Railgate-5: प्राइवेट ट्रेन ऑपरेशन-रेल की साख को लगा बट्टा
प्राइवेट ट्रेन ऑपरेटर का टेंडर दो बार कैंसल हुआ। प्राइवेट बिडर करोड़ों की अपनी अर्नेस्ट मनी, सिक्योरिटी डिपॉजिट और बैंक गारंटी फँसाते हैं, और टेंडर कैंसल हो जाता है। इससे मार्केट में रेलवे की साख को भारी बट्टा लगा, तब कोई रेल पर भरोसा क्यों और कैसे करेगा, यह सोचकर यह आइडिया ड्राप कर दिया गया।
वंदेभारत ट्रेन बनाने के लिए प्राइवेट क्षेत्र में तीन टेंडर जारी किए गए –
- 200 रेगुलर स्टील बॉडी
- 200 एल्यूमिनियम बॉडी
- 100 पुश-पुल टाइप
200 एल्यूमिनियम और 100 पुश-पुल वंदेभारत ट्रेनों के दोनों टेंडर कैंसल हो गए, न तो प्राइस का जस्टिफिकेशन बना, न ही मार्केट की क्षमता आंकने का कोई सर्वे किया गया, बस टेंडर जारी कर दिया गया!
अब 200 रेगुलर वंदेभारत के टेंडर में संयुक्त उपक्रम वाली दो कंपनियाँ थीं – जिसमें #TMH-RVNL JV को 120 और #Titagarh-BEML JV को 80 वंदेभारत ट्रेनें बनाने का ऑर्डर दिया गया है।
जानकार बताते हैं कि इन दोनों ही टेंडर की न तो मॉनिटरिंग हो रही है, और न ही कोई टाइम लाइन मेनटेन हो रही है, और अब ऐसा लग रहा है कि ऑर्डर देने के बाद यह टेंडर भी कैंसल हो जाएगा।
बताते हैं कि यह दोनों कंपनियाँ अब तक अपना प्रोटोटाइप भी नहीं सब्मिट कर पाई हैं। इन्हें हैवी लिक्विडेटेड डैमेज (एलडी) से बचाने के लिए ही #MOBD से फाइल पर चौबीस कोच की वंदेभारत की जरूरत लिखवाई गई है, जिसके लिए उन्हें पीपावाव रेल कारपोरेशन लिमिटेड (#PRCL) में पाँच साल के लिए एमडी के पद का पुरस्कार मिला है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले माल-वैगन की सप्लाई में भी कंपनियों को हैवी लिक्विडेटेड डैमेजेज से बचाने के लिए उपरोक्त जैसा ही मेनीपुलेशन किया गया था।
इसी बीच #BEML को 10 स्लीपर वंदेभारत का ऑर्डर दिया गया – #ICF को दरकिनार करके – नॉमिनेशन पर – बिना टेंडर जारी किए!
बताते हैं कि इन 10 स्लीपर वंदेभारत ट्रेनों की डिलीवरी मार्च 2024 तक होनी थी, मगर अब तक इनका कहीं कोई अता-पता नहीं है।
रेलवे ने अपनी डिजाइन #BEML को मुफ्त में सौंप दी, अब इसका लाभ उसे अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कम्पीटीशन करने में मिलेगा, ऐसा रेल के जानकारों का कहना है।
यह है #सुधीर-सेंस अर्थात् #टेंडरमैन की एक्सपर्टाइज! जिसके निर्देशन में कोई ढ़ंग का काम नहीं हुआ। केवल टेंडर किए गए, और टेंडर जारी करके ऐसा प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया कि भारतीय रेल में व्यवस्था का आमूलचूल परिवर्तन (रिफॉर्म) हो रहा है।
भारत की निम्न, निम्न-मध्यम वर्गीय और मध्यम वर्गीय जनता यानि मेहनत-मजदूरी करने वाले नौकरी पेशा लोगों को सेफ्टी, सिक्योरिटी, पंक्चुअलिटी के साथ हाई स्पीड एवं औसत किराए वाली ट्रेनों की आवश्यकता है, फैंसी और महँगी ट्रेनों की नहीं! यह तथ्य जितनी जल्दी सरकार को, रेलवे बोर्ड के बाबुओं को समझ में आ जाएगा, उतनी जल्दी रेल यातायात की समस्या का समाधान हो जाएगा।
क्रमशः अमृत भारत स्टेशन और गति-शक्ति प्रकोष्ठ की कार्य प्रणाली