मध्य रेलवे के भायखला जोनल हॉस्पिटल की पार्किंग पर डॉक्टरों का कब्जा, गंभीर एवं वृद्ध मरीजों की परेशानी

मुंबई के भायखला में मध्य रेलवे का जोनल अस्पताल है, जिसमें मध्य रेलवे ही नहीं, बल्कि देश भर के रेलकर्मी अपना इलाज कराने आते हैं। अन्य अस्पतालों द्वारा यहां पेशेंट को रेफर करना यानी सीरियस पेशेंट ही अधिकतर होते हैं।

इस अस्पताल की पार्किंग में बहुत कम जगह उपलब्ध है, इसीलिए यहां से करीब 500 मीटर दूर स्थित निर्मल पार्क में पार्किंग के लिए जगह दी गई है। पार्किंग के लिए जगह देना तो स्वागत योग्य है, पर किस जगह, किसको पार्किंग करना है, एमडी/भायखला द्वारा यह फैसला बेहद गलत तरह से लिया गया है।

ज्ञातव्य है कि इस अस्पताल के अधिकांश रेजिडेंशियल डॉक्टर निर्मल पार्क में यानी करीब 500 मीटर दूर रहते हैं। पेशेंट को प्रतिदिन 5-7 किलोमीटर चलने की सलाह देने वाले यह डॉक्टर खुद अपना स्टेटस मेंटेन करने के चक्कर में आधा किलोमीटर की दूरी भी कार से तय करते हैं।

ये डॉक्टर अपनी कार सुबह 9:00 बजे से शाम 4-5 बजे तक, यानी अस्पताल की वास्तविक कार्य अवधि में, उसी अस्पताल में पार्क कर सारी पार्किंग पर कब्जा किए रहते हैं। ऐसे में जब किसी सीरियस पेशेंट, जैसे हार्ट अटैक, एक्सीडेंट, टीबी, एचआईवी, कैंसर इत्यादि से पीड़ित या 85/90 साल के वयोवृद्ध मरीज को कोई व्यक्ति अपनी या सहयोगी की गाड़ी में लाते हैं, तो वहां तैनात वॉचमैन उस वाहन को तनिक देर भी खड़े नहीं होने देता, वह या तो वाहन बाहर ले जाने को या निर्मल पार्क की पार्किंग में खड़ा करने को कहता है।

इस दबाव के चलते उन गंभीर अथवा मृत-प्राय मरीजों के अस्पताल में दाखिल होने के पूर्व ही फजीहत शुरू हो जाती है। इस दबाव के चलते अनेकों बार मरीज गिरकर चोटिल भी हो जाते हैं। कितना अमानवीय दृश्य होता होगा?इसकी कल्पना की जा सकती है।

वैसे भी आज के दौर में वृद्ध लोगों की या मरीज की सेवा हेतु छोटे (न्यूक्लीयर) परिवारों में सदस्यों का अभाव रहता है। अब जो व्यक्ति मरीज को गाड़ी में बैठाकर लाया है, वह मरीज को कैजुअल्टी में ले जाकर, डॉक्टर को बताकर, अपने पारिवारिक सदस्य को वार्ड या आईसीयू में भर्ती करने तक कुछ तो समय लेगा ही! इतने समय के लिए वह अपना वाहन कहां खड़ा करे?

तमाम रेलकर्मी एमडी/भायखला से जानना चाहते हैं कि क्या परिचारक गंभीर मरीज को जमीन पर या सड़क पर छोड़कर निर्मल पार्क तक जाकर गाड़ी पार्क करके पैदल वापस आकर तब मरीज को डॉक्टर के पास ले जाए? क्या तब तक उक्त मरीज जिंदा बचेगा? यह उचित है या स्वस्थ डॉक्टर द्वारा आधा किलोमीटर वॉकिंग करके मरीजों के लिए आदर्श स्थापित कर स्वयं को स्वस्थ रखना?

बात जो भी हो, रेलकर्मियों को आपत्ति डॉक्टरों के वाहन की पार्किंग पर नहीं है। पर उनकी घोर आपत्ति मरीजों को लेकर अस्पताल आने वाले उनके वाहनों को तत्काल अस्पताल से बाहर ले जाने के अमानवीय एवं अनैतिक दबाव पर है।

अतः एमडी और संबंधित अधिकारियों को चाहिए कि मानवता का परिचय देते हुए मरीजों के प्रति अपनी थोड़ी सी संवेदनशीलता दिखाएं और अस्पताल जैसी जगह में स्टेटस पर इंसानियत का पलड़ा भारी कर अपने सहृदय होने का परिचय दें।