दस साल लगातार एक ही जगह पदस्थ रहे अधिकारी को उसी जगह प्रमोट करने का औचित्य क्या है?

एक ग्रुप-बी जूनियर स्केल ऑफिसर के सामने असहाय क्यों हैं महाप्रबंधक/मध्य रेल?

#महाप्रबंधक/मध्य रेलवे की छवि काफी साफ-सुथरी है-लेकिन ऐसा क्या है कि एक ग्रुप-बी जूनियर स्केल ऑफिसर के सामने वह असहाय हैं? वैसे #PCOM की भी क्या मजबूरी है-यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्यों एक ग्रुप-बी जूनियर स्केल अधिकारी को लगातार 10 साल तक पुणे में एक ही जगह रखकर उसे वहीं पर दूसरे डिवीजन से पोस्ट एलिमेंट लाकर (देखें-क्रम संख्या-4) दोहरे चार्ज में प्रमोट कर रहे हैं!

दस साल एक ही जगह पदस्थ रहने के बाद उसी जगह पदोन्नति के औचित्य पर पुनर्विचार नहीं!

ध्यान दें कि यह अधिकारी पुणे में ही कमर्शियल इंस्पेक्टर में भर्ती होकर अब तक पदस्थ है। ग्रुप-बी में प्रमोट होने पर संभवतः एकाध साल मुख्यालय मुंबई में पोस्टिंग पर रहा था। यहाँ #SDGM की भूमिका भी संदिग्ध है, उन्हें यहाँ #रोटेशन का आभाव क्यों नहीं दिख रहा? क्या PCOM और SDGM के लंबे समय तक मुंबई में पदस्थ होने से उनकी प्रशासनिक क्षमता कुंद हो गई है?

#GMCR तब तक अपने को इस मामले से दूर रख सकते थे जब तक कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन जब ये स्पष्ट दिख रहा है कि यह प्रकरण कदाचार से पूरी तरह ओत-प्रोत है, और उनके संज्ञान में भी है, तो सवालों से वह स्वयं को कैसे बचा सकते हैं?

ध्यान रहे कि जो रेल अधिकारी लंबे समय से एक ही जगह पदस्थ हैं, वहाँ भ्रष्टाचार और जोड़-तोड़ की जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं और उन पर ही विशेष रूप से #CBI की दिव्य-दृष्टि है। दिल्ली मंडल, उत्तर रेलवे, सिकंदराबाद मंडल, दक्षिण मध्य रेलवे, पंडित दीनदयाल मंडल, पूर्व मध्य रेलवे और वड़ोदरा मंडल, पश्चिम रेलवे के ताजा मामले सबके सामने हैं। ये भी स्मरण रहे कि पुणे डिवीजन इस समय रेल मंत्रालय की प्राथमिकता पर है और पुणे क्षेत्र के रेलवे प्रोजेक्ट्स पर मंत्री जी की स्वयं दृष्टि है।

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