“वंदे भारत ट्रेन” को बुरी तरह गंदा कर रहे हैं गुटखा खाने वाले गंदे बनारसी और कनपुरिये!
यात्रियों की टिकट चेक करे, या वंदे भारत की यांत्रिकी समस्याएं सुलझाए ऑन बोर्ड स्टाफ?
यात्रियों की विभिन्न समस्याओं को लेकर वंदे भारत ट्रेन में कार्यरत ऑन बोर्ड स्टाफ को करना पड़ रहा है भारी परेशानी का सामना
वंदे भारत ट्रेन में कुछ यांत्रिकी गड़बड़ियां हैं, जिनके कारण ट्रेन में कार्यरत चेकिंग स्टाफ को जहां रोज भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं गुटखा खाकर जहां-तहां थूककर ट्रेन को बुरी तरह गंदा करने वाले बनारसी और कनपुरिया यात्रियों के कारण अन्य यात्रियों को तकलीफ हो रही है।
यात्रियों की लगातार बढ़ती शिकायतों और सीएंडडब्ल्यू स्टाफ के असहयोग के चलते परेशान चेकिंग स्टाफ ने सीआईटी/लाइन/नई दिल्ली को अपनी इन मुसीबतों से अवगत कराते हुए उनके माध्यम से रेल प्रशासन से निवेदन किया है कि उन्हें वंदे भारत गाड़ी में कार्य करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ऑन बोर्ड चेकिंग स्टाफ का कहना है कि गाड़ी में तमाम तरह की शिकायतें होती हैं, उन्हें यह समझ नहीं आता कि वे गाड़ी चेक करें या गाड़ी की समस्याओं का समाधान करें। कहीं फुटरेस्ट टूटा हुआ है, तो कहीं पर सी-9-10-11 की टॉयलेट खराब पड़ी हैं।
चेकिंग स्टाफ का कहना है कि इसके लिए जब कैरेज एंड वैगन (सी एंड डब्ल्यू) स्टाफ को बुलाया जाता है, तो वह कहते हैं कि गाड़ी अभी दो साल के लिए गारंटी पीरियड में है, वही आकर इसको ठीक करेंगे। वे ऐसी किसी यांत्रिकी गड़बड़ी के लिए उसमें अपना हाथ नहीं लगाएंगे।
स्टाफ का कहना है कि लोग वॉशरूम में जाते हैं, वॉश बेसिन में गुटखे की पीक थूक देते हैं और पानी भी नहीं डालते हैं। फिर जब दूसरा आदमी आता है, तो उसे गंदा देखकर उन्हें बुलाता है और सौ तरह की बातें सुनाता है। उन्होंने कहा कि वंदे भारत से यात्रा करने वाले 50% बनारसी यात्री ऐसे हैं जो गुटका खाते हैं और यही लोग ट्रेन को गंदा करते हैं।
स्टाफ ने बताया कि वंदे भारत में जितने भी टॉयलेट हैं, उनके जो फर्श हैं, वह बिल्कुल सपाट हैं, जिसके कारण पानी टॉयलेट के अंदर एक ट्रे की तरह पड़ा रहता है और जब यात्री गीले पैर लेकर बाहर निकलता है तो पूरी गाड़ी को गंदा करता हुआ जाता है।
वंदे भारत ट्रेन के टॉयलेट्स में जितने भी वॉश बेसिन लगे हैं, वह सब के सब टेढ़े हैं, जिससे उनके अंदर पानी रुका रहता है।
किसी कोच में एसी काम नहीं कर रहा होता है, तो कहीं पर एसी बहुत ज्यादा ठंडा कर रहा होता है। ऐसे में यात्रियों की चिल्ल-पों के कारण स्टाफ की नाक में दम हो जाता है।
ट्रेन में मोबाइल नेटवर्क न आने के कारण स्टाफ का स्टाफ से ही सम्पर्क नहीं हो पाता। गाड़ी का सारा स्टाफ ड्राइवर कैब में रहता है। अभी तक स्टाफ वॉकी-टॉकी जारी नही किए गए हैं। इससे और ज्यादा परेशानी होती है।
आजकल तो मौसम थोड़ा ठीक है। थोड़े में काम चल जाता है। परंतु गर्मियों में बड़ी बुरी हालत होती है।
एक्जीक्यूटिव क्लास में अन्य क्लास के लोगों की आवाजाही के कारण भी एक्जीक्यूटिव क्लास के यात्रियों को न सिर्फ बड़ी परेशानी होती है, बल्कि इस पर ऐतराज करते हुए वे स्टाफ पर ही अपनी नाराजगी जताते हैं।
ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग स्टाफ (ओबीएचएस) को भी बिना रेस्ट के लगातर ड्यूटी करनी पड़ती है, जिसके कारण वह भी दिन में कोच के बाहर सोते रहते हैं।
उपरोक्त तमाम समस्याओं से निजात दिलाने के लिए वंदे भारत ट्रेन के ऑन बोर्ड चेकिंग स्टाफ ने अपने इंचार्ज को विस्तार से जानकारी दी है और रेल प्रशासन तक उनकी बात पहुंचाकर समस्याओं का शीघ्र समाधान कराने के लिए अनुरोध किया है।
👆 टिकट एक यात्री की बनाई गई है, जबकि यात्रियों की संख्या दो लिखी गई है। गाड़ी नंबर भी पढ़ने में नहीं आ रहा है। ईएफटी में एक्स्ट्रा फेयर कलेक्टेड पॉइंट भी नहीं लिखा गया है। यही गलतियां अथवा लापरवाही टिकट चेकिंग कैडर को बदनाम करती हैं।
👆 उत्तर रेलवे, अंबाला डिवीजन के अंतर्गत सहारनपुर के चेकिंग स्टाफ द्वारा बनाई गई ईएफटी रसीद, जिसको पढ़ पाने में शायद मेडिकल क्षेत्र के लोगों को भी भारी मुश्किल होगी। ऐसी लिखावट का प्रदर्शन करने वाला चेकिंग स्टाफ आखिर अपनी कौन सी कला या विशेषज्ञता दर्शाना चाहता है?