ और सीनियर डीसीएम ने इस बात को यूनियन के सामने मानते हुए एक कमेटी गठित कर इस समस्या का हल ढूंढने का आश्वासन भी दिया कि जीआरपी ऑफिस के पास का छोटा भूखंड, जिस पर अनेक वर्षों से रेलकर्मी तथा बाहरी लोग अपने वाहन खड़े करते आ रहे हैं, देने का वादा किया, पर अचानक उसका भी टेंडर निकालकर उसका भी निजीकरण कर दिया गया। अधिकारियों की इस सीधी वादाखिलाफी अथवा बेईमानी से रेलकर्मी अत्यंत खफा हैं।

दुर्भाग्य की बात है कि कल्याण में स्टेशन के दोनों तरफ बहुत सारी जगह होने के बावजूद रेलकर्मी अपने वाहन खड़े करने को तरस रहे हैं। जबकि प्राइवेट कंपनी भी अपने कर्मचारियों के वाहन खड़े करने हेतु मुफ्त जगह उपलब्ध कराती है। पर कुछ रेल अधिकारियों के व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते कल्याण में हजारों रेलकर्मियों की इस समस्या का उचित समाधान संभव नहीं हो पा रहा है। रेल प्रशासन को इस पर आवश्यक ध्यान देना चाहिए।