डीए फ्रीज से रेलकर्मियों को होने वाली है दीर्घावधि हानि
पेंशन पर डीए के साथ-साथ उन्हें संचित अवकाश नकदीकरण, ग्रेच्युटी और पेंशन कम्प्यूटेशन से मिलने वाली धनराशि पर हो रही है लाखों रुपये की क्षति
कुछ दिनों से तमाम रेलकर्मी एक मौलिक शंका से काफी व्यथित हैं। वे रेलवे के मान्यताप्राप्त संगठनों के कई नेताओं से अपनी वेदना निवेदित कर चुके हैं, परन्तु उन्हें अभीष्ट उत्तर नहीं मिल सका है या यों कहें कि वे प्राप्त उत्तरों से संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं।
अतः दोनों मान्यताप्राप्त फेडरेशनों का शीर्ष नेतृत्व रेल प्रशासन और सरकार के साथ बातचीत करके रेलकर्मियों की इस आशंका का समाधान करने और करवाने का प्रयास करे।
सवाल है कि कोविड-19 को महामारी तो गत वर्ष ही घोषित किया गया है, जिसका मुकाबला करने के लिए महंगाई भत्ते (डीए) की देय किस्त/किस्तें तभी से फ्रीज की गई हैं।
अर्थात डीए फ्रीज आर्डर तभी से आगे के लिए प्रभावी होना तो कुछ समझ में आता है। परंतु सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के संचित अवकाश के नकदीकरण, ग्रेच्युटी की धनराशि और अर्ह पेंशन भाग की कम्प्यूटेशन वैल्यू, जो कि किसी कर्मचारी के पूर्ववर्ती लंबे सेवाकाल का प्रतिफल है, उस पर डीए फ्रीज को प्रभावी किया जाना क्या कानूनी रूप से जायज़ है? क्योंकि इससे तो सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को हमेशा-हमेशा के लिए लाखों रुपए की अपूर्णीय क्षति हो जाएगी।
इससे जून 20 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को दोहरी क्षति हो रही है। क्योंकि पेंशन पर डीए के साथ-साथ उन्हें संचित अवकाश नकदीकरण, ग्रेच्युटी और पेंशन कम्प्यूटेशन से मिलने वाली धनराशि पर लाखों रुपये की क्षति हो रही है।
मान्यताप्राप्त फेडरेशनों के शीर्ष नेतृत्व से रेलकर्मियों की अपेक्षा है कि वे इस समस्या के समाधान में उनकी मदद और मार्गदर्शन करने का श्रम करें।
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